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लड़कों का खेल नहीं है

दुशवार बात है, गौरतलब अमर है, आसान काम नहीं है

आँच का खेल है

(रसोइयों और रसायनशास्त्री आदि की बोलचाल) जब कोई चीज़ पकाने या गर्म करने में बिगड़ जाती है तो कहते हैं ये तो आँच का खेल है अर्थात थोड़ी आँच तेज़ हो गई तो खराबी और थोड़ी धीमी हुवी तो खराबी, मतलब ये कि यह कोमल और कठिन काम है

शादी है गुड्डे गड़ियों का खेल नहीं है

खेल बताशों का मेल है

अच्छी जोड़ी मिली है, बहुत उचित है, दो एक जैसी अच्छी वस्तुओं का मेल

क़िस्मत का सारा खेल है

भलाई और बुराई सब भाग्य से होती है

सारा खेल रूपे-पैसे का है

सफलता और शक्ति धन पर निर्भर है

सारा खेल तक़दीर का है

नविश्ता-ए-पूरा हो कर रहता है

टके का सारा खेल है

दुनिया के सब काम पैसे से ही होते हैं

लड़कों का खेल चिड़ियों का मरन

नासमझ के आगे बहादुरी और वीरता की कोई मूल्य नहीं

मुँह का निवाला तो नहीं है

सहज कार्य नहीं है

मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

कुँआँ बेचा है कुँएँ का पानी नहीं बेचा

ख़्वाह मख़्वाह हुज्जत या तकरार करने पर कहते हैं

खेल नहीं है

आसान नहीं, सहल नहीं

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम है

अच्छे व्यवहार और अच्छी सेवा की कोई शाबाश नहीं देता परंतु बुरी बात की तुरंत पकड़ हो जाती है

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

कुँवाँ बेचा है कुँवें का पानी नहीं बेचा

अनावश्यक या अतार्किक पूर्वशर्त, किसी मुआमले में ज़्यादा तकरार करने या ज़्यादा शर्तें लगाने के अवसर पर बोलते हैं

घोड़ी का गिरा सँभलता है नज़रों का गिरा नहीं सँभलता

इंसान एक बार नज़रों से गिर जाए तो फिर उसे इज़्ज़त नहीं मिलती

घोड़े का गिरा संभलता है, नज़रों का गिरा नहीं संभलता

जिस की साख जाती रहे वो कभी नहीं संभलता

कुवाँ बेचा है , कुँवें का पानी नहीं बेचा

बहाना तराशी या धोका देने के लिए जब कोई चाल चली जाये तो कहते हैं, चीज़ दे दी जाये और फ़ायदा ना उठाने दिया जाये नीज़ रुक : कौवा बेचा है कौए का पानी नहीं बेचा

लड़कों का खेल , चिड़ियों का मरन

ना समझ के आगे जाँबाज़ी और जांनिसारी की कुछ क़दर नहीं

लड़कों का बाबा है

लड़कों से भी ज़्यादा शरीर है, बहुत ही शरारती है

लड़कों का बावा है

लड़कों से भी ज़्यादा शरीर है, बहुत ही शरारती है

माल का मुँह करता है, जान का मुँह नहीं करता

कंजूस के प्रति कहते हैं कि माल के मुक़ाबले में जान की परवाह नहीं करता अर्थात चमड़ी जाए दमड़ी न जाए

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में वक़्त की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (ज़ाबते की पाबंदी ना करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मर्ज़ी हुई चले गए, गोया कि बेतकल्लुफ़ी का मिलना हो

सर्दी का मारा पनपता है अन्न का मारा नहीं पनपता

चाहे कपड़ा ना हो मगर पेट को रवी ज़रूर चाहिए, सर्दी का मारा बच जाता है फ़ाक़ों का मारा नहीं बचता

ज़र हे तो नर है नहीं तो कुम्हार का ख़र है

सम्मान रुपये पैसे से होता है, अगर आदमी के पास पैसा न हो तो उस का कोई सम्मान नहीं होता

पानी का हगा मुँह पर नहीं आता है

आसमान का थूका मुँह पर आता है, किए का फल मिलता है, दोष प्रकट हुए बिना नहीं रहता

कुत्ते तेरा मुँह नहीं, तेरे साईं का मुँह है

मालिक के हेतु उसके बुरे दास को भी झेलना पड़ता है

बंदे का चाहा कुछ नहीं होता, अल्लाह का चाहा सब कुछ होता है

ईश्वर की मर्ज़ी होती है बंदे या किसी व्यक्ति की मर्ज़ी नहीं होती

ऊँचे का गिरा तो सँभल सकता है, नज़रों का गिरा नहीं सँभलता

हाथ पांव टूट जाये तो ईलाज से ठीक ठाक होसकता है लेकिन इज़्ज़त पर हर्फ़ आजाए तो इस का कुछ ईलाज नहीं

खेल लड़कों का मौत चिड़ियों की

एक शख़्स के लिए तमाशा होता है दूसरे के लिए मुसीबत होती है, किसी की जान पर बनती है कोई लुतफ़ उठाता है

तलवार का ज़ख़्म भर जाता है , बात का नहीं भरता

ना सज़ा बात दिल में खटकती रहती है और ज़ख़म ख़ुशक हो जाता है

तलवार का घाव भर जाता है ज़बान का नहीं भरता

ता'न-ओ-तशनी' और अभद्र बोलने का असर तलवार के घाव से अधिक गहरा और देर तक रहने वाला होता है

चातुर का काम नहीं पातुर से अटके, पातुर का काम ये है लिया दिया सटके

बुद्धिमान आदमी वेश्या स्त्री के धोखे में नहीं फँसता, वेश्या का यही काम है कि लिया दिया अलग हुई

एक का मुँह शक्कर से भरा जाता है, सौ का मुँह ख़ाक से नहीं भरा जाता

थोड़े लोगों का अधिक अच्छा आदर-सत्कार किया जा सकता है, एक व्यक्ति की देख-भाल अच्छे से हो सकती है

ज़ाहिद का क्या ख़ुदा है हमारा ख़ुदा नहीं

ईश्वर सभी पर समान रूप से कृपालु है

तलवार का घाव भर जाता है ज़बान का घाव नहीं भरता

नाड़ी की कुछ सरत नहीं है दवा सभों की करते हैं, बेदों का क्या जाता है, लोग बिचारे मरते हैं

नब्ज़ देखना जानते नहीं और ईलाज करते हैं, ऐसे मुआलिजों का क्या बिगड़ता है, उन के ईलाज से लोग ही मरते हैं (अनाड़ी हकीमों के मुताल्लिक़ कहते हैं

मारते का हाथ पकड़ा जा सकता है कहते का मुँह नहीं पकड़ा जाता

बदज़बान की ज़बान नहीं रोकी जा सकती, किसी को कोई बात कहने से नहीं रोका जा सकता

मुर्दे का माल नहीं है

मुफ़्त में या अर्ज़ां ना मिल सकेगा

पोत का छल्ला नहीं है

मारते का हाथ पकड़ा जाता है कहते का मुँह नहीं पकड़ा जाता

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

तलवार का घाओ भरता है बात का घाओ नहीं भरता

सख़्त ताना ना गवार गुज़रता है

कुवा बेचा है कुवे का पानी नहीं बेचा

रुक : कंवां बेचा है कुँवें का पानी नहीं बेचा, ग़द्दार और बदमुआमला के क़ौल-ओ-फे़अल में तज़ाद होता है

जान का मुँह नहीं करते, रूपये का मुँह करते हैं

कंजूस के प्रति कहते हैं कि माल के मुक़ाबले में जान की परवाह नहीं करता अर्थात चमड़ी जाए दमड़ी न जाए

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

ज़िंदा का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

मारते का हाथ पकड़ा जाता है कहते की ज़बान नहीं पकड़ी जाती

बदज़बान की ज़बान नहीं रोकी जा सकती, किसी को कोई बात कहने से नहीं रोका जा सकता

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलते

इशारे से कहते हैं ज़बान से नहीं बोलते, साफ़ साफ़ नहीं कहते

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

बनी के सौ साले हैं और बिगड़ी का एक बहनोई नहीं होता

अच्छे समय में सब अपना मतलब निकालते हैं और बुरे समय में कोई काम नहीं आता

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसा भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो सलाम के जवाब में सिर्फ़ सर हिला दे , मग़रूर और बेवक़ूफ़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

मन भर का सर हिलाते हैं , पैसे भर की ज़बान नहीं हिलाई जाती

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

मारते के हाथ पकड़े जाते हैं कहते का मुँह नहीं पकड़ा जाता

मुँहफट की ज़बान नहीं रोकी जा सकती, किसी को कोई बात कहने से नहीं रोका जा सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में लड़कों का खेल नहीं है के अर्थदेखिए

लड़कों का खेल नहीं है

la.Dko.n kaa khel nahii.n haiلَڑْکوں کا کھیل نَہِیں ہے

वाक्य

लड़कों का खेल नहीं है के हिंदी अर्थ

  • दुशवार बात है, गौरतलब अमर है, आसान काम नहीं है

لَڑْکوں کا کھیل نَہِیں ہے کے اردو معانی

  • دشوار بات ہے ، غور طلب امر ہے ، آسان کام نہیں ہے

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