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मौत का घर घाट नहीं

मौत हर जगह आती है, इसका कोई स्थान नहीं है

धोबी का गधा घर का न घाट का

हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का

हर जगह से ठुकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद अर्थात कहीं का भी न रहना

कुत्ता घर का रहा न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का

मौत का घर

अधिक ख़तरनाक जगह जहाँ मर जाने का बहुत डर हो

घर का न घाट का

बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का

मलक-उल-मौत का घर देख लेना

۔دیکھو گھر دیکھ لینا۔؎

न घर का , न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

ख़ाला जी का घर नहीं

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

ख़ाला जी का घर नहीं है

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

झूटों का घर नहीं बस्ता

झूठ पनप नहीं पाता

मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

जिस का ज़र वही नहीं घर

ख़ावंद जिस का डर है वही घर में नहीं जो चाहो सौ करो

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है

मौत और गाहक का कोई ए'तिबार नहीं

मरने के लिए हर वक़्त तैयार रहना चाहिए मालूम नहीं किस वक़्त मौत आ जाए यही हाल गाहक का है इस लिए दुकानदार को भी हर वक़्त दुकान पर मौजूद रहना चाहिए

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

while the cat is away the mice will play

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

मौत के आगे किसी का बस नहीं चलता

मृत्यु सब को विवश कर देती है

'इश्क़ बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

गाहक और मौत का ठीक नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो

मौत के आगे किसी का बस नहीं चलता, मौत के आगे सब हारे

मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मृत्यु सब को हरा देती है, प्रत्येक जीव को मरना है, मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मौत से कोई नहीं बच सकता, हर जानदार को मरना है, कोई मौत से नहीं बच सकता

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

गाहक और मौत का पता नहीं कब आ जाए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

दिन का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

better late than never

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मौत का घर घाट नहीं के अर्थदेखिए

मौत का घर घाट नहीं

maut kaa ghar ghaaT nahii.nمَوت کا گَھر گھاٹ نَہِیں

कहावत

मौत का घर घाट नहीं के हिंदी अर्थ

  • मौत हर जगह आती है, इसका कोई स्थान नहीं है

مَوت کا گَھر گھاٹ نَہِیں کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • موت ہر جگہ آتی ہے اس کا کوئی مقام نہیں ہے

Urdu meaning of maut kaa ghar ghaaT nahii.n

  • Roman
  • Urdu

  • maut har jagah aatii hai is ka ko.ii nahii.n huy

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मौत का घर घाट नहीं

मौत हर जगह आती है, इसका कोई स्थान नहीं है

धोबी का गधा घर का न घाट का

हर तरफ़ से टकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद , उस शख़्स की बाबत कहेंगे जिसे हर तरफ़ से धुतकार देव गया हो

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का

हर जगह से ठुकराया हुआ, नाकाम-ओ-नामुराद अर्थात कहीं का भी न रहना

कुत्ता घर का रहा न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का

मौत का घर

अधिक ख़तरनाक जगह जहाँ मर जाने का बहुत डर हो

घर का न घाट का

बेठिकाना, अनुपयोगी, किसी लायक़ नहीं, वो जिस का कहीं ठिकाना न हो, धोबी का कुत्ता घर का ना घाट का

मलक-उल-मौत का घर देख लेना

۔دیکھو گھر دیکھ لینا۔؎

न घर का , न घाट का

रुक : धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का

ख़ाला जी का घर नहीं

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है

'आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

इसका मतलब है कि यह काम कुछ आसान नहीं है, कोई मेहनत का काम करना आसान नहीं है

जिस का डर वही नहीं घर

घर वाला उपस्थित नहीं जो चाहो करो, जब पति घर में नहीं तो चाहे जो करे, परम स्वतंत्र

आशिक़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

ख़ाला जी का घर नहीं है

सरल काम नहीं, साधारण बात नहीं

रहतों का घर नहीं होता

असल आबादी मालिक ही से होती है

झूटों का घर नहीं बस्ता

झूठ पनप नहीं पाता

मौसी का घर नहीं है

ख़ाला जी का घर नहीं है, आसान काम नहीं है, खेल नहीं है, किसी की सहजता और लापरवाही देखकर कहते हैं

कौनसा घर है जिस में मौत नहीं आती

मौत हर जगह आती है, हर जगह रहने वाले मरते हैं

जिस का ज़र वही नहीं घर

ख़ावंद जिस का डर है वही घर में नहीं जो चाहो सौ करो

नानी जी का घर नहीं है

रुक : ख़ाला जी का घर नहीं, आसान काम नहीं, हंसी खेल नहीं है

नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी कुछ घर की बात नहीं है कि जी में आया किया, न जी में आया न किया, नौकरी में पाबंदी ज़रूरी है, नौकरी आसान काम नहीं इस में पाबंदी बहुत ज़रूरी होती है

मौत और गाहक का कोई ए'तिबार नहीं

मरने के लिए हर वक़्त तैयार रहना चाहिए मालूम नहीं किस वक़्त मौत आ जाए यही हाल गाहक का है इस लिए दुकानदार को भी हर वक़्त दुकान पर मौजूद रहना चाहिए

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

सास मेरी घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

जब कोई निगरां नहीं तो में आज़ाद हूँ, सर धरे का सब को ख़ौफ़ होता है

सास मेरी घर नहीं मुझे किसी का डर नहीं

while the cat is away the mice will play

मियाँ मेरा घर नहीं , मुझे किसी का डर नहीं

रुक : मियां घर नहीं बीवी को डर नहीं, जो चाहे करूं जो चाहे ना करूं (औरतों में मुस्तामल)

कौन सा घर है जिस में मौत नहीं आई

मुसीबत और तकलीफ़ से कोई जगह ख़ाली नहीं

मौत के आगे किसी का बस नहीं चलता

मृत्यु सब को विवश कर देती है

'इश्क़ बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

'इश्क़-बाज़ी ख़ाला जी का घर नहीं

मुहब्बत करना बहुत मुश्किल है

गाहक और मौत का ठीक नहीं कब आवे

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

घर में अनाज नहीं मुल्क का करें राज

पास कुछ नहीं, बड़ाई बहुत

ये नौकरी है ख़ाला जी का घर नहीं

नौकरी में समय की पाबंदी और हाज़िरी ज़रूरी है (नियमों का पालन न करने पर कहते हैं), ये नहीं कि जब मन किया चले गए, मानो कि बेतकल्लुफ़ी अथवा अनौपचारिकता का मिलना हो

मौत के आगे किसी का बस नहीं चलता, मौत के आगे सब हारे

मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मृत्यु सब को हरा देती है, प्रत्येक जीव को मरना है, मृत्यु से कोई नहीं बच सकता, मौत से कोई नहीं बच सकता, हर जानदार को मरना है, कोई मौत से नहीं बच सकता

घर में नहीं अनाज, मुल्क का करें राज

निर्धनता में भी बड़ी बड़ी इच्छाएँ करना

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

गाहक और मौत का ठीक पता नहीं कब आए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

गाहक और मौत का पता नहीं कब आ जाए

ग्राहक और मृत्यु किसी समय भी आ सकते हैं इसलिए सदैव तैय्यार रहना चाहिए, दोनों के आने का कोई वक़्त नहीं, किसी वक़्त आ जाएँ, ये दोनों कभी भी आ सकते हैं इनके विषय में कुछ भी निश्चित नहीं

घर में चने का चून नहीं, गेहूँ की दो पो लाइयो

ग़रीब बड़बोले के संबंध में कहते हैं

बुढ़िया के मरने का रंज नहीं फ़रिश्तों ने घर देख लिया

एक बार के नुक़्सान का ग़म नहीं, चिंता ये है कि आगे के लिए नुक़्सानात का ख़तरा पैदा हो गया

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

दिन का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

दिन का भूला रात को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

जा की अच्छी सास वा का ही घर वास, जा की सास नकारा वा का नहीं गुज़ारा

जिस की सास अच्छी हो इस का गुज़ारा अच्छा होता है, जिस की सास बुरी हुबहू मुसीबत में रहती है

सुब्ह का भोला शाम को घर आ जाए तो उसे भोला नहीं कहना चाहिए

better late than never

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