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मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

तू कहाँ और मैं कहाँ

तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

कहाँ ये कहाँ वो

इन का क्या मुक़ाबला, उन का कोई मुक़ाबला नहीं

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

वो दिन कहाँ

۔ वो वक़्त अब मयस्सर नहीं।

वो ज़माना कहाँ गया

वह युग कहां गया, अच्छा वक़्त गुज़र जाने पर अफ़सोस के तौर पर कहते हैं

कहाँ गंगा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

कहाँ गंगवा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

कहाँ गंगू तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

वो दिल-ओ-दिमाग़ कहाँ

वह मन में उल्लास नहीं

वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

(साहित्य) साधारणतया उस समय प्रयुक्त जब यह कहना हो कि वह विशेष बात या प्रभाव नहीं है जो किसी और की बात में है

आज मैं हूँ और वो है

पूछ-ताछ और प्रतिकार के प्रयास में कोई कसर न छोड़ूँगा

कहां गांगला तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

मगर वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

अगरचे बहुत मेहनत और कोशिश से नक़ल उतारी है लेकिन फिर भी नक़ल में असल की सी ख़ूबी नहीं, नक़ल तो उतारी मगर असल जैसी नहीं

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मैं कहाँ और वो कहाँ के अर्थदेखिए

मैं कहाँ और वो कहाँ

mai.n kahaa.n aur vo kahaa.nمَیں کَہاں اَور وہ کَہاں

वाक्य

देखिए: मैं कहाँ तुम कहाँ

मैं कहाँ और वो कहाँ के हिंदी अर्थ

  • रुक : में कहाँ तुम कहाँ

مَیں کَہاں اَور وہ کَہاں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : میں کہاں تم کہاں ۔

Urdu meaning of mai.n kahaa.n aur vo kahaa.n

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha me.n kahaa.n tum kahaa.n

खोजे गए शब्द से संबंधित

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

तू कहाँ और मैं कहाँ

तेरा मेरा क्या मुक़ाबला है, अगर आला से ख़िताब है तो अपने आप को कमतर और अदना से ख़िताब हो तो अपने आप को अफ़ज़ल ज़ाहिर किया जाता है

कहाँ ये कहाँ वो

इन का क्या मुक़ाबला, उन का कोई मुक़ाबला नहीं

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

वो दिन कहाँ

۔ वो वक़्त अब मयस्सर नहीं।

वो ज़माना कहाँ गया

वह युग कहां गया, अच्छा वक़्त गुज़र जाने पर अफ़सोस के तौर पर कहते हैं

कहाँ गंगा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

कहाँ गंगवा तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

कहाँ गंगू तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंवा तीली

वो दिल-ओ-दिमाग़ कहाँ

वह मन में उल्लास नहीं

वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

(साहित्य) साधारणतया उस समय प्रयुक्त जब यह कहना हो कि वह विशेष बात या प्रभाव नहीं है जो किसी और की बात में है

आज मैं हूँ और वो है

पूछ-ताछ और प्रतिकार के प्रयास में कोई कसर न छोड़ूँगा

कहां गांगला तेली और कहाँ राजा भोज

रुक : कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगा / गंग॒वा, तीली

मगर वो बात कहाँ मौलवी मदन की सी

अगरचे बहुत मेहनत और कोशिश से नक़ल उतारी है लेकिन फिर भी नक़ल में असल की सी ख़ूबी नहीं, नक़ल तो उतारी मगर असल जैसी नहीं

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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