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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
"सूफ़ीवाद" टैग से संबंधित शब्द
"सूफ़ीवाद" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
अक़्ताब
(खगोल-शास्त्र) पृथ्वी की धुरी के वह उत्तरी और दक्षिणी बिंदु जो पृथ्वी के साथ घूमने में हमेशा अपने-अपने स्थान पर स्थिर रहते हुए घूमते रहते हैं, दक्षिणी और उत्तरी ध्रुव
'अक़्ल-ए-मुक़ीम
(सूफ़ीवाद) तर्क बुद्धि, समझ, ज्ञान, चेतना या वास्तविक्ता की धारणा के विपरीत जो तर्कसंगत तर्क पर निर्भर नहीं है।
'अक़्ल-ए-मुस्तफ़ाज़
(तसव्वुफ़) नफ़स या अक़ल का वो मर्तबा जब इस को नज़री माक़ूलात का हरवक़त मुशाहिदा होरहा हो, आलम-ए-बाला से मिलने वाली हक़ीक़ी अक़ल
अख़्फ़िया
(सूफ़ीवाद) वे लोग जो ईश्वर के आदेश पर लोगों की नज़रों से छुपे हुए हैं, अगर सामने आते हैं तो लोग उन्हें नहीं पहचानते और अगर ग़ायब होते हैं तो उन्हें याद नहीं करते
अख़्यार
तसव्वुफ़: तीन सौ छप्पन या सत्तावन अगोचर पुरूषों में वो सात लोग जिन्हें 'अबरार' (पवित्र) कहा जाता है
अदब-ए-शरी'अत
(तसव्वुफ़) रसूम हक़ से वाक़फ़ीयत, शाइर अलहाएह की अज़मत को समझना, दिल को परहेज़गारी के ज़रीये पाक वसाफ़ करना
अदब-ए-हक़ी्क़त
(तसव्वुफ़) हक़ को हक़ और ख़लक़ को ख़लक़ समझना और ये पहचानना कि मख़लूक़ को अपने मख़लूक़ होने में हक़ से किया इलाक़ा है
अदीब
साहित्य एवं शब्दकोश का विद्वान, शब्दकोश का, भाषाविद्, गद्य और पद्य और उनसे संबंधित शब्दों एवं वाक्यों का विशेषज्ञ
अध्यात्मिक
आत्म संबंधी, अध्यात्म से संबंधित, अध्यात्म से संबंध रखने वाला, मन संबंधी, आध्यात्मिक, रुहानी
असहाब-ए-तैरान
(तसव्वुफ़) वो औलिया जो फ़िज़ा में तीरान करते हैं और जिस्म मिसाली उन का मुस्फ़ा और जिस्म अंसरी उनका मानिंद हुआ के लतीफ़ है
अहल-ए-हाल
तसव्वुफ़: पूर्ण संत, तपस्या में लीन दैवीय तेज पर झूमने वाला, सच्चा उपासक, जो अपनी इन्द्रियों की शक्ति से औरों को अपने पास प्रकट कर सकता है
आदम
यहूदी, ईसाई, इस्लाम आदि धर्मों के अनुसार ईश्वर सृष्टि का प्रथम मनुष्य, आदिमानव की संतान, हज्रत आदम जो सबसे पहले पुरुष थे
'आलम-ए-अम्र
(तसव़्वुफ) अईआन-ए-सा बत्ता और अर्वाह को कहते हैं जिस से किन फ़ैकूँ मुराद है यानी कण से इशारा आलम-ए-अयान की तरफ़ और फ़ैकूँ से आलम-ए-अर्वाह की तरफ़ है, मुजर्रिदात, आलिम ख़लक़ (रुक) का नक़ीज़, वो हालत जिस में ख़ुदावंद करीम केस चीज़ को बगै़र अस्बाब के लफ़्ज़ कण से पैदा कर देता है
'आलम-ए-अश्बाह
(तसव़्वुफ) एक आलम है दरमयान आलिम ओराह और आलम-ए-अज्साम के, जो कुछ आलम-ए-अजसाम में मौजूद है इस की नज़ीर आलम-ए-मिसाल में मौजूद है फ़र्क़ इतना है कि आलम-ए-अर्वाह लतीफ़ है और ये की॒फ़
'आलम-ए-ए'तिबार
(तसव्वुफ़) वो दुनिया जिस की हर चीज़ तई्ान कर लेने या फ़र्ज़ कर लेने से मौजूद नज़र आती है, आलम-ए-तई्ानात
'आलम-ए-ख़ल्क़
(सूफ़ीवाद) मर्त्यलोक जो ईश्वर के निर्देश पर पदार्थ और मौत के साथ अस्तित्व में आया, भौतिक संसार, आलम-ए-शहादत
'आशिक़
वो जो किसी पर मोहित हो, इश्क़ करने वाला, मोहित, प्रेमी (स्त्री-पुरुष दोनों के लिए प्रयोग होता है)
इदराक-ए-बसीत
(तसव्वुफ़) हस्ती हक़ीक़ी के इदराक का एक दर्जा या कैफ़ीयत, वजूद हक़ का इदराक मुवाफ़िक़ इदराक हक़ के, क्योंकि जो चीज़ कि इदराक की जाएगी सब से पहले, हस्ती हक़ मुद्रिक होगी, अगरचे इस इदराक से ग़ायब और बोज्ह ग़ायत ज़हूर के पोशीदा क्यों ना हो
इदराक-ए-मुरक्कब
(नफ़सियात) समझने या जानने का वो अमल जिस में कई हवास बरुएकार आते हैं, और इस का हासिल उन के मजमूई अमल से पेश होता है : इस मुरक्कब (इदराक) का तजज़िया इस के मुफ़रिदात (हिस) में नहीं किया जा सकता
'इल्म-ए-अज़्वाक़
(तसव्वुफ़) वो इलम जिस में मनाज़िल तसव्वुफ़ और मराहिल मुराक़बा से बेहस की जाये, इलम यक़ीन
इल्लल्लाह
(तसव्वुफ़) ' रियाज़त में सूफ़ियाए किराम का अपने सीने पर ज़रब लगाने का एक कलिमा (जिस की सूरत ये होती है कि अव्वल ला इलाह कहते हुए अपने सर को दाहिने शाने से वस्त सीना तक लाते हैं, और फिर अलाव लल्ला कहते हुए बाएं शाने से अपने सर को वस्त सीने तक लाते हैं और दोनों दफ़ा सर की हरकत को इस तरह रोकते हैं, जैसे : ज़रब लगा रहे हैं) '
इस्तिहज़ा
(लफ़ज़न) किसी शख़्स की नालैन तलब करना, जूतीयों में जा पड़ना, सफ़ नालको पसंद करना , (तसव्वुफ़) क़रीब बारी ताला
उफ़ुक़
क्षितिज, दृष्टि की अंतिम सीमा का वह गोलाकार स्थान जहाँ आकाश और पृथ्वी दोनों मिले हुए दिखाई पड़ते हैं, आसमान का किनारा जो ज़मीन से मिला हुआ दिखाई देता है
उफ़ुक़-उल-'उला
(सूफ़ीवाद) ईश्वरत्तव का वह स्तर जब साधक यहाँ पहुँचता है, तो उससे ईश्वरीय गुण प्रकट होते हैं, जैसे कि मृत को जीवित करना और जन्मजात अंधे को सही करना
एहतिसाब
(तसव्वुफ़ " महा हिबा करना नफ़स आरिफ़ का तफ़सील ताय्युनात से यानी ढूंढना इन में हक़ायक़ कोणीय-ओ-शेवन अलहीह को
एहसान
(अच्छा व्यवहार किये जाने पर) धन्यवाद, कृतज्ञता, निहोरा, सुकर्म, अच्छा कर्म, नेक काम, कृपा उपकार
क़दम
(तसव्वुफ़) इस नेअमत को कहते हैं जिस का अज़ल में हक़तआला ने बंदे के लिए हुक्म किया था और हक़ की इस आख़िरी मोहब्बत और अतीया को भी कहते हैं जिस से अबद की तकमील होती है
क़दम-ए-सिद्क़
(तसव़्वुफ) इबारत है नामा-ए-जलीला से जिस की नवेद हक़तआला अपने बंदा-ए-ख़ालिस मुख़लिस को देता है
कुफ़्र-ए-मजाज़ी
(तसव़्वुफ) ऐसा अमल जिस से बेदीनी का शाइबा निकलता हो, वो कुफ्र जिस से हक़तआला की नाशुक्री ज़ाहिर हो
कुफ़्र-ए-हक़ीक़ी
(तसव़्वुफ) ज़ात महिज़ को ज़ाहिर करे इस तरह पर कि सालिक ज़ात-ए-हक़्क़ानी को ऐन सिफ़ात और सिफ़ात को ऐन ज़ात जाने जैसा कि है और ज़ात हक़ को हर जगह देखे और सिवाए ज़ात हक़ के किसी को मौजूद ना जाने
करिश्मा
(तसव्वुफ़) जज़्बा-ए-आलम बातिन को कहते हैं ताकि दिल सालिक का सुलूक में मुतग़य्यर ना हो और तलब में उस्तिवार रहे और बाज़े करिश्मा तवज्जा-ए-हक़ और तजल्ली जमाली और अनवार-ए-मार्फ़त के पर तो को कहते हैं
क़लंदर
ـ (तसव्वुफ़) वो शख़्स जो रुहानी तरक़्क़ी यहां तक कर गया हो कि अपने वजूद और अलाइक़-ए-दुनयवी से बेख़बर और ला ताल्लुक़ हो कर हमातन ख़ुदा की ज़ात की तरफ़ मुतवज्जा रहता हो और तकलीफ़ात रस्मी की क़यूद से चटकारा पा गया हो, इश्क़-ए-हक़ीक़ी में मस्त फ़क़ीर
कश्फ़-उल-क़ुबूर
(तसव़्वुफ) अमल के ज़रीये से मुरदों का हल मालूम करना या होना, जो सोफिया की एक करामत समझी जाती है, बुज़ुर्ग मज़ार (क़ब्र) के क़रीब ज़िक्र की हालत में बैठते हैं तो साहब-ए-क़ब्र की कैफ़ीयत मालूम होजाती है
कश्फ़-ए-क़ुबूर
(तसव़्वुफ) इर्तिकाज़ तवज्जा या ज़िक्र की हालत में क़ब्र के अंदर मुरदों का हाल मालूम करना, साहब-ए-क़ब्र की कैफ़ीयत मालूम करना
ख़फ़ी
(तसव्वुफ़) एक लतीफ़ा का नाम जो इंसान के बदन में रूह के बाद वदीअत रखा गया है और इसी जई वजह से फ़ैज़ इलहा का इज़ाफ़ा रूह पर होता है
ख़राबात
मधुशाला, दारू का अड्डा, मदिरालय, शराब- खानः, कैतवालय, अक्षवार, जुआ घर, जुआ खाना, बुत-खाना, बुराइयों का अड्डा, दुनिया
ख़ानक़ाह
मुसलमान फकीरों, सूफ़ियों, साधुओं, अथवा धर्म-प्रचारकों एवं धर्मशिक्षकों के ठहरने या रहने का स्थान, आश्रम, मठ (ख़ाना-गाह का अरबीकरण)
ख़िर्क़ा
(तसव़्वुफ) वो लिबास जो शेख़ मुरीद को अपना मुरीद करने के बाद दे और इस को ख़िलाफ़त और इजाज़त अता करे - ख़रका इस बात का पता देता था कि इस के पहनने वाले ने सच्चाई का रास्ता इख़तियार कर लिया है, दरवेशों का लिबास, सूओफ़ीयों का लिबास
ख़िर्क़ा-ए-ख़िलाफ़त
(तसव्वुफ़) खरा-ए-ख़िलाफ़त की दो किस्में हैं अव्वल ये कि शेख़ अपने मुरीद कामिल को बहुक्म ख़ुदावंदी ख़िलाफ़त दे - इस ख़िलाफ़त को खिलाफ-ए-कुबरा कहते हैं और दूओसरे ये कि शेख़ तालिब में क़ाबिलीयत जांच कर इजाज़त दे - उसे ख़िलाफ़त सुग़रा कहते हैं
ग़ैब-उल-मकनून
(तसव्वुफ़) मर्तबा-ए-वरना लो रन और हस्ती सिर्फ़ और अहदीৃ मुतल्लक़ा और गंज मख़फ़ी को कहते हैं
गोगा-पीर
एक पीर या देवता जिसकी पूजा अधिकतर साधारण श्रेणी के हिंदू और मुसलमान राजपूताना, पंजाब आदि में करते हैं, भंगी इन्हें पवित्र समझते हैं और बहुत सम्मानित समझते हैं, सम्मनपुर्वक गोगा पीर कहते हैं
ज़ुन्नार
जनेऊ, यज्ञोपवीत,वो धागा या डोरी जो हिंदू गले से बग़ल के नीचे तक डालते हैं जनेऊ, वो धागा या ज़ंजीर जो ईसाई, मजूसी और यहूदी कमर में बाँधते हैं
जनाइब
(सूफीवाद) उन लोगों को संदर्भ करते है जो सत्य की तरफ़ से लोगों द्वरा प्रसस्त किए पथ का भ्रमण करते हैं और नमन और भक्ति एवं आज्ञाकारिता और पवित्रता के मार्ग पर चलते हैं ताकि ईश्वर से निकटता प्राप्त करें, जिसके बाद ईश्वर द्वारा प्रस्सत मार्ग का भ्रमण आरंभ होता
जम'-उल-जमा'
(सूफ़ीवाद) सृष्टि को सृष्टि और ईश्वर को ईश्वर और सृष्टि को वास्तविक ईश्वर और ईश्वर को वास्तविक ईश्वर के रूप में देखना
जल्वती-उसूल
(तसव्वुफ़) वहदत शहूद के नज़रिया के मुताबिक़ आलम आलम-ए-शुहूद है यानी अल्लाह ताला का जलवा हर शैय में है (वहदत शहूद) वहदत वजूद के बरअकस
ज़ात-ए-साज़ज
(तसव्वुफ़) इस मर्तबा में ज़ात के साथ कोई एतबार नहीं, उसी को बज़ात बहत और ज़ात-ए-साज़ज सिर्फ़ कहते हैं
जा'ल-ए-बसीत
(तसव्वुफ़) जाअल बसीत जो इबारत है नफ़स तक़र्रुर अयान सा बत्ता से इलम इलाही में ईजाब के साथ कि जिन पर आसार और अहकाम मुरत्तिब ना हूँ
जा'ल-ए-मुरक्कब
(तसव्वुफ़) जाअल मुरक्कब इबारत है नफ़स तक़र्रुर अयान सा बत्ता से इलम इलहा में ईजाब के साथ कि जिन पर आसार और अहकाम मुरत्तिब हूँ
ज़िक्र-ए-ख़फ़ी
(सूफ़ीवादी) आँखें और होंठ बंद करके दिल से अल्लाह का नाम लेना, शांति से दिल ही दिल में अल्लाह को याद करना, ऐसा जप जो मन में किया जाए, उपांशु
ज़िक्र-ए-जली
तसव़्वुफ: ज़बान या दिल या सांस से अल्लाह का नाम लेना और कलमा-ए-तय्यबा को पढ़ना, ऊंचे स्वर में ईस्व्हर की प्रशंसा या की हमद-ओ-सना करना
ज़िल्ल-ए-अव्वल
(सूफ़ीवाद) आंतरिक (परोक्ष) रूप से अद्वैत प्रत्यक्ष रूप से अक़्ल को कहते हैं, प्रथम आविर्भाव
तज्दीद-ए-बै'अत
(तसव्वुफ़) साबिक़ा बैअत को ताज़ा करने या दुबारा अज़ सर-ए-नौ बुयूत करने का अमल , पहले जिस मुर्शिद तरीक़त के हाथ पर बैअत की थी उन के इंतिक़ाल हो जाये या किसी वजह से इसी सिलसिले के दूसरे मुर्शिद से बैअत करना, दोहार मुरीद होना
तनज़्ज़ुल
नीचे उतरना, नीचे आना, घटाओ, कमी, गिराव, अवनति, पतन, पदोन्नति, पद ह्रास, तनख्वाह में कमी होना, ह्रास, कमी, अपदस्थता
तनज़्ज़लात
(तसव्वुफ़-ओ-कलाम) मुरातिब सत्ता (जिस का पहला दर्जा लातईन यानी अहदीयत या ज़ात बहत है इस के बाद मर्तबा वहदत जिसे हक़ीक़त मुहम्मदी भी कहते हैं जो मर्तबा लातईन से ज़ाहिर हुआ उसी मर्तबा वहदत से मर्तबा वाहिदयत ज़ाहिर हुआ जो मर्तबा तफ़सील सिफ़ात है, बाक़ी तीन मुरातिब अहदीयत की मानिंद क़दीम नहीं बल्कि ताय्युनात हैं
तबीब-ए-रूहानी
(सूफ़ीवाद) वह पहुँचा हुआ पीर और ब्रह्मलीन धर्मगुरू जो सिद्धियों, विपत्तियों, रोगों, औषधियों, स्थितियों और स्वास्थ्य को जानता है और उसका उपचार करके उससे मुक्ति दिलाता है और निर्देश देने और उनकी मांगों को पूरा करने पर नियुक्त होता है
तरब
(संगीतशास्त्र) सितार या सारंगी के गूँज के तार जो उसकी डंडी की सतह से मिले हुए तने रहते हैं, ये तार वाद्ययंत्र की प्रकृति के लिहाज़ से सात से सत्रह तक उतार-चढ़ाव से लगाए जाते हैं साान्य रूप से नौ होते हैं जिनमें आठ गुमत और एक उनके नीचे ये सभी तार चकारियों की आवाज़ से गूँजते हैं
तलक़ीन
सिखाना, शिक्षा देना, धार्मिक शिक्षा देना, दीक्षा देना, गुरुमंत्र देना, पीर का मुरीद को अमल आदि पढ़ाना, सदुपदेश, वा'ज़, नसीहत, किसी आदमी को किसी मज़हब या फ़िरक़े में दाख़िल करने की रस्म
तल्वीन
(तसव़्वुफ) सालिक एक अहाल से दूसरे हाल या एक वस्फ़ से दूसरे हाल या एक वस्फ़ से दूसरे बालातर वस्फ़ की जानिब तरक़्क़ी
तवक्कुल
(तसव्वुफ़) मुक़ामात पंच गाना में से एक मुक़ाम जिस से मुराद ही है कि सोए हक़ के किसी और के साथ मशग़ूल ना होना और ख़ुद को फ़ानी और हक़ को बाक़ी जानना
तस्कीन
(सूफ़ीवाद) उस विनम्र दिल का नाम है, जो बहुत परेशानी और चिंता के बाद मालिक पर ईश्वर की ओर से प्रकट होती है और सुकून प्रदान करती है
तसव्वुर-ए-शैख़
(तसव्वुफ़) मनाज़िल सुलूक में से एक मंज़िल जिस में सालिक अपने मुर्शिद का तसव्वुर क़ायम करता है, मुरीद का अपने मुर्शिद से लो लगाना, मुर्शिद का ध्यान
तानीस
(तसव्वुफ़) तजल्ली फ़ाली को कहते हैं कि जो मुबतदी के वास्ते बाइस तज़किया-ए-नफ़स-ओ-तसफ़िया-ए-रूह की होती है और मुबतदी इस से अनस लेता है
ता'लीम
ज्ञान सिखाने की क्रिया, सीधा रास्ता दिखाने की क्रिया, किसी को कुछ सिखाना, पढ़ाना, गुरुमंत्र, दीक्षा, तलक़ीन
तासीर-उल-महव
(तसव्वुफ़) वो ताज है कि इस से अबद मुतव्वज अपने ग़ैर से मुफ़्तख़िर होता है इस को ताज अलफ़तख़ार भी कहते हैं और ये आं हज़रत की तबईत से हासिल होता है
ताहिर
पवित्र, पाक दामन, पाक, शुद्ध, अशुद्धता से मुक्त, गंदगी और दोषों से मुक्त, जिस का दिल और विवेक बुरे ख़्यालात, बुरे विचारों, से मुक्त हो, नेक, परहेज़गार
तौहीद
एक प्रकार का मत या विचार जो यह मानता है कि एक ही ईश्वर है, एकेश्वरवाद, एकता, अल्लाह ताला का एक होना, ख़ुदा के एक होने का यक़ीन, एक मानना, ईश्वर को एक मानना, अद्वैतवाद
तौहीद-ए-वुजूदी
(तसव्वुफ़) उस की दो किस्में हैं एक तौहीद वजूदी इलमी दूसरी तौहीद वजूदी अमली कशफ़ी तौहीद वजूदी इलमी से मुराद ये है कि सोए एक ज़ात और एक वजूद के दूसरा वजूद नहीं और ये वजूद ऐन ज़ात है तौहीद वजूदी अमली कशफ़ी को तौहीद हाली भी कहते हैं इस के तीन दर्जे हैं और ये अहल-ए-अल्लाह पर वारिद होती है
दोस्त
वह व्यक्ति जिसका शुभचिंतन और मोहब्बत विश्वसनीय हो या जिससे सच्ची मंगलकामना और प्यार किया जाए, जिसके साथ मेलजोल, मेल-मिलाप, मुलाक़ात हो (दुश्मन का विपरीत)
दौड़ना
(तस्कूफ़) ख़्याल-ए-ख़ुदा में ग़र्क़ होना, अल्लाह ताला से लो लगी होना, ज़िक्र ख़ुदा में गहरे इस्तिग़राक़ में होना
धोती
प्रायः नौ-दस हाथ लम्बा और दो-ढाई हाथ चौड़ा कपड़ा, जो कमर और उसके नीचे के अंग ढकने के लिए पहना जाता है, भारतीय वेशभूषा में पुरुष द्वारा अधोवस्त्र के रूप में तथा महिलाओं द्वारा सर्वांग वस्त्र के रूप में पहना जाने वाला एक लंबा कपड़ा, सफ़ेद साड़ी
नुक़्ता
(तसव्वुफ़) ज़ात इबहत और मर्तबा-ए- सल्ब इसफ़ात को कहते हैं जो मुनक़ते अलाशारा है और इस को नुक्ता-ए-ज़ात कहते हैं कि नुक्ता-ए- बाइ बिसमिल्लाह से ज़ात मुराद लेते हैं
नुक़बा
(तसव्वुफ़) एक रिवायत के मुताबिक़ वो तीन सौ वली जिन को हक़ ने वास्ते इदराक इबातन हाल एव निसान के मुक़र्रर फ़रमाया और ये लोग मुतहक़्क़िक़ हैं इस्म बातिन हक़ के साथ लिहाज़ा आदमीयों के बातिन पर मतला होते हैं और किसी हिक्मत से पोशीदा बातों को यही ज़ाहिर करते हैं
नक़्श-बंदी
चित्रकारी, मुसव्विरी, रंग साज़ी, गुलकारी, चिकनदोज़ी, नक्शा या चित्र बनाने का काम, भारत में प्रचलित एक प्रकार का सूफी संप्रदाय,
नक़ीब
(तसव्वुफ़) ओलयाए किराम के सिलसिला-ए-आली में वो तीन सौ वली जो तू स्यान-ए-इला-ए-अलदीनतोसी से निसबत रखते हैं
नक़ीबा
(सूफ़ीवाद) आध्यात्मिक समूह के वह सदस्य जो सत्तर अब्दाल (साधु-संत, पुण्यशील) के उत्तराधिकारी होते हैं और सबसे सक्षम व्यक्तियों में से चुन कर आते हैं
नुजबा
(तसव्वुफ़) वो वली जिन को हक़ ने इस्लाह इअमोर अख्लक़ के लिए मुक़र्रर फ़रमाया है और जो हुक़ूक़ अख्लक़ में मुतसर्रिफ़ हैं
नज़रिय्या-फ़ना
(तसव्वुफ़) मंसूर हल्लाज के मुताबिक़ मनुष्य उस समय तक ईश्वर से मिलन नहीं कर सकता जब तक वो स्वयंं के अस्तित्व को ईश्वर में विलय न कर दे
नफ़्स-उल-अम्र
सच्ची बात, असली हक़ीक़त, यथार्थता, असल मुद्दा, वाक़ई बात, जो वास्तव में मौजूद हो और ग्रहण नहीं किया गया हो
नफ़्स-ए-मुतमइन्ना
(तसव्वुफ़) बुरी आदतों से मुबर्रा नफ़स, सलिहा-ए-और अनबया की रूह जैसा पाकीज़ा नफ़्स, अख़लाक़ हमीदा से आरास्ता ख़ुदा रसीदा नफ़स
नुफ़ूस-ए-सलासा
(सूफ़ीवाद) इंद्रियों के तीन प्रकार हैं जो उनके गुणों के अनुसार स्थापित किए गए हैं अर्थात नफ़्स-ए-अम्मारा (वह मानसिक शक्ति जो बुरे कर्मों की ओर प्रवृत्त करती है), नफ़स-ए-लव्वामा (वह मनोवृत्ति जो बुरे कामों पर घृणा प्रकट करती है, जिससे मनुष्य पछताता है), नफ़्स-
नफ़्स-कुल
(तसव्वुफ़) नफ़स कल से मुराद बाअज़ के नज़दीक लौह महफ़ूज़ है और बाअज़ के नज़दीक अर्श और बाअज़ के नज़दीक हक़ीक़त मुहम्मदी है क़ौल अव्वल सही है
नफ़ी-ओ-इस्बात
उपेक्षा और पुष्टि, नकारात्मक और सकारात्मक, अस्वीकार और स्वीकार, कालिमा तय्यबा, लाइलाह इल्लल्लाह का जाप, अस्वीकार और स्वीकार का वर्णन
नमाज़
मुसलमानों की इबादत, सेवा, पूजा अर्चना, मुसलमानों की प्रार्थना या उपासना की एक पद्धति जो दिन में पाँच बार करने का विधान है, ईशवंदना
नमाज़-ए-'आम
(सूफ़ीवाद) वो नमाज़ जो निश्चित समय में पढ़ी जाए चाहे फ़र्ज़ हो या वाजिब, चाहे सुन्नत हो या नफ़्ल
नूर-ए-बातिन
क़लब की रोशनी , रुहानी क़ुव्वत , (तसव्वुफ़) ज़िक्र इलाही की कसरत से सालिक के क़लब में पैदा होने वाली रोशनी
नियाबत-ए-रसूल
रसूल का नायब होना , मुराद : दीनी तालीम-ओ-तब्लीग़, हिदायत का काम नीज़ (तसव्वुफ़ में) मुर्शिद होना
निस्बत दुरुस्त करना
(सूफ़ीवाद) किसी बुज़ुर्ग से सही और सच्ची आस्था पैदा करना, सलासिल सूफ़िया में से किसी सिलसिले में बैअत होना
निस्बत सल्ब होना
(सूफ़ीवाद) तरीक़त के किसी बुजुर्ग के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा के बाद जो संबंध क्रमवार श्रृंखला से उत्पन्न होता है उस आध्यात्मिक कृपा का समाप्त हो जाना
नौ-रोज़
साल का पहला दिन, ईरानियों में फ़र्वरदीन मास का पहला दिन जिसमें वह बहुत बड़ा उत्सव मनाते हैं, (फारसी पंचांग के अनुसार, जिस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है)
प्याला
कटोरा, प्याला, भीक का कटोरा, भिक्षापात्र, कंस, शराब पीने का प्याला, साग़र, चषक, खुले मुंह का गोल और गहरा खाने पीने की गाढ़ी या तरल पदार्थ के इस्तेमाल का बर्तन, चीनी मिट्टी, धातु आदि का बना हुआ कटोरी के आकार का एक प्रसिद्धि बरतन जिसका ऊपरी भाग या मुंह नीचेवाले भाग या पेंदे की अपेक्षा कुछ अधिक चौड़ा होता है और जिसका व्यवहार साधारणतः चाय, शराब आदि पीने में होता है, तोप या बंदूक़ में रंजक रखने की जगह
पास-ए-अन्फ़ास
सूफ़ी: मुसलमान सूफ़ियों का एक योगाभ्यास, जिसमें उनके हर श्वास के साथ, ‘अल्लाह' का शब्द उच्चरित होता है
पीर-ए-ख़राबात
मधुशाला का स्वामी, मदिरालय में मदिरा बेचने वाला वृद्ध व्यक्ति मदिरालय का बूढ़ा प्रबंधक, शराब ख़ाने का मालिक
फ़क़ीरी
साधुता, दरवेशी, भिखमंगापन, मॅगताई, सादगी उदारता, निर्धनता, कंगाली, कंगालपन, मुहताजी, मुफ़लिसी, गरीबी ऐसी अवस्था जिसमें कोई भीख मांगकर निर्वाह करता हो, फकीर होने की अवस्था या भाव
फ़ैज़-ए-अक़्दस
(तसव़्वुफ) तजल्लय-ए-ज़ाती जिस से तक़र्रुर-ए-अयान का हज़रत इलम में हुआ क़बल वजूद ख़ारिजी के
फ़ैज़-ए-मुक़द्दस
(तसव़्वुफ) तजल्लिया त-ए-असमा-ए इलहा कि जो अईआन-ए-सा बत्ता को ख़ारिज में मुताबिक़ स्वर-ए-इलमिया के वजूद बख्शते हैं
फ़ुतूह-ए-'इबादत
(तसव़्वुफ) हुसूल मर्तबा-ए-ईमान को कहते हैं जिससे इशारा अल्लाह के उस उपदेश की तरफ़ है "भला जिसका सीना खोल दिया अल्लाह ने इस्लाम पर"
फ़ना-फ़िश्शैख़
(तसव्वुफ़) जो अपने आध्यात्मिक गुरु में पूर्ण रूप से लीन हो जाए और उसी के उपदेशों और क्रियाकलापों का पालन करे और उसी को हर जगह उपस्थित जाने
फ़र्क़ म'अल-जम'
(तसव्वुफ़)) बंदा को बंदा और परमेश्वर को परमेश्वर और प्राचुर्य को अस्तित्व के अनुसार एक्य जानना और सामग्रीयोंं में प्रमेश्वर को देखना
फ़र्क़-ए-अव्वल
(तसव्वुफ़) मह्जूब होना, तलब का हक़ से बसबब कसरत और रसूम ख़लक़ीह के अपने हाल पर बाक़ी रहने के, इस को फ़र्क़ बुअद अलजम॒ा भी कहते हैं
फ़र्क़-ए-सानी
(तसव़्वुफ) मशहूद होना, ख़लक़ का हक़ के साथ और वहदत को कसरत में और कसरत को वहदत में देखना बगै़र इन दोनों के एक दूसरे से इहतिजाब के
बर्ज़ख़
रोक, अवधि, स्वर्ग नरक से पहले का स्थान, आड़, रोक, परस्पर विरुद्ध रखनेवाली दो चीज़ों के बीच की तीसरी चीज़ जो दोनों से संपर्क रखे, ख़्याली सूरत, दुविधा, दुविधा या लटकाव, निलंबन, घाटी, शुद्धि का स्थान, शोधन-स्थल
बसे-ख़राबी
(शाब्दिक) बहुत उजाड़, (सूफ़ीवाद) प्रेमी का वास्तविक प्रियतम के प्रेम में पूर्णत्या विलीन होना
बाक़ी-बिल्लाह
वह सूफ़ी जो साधना के विभिन्न पड़ाव तै करने में नष्ट हो और अद्वैतवाद के लक्ष्य पर पहुँच कर अनश्वरता प्राप्त करे
मु'आयना
किसी चीज़ या विषय में पूरा ग़ौर करना, पर्यवेक्षण, किसी कार्यालय आदि के कामों की जाँच-पड़ताल करना, निरीक्षण ।
म'आरिफ़
पहचानने के स्थान, परिचय, पहचान, परिचित लोग, दोस्त लोग, मित्रगण, विद्वज्जन, इल्मवाले, बुद्धजीवी, खुदा शनास, नामवर लोग
मक़ाम-ए-क़ुद्स
(सूफ़ीवाद) ईश्वर से निकटता का वह गंतव्य जहाँ विलासिता, मस्ती एवं आनंद के अतिरिक्त कुछ भी नहीं
मक़ाम-ए-तमकीन
(तसव्वुफ़) मंज़िल अख़ीर कि जो स्वयं मंज़िल है ओसको मुक़ाम तमकीन कहते हैं और यही मुक़ाम इक़ामत सालिक का है इस से और तरक़्क़ी नहीं हो सकती सिवाए बक़ा बिल्लाह के इस मुक़ाम को फ़ुक़्र और मुक़ाम ग़िना कहते हैं
मक़ाम-ए-महमूद
पसंदीदा स्थान, जिसका वाअदा पैग़ंबर साहिब से किया गया है, उस स्थान का नाम जहाँ पैग़म्बर मोहम्मद मे'रजा की रात्री को पहुंचे थे
मक़ाम-ए-समदिय्यत
(तसव्वुफ़) राह सुलूक की वो मंज़िल जिस में पहुंच कर सालिक खाना पीना छोड़ देता और बावजूद इस्तिमाल हररोज़ा के मलबूसात इस के चिर्कीं नहीं होते
मुकाशफ़ा
आत्मशक्ति द्वारा वह कुछ देखना, जो दूसरे नहीं देख सकते, खुले तौर पर शत्रुता करना, खुल्लमखुल्ला लड़ाई लड़ना
मुग़ाइबा
(तसव्वुफ़) कहते हैं कि सालिक अपनी ख़ुदी से ख़लास हो और मर्तबा-ए- ज़ात ग़ैब उल-ग़यूब है तो सालिक भी औसमें पहूंचने से ग़ायब हो जाता है
मज्ज़ूब
(अर्थात) ईश्वर के प्रेम में तल्लीन अर्थात ब्रह्मलीन, ईश्वर की याद में डूबा हुआ, साहिब-ए-जज़्ब अर्थात वह फ़क़ीर जो बिना इरादा ब्रह्मलीन रहता हो
मजमा'-उल-बहरैन
वह स्थान जहाँ दो सामुद्र या नदी मिलते हैं, समुद्रों का मिलन, दो दरियाओं का मिलाप, संगम
मज्लिस-ए-ज़िक्र
(तसव्वुफ़) वो मजलिस जिस में ख़ुदा ताला की ज़ात, सिफ़ात और इनामात का ज़िक्र किया जाता हो, ज़िक्र की महफ़िल
मैदान
ऐसा विस्तृत क्षेत्र या भूखंड जो प्रायः समतल हो और जिस पर किसी प्रकार की वास्तु-रचना आदि न हो। दूर तक फैली। WEIG हुई सपाट जमीन। मुहा०-मैदान करना या छोड़ना = किसी काम के लिए बीच में कुछ जगह खाली छोड़ना। मैदान जाना-शौच आदि के लिए, विशेषतः बस्ती के बाहर उक्त प्रकार के स्थान में जाना। पद-खुले मैदान सब के सामने।
मनक़बत
कविता के शब्द में, यह उस परिभाषा को संदर्भित करता है जो अहल-ए-बैत और साहाबा (पैग़म्बर मोहम्मद साहब) की महिमा में हो, महात्माओं का यशोगान
मुनाज़ला
(तसव्वुफ़) वो हाल जो सालिक पर असनाए सुलूक में गुज़रता है । तीन मुनाज़िला मशहूर हैं ।।।।। तफ़सील उस की कुतुब तसव्वुफ़ में है
मुनाज़लात
लड़ाइयाँ, (सूफ़ीवाद) वह परिस्थिती जो साधक पर तपस्या के मध्य में उस पर होती है, ये तीन प्रसिद्ध हैं, मनाज़िला-ए-अना व अंता (मैं और तू), मनाज़िला-ए-अना व ला अंता (मैं तू नहीं) और मनाज़िला-ए-अंता व ला अना (तू मैं नहीं)
मय
(तसव्वुफ़) ओस ज़ौक़ को कहते हैं जो आलिम बातिन से सालिक के दिल पर वारिद हो कर इस के ज़ौक़ और शौक़ और तलब अहक़ को तेज़ करे और इस की बेशुमार किस्में हैं
मय-ए-अलस्त
तसव्वुफ़: ज्ञान की शराब, ईश्वर प्रेम, प्रतीकात्मक: वो प्रतिज्ञा जो मनुष्यों ने पहले दिन ईश्वर के होने की ली थी
मय-कदा
(तसव्वुफ़) ब्रहमज्ञानी का आंतरिक मन जिसमें ईश्वर प्रेम प्रचूर मात्रा रहता है कुछ लोग देखावे की सुंदरता को कहते हैं
मर्तबा-ए-अहदियत
(तसव्वुफ़) मुरातिब सत्ता में से पहला मर्तबा जिस में फ़क़त एतबार इज़ात है और अहदीयत को आलम-ए-ग़ैब भी कहते हैं
मुराक़बा
(सूफ़ीवाद) मन को ईष्वर के साथ लगा कर रखना और चित्त को ब्रह्म में ऐसा लीन रखना कि अनेकदेववाद या अहंकार का भय न हो
मरातिब-ए-सित्ता
(तसव्वुफ़) तनज़्ज़ुल हक़ के छः मरतबे मुक़र्रर हैं, मर्तबा-ए-अव्वल अहदीयत या वहदत, सानी वाहिदयत, सालस अर्वाह मजुर्दा, राबा मलकूत जिसे आलम-ए-मिसाल भी कहते हैं, ख़ामिस आलिम मुलक जिसे आलिम शहादत भी कहते हैं, सादस आलिम इंसान कामिल जो जामि जमी मुरातिब है और बाअज़ सोफिया यूं कहते हैं कि मर्तबा-ए-अव्वल अहदीयत, सानी वहदत, सालस वाहिदयत, राबा आलम-ए-अर्वाह, ख़ामिस आलम-ए-मिसाल और सादस आलिम शहादत, उन को मुरातिब तंज़िलात सत्ता कहते हैं
मैल
कोई ऐसी चीज जिसके पड़ने या लगने से दूसरी चीजें खराब, गंदी या मैली होती हों अथवा उनकी चमक-दमक, सफाई आदि कम होती या बिगड़ जाती हो। मलिन या मैला करने वाला तत्त्व या वस्तु। जैसे-किट्ट, गर्दा, धूल आदि। पद-हाथ-पैर की मैल = बहुत ही उपेक्ष्य और तुच्छ वस्तु। जैसे-वह रुपए-पैसे को तो हाथ-पैर की मैल समझता था।
मलकूत
सत्ता, राज्य, शासन, हुक्मरानी, देवलोक, स्वर्गदूतों का स्थान, देवता-समूह, इस्लामी धर्म-शास्त्र के अनुसार ऊपर के नौ लोकों में से दूसरा लोक, फरिश्तों के रहने का लोक
मलाहत-बे-निहायत
(तसव्वुफ़) कमाल इलाही को कहते हैं कि कोई शख़्स उस की निहायत को ना पहुंचे कि मुतमइन हो जाये
मशहूदी
मशहूद (हाज़िर या ज़ाहिर)होने की हालत, मौजूदगी; (अध्यात्मवाद)इश्क़ हक़ीक़ी में डूब जाने की वह स्थिति जिसमें आँखों के सामने हर वक़्त महबूब रहता है
मशाइख़
(एकवचन के रूप में) सूफ़ी-संत, पीर, ख़्वाजा, ब्रह्मज्ञानी, सूफ़ी, मुत्तक़ी, धर्मशास्त्र में श्रेष्ठता रखने वाला
मसअला-ए-ग़ामिज़ा
मुश्किल, दकी़क़, उलझा हुआ, नाक़ाबिल फ़हम मसला , (तसव्वुफ़) इस से मुराद बकाए अयान साबित है अपने अदम असली पर बावजूद तजल्ली हक़ के इस्म नूर के साथ
मसख़रा
वह जो अपनी क्रिया-कलापों, बातों आदि से दूसरों को बहुत हँसाता हो। हँसी-विनोद की बातें कहनेवाला व्यक्ति।
मस्ती
(तसव्वुफ़) मस्ती यानी आशिक़ का माशूक़े हक़ीक़ी के इशक़ में मन जमी उल-वजूद गिरफ़्तार होना और इस गिरफ़्तारी से ख़ुश रहना
मस्लक-ए-सूफ़िय्या
(सूफ़ीवाद) सूफियों का पंथ या आस्था, सूफियों के विचार या सिद्धांत, सूफ़ीवाद की पद्धति
महजूब
जो परदे में हो, जो छुपा हो, लज्जित, शर्मिंदा, झेंपा हुआ, वह व्यक्ति जो ईश्वर को याद न करता हो, वह जिसे कोई विरासत न मिले या जिसका कोई छोटा हिस्सा हो
महव
(तसव्वुफ़) नाबूद होने और आदात-ओ-औसाफ़ बशरी के ज़ाइल करने को और अपने अफ़आल फे़अल हक़ में फ़ना कर देने को कहते हैं
मुहिब्ब
चाहने वाला, मुहब्बत करने वाला, यार, मित्र, सखा, दोस्त, प्रेमी, आशिक़, प्रियतम, वह जो प्रेम करता हो
मिस्क़ला
(तसव्वुफ़) ज़िक्र अलहाई, फ़िक्र और शगल और मुराक़बा वग़ैरा कि इस के सबब से आईना-ए-क़लब ज़ंग-ए-नफ़सानियत और ख़तरात से पाक होता है
मोहतसिब
मुफ्ती, क़ाज़ी, शेख़, कोतवाल, मजिस्ट्रेट, लोकपाल, अकाउंटेंट बाज़ार में नाप-तौल पर नज़र रखने वाला अधिकारी, जांच करने वाला अधिकारी, वह जो लोगों के सदाचार आदि पर विशेष ध्यान रखता हो
यक़ीन-ए-'उर्फ़ी
(तसव्वुफ़) यक़ीन जिस के सही होने का सबूत निशानीयों से ज़ाहिर हो, ईमान या अक़ीदा जिस की सेहत में शुबा ना रहे
यादगारी
(तसव्वुफ़) सांस जारी होना जिस को पासे अन्फ़ास कहते हैं, ज़िक्र इलहा, ज़िक्र ख़ुदा अल्लाह की याद में मसरूफ़ रहने की हालत
रक़ीक़ा
(तसव़्वुफ) लतीफ़ा-ए-को कहते हैँ और कभी रकीका से मुराद लतीफ़ा लेते हैं जो मर्तबत है दो शैय के दरमयान में
रंग चढ़ना
रंग निकालने के लिए कूसुम को भिगो कर चूवाना, रंगना, रंग देना, रौनक़दार बनाना, रंगीन करना, रंग सोखना
रोज़-ओ-शब
(तसव्वुफ़) इसका तात्पर्य रात-दिन है, जबकि कुछ लोगों के विचार में इससे अभिप्राय नास्तिक और आस्तिक से और इससे अदृश्यता एवं दृश्यता भी अंकित होती है और योग और वियोग भी है
लताइफ़-ए-सित्ता
(तसव़्वुफ) (रुक) लताइफ़-ए-ख़मसा, वो छः लतीफे या खूबियां जो सिलकों को हासिल करनी चाहें यानी लतफ़ी-ए-नफ़स, लतीफ़ा-ए-क़लब, लतीफ़ा-ए-रूह, लतीफ़ा-ए-सर, लतीफ़ा-ए-ख़फ़ी, लतीफ़ा-ए-अख़फ़ी (रुक : लतीफ़ा)
लब-ए-शकरीन
(तसव्वुफ़) मिलल मंज़िला और तर्क मख़लफ़ा को कहते हैं जो अनबया-ओ-रसलऐ को बोसा तत-ए-मुलक हासिल होते हैं और तसफ़ीया के साथ होते हैं
वुक़ूफ़-ए-क़ल्बी
दिल का एक ख़्याल पर क़ियाम , (तसव्वुफ़) अल्लाह ताला के सामने हुज़ूर-ए-क़लब की ऐसी कैफ़ीयत कि दिल में अल्लाह के सिवा कोई ना हो
वज्द होना
(सूफ़ीवाद) एक प्रकार की मस्ती छाना, मस्ती में लाना या मस्ती उत्पन्न करना (यह दशा संगीत या क़व्वाली पसंद सूफ़ियों पर क़व्वाली सुनने से सुरुर में आने पर होती है) अर्थात झूमना, ख़ुशी में लहराना
वज्ह-ए-नफ़्स
(तसव्वुफ़) किसी शैय के होने की दलील, वजह इमकां, हर शए का ज़रीअह-ए-इमतियाज़ , ज़ात-ए-मुम्किन (जो आरिज़ी होती है)
वतन-ए-असली
(तसव्वुफ़) जगह जहां से सब इंसानों की रूहें दुनिया में आई हैं और जहां लूट कर जाना है, आलम-ए-बाला, आलम-ए-अर्वाह
वराइयत
विरह (रुक) से इस्म-ए-कौफ़ीयत , दूर होने की हालत या कैफ़ीयत, अलग या मुख़्तलिफ़ होने की कैफ़ीयत , (तसव्वुफ़) अलग होना, ज़ात-ए-अलहाईह का जुमला मख़लूक़ से, जुदा होना
वस्म
(तसव्वुफ़) सालिक की वो कैफ़ीयत जिस में वो ये ख़्याल करता है कि ना जाने मेरे मुताल्लिक़ ख़ुदा ने अज़ल में क्या फ़ैसला किया है
वहदत-उल-वुजूद
(तसव्वुफ़) ये नज़रिया कि जो कोई शैय वजूद रखती है वो अल्लाह ताला का सिर्फ़ मज़हर नहीं बल्कि जुज़ु है और तमाम अश्या एक वजूद के मज़ाहिर और इस की शाख़ें हैं, हमा औसत का नज़रिया
वहदतुश-शुहूद
(तसव्वुफ़) ये नज़रिया कि कायनात अल्लाह ताला की ज़ात से अलग है इस में शामिल नहीं बल्कि उस की शाहिद है, हमा अज़ औसत का नज़रिया (वहदत उल-वजूद के मुक़ाबिल)
वारदात-ए-क़ल्बी
मन और हृदय में पैदा होने वाले विचार, हृदय में आनेवाली विचार धाराएँ, महात्माओं के हृदय पर पड़नेवाले दिव्य प्रकाश
वारिदात
माजरा, घटित होनेवाले, हालत जो कुछ दिल पर बीती हो, पेश आने वाली बातें (उर्दू में एकवचन के रूप में भी प्रयुक्त)
वासिल
लगा हुआ, जुड़ा हुआ, संलग्न, मिलने वाला, मुलाक़ात करने वाला, सटा हुआ, मिला हुआ, जुड़ा हुआ, संयुक्त, शामिल होने वाला
वासिल ब-हक़ होना
۱۔ ख़ुदा से मिल जाना, ख़ुदा के पास पहुंच जाना, रहलत फ़रमाना, मर जाना, फ़ौत होना । उर्दू ज़बान-ओ-अदब की ख़िदमत करते करते वासिल बहक हो गए
वासिल-बाक़ी
भुगतान ख़ाता, संग्रह, वसूल की जाने वाली रक़म, बाक़ी रक़म, बहीख़ाता जिससे बाक़ी रक़म और जमा के बारे में मालूम हो, लगान, हिसाब, बाक़ी रक़म की रसीदें
विलायत-ए-'आम्मा
(सूफ़ीवाद) धर्मात्मा एवं महात्मा होने की दशा या परिस्थिती जो आम मुस्लमानों को भी प्राप्त होती है, एक आध्यात्मिक स्तर जो तमाम श्रद्धावान एवं धर्मशील को प्रात्प होता है
विलायत-ए-'उज़्मा
(सूफ़ीवाद) वली होने की हालत या दशा जो बड़े औलिया को प्राप्त होती है, वली होने का ऊँचा दर्जा
विसाल पाना
मिलन होना, मिलना, भेंट हो जाना (सूफीवाद) अल्लाह ताला की ज़ात में विलीन हो जाना, ईश्वर की निकटता प्राप्त करना, और (सम्मानपूर्वक) किसी बुजुर्ग का निधन हो जाना, किसी अच्छे व्यक्ति का निधन हो जाना
शैख़
(तसव्वुफ़) वो इंसान जो शरीयत-ओ-तरीक़त में कामिल हो और बैअत लेता हुआ, मुर्शिद, पीर-ए-तरीक़त, सज्जादा नशीन
शत्तारिय्या
(सूफ़ीवाद) एक सिलसिला जिसे बायज़ीद बस्तामी से संबद्ध किया जाता है इस सिलसिले के लोग स्वयं को इसलिए शत्तारी कहते हैं कि ईश्वर की खोज में वो दूसरों से अधिक प्रयत्नशील मानते हैं और जंगलों में रह कर कठोर तपस्या करते हैं ये अपना सिलसिला शेख़ शहाबुद्दीन सहवरदी (क
शत्तारी
(तसव्वुफ़) अबदुल्लाह अलशतार रहम अल्लाह अलैहि से मंसूब सिलसिला शतारीह, शतारीह सिलसिले का मुरीद
शबनम
(सूफ़ीवाद) शबनम ख़ुदा की मेहरबानी और अंतर्ज्ञान को कहते हैं जिससे स्वच्छता अशुद्धता से मुक्त और आंतरिक होती है और मन की कोमलता प्राप्त होती है
शुयून
(तसव्वुफ़) स्वर-ए-इलमिया और हक़ाइक़-ए-आलम के उसूल जो मर्तबा-ए-वहदत में बतौर इजमाल और मर्तबा-ए-वहदानीयत में बतौर तफ़सील के साबित हैं
शराब
(सूफ़ीवाद) इश्क़ का नशा , इश्क़-ए-हक़ीक़ी अर्थात ईश्वरीय एवं दैवीय प्रेम इत्यादि के अर्थों में भी कवियों द्वारा प्रयुक्त
शुहूद-ए-हाली
(तसव्वुफ़) हाल की कैफ़ीयत का शहूद, वो दर्जा-ए-शहूद जहां पहुंच कर हर चीज़ में ख़ुदा का जलवा नज़र आए
शिर्क-ए-ख़फ़ी
वो शिर्क जो किसी के दिल में छिपा हुआ हो मगर ज़बान से ज़ाहिर ना करे (किसी मस्लिहत की बना पर), जो शिर्क वाज़िह ना हो या जो शिर्क ज़ाहिर ना हो
सुक्र
(तसव्वुफ़) जब सालिक जमाल महबूब का मुशाहिदा करता है तो इस की अक़ल इशक़ से मग़्लूब होजाती है . इदराक और होश बाक़ी नहीं रहता है और सालिक पर सुकर और महवियत और फ़ना की कैफ़ीयत तारी होती है, आलम हैरत
सद
रंग , (तसव्वुफ़) इस मुल्की हिजाब को कहते हैं जो ताय्युनात आफ़ाक़ी के असर और नफ़स की ज़ुल्मत की वजह से क़लब पर तारी हो जाता है और क़बूल तजल्लियात-ओ-हक़ायक़ में हाजिब होता है और ये उस की इबतिदाई हालत का नाम है और जब ये हिजाब बढ़ जाता है और क़लब तजल्लियात-ओ-हक़ायक़ से महरूम हो जाते हैं तो इस को रैन कहते हैं
समदिय्यत
तसव्वुफ़: यह वह स्थान है जहाँ साधक मानवता के गुणों से अलग हो जाता है और किसी भी चीज़ की परवाह नहीं करता है
सरयान
(नबातीयात) पौदे की ज़रूरत से ज़ाइद पानी को पत्तों और दीगर हवाई हिस्सों से बुख़ारात की शक्ल में ख़ारिज करने का अमल
सुवर-उल-इरादा
(तसव्वुफ़) सोरु अलारादा : इस से मुराद ये है कि सालिक हर शैय में इरादा-ए-हक़ मुशाहिदे करे और इरादा-ए-गैर-ए-हक़ से बिलकुल मुनक़ते होजाए
सुवर-उल-हक़
(तसव्वुफ़) स्वर उल-हक़ सूरत-ए-हक़ को कहते हैं जो दरहक़ीक़त रसूल अल्लाह सिल्ली अल्लाह अलैहि वाला वसल्लम हैं लिहाज़ा बुतो सत आपऐ के सब हक़ की सूरत पर हैं
सहारा
(तसव्वुफ़) नफ़स का एक मर्तबा जो गोरख धंदे की तरह है और मुरीद को गुमराह करता रहता है ये अहल-ए-हक़ीक़त के गिर्द फिरता रहता है और रियाज़त-ओ-मुजाहिदा में देख कर कहता है कि औक़ात-ए-अज़ीज़ अपनी क्यों ज़ाए करते हो
साक़ी
शराब पिलाने वाला, शराब के जाम भर के देने वाला जो सहित्य में एक पसंदीदा किरदार के तौर पर लिया जाता है, माशूक़, महबूब, सनम, पानी पिलाने वाला, हुक्का पिलाने वाला
साद
क़ुरआन मजीद की अड़तीसवीं सो्वरत जो मुक्की है और सूरत अलक़मर के बाद नाज़िल हुई इस में उठासी आयात और पांच रुकवा हैं
सिफ़त
(तसव्वुफ़) इस्तिलाह में ज़हूर-ए-ज़ात-ए-हक़्क़ानी बानो आ मुख़्तलिफ़ को कहते हैं क्योंकि ज़ात बगै़र सिफ़ात के ज़ाहिर नहीं हो सकती और ज़ात के वास्ते हयात और इलम और इरादा और क़ुदरत और समा और बसर और कलाम जिन को उम्हात-ए-सिफ़ात कहते हैं लाज़िमी हैं और याफ़्त-ए-ज़ात की सिफ़ात ही से है
सिफ़ात-ए-ज़मीमा
(तसव़्वुफ) बुरी सिफ़तें, इन सिफ़ात-ए-मज़मूम को कहते हैं जो जलाल की तरफ़ ले जाती हैं जैसे हिर्स और बदखु़ल्क़ी वग़ैरा हैं
सिफ़ात-ए-ज़ातिय्या
(तसव़्वुफ) वो सिफ़ात जिन से हक़तआला मौसूफ़ है और ऊन की ज़िद हक़ के लिए नहीं मिसल क़ुदरत और इज़्ज़त और अज़मत वग़ैरा के
सिफ़ात-ए-हमीदा
(सूफ़ीवाद) अच्छी विशेषताएँ, उन पवित्र विशेषताओं को कहते हैं जो दिव्य दर्शन की ओर ले जाती हैं जैसे: नम्रता, स्वभाव, सौंदर्य, विश्वास, धर्मपरायणता, ईमानदारी आदि हैं
सिर्र-उल-'इल्म
(तसो्वुफ़) इस से मुराद सर इलम बारी ताला का है जो हक़ीक़त बारी ताला की है, कीवनके हक़ीक़तन इलम ऐन हक़ है और ग़ैर बहसब ए-ए-एतबार
सिर्र-उल-क़दर
(तसो्वुफ़) ओस चीज़ को कहते हैं कि जिस को हक़ ने हर हर ऐन सा बुते से अज़ल में जाना, यानी हक़तआला ने हर ऐन सा बुते को मुइद इन हालात के जो इस अयन साबित के वजूद-ए-ख़ारिजी से ज़ाहिर होंगे जाना, लिहाज़ा वो किसी चीज़ का हुक्म ऐसा नहीं करता जो इस अयन साबित के हालात से ज़ाहिर नहू
सिर्र-उल-हाल
(सूफ़ीवाद) इस्लामी अध्यात्म या तसव्वुफ़ के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति की वह स्थिति जब वह उसी स्थिति में अल्लाह तआला के अभिप्राय तथा उस स्थिति की वास्तविकता एवं उद्देश्य को समझ जाए
सी-हर्फ़ी
एक ऐसी कविता जिसके (प्रायः 30) पद वर्णमाला के क्रम में लिखे जाते हैं इसका विषय सामान्यतः सूफ़ीवाद या प्रेम और वियोग में होने वाली पीड़ा होते हैं (विशेषतः पंजाबी कविता में)
हू का 'आलम
ख़ौफ़नाक और वहशत भरी सुनसान जगह नीज़ बिलकुल सन्नाटा, निहायत तन्हाई नीज़ (तसव्वुफ़) आलम-ए-लाहूत
हज-ए-ख़ास
(सूफ़ीवाद) वह विशेष हज कि जिससे दिल ईश्वर के अतिरिक्त दुई, सांसारिक मोह और, मलिनता से पवित्र कर दे
हफ़्त-अस्मा
(तसव्वुफ़) वरद जो सिलसिला अलरहमानीह के ज़ेर-ए-तरबीयत मुरीद करते हैं जो हसब-ए-तर्तीब यूं है (१) लाव लहा अलाव लल्ला (२) अल्लाह (३) हूहक़ (५) ही (६) क़य्यूम (७) क़ह्हार
हफ़्त-मुक़ाम
सात मंज़िलें , (तसव्वुफ़) दल के सात मुक़ामात या हिस्से (१) सदर (२) क़लब (३) शिगाफ़ (दिल का पर्दा) (४) फ़ौलाद(५) हबৃ अलक़लब (६) सुवैदा (७)बहजत अलक़लब
हमा-ऊस्त
(तसव्वुफ़) सब कुछ वो (ख़ुदा) है, सूफीयों का कहना है जिन के नज़दीक सिवा ख़ुदा के किसी चीज़ का अस्तित्व नहीं है, ये ख़ुदा ही है जो विभिन्न रूपों में प्रकट होता है, दिखाई देता है, वहदत उल-वुजूद का सिद्धांत
हाजिम
(शाब्दिक) अचानक या बिना अनुमति के आ जाने वाला; (सूफ़ीवाद) ऐसी समा (सूफ़ी संगीत) जिससे अकस्मात बेचैनी और व्याकुल्ता पैदा हो जाए
हिफ़्ज़ुल-'अहद
(तसव़्वुफ) मनुष्य का वो स्थान प्राप्त कर लेना जहाँ सत्य उसके लिए सीमा निर्धारित कर दे, अवैध कार्योंं से दूरी
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