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मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में वक़्त की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (ज़ाबते की पाबंदी ना करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मर्ज़ी हुई चले गए, गोया कि बेतकल्लुफ़ी का मिलना हो

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

ज़र है तो घर है नहीं खंडर है

रुपया पैसा हो तो घर अच्छ्াी हालत में नज़र आता है नहीं तो खंडर बिन जाता है

ख़ाला जी का घर नहीं

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

झूटों का घर नहीं बस्ता

झूठ पनप नहीं पाता

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

यह काम कुछ सरल नहीं है, कोई मेहनत का काम करना सरल नहीं है, प्रेम बहुत कठिन है

घर मिलता है तो बर नहीं मिलता, बर मिलता है तो घर नहीं मिलता

बेटियों के लिए अच्छा रिश्ता न मिलने पर कहती हैं अर्थात अमीर है तो लड़का अच्छा नहीं, लड़का अच्छा है तो ग़रीबी है

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

ख़ुदा के घर में कमी नहीं है

अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

जोरू का मरना घर का ख़राबा है

पत्नी के मरने से घर उजड़ जाता है

आप का घर कहाँ है

जो व्यक्ति मूर्खों जैसी बातें करता है उससे कहते हैं अर्थ यह होता है कि आप बड़े सीधे-साधे हैं

जिस का ज़र वही नहीं घर

ख़ावंद जिस का डर है वही घर में नहीं जो चाहो सौ करो

लड़कों का खेल नहीं है

दुशवार बात है, गौरतलब अमर है, आसान काम नहीं है

मुँह का निवाला तो नहीं है

सहज कार्य नहीं है

शर-ओ-फ़साद का घर है

झगड़े की जड़ है

नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है

'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं शेखी बहुत

पराए घर का कूड़ा है

۔ (ओ) बेटी के हक़ में बोलती हैं कि वो दूसरे के घर ब्याही जाएगी

कुँआँ बेचा है कुँएँ का पानी नहीं बेचा

ख़्वाह मख़्वाह हुज्जत या तकरार करने पर कहते हैं

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

समझ का घर दूर है

समझना बड़ी मुश्किल बात है बुद्धि और समझ मुश्किल से आती है

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम है

अच्छे व्यवहार और अच्छी सेवा की कोई शाबाश नहीं देता परंतु बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

घर में अल्लाह का दिया सब है

घर ख़ुशहाल है, किसी चीज़ की कमी नहीं

नौकरी क्या है ख़ाला जी का घर है

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

कुँवाँ बेचा है कुँवें का पानी नहीं बेचा

अनावश्यक या अतार्किक पूर्वशर्त, किसी मुआमले में ज़्यादा तकरार करने या ज़्यादा शर्तें लगाने के अवसर पर बोलते हैं

'ईद को धोबी का घर सूझता है

ऐसा बख़ील है कि साल भर में ईद के दिन धुले हुए कपड़े पहनता है

घोड़ी का गिरा सँभलता है नज़रों का गिरा नहीं सँभलता

इंसान एक बार नज़रों से गिर जाए तो फिर उसे इज़्ज़त नहीं मिलती

घोड़े का गिरा संभलता है, नज़रों का गिरा नहीं संभलता

जिस की साख जाती रहे वो कभी नहीं संभलता

कुवाँ बेचा है , कुँवें का पानी नहीं बेचा

बहाना तराशी या धोका देने के लिए जब कोई चाल चली जाये तो कहते हैं, चीज़ दे दी जाये और फ़ायदा ना उठाने दिया जाये नीज़ रुक : कौवा बेचा है कौए का पानी नहीं बेचा

माल का मुँह करता है, जान का मुँह नहीं करता

कंजूस के प्रति कहते हैं कि माल के मुक़ाबले में जान की परवाह नहीं करता अर्थात चमड़ी जाए दमड़ी न जाए

सर्दी का मारा पनपता है अन्न का मारा नहीं पनपता

चाहे कपड़ा ना हो मगर पेट को रवी ज़रूर चाहिए, सर्दी का मारा बच जाता है फ़ाक़ों का मारा नहीं बचता

शादी है गुड्डे गड़ियों का खेल नहीं है

धोबी का घर 'ईद ही को सूझता है

प्रले दर्जा के कंजूस और कृपण के बारे में बोलते हैं जो अपने कपड़े ईद के अलावा और किसी दिन न धुलवाए

ज़र हे तो नर है नहीं तो कुम्हार का ख़र है

सम्मान रुपये पैसे से होता है, अगर आदमी के पास पैसा न हो तो उस का कोई सम्मान नहीं होता

पानी का हगा मुँह पर नहीं आता है

आसमान का थूका मुँह पर आता है, किए का फल मिलता है, दोष प्रकट हुए बिना नहीं रहता

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

कुत्ते तेरा मुँह नहीं, तेरे साईं का मुँह है

मालिक के हेतु उसके बुरे दास को भी झेलना पड़ता है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

ऊँचे का गिरा तो सँभल सकता है, नज़रों का गिरा नहीं सँभलता

हाथ पांव टूट जाये तो ईलाज से ठीक ठाक होसकता है लेकिन इज़्ज़त पर हर्फ़ आजाए तो इस का कुछ ईलाज नहीं

सर का बाल घर की खेती है

जब चाहा बढ़ लिया जब चाहा काट दिया

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

फ़क़ीर का घर बड़ा है

दरवेश को अपनी करामत से सब कुछ हासिल हो जाता है

अल्लाह का घर बड़ा है

ख़ुदा बड़ा कारसाज़ है घबराने की बात नहीं

चाम का घर कुत्ता लिए जाता है

कमज़ोर वस्तु जलदी बिगड़ जाती है, मनुष्य जो वस्तु बनाए सशक्त बनाए, जिससे शीघ्र ही नष्ट न हो

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मौसी का घर नहीं है के अर्थदेखिए

मौसी का घर नहीं है

mausii kaa ghar nahii.n haiمَوسی کا گَھر نَہِیں ہے

कहावत

मौसी का घर नहीं है के हिंदी अर्थ

  • ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

مَوسی کا گَھر نَہِیں ہے کے اردو معانی

  • خالہ جی کا گھر نہیں ہے ؛ آسان کام نہیں ہے ؛ کھیل نہیں ہے ؛ کسی کی تن آسانی اور لاپروائی کو دیکھ کر کہتے ہیں ۔

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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