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कहाँ-कहाँ

कहाँ

किधर, किस जगह, कब, एक प्रश्नवाचक अव्यय जिसका प्रयोग मुख्यतः स्थान के संबंध में जिज्ञासा या प्रश्न के प्रसंग में होता है

कहाँ-कहाँ की

कहाँ-की

कहाँ-का

कहाँ से

किधर से, कैसे, किस तरह, क्यों कर

कहाँ है

(कलमा-ए-इस्तिफ़हाम-ए-इन्कारी) यानी इलम-ओ-फ़िक्र, दानाई, साज़ो सामान, ज़हानत, लियाक़त वग़ैरा कहाँ है, कहीं भी तो नहीं है

कहाँ से कहाँ

कहाँ का कहाँ

बे-ठिकाने, काले-कोसों

पी-कहाँ

पपीहे की आवाज़

कहाँ ये कहाँ वो

इन का क्या मुक़ाबला, उन का कोई मुक़ाबला नहीं

हम-कहाँ

हम ना होंगे

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

कहाँ जाऊँ

क्या ईलाज करूं, क्या तदबीर करूं

कहाँ जाऊँ

कहाँ बी-बी कहाँ बाँदी

छोटे दर्जे के व्यक्ति को ऊँचे दर्जे के व्यक्ति से क्या संबंध, बड़े और छोटे की क्या प्रतियोगिता

तू कहाँ और मैं कहाँ

तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

कहाँ से कहाँ ले ठिकाने

कहाँ के हैं

कौन सी सरज़मीन और कौन से मुल॒क के रहने वाले हैं, किस मख़फ़ी शहर के हैं, ऐसे कौन हैं

कहाँ बुढ़िया, कहाँ राज कन्या

निम्न और उच्च के बीच क्या संबंध, बड़े और छोटे के बीच क्या प्रतियोगिता

कहाँ हो कहाँ न हो

यहाँ-कहाँ

उधर कैसे (किसी के ग़ैर मुताल्लिक़ जगह पर अचानक मिलने पर कहते हैं)

बात कहाँ से कहाँ जा पहुँचना

कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली

उच्च कुल के व्यक्ति एवं तुच्छ व्यक्ति का क्या मुक़ाबला

कहाँ मुँह

किसी लायक़ नहीं, किसी किस्म की लियाक़त नहीं, जुर्रत या हौसला नहीं

कहाँ राम राम , कहाँ टें टें

रुक: कहाँ राजा भोज कहाँ गंगा तीली

कहाँ की बात कहाँ ले जाना

किसी बात का ग़लत मतलब निकालना, ग़लत मफ़हूम लेना

कहाँ का आना कहाँ का जाना

कैसा आना जाना कैसा मिलना जुलना, कैसी मुलाक़ात, कैसा वास्ता, अर्थात : न कहीं आना है न कहीं जाना है

मुँह-कहाँ

क्या मजाल है, क्या ताब-ओ-ताक़त है, क़ाबिलीयत और हैसियत नहीं

नसीब कहाँ

हासिल नहीं, मुक़द्दर में नहीं, मयस्सर नहीं

कहाँ-लग

कहाँ गंगा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

कहाँ गंगू तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

कहाँ ननवा तेली, कहाँ राजा भोग

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा तीली

कहाँ ननवा तेली, कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा तीली

कहाँ गंगवा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

आएँ तो कहाँ जाएँ

ये मुँह कहाँ

۔ये हौसला नहीं।

सर कहाँ फोड़ूँ

किस जगह तलाश या खोज करूँ, किस से आग्रह करूँ, किस से फ़रियाद करूँ

आए तो जाए कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

मुँह कहाँ है

कहाँ के इरादे हैं

किधर जाते हो, कहाँ का इरादा है

आएँ तो जाएँ कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

कहाँ सो रहा

कहाँ देर लगाई, क्यों बेपरवाही की, क्यों देर की

कहाँ ला कर फंसाया

बुरे से पाला डाला, बुरी जगह गिरफ़्तार कराया, किस मुसीबत में डाला, किस बला में मुबतला किया

कहाँ से आया

ये बात कहाँ

۔۲۔ ये सिफ़त कहाँ

आप कहाँ आए

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

आग में धुवाँ कहाँ

प्रत्येक बात की बुनियाद अवश्य होती है, वह बात जिसका कारण अवश्य हो

कहाँ भूल गए

कैसे आना हुआ, जब कोई दोस्त अर्सा के बाद इत्तिफ़ाक़न आ जाता है तो अज़राह-ए-शिकायत कहते हैं

होश कहाँ है

होश नहीं है

झूटों के पैर कहाँ

रुक : झूट के पांव कहाँ

इन तिलों तेल कहाँ

बेमुरव्वत या बख़ील हैं, पसेजते नहीं, रखाई करते हैं, असर क़बूल नहीं करते

दुश्मन कहाँ , बग़ल में

पेट इंसान का बड़ा दुश्मन है सब कुछ कराता है

प्रजा नहीं तो राजा कहाँ

जनता नहीं तो हाकिम भी नहीं

कहाँ भूल पड़े

कैसे आना हुआ, जब कोई दोस्त अर्सा के बाद इत्तिफ़ाक़न आ जाता है तो अज़राह-ए-शिकायत कहते हैं

कोई कहाँ से लाए

۔नापैद होने और मजबूरी ज़ाहिर करने के लिए।

कहाँ गए थे , कहीं नहीं , कहाँ से आए , कहीं से नहीं

करना ना करना सब बेकार हो गया, ना कहीं आए और ना कहीं गए, वहीं के वहीं रहे

वो ज़माना कहाँ गया

वह युग कहां गया, अच्छा वक़्त गुज़र जाने पर अफ़सोस के तौर पर कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कहाँ-कहाँ के अर्थदेखिए

कहाँ-कहाँ

kahaa.n-kahaa.nکَہاں کَہاں

वज़्न : 1212

English meaning of kahaa.n-kahaa.n

  • (disapproving) where are you going?
  • everywhere

کَہاں کَہاں کے اردو معانی

  • کس کس جگہ ، ہر جگہ.
  • اظہارِ تعجب کے لیے ، بطور انکار.
  • کسی کو آنے یا جانے سے دفعۃً روکنے یا ڈان٘ٹنے کے لیے.
  • ۔۱۔ تججُّب اور حیرت سے کہتے ہیں۔ کسی شخص کو کسی طرف جاتے ہوئے دیکھ کر دفعۃً رکونے یا ڈانٹنے کے لئے بھی مستعمل ہے۔ ؎ ۲۔ کس کس جگہ۔ ؎ مذکر مستعمل ہے۔ ؎

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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