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रिसाई

दुख और मौत से संबंधित, शोकयुक्त

ज़र्फ़

बर्तन

तिहाई

किसी वस्तु के तीन समान भागों में कोई एक भाग, तीसरा अंश, भाग या हिस्सा, तीसरा हिस्सा

ला'नत

धिक्कार, फटकार, भर्त्सना, अभिशाप, शाप

क़हर ढाना

किसी के लिए संकट पैदा करना, संकटग्रस्त बनाना, किसी पर कोई आफ़त लाना, ज़ुल्म करना, क़हर तोड़ना

मज़दूर

शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

आगे नाथ न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

साहिर

जादूगर, वह व्यक्ति जो जादू दिखाता हो

कुड़माई

शादी के पूर्व रिश्ता पक्का करने के लिए की जाने वाली रस्म, सगाई, शादी तै करना, रिश्ता करना

नज़र-भर देखना

भरपूर नज़र से देखना, ग़ौर से देखना, ध्यान से देखना

ख़्वाजा-ताश

एक स्वामी के दास, जो आपस में ख्वाजःताश कहलाते हैं

मैया

कृपा, करुणा, तरस, ममता, दया

क़फ़स

(पक्षियों का) पिंजरा, कबूतरों का दरबा जो बाँस की खपच्चियों से बनाते हैं

हुस्न-ए-तलब

माँगने का अच्छा ढंग, कोई चीज़ इशारे इशारे में माँगना, ऐसे ढंग से चीज़ माँगना कि देने वाला देते हुए ख़ुशी महसूस करे

बसर

गुज़ारा, निर्वाह, जीवन-यापन, जीविका, निबाहना

बसर-औक़ात

जीवनानिर्वाह का अवलंब, जीवन का सहारा, जीविका साधन, आजीविका, वृत्ति, रोजी, रोजगार

मुंतशिर

बिखरा हुआ, छितरा हुआ, फैला हुआ, तितर-बितर, बिखरने वाला, फैलने वाला

पिनक

अफ़ीमची की वह अवस्था जिमसें वह नशे की अधिकता के कारण सिर झुकाकर बैठे रहने की दशा में बेसुध या सोया हुआ सा रहता है, अफ़ीम के नशे में ऊँघना, अफ़ीम के नशे में धुत्त, अफ़ीम की झोंक

आँख ओट पहाड़ ओट

जो वस्तु आँख के सामने न हो यदि वह निकट हो तब भी दूर है

"दिल्ली" टैग से संबंधित शब्द

"दिल्ली" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची

फँदोड़ना

۔(ह) (दिल्ली) कपड़ों की घटरी को उलट पलट करना। ए

सुँतना

निचुड़ना, साफ़ होना, सूखा होना

अगर

यदि; जो

इन्दर

वो चंद बने ठने और आरास्ता पैरास्ता ठाकुरों को नहलाने वाले आदमी जो अंत चौदस के दिन किसी पवित्र कुँवें के बाजे गाजे के साथ चांदी के आ बुख़ूरे में पानी लाकर उन को नहलाते हैं (दिल्ली में इस का ख़ास मेला है)

इल्ज़ामी

इल्ज़ाम (रुक) से मंसूब : वो बात या काम जिस से इल्ज़ाम आजाए

इस्बात होना

(दलील से) साबित होना, मुतहक़्क़िक़ होना

ए'तिमादुद्दौला

(शाब्दिक) जिस पर हुकूमत को विश्वास और भरोसा हो

ऐसी क्या क़ाज़ी जी की गधी चुराई है

क्या हम ने कुछ भूल की है, कोई अपराध या पाप नहीं किया तो फिर क्या डर है

कच्चा जाना

गर्भपात होना, अधूरा बच्चा पैदा होना

कच्चा-जिन

निपट मूर्ख

कचरियाँ बेचना

कई आदमीयों का मिलकर बराबर बोले जाना, पुकार-पुकार कर बातें करना, बहुत से आदमीयों का मिलकर बातें करना, शोर और करना, प्रतीकात्मक: (दिल्ली) बहुत से आदमीयों का मिल कर बातें करना

कुछ एक

कुछ हद तक, किसी क़दर

कूज़ियाँ

मिट्टी के बर्तन लंबे और गले के बीच से पतले

कुटकी

दाँत से डोर में लगाया हुआ निशान जिस से जल्द टूट कर पतंग कट जाये

कटावन डालना

ठूँसना, निगलना

कठोर

(कार्य) जिसे पूरा करने में विशेष आयास, मनोयोग आदि की आवश्यकता हो। जो सहज में निबाहा न जा सके, कठिन, कड़ा, जैसे-कठोर परिश्रम

कूड़े फेरा करना

۔(दिल्ली) बहुत से फेरे करना। बार बार आना जाना

कड़क दौड़ना

तीव्र गति से दौड़ना, (घोड़े का) पूरी गति से दौड़ना

कड़क-बाँका

(दिल्ली) वह योद्धा या सैनिक जो युद्ध में विपक्षी को ऊँचे स्वर में ललकारता हो, वो बांका जवान जिसकी आवाज़ से लोग डर जाएं, छैला, बांका, तिरछा जवान

कड़क-बिजली

(चिकित्सा) एक यंत्र जिसके द्वारा बिजली उत्पन्न करके वात, लकवा आदि के रोगियों के शरीर में दौड़ाई जाती है

कुदबुद्दिया

(दिल्ली) मारने-पीटने की क्रिया, मार-पीट, लात-घूसा, मार कुटाई, भर्त्सना

क़ुद्री करना

(दिल्ली) कोशिश करना, इसरार करना, दबाओ डालना , ख़ुशामद दर्रा मद करना

कन्नी काटना

कतराना, बचकर निकल जाना

कन्नी दबाना

नियंत्रण में लाना, वश में करना, कोर दबाना

कन-बिंधा

कान छेदने वाला

कभी के

(दिल्ली) कब के, अब से बहुत पहले, किसी ज़माने या समय का, पहले का

कमर-कोठा

शहतीर या कड़ी का वह भाग जो दीवार के बाहर के रुख़ निकला रहता है

कुमाज

(मजाज़न) मोटी और गोल चीज़ , लक्कड़ी का गोल टुकड़ा जो चौब ख़ेमा के ऊपर होता है

कमालात

‘कमाल' का बहुः, बहुत-से गुण, बहुत-सी खूबियाँ

क्यूँकि

कारण यह कि, इसलिए कि, चूँकि

क्या उधार की माँ मरी है

लेन देन का दस्तूर दुनिया से उठ नहीं गया है तुम नहीं दोगे तो दूसरे से लेंगे, उस समय प्रयोग किया जाता है जब कोई क़र्ज़ देने में हीला हवाला करता है

क्या फूला फिरता है

क्यों घमंडी हो रहा है, क्यों इतना अभिमानी है, इतना लापरवाह क्यों है

क्यों सेर

किस भाव पर है, कितने सेर है

क्योंकर हो

क्या सामान हो, क्या उपाय हो, क्या स्थिति हो, क्या से क्या हो जाए, कैसा हो, कैसे हो

कर्मों-जली

जिसका भाग्य धूल में मिल गया हो; (दिल्ली) अभागा, भाग्यहीन

कुरेलना

कुरेदना, खोद डालना, अस्त-व्यस्त कर देना

कुल-कुला

(दिल्ली, औरत) हर मामले में, बहुत तरह से, ले दे के, केवल, इतना ही

कल-सिरी

एक प्रकार की चिड़िया जिसका सिर काले रंग का होता है

कुल्हिया में गुड़ थोड़ा ही फूटता है

बड़े काम को छुपा कर नहीं किया जा सकता

कला करना

ढेंकली खाना

कलाइयाँ मारना

घोड़े का पाँव को विशेष तरीके से रखकर चलना

कलाम ऊँचा कर्ना

ज़ोरदार आवाज़ में बोलना, बुलंद आवाज़ से बात करना, सख़्त लहजे में गुफ़्तगु करना, दुश्नाम देना

कलाम मुँह पर रखना

(दिल्ली) मुँह से शब्द निकालना, ज़बान से कहना

केवकी-दाल

पच-मेल दाल, केवटी, मिली जुली दालें

केवड़े की गली

केवड़े का फूल या भुट्टा

कुश्ती दिलाना

पहलवानी के अभ्यास के लिए शिष्य को पछाड़ना

कस्या जाना

बिना कलई के ताँबे या पीतल के बर्तन में रहने से किसी चीज़ का स्वाद बदल जाना, कसैला होना, कस्साव होना, स्वाद बिगड़ जाना

कहना

अपना उद्देश्य, भाव, विचार आदि शब्दों में व्यक्त करना। जैसे-(क) मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया। (ख) अब अपनी कहानी कहेंगे। मुहा०-कहना बदना = (क) किसी बात का निश्चय करना। (ख) प्रतिज्ञा करना। कहना-सुनना = बातचीत या वार्तालाप करना। पद-कहने की बात महत्त्वपूर्ण बात। कहने को = (क) नाममात्र को। यों ही। जैसे-कहने को ही यह नियम चल रहा है। (ख) यों ही काम चलाने या बात टालने के लिए। जैसे-उन्होंने कहने को कह दिया कि हम ऐसा नहीं करेंगे। कहने-सुनने को = कहने को।

कहना-सुनना

असर-ओ-रसूख़, रसाई, दख़ल, इख़तियार, पहुंच, सिफ़ारिश

कहारी

कहारन, कहार का पेशा या काम, कहार की मज़दूरी, डोली उठाने की उजरत

कहा-सुनी

वाद-विवाद, उत्तर-प्रत्युत्तर, तकरार, हुज्जत, कहा-कही

काग़ज़ खोलना

किसी की छुपी हुई बात को स्पष्ट कर देना, दोष उजागर करना, भेद खोलना

काजल लगाना

आँखों में काजल की सलाई फेरना, सुरमा लगाना, काजल देना

काट दौड़ना

(दिल्ली) गुस्से से जवाब देना

काँड़े की एक रग सवा होती है

काने में शरारत अधिक होती है

काँड़ा

= काना

काँड़ी

कड़ खाई तरकारी

कान ऊँचे करना

कान खड़े करना, चौकन्ना होना, हैरत में पड़ना

कान ऐंठना

दण्ड देने के रूप में कान एँठना, कान उमेठना

कान गुंग होना

कान में ऐसी कैफ़ीयत पैदा होना, जिसमें हरवक़त भुन भुन की आवाज़ मालूम हो, कान बहरा होना, कान साएँ साएँ करना

कान गूँगे होना

कान बहरे होना

कान तले की छोड़ना

गप उड़ाना

कान न फड़ फड़ाना

कान न हिलाना, आपत्ति न जताना, शांत रहना, कोई विरोध न करना

कान बिंधना

कान छिदना, कान में छेद होना

कान बिंधवाना

कान छिदवाना

कान में रखना

ध्यान रखना, याद रखना, ख़्याल रखना

काँस में तैरना

۔(दिल्ली) १।धोका खाना। २।ग़ौर वफ़कर में महव रहना। ३।(ओ) जान जोखों में रहना

काहे-से

किस कारण से, किस चीज़ से

किचकिची

किचकचाना

किवाड़ तोड़ तोड़ के खाना

मुसीबत से दिन काटना, जूं तूं उम्र बसर करना, फ़ाक़ों की नौबत आना

कीच

(काशतकारी) खेत की मिट्टी जो पानी से घुल गई हो और हल चलाने के काबिल ना रही हो

कीड़ियाँ

कीड़ी (रुक) की जमा, जोंकें

कीली का खटका न होना

ज़रा सा भी अंदेशा या डर ना होना

कोई दिन का

चंद रोज़ा, आरिज़ी

कोई दिन को

चंद रोज़ में, अनक़रीब, बहुत जल्द

कोई दिन याद करो गे

हमारी क़दर कुछ दिन बाद होगी, कुछ दिन अफ़सोस करोगे , असर कुछ रोज़ बाक़ी रहेगा

कोई सा

कई में से एक, कोई

कोई सी

कोई, किसी प्रकार की

कोने की ख़ैर मनाना

घर की देख-भाल, करना, घर की हिफ़ाज़त करना, घर का ख़्याल रखना

खखोड़ना

ज़मीन को पंजे से खोदना, खुरचना, कुरेदना, अच्छी तरह से खोजना, पता लगाना

खैंच करना

कमी करना, रुकावट करना, तंगी करना

खुटाई

खोटाई; दोष; अवगुण

खटाई खाना

खटाई प्रेमी, खटाई का लती

खटास

खट्टा, कड़वा

खड़काना

(मजाज़न) हरकत देना, हरकत में लाना, इस्तिमाल में लाना

खुड्डी

टॉयलेट की सीट

खड़ा करके दिखाना

बाज़ारी: कोई चीज़ मांगने के जवाब में अंगूठा खड़ा करके दिखाना, साफ़ इंकार करना, ऋण मांगने पर साफ़ मुकर जाना

खड़ी

(पैराकी) एक तीराई जिस में सीधे खड़े होकर साफ़ पांव मार कर खड़ रहते हैं इस तरह कि जिस्म का बालाई हिस्सा पानी से बाहर रहे

ख़त्म करना

क़ुरआन शरीफ़ को तमाम करना

खुरचनी

खुरचने का कोई औजार, छीलने वाला

खुरदरा

जिसकी सतह रूखी या दानेदार हो, जो चिकना न हो, खरखरा, खुरखुरा, दानेदार, ऊँचा-नीचा

खुर्पा जाली सँभालना

घास खोदने का पेशा इख़तियार करना, घसियारे का काम करना

खुल बैठना

संतुष्टि और सुकून से फैलकर बैठना, आराम से बैठना, दूर होकर बैठना

खल-उपाड़

۔(ह। खल॒। मुख़फ़्फ़फ़। खाल का) (दिल्ली) खाल उधीड़ने वाला। लेने के वास्ते खाल तक में से निकाल लेने वाला। २। कजबहस

खुव्वा-खेड़ी

(दिल्ली) बेकार में रुपया खर्च करने वाला, अपव्ययी, लापरवाह

ख़ाँड

नाली जो कुँवें से खेत तक जाती है

खाते पीते लातें मारना

संपन्नता, खुशहाली में शिकायत करना, सुख-शांति के बावजूद शिकायत करना

खाना जोड़ा

वह खाना और दूल्हे का बहुमूल्य जोड़ा (लिबास) जो दुल्हन के घर से आता है, विदाई के दिन का खाना और दहेज एवं नक़दी आदि जो उस नाम से दी जाये

खाल

चमड़ा, चर्म, छिलका

खाल उपाड़ना

किसी के शरीर से खाल अलग करना, गोश्त से खाल अलग करना, (दंड देने या बदला लेने के लिए) चमड़ी उधेड़ देना, जान से मारना, जान लेना, गाहक से अत्यधिक मुल्य प्राप्त करना

खाल बिगड़ना

शामत आना, दुर्भाग्य एवं बुराई के लक्षण दिखाई देना, पिटने को जी चाहना

खिलना

अनाज का भुन कर फूओल बनना या छिलका चटख़्ना

खींच

खींच-तान (दे०)। उदा०-अति सोक सोच संकोच के खींच-बीच नरपति परे।-रत्ना

गेड़ी

गेड़ने की क्रिया या भाव।

गत ले जाना

गायकी में तान लेना

गुर्गा

घुटने का जोड़

गर्द को न लगना

۔(दिल्ली) हमसर ना हो सकना।

गल-फेड़

एक संक्रामक रोग जिसमें कान के पास की ग्रंथियाँ सूज जाती हैं, गले के आस-पास की गिलटी, गर्दन की गुठली

गूलर गपकना

चबा-चबा कर बातें करना

गला बाँधना

पकड़ा जाना, आरोप लगना, बेकार में बदनाम होना

गहरी घुटना

गहरी छानना, गाढ़ी छनना

गाँठ गिरह में कुछ नहीं

(दिल्ली) बिलकुल मुफ़लिस है, क़ल्लअश है

गाँठा

(ह, नून गुना) मुज़क्कर (दिल्ली) गिरहदार हिस्सा, डंठल

गियाभ

जानवर का गर्भ, मवेशियों का गर्भ, गाय, भैंस और बकरी वग़ैरा के पेट में बच्चा होने की हालत, गाभ

गिरा-पड़ा

(सांकेतिक) नीच, घटिया, नाकारा, बेकार

गोशवारा

वो मोती जो सीप के अन्दर से एक ही निकलता है, बड़ा मोती, ताज का मोती, हिसाब किताब, संक्षिप्त विवरण, किसी हिसाब आदि के अलग- अलग व्योरे का काग़ज़, चिट्ठा-बही, लेखा-जोखा, कान का बाला, कान में पहनने का कुंडल या बाला, कान का लटकन, बुंदा, झुमका

घुंगराले

बल खाए हुए केश

घर कुत्ते का

(कनाएन) मुफ़्त का

घर-गई

ख़ानाख़राब, निगोड़ी, राँड, बेवा, विधवा

घुल कर बैठना

۔ (दिल्ली) घुल मिल कर बैठना

घुसर-फुसर

(दिल्ली) खुसर-फुसर, कानाफूसी

घिसटे घसटे फिरना

खिंचे खिंचे फिरना, पकड़े पकड़े भरना

घी के कुप्पे से जा लगना

۔(दिल्ली) हिंदू। किसी मालदार के पास रसाई होजाना

घोड़ा लॉंगना

۔(दिल्ली) ने घोड़े पर पहली मर्तबा सवारी करना

घोड़ी चढ़ना

ٰघोड़ी चढ़ाना को अकर्मक

ज़बान-ज़ोरी

(दिल्ली) अपशब्द कहना, मुंह लड़ाना, बकवास, बेहूदगी, निरर्थक वचन, निरर्थकता

जलक़

हाथ से इंद्रिय-संचालन द्वारा वीर्यपात, हस्त-मैथुन, हथलस, मुश्तज़नी, हाथ की मदद से वीर्य निकालना

जवान-'ईद

ऐसी ईद जिसका चाँद रमजान के उनतीसवें दिन दिखाई दे

जान आड़ कर

(दिल्ली) जान की पर्वा ना कर के

जान छिड़कना

(लाक्षणिक) मेहनत करना, परिश्रम करना, जी लगा कर काम करना

जान-ए-मन

(शाब्दिक) मेरी जान, प्यारे, प्रिय

जोग माया जी का पंखा

(हिंदू) जोग माया जी (रुक) के मंदिर (वाक़्य क़ुतुब दिल्ली) पर चढ़ाने के लिए जलूस की शक्ल में ले जाया जाने वाला आरास्ता पंखा

झप खाना

(पतंग का) उलट कर गिरना, उलटना पुलटना

टुंटा

= टुंडा

टाल कर देना

۔(दिल्ली) कहीं जाने का इरादा फ़सख़ करना

टिकाना

किसी चीज़ को किसी दूसरी चीज़ के सहारे रखना

टीप-टाप

सजावट, श्रृंगार, धूमधाम

ठंडे-पहरे

सवेरे, अली उल-सुबह

डाटना

रुक : डान

डाढ़ी का ऐक ऐक बाल करना

(दिल्ली) सम्मान बिगाड़ना, अपमानित करना, दाढ़ी नोचना

डोरा भानना

(दिल्ली) डोरा मरोड़ना, तागे को बिल देना

तड़ाक़े भरना

चिड़िया का फ़र्राटा भरना, ज़ोर शोर से उड़ना

तंदूर

मिट्टी में घास, मूंज आदि मिलाकर बनाई हुई रोटियाँ पकाने की एक प्रकार की भट्ठी जिसकी ऊँची गोलाकार दीवार के भीतरी भाग में आटे की लोई को हाथ से चिपटाकर के चिपकाया जाता है, भट्टी, रोटी पकाने वाला चूल्हा, तन्नूर

तफ़र्रु'

(फ़िक़्ह) (दलील से) मसला को निकालना

तुलवान

۔(दिल्ली) क़ीमती। वज़नी। देखो 'तोलवां'। (बज़म आख़िर) वो भारी भारी तुलवां नई नई टक्कन के लाल लाल जोड़े पहने सारे शहर की औरतें आएं।

तलींचा

रुक : तलीचा

तह-पोशी

फ़र्शी ग़रारा, वो ग़रारा जो बहुत नीचा और फ़र्श पर लौटता हो

तावान भरना

۔(दिल्ली) जुर्माना देना

तित्तर-बितत्तर

बेतर्तीब, बिखरा हुआ,छितराया हुआ, जुदा जुदा, अलगअलग, तार बतार, मंतशरा, परागंदा, मुतफ़र्रिक़,

तीर-मीर

रुक : तेरा मेरा (तेरा (रुक) का तख़्ती) , बेगानगी, ग़ैरत

थाना

थाना, चौकी, पुलिस चौकी, कोतवाली, वो जगह जहां सरकारी सिपाही रहते हैं

थाँवला

वह गड्ढा जिसमें पौधा लगाया जाए

थोथा

तोतेह, तोतेा, रुक : नीला थोथा

थोथी-बात

बेतुकी बात, मुहमल बात, बेमानी बात, बेहूदा बात

थोबड़ा सुजाना

मुँह बिगाड़ना, मुँह बनाना, अप्रसन्न होना, क्रोधित होना, मुँह फुलाना, रूठना

दियोली

फूल के अंदर के हिस्से में वो गहिरा निशान जिस में ज़हरा-ए-गुल होता है

नक़्शा तेज़ होना

۔(दिल्ली) इक़बाल यावर होना। दूर दौरा होना

नन्ना

छोटा, ठिगना, नाटा, छोटी क़द का, प्रतीकात्मक: नन्हा, बच्चा, नादान, नासमझ तथा लाडला, प्यारा

नमक शेर होना

नमक तेज़ होना, किसी खाने में नमक तेज़ होना

नया करना

۲۔ नया कपड़ा पहनना

नसीहत देना

समझाना, चेतावनी देना तथा सज़ा देना

निगाह उचकी होना

۔(दिल्ली) निगाह बुलंद होना।

निम्टाना

निबटाना, भुगताना, चुकाना

नीचे का पाट भारी है

(चक्की का निचला पाट भारी होता है) जोरू ज़बरदस्त-ओ-ग़ालिब है, इताअत-ओ-फ़र्मांबरदारी नहीं करती

नौकरी से उतारना

पदच्युत करना, नौकरी से निष्कासित कर देना, बर्ख़ास्त करना

पक्का-पीसा

(मजाज़न) तजरबाकार, जहां दीदा, चालाक, जिस के तीव्र से दानाई मक्कारी और चालाकी टपकती हो, बड़ा होशयार

पकाव

वह घाव या फोड़ा जो पक रहा हो या पकने के निकट हो, (घाव या फोड़ा) पीप पड़ा हुआ, पका हुआ

पख़ फैलाना

बकवास करना

पख़्या

۔ (ह) मुज़क्कर। (दिल्ली) झगड़ालू। फ़सादी। बेहूदा

पेच खेलना

दाँव करना

पच मरना

अत्यधिक कोशिश करके थक जाना, अत्यधिक मेहनत करना

पेच लाना

झगड़े निकालना, मुसीबत लाना

पुचकारना

तसल्ली देना

पच्चर अड़ाना

(मजाज़न) मुज़ाहमत करना, माने होना, तार्रुज़ करना

पच्चर मारना

रोड़ा अटकाना, प्रतिरोधी होना, दुश्मनी करना

पचना

किसी दूसरे का धन आदि इस प्रकार अधिकार में आना या भोगा जाना कि उसके पहले स्वामी के हाथ में न जाय और उसका कोई दुष्परिणाम भी न भोगना पड़े। जैसे-हराम की कमाई किसी को नहीं पचतो (अर्थात् उसे उसका दुष्परिणाम भोगना पड़ता है)।

पचा बैठना

पचाना, हज़म कर लेना, (लाक्षणिक) हड़प करना, ख़त्म करना, बर्बाद करना, (किसी का माल) दबा बैठना, हथिया लेना

पैज़ पड़ जाना

ज़िद हो जाना, दुश्मनी हो जाना, मुख़ालिफ़त पर कमर बांधना

पेट पुकार रहा है

ज़ोर की भूक लग रही है

पेट पूरा करना

पेट भरना, पेट भर खाना

पेट फाड़ना

दिल का भेद ज़ाहिर करना

पेट में पानी पड़ना

ख़ौफ़ के मारे दस्त आने लगना

पटाका

झंडा, इलम, भर बुरा

पटाख़ा

ज़ोर की आवाज़ देने वाली एक किस्म की आतशबाज़ी जो गोल और तिकोनी शक्ल की बनाई जाती है तिकोनी को तावीज़ या लड़ी का पटाख़ा भी कहते हैं

पड़त फैलाना

۔ (दिल्ली) १। लागत का अंदाज़ा करना। हिसाब का अंदाज़ा करना। ख़रीद की क़ीमत का हर चीज़ पर प्रता फैलाना। अंदाज़ा ठहराना

पड़ाक़े की गोट

भिन्न-भिन्न प्रकार की या विविध रंगों की गोट, चटा-पटी की गोट, पटा-पटी की गोट

पतंगछुरी

पीठ पीछे बुराई करने वाला, दो व्यक्तियों या दलों में झगड़ा कराने वाला, चुगुलखोर, पिशुन, चताई

पनीर चटाना

۔ (दिल्ली) लालच देना। ख़ुशामद करना। रिश्वत देना। कुछ दे कर यार बनाना

पनीर जमाना

किसी बात की बुनियाद डालना, कोई ऐसा काम शुरू करना जिससे बहुत से काम निकलें

पपड़ी आना

परत जमना, परत बनना

पपड़ी जमाना

तह जमाना, (दिल्ली) सत्य स्थापित करना, हक़ क़ाएम करना

पपोलना

पोपले का चुभलाना, पोपले (दंतविहीन व्यक्ति का) का मुँह में कुछ रखकर चुभलाना या मुँह चलाना, मसूड़ों से दबा दबा कर खाना, पोपलों की तरह मुंह से किसी चीज़ को चूसना, पुलपुलाना

पबई

मैना की जाति की मधुर स्वर में बोलने वाली एक चिड़िया, एक छोटा सा जंगली पक्षी जिसको बबई और पवई भी कहते हैं

पय्या

रुक : पही्या

पैर फैला कर सोना

रुक : पांव फैला कर सोना (मजाज़न) मुतमइन होना

परख़्चे उड़ाना

ख़ूब मारना, कूटना

पर्चोल

۔ (ह) मुअन्नस। (दिल्ली) धुत। लत। धन। छां बणान। शुरू शुरू में इन दिनों उस को नमाज़ रोज़े की बहुत परचोल थी। (तोबৃ अलनसोह

परत-दर-परत

तह पर तह परत पर परत, एक के बाद दूसरी तह या ग़लाफ़, मंजिल ब-मंजिल

पर्दे में गिर्दा लगाना

रुक : पर्दे में सूराख़ करना

पर्दे में सूराख़ करना

दर पर्दा फ़ेअले बद करना, टट्टी की ओट शिकार खेलना, पर्दे में बैठ कर ताक झांक करना

परदाज़ करना

अलंकृत करना, चकमकाना, नक़्श बनाना

परे-परे

घृणा दिखाने के वास्ते बोलते हैं, अलग अलग, दूर दूर, दूर हो, हिट जा, चले जाओ

पर्ले दर्जे का

इंतिहाई कमाल, आला दर्जा (अच्छे अर्थों में), इंतिहाई दर्जे का, बेहद (बुरे अर्थों में)

परले सिरे का

۔ दिल्ली) बड़ा बदमाश। ख़राब आदमी। २। हद दर्जे का। (फ़िक़रा) आवाज़ से चुपड़ चुपड़ खाना प्रले सिरे की है।

पलंग को लात मार कर खड़ा हो जाना

ज़चगी से सही सलामत उठ खड़ा होना

पल्ले बाँधना

सर डालना, ज़िम्मेदार क़रार देना

प्लास्तर उड़ा देना

प्लास्तर बिखेरना (लाक्षणिक) बहुत मारना, मारते मारते खाल उधेड़ देना

पवन-पानी

जलवायु, आब-ओ-हवा

पेश चलना

सबक़त ले जाना, सरबर होना, क़ाबू चलना

पसंदा

मास का अधकुटा हुआ छोटा चिपटा पारचा, मास का कुचला हुआ पारचा

पैसा धो कर उठाना

मिन्नत बढ़ाने के लिए मानी हुई रक़म अलग निकाल कर रखना नयाज़ नज़ू का ख़र्च अलग रखना

पसीना हरा होना

(पहलवानी) पसीना ख़ुशक होना या सूखना

पहरा देना

۔۱۔ रखवाली करना। २।मजाज़न। पहरा लगना। (दिल्ली) पहरा खड़ा होना

पहलू देना

किनारा करना, बचना, मुँह छुपाना

पाखर

उक्त झूल के वे भाग जो दोनों ओर झूलते रहते हैं।

पात

(नुजूम) कर्राह फ़लक का वो मुक़ाम जहां नछत्तरों के हलक़े ख़त-ए-जदी को काट कर ऊपर चढ़ते या नीचे आते हैं

पान खिलाना

मंगनी की रस्म अदा करना

पान चीरना

बेकार काम करना, ऐसे काम करना जिसमें कोई लाभ न हो

पानी के मोल

۔ सिफ़त। (दिल्ली) मजाज़न। बहुत सस्ता। निहायत अरज़ाँ। लखनऊ में इस जगह आग के मूल है। पानी के नीचे ना पानी के ऊपर। लखनऊ) ना उल्टी मानती हो ना सीधी

पानी घोल देना

किसी चीज़ में पानी मिलाना, नीज़ पानी में कुछ मिलाना (शराब, शर्बत वग़ैरा)

पानी चलाना

सिंचाई करना, सींचना

पापड़

उर्द, मूंग आदि दालों, मैदे, चौरेठे आदि अन्नों अथवा आलू की बनी हुई एक तरह की मसालेदार पतली चपाती जिसे तल या भूनकर भोजन आदि के साथ खाया जाता है

पाला

वो निशान या मिट्टी रख कर बनाई हुई कब्बडी के मैदान की दरमयानी लकीर जो कब्बडी और दूसरे खेलों में हद्द-ए-फ़ासिल के वास्ते बना लेते हैं

पाँव

पिंडली, रान, टाँग

पासी

अफ़ीम के डोडे में डांकी लगाने वाला

पिगलना

(मजाज़न) माइल होना, फ़रेफ़्ता होना, शिद्दत फ़रेफ़्तगी की वजह से शिकवा शिकायत वग़ैरा सब कुछ भूल जाना

पिट्टन

۔ (ह) मुअन्नस। (दिल्ली) पिट्स। मातम। कुहराम। रोना। पीटना। २। मार (फ़िक़रा) आज इस पर पट्टन पड़ी। मानी नंबर२ में बगै़र तशदीद हर्फ़ दोम है

पिटना होना

चिंता एवं असमंजस होना

पियाव

उफ़ : बिठाना, बैठना, लगना

पिला पाक हो जाना

۔ (दिल्ली) फ़ैसला होजाना। मुआमला तै होजाना। क़र्ज़ अदा होजाना

पीं निकालना

चें बुलवाना, घमंड दूर करना, परेशान करना

पींग चढ़ाना

लंबे झोंटे लेना जिससे झूले का निचला सिरा ख़ूब ऊंचा जाने लगे

पीछे कर

बाद में

पोइयों जाना

۔ (दिल्ली) दुलकी जाना।

पोत पूरा करना

۔ (दिल्ली) (ओ) कमी पूरी करना। किसी ना किसी तरह काम अंजाम देना। (फ़िक़रा) खाने जोड़े के रूपों की अब्बा जान ने हामी भरी है। चचा अब्बा जमी जम हैं नहीं तो उन से भी कुछ लेती और अपना पोत पूरा करदेती

फ़ज़ाइल-ख़साइल

۔ जमा। लखनऊ में मुज़क्कर। (दिल्ली में मुअन्नस) मुअन्नस। ख़ू। आदत

फटकार

परवाज़ तख़य्युल में किसी बात का हल्का सा झोंका

फटकार

परवाज़ तख़य्युल में किसी बात का हल्का सा झोंका

फुदकी मारना

छलांग मारना

फन पीटना

साँप का अपने फन को किसी चीज़ पर मारना

फपड़े करना

झूठी प्रशंसा, बनावटी या दिखावे की बातें करना

फर्राटा

घोड़े के नथनों में से ज़ोर से हुआ निकलने या जानवर के ज़ोर से दौड़ने की आवाज़

फुरैरी छूटना

(दिल्ली) फरेरी आना

फेरा डाल देना

۔(दिल्ली) सिलसिला बांधना

फुलका

छोटा कढ़ाव जो चीनी के कारख़ाने में काम आता है

फुल्ला

तनूर की रोटी का बुलबुला

फली भी न फोड़ना

۔(दिल्ली) मजाज़ ह। कुछ काम ना करना। बेहद मजहूल करना

फसकड़ा मार कर बैठना

۔(दिल्ली। ओ) ज़मीन पर पांव फैला के बैठना। लखनऊ में इस जगह चार ज़ानू बैठना हैं।

फूसड़ा

(घृणा से) बच्चा, संतान (वाक्य) पच्चीस बरस की उम्र में ख़ुदा-ख़ुदा करके नाक रगड़ के एक फूसड़ा देखा था

फिड्डा

۔(ह) सिफ़त-ए-मुज़क्कर। (दिल्ली) १।जूता जिस की एड़ी बैठी हुई हुआ। २।वो आदमी जो पांव रगड़ता हुआ यह लिंग करता हुआ चले। ३।वो शख़्स जिस के दोनों पैरों में ख़म हो और चलते वक़्त आड़े तिर्छे रखे।

फोकट का

बिना परिश्रम का

फोड़

۔(ह) बज़्म अव्वल वसकोन वाओ मारूफ़ मुशद्दद वमफ़तोह) (दिल्ली) सिफ़त फोॗहड़। बे सीलक़ा

मुक़द्दमा-'अक़्ल

(मंतिक़) मुआमला अकली (दिल्ली जज़बात के मुक़ाबिल)

मग़्ज़ की कील निकलना

ग़रूर ख़त्म हो जाना, घमंड मिट जाना , जोश-ए-जवानी कम हो जाना, शहवत फ़िरौ हो जाना, ग़रूर तोड़ना, घमंड ख़त्म करना

मग़्ज़ खपाना

बहुत अधिक सोच विचार करना, समझाने का प्रयास करना, किसी दिमाग़ी काम में मेहनत करना

मग़्ज़-चट

बकवादी, फ़ुज़ूल और फालतू की बातों से दूसरे का दिमाग़ परेशान करने वाला, बकवासी, बातूनी, बकवास करने वाला, बक्की

मग़्ज़-ज़नी करना

बहुत बातें करना जिससे दिमाग़ दुखने लगे, बहुत समझाना, सर खपाना

मन मारना

धैर्य रखना, संतोष करना, दिल की इच्छाओं को दबाना

मन-मानता

मनभाता, मनचाहा, मनमाना, स्त्री. के लिए मन-मानती

मरे पीछे

मरने के बाद

मुर्दों को औंध डाल रखना

मर्दों की फ़ातिहा दरूद न करना, शब्ब-ए-बरात का तहवार न मनाना

मुर्मुरों का थैला

मुरमुरों से भरी हुई बोरी, प्रतीकात्मक: मोटा, फुफ्फुस, गोल-मटोल, बहुत मोटा और फूला हुआ आदमी

मस्ताना

ऐश और आराम अर्थात विलसिता करना अथवा सोना

मुसबत

सकारात्मक

मुसव्वदा गाँठना

योजना बनाना, मंसूबे तैयार करना, इरादे करना, लेख तैयार करना

मुँह पर फ़ाख़्ता उड़ जाना

(दिल्ली) मुह पीला पड़ जाना, चेहरा पर हवाईयां उड़ने लगना

मुँह मारना

۔۱۔शिकार को मुनह से पकड़ना। २।लड़ाई के मर्ज़ों और बेटरों का बाहम मिनक़ारें मारना। ३।(दिल्ली) ताना करना। चोट करना। तंज़ की बात कहना। ४।कबूतर को परवाज़ के वक़्त मुकर्रर किसी सिम्त भेजना। ५।शिकारी कुत्ते का शिकार पर दाँत मारना। ६।घोड़े या ऊंट का काटना। ७।जानवरों का दाना खाना

मापना

किसी वस्तु के विस्तार, घनत्व या वज़न आदि का मान निकालना, नापना, (दिल्ली) पैमाइश करना, जांचना, अंदाज़ा करना, लंबाई चौड़ाई का अंदाज़ा करना, लखनऊ में नापना बोलते हैं

मिट्टी डलवाना

मिट्टी डालना का सकर्मक, मिट्टी भरवाना, किसी स्थान पर मिट्टी का इकठ्ठा कराना

मीना-कारी छाँटना

प्रत्येक वस्तु की भलाई-बुराई ध्यानपुर्क देखना, निम्न से निम्न अंतर दृष्टि करना, प्रत्येक बात में ख़राबी निकालना, आलोचना एवं आपत्ति करना, मैल निकालना, बारीकी छाँटना

ये कुछ

बहुत कुछ

रज़्मा

(दिल्ली) ज़रा, रमक़, हिबा, रेज़ा

रोज़ा उछलना

(दिल्ली) उपवास करते समय परेशान या क्रोधित होना

लग न लगने देना

۔ (ओ। दिल्ली) पास ना फटकने देना। अलग। थलग रखना। इख़लास ना होने देना

लगते-हाथ

साथ के साथ, इसी सिलसिले में, उसी वक़्त, लगे हाथ

लँगोटियाँ

लंगोट का बहुवचन |

लंडूरी-फ़ाख़्ता

(रूपकात्मक) वो औरत जिस का कोई सहारा न हो, बेकस, निगोड़ी, गंजी

लूनिया

खारा, नमकीन

लश्कर में ऊँट बदनाम

ऐसे आदमी के बारे में बोलते हैं जो किसी दोष में प्रसिद्ध हो, अनावश्यक बदनामी

लेसदार

चिपचिपा, चिपकने वाला

लहरें लेना

۳. पेच-ओ-ताब खाना

लिबास ही नहीं जाता

۔(दिल्ली) १।मनाए नहीं मंता सँभाले नहीं सँभलना किसी तरह क़ाबू में नहीं आना। २।धोका नहीं खाता। औरतें अपने बेवक़ूफ़ बच्चे से कहा करती हैं कि इतने इतने नहीं लिए जाते यानी तेरी उम्र के और लड़के किसी के किसी तरह के दम झांसे में नहीं आते हैं और तो कैसा कमअक़्ल है कि तुझे हर शख़्स फुसला है।

लिया ही नहीं पड़्ता

मनोदशा की कोई सीमा ही नहीं मिलती, दशा या हाल का पता ही नहीं चलता, बहुत ही घमंडी है, बड़ा ही अभिमानी है

लोटनी लेना

बिलकुल मना करना, साफ़ मुकर जाना, बेईमानी करना, दिल में खोट आना

लोहे के चनों से पलना

कष्ट की स्थिति में रहना, मुसीबत की हालत में ज़िंदगी गुज़ारना

वबाल लगना

कष्ट का पीछे पड़ना, झगड़ा पीछे लग जाना अर्थात किसी काम का कठिन प्रतीत होना, किसी दायित्व का अत्यधिक कठिन जान पड़ना, अप्रिय स्भाव होना

वहाँ गए को

(दिल्ली) वहां गए हुए

वहाँ ही

(दिल्ली) उसी जगह, वहीं

वही तो कहूँ

मुझे ख़ुद ही ये ख़्याल आता है, में भी तो ये बात कहता हूँ

वित्ना

۔बालकसर। दिल्ली) इतना।मुज़क्कर के लिए।

शेर करना

(दिल्ली) उकसाना, बढ़ाना (बत्ती का)

है है करके पीटना

सीना ज़नी करना, पीट पेट के रोना, मातम करना, बुरा चाहना, किसी का मरना चाहना

हक़-थू

'आख़-थू; जो उसकी सही शक्ल है

हट्टी

एक पेशे के लोगों के मकानात या मुहल्ला

हडरा

दशा, गति, संरचना, शैली, रूप

हथेली बजाना

ताली बजाना, महिलाओं की सी हरकतें करना, हिजड़ों का सा काम करना

हप्पा

घूस। रिश्वत। (पश्चिम)

हल्दी लगा के बैठना

۲۔ घमंड में फूला रहना

हाजती

लाक्षणिक रूप में, दरिद्र और दीन-हीन, हाजतमंद, ज़रूरतमंद, इच्छुक, अभिलाषी

हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाना

۔ दस्त बस्ता खड़ा होजाना२।(दिल्ली) सब कुछ ख़र्च कर डालना।इस मानी में हाथ जोड़ कर खड़ा होजाना है

हाथ झूटा करना

अपर्याप्त वार करना, ऐसा वार करना जो काफ़ी न हो, पूरा वार न करना, बेकार कष्ट उठाना

हाथ झाड़ उठे

(जवारी) जोय में सब कुछ हार कर उठे, मुफ़लिस-ओ-नादार होगए (रुक : हाथ झाड़कर/के उठना

हाथ देना

۳۔ हाथ डालना (ख़ुसूसन जेब या गर्दन वग़ैरा में)

हाथ पर धरा हुआ होना

۔(दिल्ली) किसी चीज़ का तैय्यार और मौजूद रहना। हरवक़त पास रहना

हाथ से चलना

हाथ से निकलना, इख़्तियार में न रहना, क़ब्ज़े से निकल जाना, हाथ से जाना

हाथ-चालाक

चोर उचका, हाथ मारने वाला, वो शख़्स जिसे चोरी का लपका हो

हाथा-छाँटी

दग़ाबाज़ी, धोखाबाज़ी, मक्कारी

हाथी के साथ गन्ने चूसना

ज़बरदस्त से मुक़ाबला करना

हाथी-पाँव

फील या श्लीपद नामक रोग

हाथों क़लम होना

हाथ में क़लम होना, भलाई बुराई किसी के इख़्तियार में होना, किसी और के हाथ का लिखा होना एंव भाग्य में लिखा होना

हाल खेलना

मस्ती में लाना या मस्ती पैदा करना, मस्ती में आना, क़व्वाली या राग सुन कर शोर करना, लोट लोट जाना या हंसते हंसते बेहाल हो जाना

हिंडोलना

छोटा हिंडोला

हो गुज़रना

घटित होना, प्रकट होना, बीतना

हो बैठना

बैठ जाना, एक ओर बैठ जाना, किसी स्थान पर जमकर बैठ जाना

होश बिखरना

होश उड़ जाना, चेतना खोना, होश गुम होना

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