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तू कहाँ और मैं कहाँ

तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

कहाँ गंगा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

कहाँ गंगवा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

कहाँ गंगू तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

तू हे और मैं हूँ

अब और कोई नहीं, अब ऐसा बदला लूंगा कि तो भी याद करे

तू कौन और मैं कौन

(मुराद) कोई किसी को नहीं पूछता है, एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं

कहां गांगला तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

मैं तुझ पर और तू मुझ पर

बहुत ज़्यादा भीड़ हो तो कहते हैं

मैं तुझे चाहूँ और तू काले ढींग को

जब कोई किसी को बुरे काम से रोके या मन' करे और वो न रुके तो कहते हैं

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तू कहाँ और मैं कहाँ के अर्थदेखिए

तू कहाँ और मैं कहाँ

tuu kahaa.n aur mai.n kahaa.nتُو کَہاں اَور مَیں کَہاں

वाक्य

तू कहाँ और मैं कहाँ के हिंदी अर्थ

  • तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

تُو کَہاں اَور مَیں کَہاں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • تیرا میرا کیا مقابلہ ہے، اگر اعلیٰ سے خطاب ہے تو اپنے آپ کو کم تر اور ادنیٰ سے خطاب ہو تو اپنے آپ کو افضل ظاہر کیا جاتا ہے.

Urdu meaning of tuu kahaa.n aur mai.n kahaa.n

  • Roman
  • Urdu

  • teraa mera kyaa muqaabala hai, agar aalaa se Khitaab hai to apne aap ko kamtar aur adnaa se Khitaab ho to apne aap ko afzal zaahir kiya jaataa hai

खोजे गए शब्द से संबंधित

तू कहाँ और मैं कहाँ

तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

कहाँ गंगा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

कहाँ गंगवा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

कहाँ गंगू तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

तू हे और मैं हूँ

अब और कोई नहीं, अब ऐसा बदला लूंगा कि तो भी याद करे

तू कौन और मैं कौन

(मुराद) कोई किसी को नहीं पूछता है, एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं

कहां गांगला तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

मैं तुझ पर और तू मुझ पर

बहुत ज़्यादा भीड़ हो तो कहते हैं

मैं तुझे चाहूँ और तू काले ढींग को

जब कोई किसी को बुरे काम से रोके या मन' करे और वो न रुके तो कहते हैं

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

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