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तो तो

कुत्तों, कौओं की तरह तिरस्कारपूर्वक किसी व्यक्ति को बुलाने का शब्द

तो

उर्दू अक्षर तोए एक उच्चारण

तो क्या

कुछ फ़ायदा ना हुआ, बेसूद ही रहा

हाँ तो

सिलसिला-ए-कलाम मुनक़ते होने के बाद फिर सिलसिला क़ायम करने के मौके़ पर मुस्तामल, रब्त-ए-कलाम के लिए

तो-तो तालों से लगना

(ओ) मुंह बंद रहना, ख़ामोश रहना

है तो

अगर है, अगर कुछ है तो सिर्फ़, केवल, बस

तो-भी

फिर भी, अभी भी, यहाँ तक, बावजूद-ये-कि, ताहम

नहीं-तो

वर्ना, यदि, अन्यथा, बसूरत-ए-दीगर

ये तो

کسی صورت حال کی وضاحت یا اصل بتانے کے لیے مستعمل ۔ یہ تو رخصت ہوکر گھر آیا خبرداروں نے اس حال کا خاص و عام میں چرچا مچایا۔

यूँ तो

in this case, generally

देखिये तो

समझ रखू

तो-फिर

then, in that case/ condition

तो-ब-तो

رک: تو بر تو معنی نمبر ۱.

तो जानें

तो देखें, तब समझें

कुछ तो

अधिक नहीं, ज़्यादा नहीं, थोड़ा ही सही, थोड़ा सा

तो-बर-तो

پی بہ پے، پے در پے، پیہم.

वो तो

किसी आदेश को चिन्हित करने के लिए प्रयुक्त

यहाँ तो

इस जगह तो, इस मुक़ाम पर

पंज-तो

پان٘چ گنا، پنج گونہ ؛ پان٘چ پر توں یا تہوں والا.

है तो ये

۔ असल बात ये है ।

यही तो

प्रमाणन या पुष्टि का शब्द, किसी बात की पुष्टि करने के मौक़े पर प्रयुक्त

हँसे तो हँसिए अड़े तो अड़िए

जो अच्छे से मिलें उनसे अच्छे से मिलना चाहिए और जो लड़ें-झगड़ें उनसे लड़ना चाहिए

आया तो नोश नहीं तो फ़रामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना, कुछ मिल गया तो खा लिया वर्ना भूखे ही सो गए

तब-तो

फिर-तो, यदि वैसा हुआ तो

देखो तो

तवज्जा करो, ख़बरदार हो, नज़र डालो, ग़ौर करो

है तो यूँ

अस्ल बात ये है, दरअस्ल, वास्तव में

तो क्या हुआ

۔कुछ नहीं हुआ। बे सोॗद हुआ। कौन से होता है।

मुँह तो देखिए

कहाँ इतना हौसला रखते हैं, भला इतनी हिम्मत कहाँ है, क्या मजाल, इस काबिल तो हो जाओ, सोचो तो सही ये काम कैसे कर लोगे

ये तो कहिए

ये तो बताओ, बताईए नीज़ ये तो अच्छा हुआ कि, ये तो ख़ैरीयत गुज़री कि

लगा तो तीर नहीं तो तुक्का

आदमी को हिम्मत नहीं हारना चाहिए

बनी तो भाई नहीं तो दुश्मनाई

फ़ायदे के लिए दोस्त बनते हैं नहीं तो दुश्मन हैं

गरजी तो डरी पड़ी तो सही

मुसीबत की दहश्त, मुसीबत बर्दाश्त करने से सख़्त तर होती है, जब तक कोई मुसीबत ना आए इस का डर होता है, जब आ जाये तो इंसान बर्दाश्त कर लेता है

गरजी तो डोली पड़ी तो सही

मुसीबत की दहश्त, मुसीबत बर्दाश्त करने से सख़्त तर होती है, जब तक कोई मुसीबत ना आए इस का डर होता है, जब आ जाये तो इंसान बर्दाश्त कर लेता है

बढ़ा तो अमीर, घटा तो फ़क़ीर, मरा तो पीर

सब हाल में ठीक है (हिन्दू लोग मुसलमानों के बारे में कहते हैं)

हँसे तो औरों को , रोवे तो अपनों को

औरों पर मुसीबत पड़े तो हंसी आती है और जो अपने आप पर आन पड़े तो रोना आता है

आई तो रमाई नहीं तो फ़क़त चारपाई

मिल गई तो मज़ा लिए अन्यथा चारपाई पर अकेले सोकर समय बिताया, काम बना तो बना नहीं तो कोई बात नहीं

हारूँ तो होरूँ, जीतूँ तो थोरूँ

जिस आदमी को इस की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी काम पर मजबूर किया जाये वो चाहे फ़ायदा उठाए चाहे नुक़्सान राज़ी नहीं होता

रक्खे तो प्रीत, नहीं तो पलीत

यदि प्रेम को सदैव निश्चित रक्खे तो बहुत अच्छी बात है वर्ना बहुत बुरी

रूपया तो शैख़, नहीं तो जुलाहा

रुपया से आदमी की इज़्ज़त होती है, ज़र है तो नर है वर्ना ख़र है

रूपया तो शैख़, नहीं तो जुलाहा

रुपया से आदमी की सम्मान होता है

बुझना तो रोज़ी , नहीं तो रोज़ा

इंतिहाई इफ़लास ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

लगी तो रोज़ी, नहीं तो रोज़ा

मिल गया तो खा लिया वर्ना उपवास रख लिया अर्थात मिला तो खा लिया नहीं तो व्रत समझो, अत्यधिक निर्धनता की ओर इशारा

तो सही

forsooth, just

मुँह तो देखो

just look at his face!

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

आई तो नोश नहीं तो फ़रामोश

कुछ मिला तो अच्छी बात नहीं तो सब्र के सिवा कोई चारा नहीं, आई तो रोज़ी नहीं तो रोज़ा

मुँह तो देखो

कहाँ इतना हौसला रखते हैं, भला इतनी हिम्मत कहाँ है, क्या मजाल, इस काबिल तो हो जाओ, सोचो तो सही ये काम कैसे कर लोगे

उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी

करने और न करने में दोनों प्रकार से ख़राबी, घोर असमंजस की स्थिति

वही तो कहूँ

۔(दिल्ली) मुझे ख़ुद ही ये ख़्याल आता है।(इबनुलवक़्त) शार्प। वही तो कहूं ना तो आप की सूरत इन की सूरत से मिलती है और ना उन की वज़ा तो बिलकुल साहिब लोगोंकी है।

और नहीं तो

of course, what else? and otherwise

कड़की तो डरी पड़ी तो सहनी

جب تک مصبیت پڑتی نہیں اس کے خیال سے آدمی بہت ڈرتا ہے اور جب پڑ جاتی ہے تو سہتا ہے.

जीते तो हाथ काटे हारे तो मुँह काला

जुए की निंदा में कहते हैं

मरे तो शहीद, मारे तो ग़ाज़ी

हर हालत में अच्छाई है

मरा तो शहीद , मारा तो ग़ाज़ी

जिहाद करने वाला अगर मर गया तो शहीद कहलाया और अगर किसी काफ़िर को मार डाला तो ग़ाज़ी कहलाता है

थाली फूटी तो फूटी झंकार तो सुनी

कोई नुक़्सान हुआ या ना हुआ मगर बदनामी तो हुई (ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई ख़ास नुक़्सान तो ना पहुंचे मगर मुफ़्त में बदनामी हो जाये)

ज़िंदा रही तो क्या मरी तो क्या

अस्तित्व बेकार है, जीवित रहना या न रहना सब समान है

ज़िंदा है तो क्या मरी तो क्या

अस्तित्व बेकार है, जीवित रहना या न रहना सब समान है

लग गया तो तीर नहीं तो तुक्का

चाहे काम हो या न हो, लेकिन हिम्मत बनी रहनी चाहिए, इंसान को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए

मानो तो देव नहीं तो भेंट कालियो

रुक : मानव तो देवता अलख

मानो तो देवी नहीं मानो तो पत्थर

एतिक़ाद ही से किसी की इज़्ज़त-ओ-हुर्मत की जाती है, अगर एतिक़ाद नहीं तो कुछ भी नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तो तो के अर्थदेखिए

तो तो

to-toتو تو

वज़्न : 22

टैग्ज़: अवामी

तो तो के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कुत्तों, कौओं की तरह तिरस्कारपूर्वक किसी व्यक्ति को बुलाने का शब्द

تو تو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • ۔(ف) مذکر۔ ایک درخت اور اُس کے پھل کا نام جس ’’شہتوت‘‘ بھی کہتے ہیں۔ اِس کے پتّوں سے ریشم کے کیڑوں کی پرورش ہوتی ہے۔
  • ۔مونث۔ اِس کلمے سے کُتّے کو بُلاتے ہیں۔ ؎

اسم، مؤنث

  • (عو) زبان، لَلّو.

فعل متعلق

  • پھر تو، تب تو، جب تو (تو کی تاکید).

Urdu meaning of to-to

  • Roman
  • Urdu

  • ۔(pha) muzakkar। ek daraKht aur is ke phal ka naam jis ''shahtuut'' bhii kahte hain। is ke patto.n se resham ke kii.Do.n kii paravrish hotii hai
  • ۔muannas। is kalime se kutte ko bulaate hain।
  • (o) zabaan, lalluu
  • phir to, tab to, jab tuu (to kii taakiid)

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तो तो

कुत्तों, कौओं की तरह तिरस्कारपूर्वक किसी व्यक्ति को बुलाने का शब्द

तो

उर्दू अक्षर तोए एक उच्चारण

तो क्या

कुछ फ़ायदा ना हुआ, बेसूद ही रहा

हाँ तो

सिलसिला-ए-कलाम मुनक़ते होने के बाद फिर सिलसिला क़ायम करने के मौके़ पर मुस्तामल, रब्त-ए-कलाम के लिए

तो-तो तालों से लगना

(ओ) मुंह बंद रहना, ख़ामोश रहना

है तो

अगर है, अगर कुछ है तो सिर्फ़, केवल, बस

तो-भी

फिर भी, अभी भी, यहाँ तक, बावजूद-ये-कि, ताहम

नहीं-तो

वर्ना, यदि, अन्यथा, बसूरत-ए-दीगर

ये तो

کسی صورت حال کی وضاحت یا اصل بتانے کے لیے مستعمل ۔ یہ تو رخصت ہوکر گھر آیا خبرداروں نے اس حال کا خاص و عام میں چرچا مچایا۔

यूँ तो

in this case, generally

देखिये तो

समझ रखू

तो-फिर

then, in that case/ condition

तो-ब-तो

رک: تو بر تو معنی نمبر ۱.

तो जानें

तो देखें, तब समझें

कुछ तो

अधिक नहीं, ज़्यादा नहीं, थोड़ा ही सही, थोड़ा सा

तो-बर-तो

پی بہ پے، پے در پے، پیہم.

वो तो

किसी आदेश को चिन्हित करने के लिए प्रयुक्त

यहाँ तो

इस जगह तो, इस मुक़ाम पर

पंज-तो

پان٘چ گنا، پنج گونہ ؛ پان٘چ پر توں یا تہوں والا.

है तो ये

۔ असल बात ये है ।

यही तो

प्रमाणन या पुष्टि का शब्द, किसी बात की पुष्टि करने के मौक़े पर प्रयुक्त

हँसे तो हँसिए अड़े तो अड़िए

जो अच्छे से मिलें उनसे अच्छे से मिलना चाहिए और जो लड़ें-झगड़ें उनसे लड़ना चाहिए

आया तो नोश नहीं तो फ़रामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना, कुछ मिल गया तो खा लिया वर्ना भूखे ही सो गए

तब-तो

फिर-तो, यदि वैसा हुआ तो

देखो तो

तवज्जा करो, ख़बरदार हो, नज़र डालो, ग़ौर करो

है तो यूँ

अस्ल बात ये है, दरअस्ल, वास्तव में

तो क्या हुआ

۔कुछ नहीं हुआ। बे सोॗद हुआ। कौन से होता है।

मुँह तो देखिए

कहाँ इतना हौसला रखते हैं, भला इतनी हिम्मत कहाँ है, क्या मजाल, इस काबिल तो हो जाओ, सोचो तो सही ये काम कैसे कर लोगे

ये तो कहिए

ये तो बताओ, बताईए नीज़ ये तो अच्छा हुआ कि, ये तो ख़ैरीयत गुज़री कि

लगा तो तीर नहीं तो तुक्का

आदमी को हिम्मत नहीं हारना चाहिए

बनी तो भाई नहीं तो दुश्मनाई

फ़ायदे के लिए दोस्त बनते हैं नहीं तो दुश्मन हैं

गरजी तो डरी पड़ी तो सही

मुसीबत की दहश्त, मुसीबत बर्दाश्त करने से सख़्त तर होती है, जब तक कोई मुसीबत ना आए इस का डर होता है, जब आ जाये तो इंसान बर्दाश्त कर लेता है

गरजी तो डोली पड़ी तो सही

मुसीबत की दहश्त, मुसीबत बर्दाश्त करने से सख़्त तर होती है, जब तक कोई मुसीबत ना आए इस का डर होता है, जब आ जाये तो इंसान बर्दाश्त कर लेता है

बढ़ा तो अमीर, घटा तो फ़क़ीर, मरा तो पीर

सब हाल में ठीक है (हिन्दू लोग मुसलमानों के बारे में कहते हैं)

हँसे तो औरों को , रोवे तो अपनों को

औरों पर मुसीबत पड़े तो हंसी आती है और जो अपने आप पर आन पड़े तो रोना आता है

आई तो रमाई नहीं तो फ़क़त चारपाई

मिल गई तो मज़ा लिए अन्यथा चारपाई पर अकेले सोकर समय बिताया, काम बना तो बना नहीं तो कोई बात नहीं

हारूँ तो होरूँ, जीतूँ तो थोरूँ

जिस आदमी को इस की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी काम पर मजबूर किया जाये वो चाहे फ़ायदा उठाए चाहे नुक़्सान राज़ी नहीं होता

रक्खे तो प्रीत, नहीं तो पलीत

यदि प्रेम को सदैव निश्चित रक्खे तो बहुत अच्छी बात है वर्ना बहुत बुरी

रूपया तो शैख़, नहीं तो जुलाहा

रुपया से आदमी की इज़्ज़त होती है, ज़र है तो नर है वर्ना ख़र है

रूपया तो शैख़, नहीं तो जुलाहा

रुपया से आदमी की सम्मान होता है

बुझना तो रोज़ी , नहीं तो रोज़ा

इंतिहाई इफ़लास ज़ाहिर करने के लिए मुस्तामल

लगी तो रोज़ी, नहीं तो रोज़ा

मिल गया तो खा लिया वर्ना उपवास रख लिया अर्थात मिला तो खा लिया नहीं तो व्रत समझो, अत्यधिक निर्धनता की ओर इशारा

तो सही

forsooth, just

मुँह तो देखो

just look at his face!

बसे तो गूजर , नहीं तो ऊजड़

वो बस्ती जो वीरान पड़ी रहे या निचले तबक़े के लोगों से आबाद होजाए (निज़ाम उद्दीन औलिया की बददुआ जो उन्हों ने फ़िरोज़ तुग़ल्लुक़ से नाराज़ होकर इस के क़िले को दी थी अब ज़रब-उल-मसल

आई तो नोश नहीं तो फ़रामोश

कुछ मिला तो अच्छी बात नहीं तो सब्र के सिवा कोई चारा नहीं, आई तो रोज़ी नहीं तो रोज़ा

मुँह तो देखो

कहाँ इतना हौसला रखते हैं, भला इतनी हिम्मत कहाँ है, क्या मजाल, इस काबिल तो हो जाओ, सोचो तो सही ये काम कैसे कर लोगे

उगले तो अंधा, खाए तो कोढ़ी

करने और न करने में दोनों प्रकार से ख़राबी, घोर असमंजस की स्थिति

वही तो कहूँ

۔(दिल्ली) मुझे ख़ुद ही ये ख़्याल आता है।(इबनुलवक़्त) शार्प। वही तो कहूं ना तो आप की सूरत इन की सूरत से मिलती है और ना उन की वज़ा तो बिलकुल साहिब लोगोंकी है।

और नहीं तो

of course, what else? and otherwise

कड़की तो डरी पड़ी तो सहनी

جب تک مصبیت پڑتی نہیں اس کے خیال سے آدمی بہت ڈرتا ہے اور جب پڑ جاتی ہے تو سہتا ہے.

जीते तो हाथ काटे हारे तो मुँह काला

जुए की निंदा में कहते हैं

मरे तो शहीद, मारे तो ग़ाज़ी

हर हालत में अच्छाई है

मरा तो शहीद , मारा तो ग़ाज़ी

जिहाद करने वाला अगर मर गया तो शहीद कहलाया और अगर किसी काफ़िर को मार डाला तो ग़ाज़ी कहलाता है

थाली फूटी तो फूटी झंकार तो सुनी

कोई नुक़्सान हुआ या ना हुआ मगर बदनामी तो हुई (ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई ख़ास नुक़्सान तो ना पहुंचे मगर मुफ़्त में बदनामी हो जाये)

ज़िंदा रही तो क्या मरी तो क्या

अस्तित्व बेकार है, जीवित रहना या न रहना सब समान है

ज़िंदा है तो क्या मरी तो क्या

अस्तित्व बेकार है, जीवित रहना या न रहना सब समान है

लग गया तो तीर नहीं तो तुक्का

चाहे काम हो या न हो, लेकिन हिम्मत बनी रहनी चाहिए, इंसान को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए

मानो तो देव नहीं तो भेंट कालियो

रुक : मानव तो देवता अलख

मानो तो देवी नहीं मानो तो पत्थर

एतिक़ाद ही से किसी की इज़्ज़त-ओ-हुर्मत की जाती है, अगर एतिक़ाद नहीं तो कुछ भी नहीं

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