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तो-भी

फिर भी, अभी भी, यहाँ तक, बावजूद-ये-कि, ताहम

आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

ग़ुलाम साथ, तो भी नाथ

ग़ुलाम का ए'तिबार नहीं करना चाहिए

अपनी तो ये देह भी नहीं

मनुष्य का अपने शरीर पर भी अधिकार नहीं यह ईश्वर का है

यहाँ तो हम भी हैरान हैं

इस जगह तो हमारी बुद्धि भी काम नहीं करती, यहाँ समझ में कुछ नहीं आता

उसे तो धोनी भी नहीं आती

शौच के लिए पानी लेना भी नहीं जानता

साँप की तो भाप भी बुरी

शत्रु बहुत कमज़ोर हो फिर भी बुरा ही होता है, दुश्मन गो बहुत कमज़ोर हो फिर भी बुरा है

अभी तो दूध के दाँत भी नहीं टूटे

अबोधपन या कम-आयु का युग है

उसे तो धोती बाँधनी भी नहीं आती

अनभिज्ञ या अनाड़ी है, बड़ा मूर्ख है

ये तो कबीर भी कह गए हैं

ये तो मुस्लिमा बात है, ये बात तो और सब बुज़ुर्गों की तस्लीम की हुई है, उसे तो आरिफ़ बिल्लाह भी मानते हैं ये तो मानी हुई और तस्लीम की हुई बात है

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

ख़ुदा सींग दे तो वो भी सही

(अविर) राज़ी बर्ज़ा हैं - ख़ुदा का दिया सर आँखों पर

लाल प्यारा तो उस का ख़्याल भी प्यारा

۔ मिसल। जो दिल को पसंद होताहै उस की हर बात पसंद आतीहे। अपनों के ऐब भी गवारा होजाते हैं

दबे तो च्यूँटी भी काटती है

आजिज़ आकर कमज़ोर भी हमला कर बैठता है

ग़ुलाम साठ तो वो भी हाठ

निकम्मे का होना न होना बराबर है

अमानत में ख़ियानत तो ज़मीन भी नहीं करती

ख़याल यह है कि सौंप देने से धरती भी शव में हेरफेर नहीं करती इसलिए अमानत में ख़ियानत हो जाने पर यह कहावत निंदा के लिए कहा जाता है

दवा के लिए ढूँडो तो भी नहीं मिलती

दवा के लिए ढूँडो तो भी नहीं मिलता

चार बासन होते हैं तो खड़कते भी हैं

रुक : जहां चार बर्तन अलख, जहां चार आदमी जमा होते हैं तकरार भी हो जाती है

घर 'ईद तो बाहर भी 'ईद

घर में आराम मिले, मन प्रसन्न हो तो हर चीज़ अच्छी लगती है

सौकन तो चून की भी बुरी

स्वत चाहे कैसी ही नाचीर और कमतर हो, बहरहाल गवारा नहीं, ना जाने किस वक़्त नुक़्सान पहुंचा दे, हरीफ़ बहरसूरत हरीफ़ है

सौकन तो चूनी की भी बुरी

स्वत चाहे कैसी ही नाचीर और कमतर हो, बहरहाल गवारा नहीं, ना जाने किस वक़्त नुक़्सान पहुंचा दे, हरीफ़ बहरसूरत हरीफ़ है

जोंक माटी रुले तो भी लहू पीती रहे

बुरा व्यक्ति कैसा ही अपमानित ख़राबहाल हो अपनी बुराई से बाज़ नहीं आता तकलीफ देता है

आधे असाढ़ तो बैरी के भी बरसे

आधे असाढ़ में तो बैरी के खेत में भी पानी बरसे, अर्थात ईश्वर सब के साथ समान न्याय करे

टिकली सेंदूर गेल तो खाने में भी बजर परब

(हिंदू) औरत बेवा होजाए तो उसे अच्छा खाना नहीं मिलता

तेरे तोड़े तो मैं बेर भी न खाऊँ

(ओ) मुझे तुझ से नफ़रत है यानी तो अगर बेरों को छोले तो में खाऊं

अभी तो मुँह की दाल भी नहीं झड़ी

बाल आयु है, अब भी बच्चे हो अर्थात बुद्धि की कमी है

आटा नहीं तो दलिया जब भी हो जाएगा

थोड़ा-बहुत लाभ हो जाएगा

तुर्क हू हुए तो भी ना

धर्म बदलने के पश्चात भी कुछ लाभ नहीं हुआ

मन को भाए तो ढेला भी सीपारी है

मन को भाए तो ढेला भी सुपारी है

बुरी वस्तु भी यदि दिल को पसंद आती है तो सब से अच्छी लगती है

अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नही टूटे

अभी तुम्हें अनुभव नहीं है, अभी बच्चे हो, अभी नासमझ हो, अबोधता या लड़कपन का ज़माना है

सहरी भी न खाऊँ तो काफ़िर न हो जाऊँ

मैं तो डूबा मगर तुझ को भी ले डूबूँगा

मुझ पर तो आफ़त आई है तुझ को भी सलामत न छोड़ूँगा

सूप तो सूप छलनी भी बोली जिस में बहत्तर छेद

नीच, कमीना या तुच्छ आदमी को किसी के मामले में हस्तक्षेप करने के अवसर पर बोलते हैं, साफ़-सुथरी छवी वाला अगर शेख़ी बघारे तो ठीक है, मुँह खोलने से पहले दोषी को अपने स्वयं के दोषों को देख लेना चाहिए

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी भले

ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न हैं, ईश्वर का दिया सर आँखों पर

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेंगी

ग़ैरों का बहुत फ़ायदा होगा तो कुछ ना कुछ थोड़ा बहुत हम को भी होगा

हम तो डूबे हैं सनम तुम को भी ले डूबेंगे

हम ख़ुद तो फँसे हैं तुम को भी फँसाएगे, इसका उपयोग तब किया जाता है जब यह कहा जाता है कि एक व्यक्ति स्वयं मुसीबत में है और दूसरों को भी मुसीबत मे डालेगा

सूप तो सूप हँसे छलनी भी हँसे जिस में बहत्तर छेद

रुक : सूओप बोले तो बोले छलनी क्या बोले अलख

तीन गुनाह तो ख़ुदा भी बख़्श्ता है

जब किसी से माफ़ी और क्षमा मांगनी हो तो कहते हैं

चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वो भी परी है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

दूध में मिठास मिलाओ तो और भी मज़ा देगा

किसी अच्छी चीज़ में दूसरी अच्छी चीज़ मिलाना अच्छा होता है, दो बेहतर चीज़ों से बेहतरीन का हुसूल होता है . अच्छे ख़ानदानों का मेल बेहतर होता है

तुम तो जब माँ के पेट से भी नहीं निकले होगे

इस मौक़ा पर बोलते हैं जब ये जतलाना मंज़ूर हो कि ये बहुत पुरानी बात है, तुम्हारे पैदा होने से पहले की बात है

पड़ोसन के मेंह बरसेगा तो अपनी भी औलती टपकेगी

एक दूसरे से नफ़ा पहुंचता है या किसी अज़ीज़ रिश्तेदार के मालदार होजाने से नफ़ा हो ही जाता है

छाज बोले तो बोले छलनी भी बोली जिस में सत्तर छेद

जब कोई ऐबदार हो कर साफ़ लोगों में बोलता और दख़ल देता है तो इस की निसबत कहते हैं, बेऐब एतराज़ करे तो करे लेकिन ऐबदार को एतराज़ करने का कोई हक़ नहीं

मोम हो तो पिघले, कहीं पत्थर भी पिघला है

कठोर दिल व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

कोई भी माँ के पेट से तो ले कर नहीं निकलता है

हर व्यक्ति को सीखना पड़ता है, जन्मजात विद्वान कोई नहीं होता, काम करने से ही आता है, कोई माँ के पेट से सीख कर नहीं आता

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी सहे जाते

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

सूप बोले तो बोले छलनी भी क्या बोले जिस में बहत्तर छेद

निर्दोष और दोषी या बुरे और नेक का मुक़ाबला निरार्थक होता है

वो भी कुछ ऐसा तो न था

वह भी मज़बूत और हौसले वाला था, वह कोई ऐसा बुरा न था अथवा इतना अच्छा तो न था

ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

छाज बोला तो बोला छलनी भी बोली जिस में बहत्तर छेद

लो ऐबदार भी बेऐब की बराबरी करने लगा, जब कोई ऐबदार हो कर साफ़ लोगों में बोलता और दख़ल देता है तो इस की निसबत कहते हैं

सर पर आरे चल गए तो भी मदार ही मदार

सख़्त तकलीफ़ उठाई फिर भी अपनी हिट पर क़ायम रहा

बद बदी से न जाए तो नेक नेकी से भी न जाए

चाहे बुरा आदमी अपनी बुराई से बाज़ ना आए मगर नेक को अपनी नेकी नहीं छोड़ना चाहिए

हाथी हज़ार लुटे तो भी सवा लाख टके का

अमीर आदमी कैसा ही ग़रीब क्यों ना हो जाये फिर भी इस की क़दर रहती है (मालदार के मुफ़लिस हो जाने के मौके़ पर मुस्तामल है)

हज़ार हाथी लुटा तो भी सवा लाख टके का

रुक : हज़ार हाथी लिट्टेगा अलख

नाक तो कटी पर वो भी मर लिए

गधा गया तो गया रस्सी भी ले गया

बड़े नुक़्सान की पर्वा नहीं छोटे नुक़्सान का अफ़सोस है , एक नुक़्सान तो हुआ था, उस की वजह से दूसरा भी हुआ, चीज़ भी गई और दूसरा नुक़्सान भी हुआ

दमड़ी की हाँडी लेते हैं तो उसे भी ठोंक बजा कर लेते हैं

कोई साधारण वस्तु भी लो तो अच्छी तरह जाँच कर लो, हर काम सोच समझ कर करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तो-भी के अर्थदेखिए

तो-भी

to-bhiiتو بھی

वज़्न : 22

तो-भी के हिंदी अर्थ

  • फिर भी, अभी भी, यहाँ तक, बावजूद-ये-कि, ताहम

English meaning of to-bhii

تو بھی کے اردو معانی

  • باوجودیکہ، پھر بھی، تاہم

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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