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कहाँ-की

کہاں کا کی تانیث، کیسی، تراکیب میں مستعمل

कहाँ-कहाँ की

۔کس کس جگہ کی۔ بنات النعش) اس لڑکے کی خاطر نہیں معلوم میں نے کہاں کہاں کی خاک چھانی۔

कहाँ की बात कहाँ ले जाना

किसी बात का ग़लत अर्थ निकालना, ग़लत तात्पर्य समझना

मिट्टी कहाँ की है

मालूम नहीं कि मर कर किस जगह दफ़न होंगे , किस जगह मौत आएगी

कहाँ की बला पीछे लगी

कोई चीज़ अगर अप्रिय लगे तो तंग आकर कहते हैं

घर की जोरू की चौकसी कहाँ तक

अपने ही घर में रहने वाले व्यक्ति की रखवाली करना बहुत कठिन है, घर के चोर की रखवाली बहुत कठिन है

चल मेरे चर्ख़े चर्रख़ चूँ कहाँ की बुढ़िया कहाँ का तूँ

एक बढ़िया अपनी बेटी से मिलने गई, जंगल में उसे शेर चीता और भेड़ीया और दूसरे जानवर मिले इस ने अपनी जान उन से ये कह कर बचाई कि वो वापसी पर मोटी होकर आएगी, तब खाना वापसी पर वो एक चरखे में बैठ गई और जब कोई जानवर मिलता तो ये फ़िक़रा कह देती वो घबरा कर भाग जाता

वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

(साहित्य) साधारणतया उस समय प्रयुक्त जब यह कहना हो कि वह विशेष बात या प्रभाव नहीं है जो किसी और की बात में है

नक़्क़ार ख़ाने में तूती की आवाज़ कहाँ

बड़े आदमियों की राय में छोटे आदमी का हस्तक्षेप

मगर वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

अगरचे बहुत मेहनत और कोशिश से नक़ल उतारी है लेकिन फिर भी नक़ल में असल की सी ख़ूबी नहीं, नक़ल तो उतारी मगर असल जैसी नहीं

खाई मुग़ल की तहरी अब कहाँ जाएगी बाहरी

धनवान के नमक का बड़ा लालच होता है या वह व्यक्ति ऐसी चाट पर लगा हुआ है कि अब कहीं जा नहीं सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कहाँ-की के अर्थदेखिए

कहाँ-की

kahaa.n-kiiکہاں کی

वज़्न : 122

मूल शब्द: कहाँ जाऊँ

کہاں کی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کہاں کا کی تانیث، کیسی، تراکیب میں مستعمل
  • تحقیر کے واسطے کہتے ہیں، بیجا اور بے موقع کی جگہ

Urdu meaning of kahaa.n-kii

  • Roman
  • Urdu

  • kahaa.n ka kii taaniis, kaisii, taraakiib me.n mustaamal
  • tahqiir ke vaaste kahte hain, bejaa aur be mauqaa kii jagah

खोजे गए शब्द से संबंधित

कहाँ-की

کہاں کا کی تانیث، کیسی، تراکیب میں مستعمل

कहाँ-कहाँ की

۔کس کس جگہ کی۔ بنات النعش) اس لڑکے کی خاطر نہیں معلوم میں نے کہاں کہاں کی خاک چھانی۔

कहाँ की बात कहाँ ले जाना

किसी बात का ग़लत अर्थ निकालना, ग़लत तात्पर्य समझना

मिट्टी कहाँ की है

मालूम नहीं कि मर कर किस जगह दफ़न होंगे , किस जगह मौत आएगी

कहाँ की बला पीछे लगी

कोई चीज़ अगर अप्रिय लगे तो तंग आकर कहते हैं

घर की जोरू की चौकसी कहाँ तक

अपने ही घर में रहने वाले व्यक्ति की रखवाली करना बहुत कठिन है, घर के चोर की रखवाली बहुत कठिन है

चल मेरे चर्ख़े चर्रख़ चूँ कहाँ की बुढ़िया कहाँ का तूँ

एक बढ़िया अपनी बेटी से मिलने गई, जंगल में उसे शेर चीता और भेड़ीया और दूसरे जानवर मिले इस ने अपनी जान उन से ये कह कर बचाई कि वो वापसी पर मोटी होकर आएगी, तब खाना वापसी पर वो एक चरखे में बैठ गई और जब कोई जानवर मिलता तो ये फ़िक़रा कह देती वो घबरा कर भाग जाता

वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

(साहित्य) साधारणतया उस समय प्रयुक्त जब यह कहना हो कि वह विशेष बात या प्रभाव नहीं है जो किसी और की बात में है

नक़्क़ार ख़ाने में तूती की आवाज़ कहाँ

बड़े आदमियों की राय में छोटे आदमी का हस्तक्षेप

मगर वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

अगरचे बहुत मेहनत और कोशिश से नक़ल उतारी है लेकिन फिर भी नक़ल में असल की सी ख़ूबी नहीं, नक़ल तो उतारी मगर असल जैसी नहीं

खाई मुग़ल की तहरी अब कहाँ जाएगी बाहरी

धनवान के नमक का बड़ा लालच होता है या वह व्यक्ति ऐसी चाट पर लगा हुआ है कि अब कहीं जा नहीं सकता

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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