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कभी

कदापि, कदाचित

कभी के

(दिल्ली) कब के, अब से बहुत पहले, किसी ज़माने या समय का, पहले का

कभी का

किसी ज़माने या समय का, पहले का, अतीत का, किसी काल का, बहुत समय पहले का, एक लंबे समय से, बहुत देर से

कभी-नहीं

हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं

कभी-कभी

रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं

कभी-कभीं

رک : کبھو ، کبھی .

कभी-कभार

किसी औसर पर, यदा-कदा, कभी-कभी, एकाध-बार, भूले-भटके, किसी रोज़

कभी-कधार

رک : کبھی کبھار .

कभी रंज, कभी गंज

कभी कष्ट है कभी सुख और चैन है, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं,

कभी न कभी

एक न एक दिन, किसी वक़्त

कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना

कभी ऐश, कभी कष्ट, कभी अमीर कभी ग़रीब, समय का परिवर्तन है

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, ज़माना और हालात बदलते रहते हैं

कभी कुछ है कभी कुछ है

यथास्थिति हमेशा नहीं रहती

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है

कभी ज़मीन पर, कभी आसमान पर

बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में क़ाबू से बाहर होने की जगह कहते हैं

कभी की प्रतीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कभी की प्रीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

कभी न गाँडू रन चढ़े, कभी न बाजे बम

कायर कभी रणभूमि में नहीं जाता और न कभी उसके आगे नक़्क़ारा अर्थात बाजा बजता है

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी

۔مثل۔ زمانہ ایک حال پر نہیں رہتا۔ ؎

कभी दिन बड़ा कभी शब तवील

रुक : कभी के दिन बड़े कभी की रातें

कभी तोला कभी माशा

एक हालत पर टिका न रहने वाला, कभी कुछ कभी कुछ, एक हालत पर क़रार नहीं है

कभी रात बड़ी कभी दिन बड़ा

ज़माना एक हाल पर नहीं रहता, तग़ी्यर-ओ-तबद्दुल ज़माने का मिज़ाज है

कभी न देखी चद्दर चदरी

डींग मारने वाली स्त्री के प्रति कहते हैं कि पास कुछ नहीं और बातें बड़ी बड़ी

कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम

नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता

कभी का दिया काम आया

कभी कोई अच्छा काम किया था जिसके कारण बला टल गई

कभी तो हमारे भी कोई थे

पुराना संबंध भुला दिया

कभी गाड़ी नाव पर कभी नाव गाड़ी पर

۔مثل۔ گاہے چُنیں گاہے چُناں کی جگہ۔ انقلاب ہوا ہی کرتا ہے۔ ترقی و تنزُّل لازمی ہے۔ ؎

कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर

कभी पदोन्नति होती है और कभी गिरावट, इन्क़िलाब होता ही रहता है, हालात बदलते रहते हैं

कभी न देखा बोरिया और सपने आई खाट

ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना

कभी शरमाया तो करो

दोस्त के नहीं आने की शिकायत

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

۔کنایہ ہے نازک مزاجی سے۔؎

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा होना

तबीअत हर समय बदलती रहना; चंचल स्वभाव होना, कभी ख़ुश कभी नाराज़ होना

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

पैसा कभी नहीं टिकता

दौलत ख़र्च हो कर रहती है

चलती फिरती छाँव है कभी इधर कभी उधर

सांसारिक वैभव क्या है, कभी किसी को मिलता है, कभी किसी को मिलता है

गिरगिट की तरह कभी काला कभी लाल होना

चेहरे का रंग बदलना

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

लोहार की कूँची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा व्यवहार, कभी कष्ट होती है कभी राहत

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में कभी ताश में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

लिखा कभी नहीं मिटता

तक़दीर का लिखा पूरा होकर रहता है

अब या कभी नहीं

Now or never

तुम्हारे नोते कभी नहीं खाते

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

तुम्हारे नोते कभी अघाते हैं

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

मैं तुम्हारा मारा कभी न बोला

मैं ने तुम्हारे हिसाब से कभी कुछ नहीं किया

मुसीबत कभी तनहा नहीं आती

कहते हैं कि इंसान पर जब कोई बुरा वक़्त आए तो परेशानियाँ और बढ़ जाती हैं

आँख से कभी देखी न होना

کسی چیز کو کھانے یا لینے میں بے صبری کرنا

बिगड़ा बेटा, खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी वस्तु कैसी ही ख़राब हो किसी न किसी समय ज़रूरत में काम दे जाती है

क़ज़ा भी कभी टलती है

death is inevitable

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

स्वभाव पर संगति का प्रभाव नहीं होता, स्वभाव की विकृति या दुष्टता कभी दूर नहीं होती, लाख प्रयास के बावजूद जब कोई बदलाव न हो तो कहते हैं

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कभी-कभार के अर्थदेखिए

कभी-कभार

kabhii-kabhaarکَبھی کَبھار

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 12121

टैग्ज़: अवामी

कभी-कभार के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

शे'र

English meaning of kabhii-kabhaar

Adverb

کَبھی کَبھار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • گاہے ماہے، کبھی کبھی، بعض اوقات، بھولے بھٹکے، کسی روز

Urdu meaning of kabhii-kabhaar

  • Roman
  • Urdu

  • gaahe-maahe, kabhii kabhii, baaaz auqaat, bhuule bhaTke, kisii roz

खोजे गए शब्द से संबंधित

कभी

कदापि, कदाचित

कभी के

(दिल्ली) कब के, अब से बहुत पहले, किसी ज़माने या समय का, पहले का

कभी का

किसी ज़माने या समय का, पहले का, अतीत का, किसी काल का, बहुत समय पहले का, एक लंबे समय से, बहुत देर से

कभी-नहीं

हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं

कभी-कभी

रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं

कभी-कभीं

رک : کبھو ، کبھی .

कभी-कभार

किसी औसर पर, यदा-कदा, कभी-कभी, एकाध-बार, भूले-भटके, किसी रोज़

कभी-कधार

رک : کبھی کبھار .

कभी रंज, कभी गंज

कभी कष्ट है कभी सुख और चैन है, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं,

कभी न कभी

एक न एक दिन, किसी वक़्त

कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना

कभी ऐश, कभी कष्ट, कभी अमीर कभी ग़रीब, समय का परिवर्तन है

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, ज़माना और हालात बदलते रहते हैं

कभी कुछ है कभी कुछ है

यथास्थिति हमेशा नहीं रहती

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है

कभी ज़मीन पर, कभी आसमान पर

बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में क़ाबू से बाहर होने की जगह कहते हैं

कभी की प्रतीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कभी की प्रीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

कभी न गाँडू रन चढ़े, कभी न बाजे बम

कायर कभी रणभूमि में नहीं जाता और न कभी उसके आगे नक़्क़ारा अर्थात बाजा बजता है

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

कभी का दिन बड़ा कभी की रात बड़ी

۔مثل۔ زمانہ ایک حال پر نہیں رہتا۔ ؎

कभी दिन बड़ा कभी शब तवील

रुक : कभी के दिन बड़े कभी की रातें

कभी तोला कभी माशा

एक हालत पर टिका न रहने वाला, कभी कुछ कभी कुछ, एक हालत पर क़रार नहीं है

कभी रात बड़ी कभी दिन बड़ा

ज़माना एक हाल पर नहीं रहता, तग़ी्यर-ओ-तबद्दुल ज़माने का मिज़ाज है

कभी न देखी चद्दर चदरी

डींग मारने वाली स्त्री के प्रति कहते हैं कि पास कुछ नहीं और बातें बड़ी बड़ी

कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम

नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता

कभी का दिया काम आया

कभी कोई अच्छा काम किया था जिसके कारण बला टल गई

कभी तो हमारे भी कोई थे

पुराना संबंध भुला दिया

कभी गाड़ी नाव पर कभी नाव गाड़ी पर

۔مثل۔ گاہے چُنیں گاہے چُناں کی جگہ۔ انقلاب ہوا ہی کرتا ہے۔ ترقی و تنزُّل لازمی ہے۔ ؎

कभी गाड़ी नाव पर और कभी नाव गाड़ी पर

कभी पदोन्नति होती है और कभी गिरावट, इन्क़िलाब होता ही रहता है, हालात बदलते रहते हैं

कभी न देखा बोरिया और सपने आई खाट

ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना

कभी शरमाया तो करो

दोस्त के नहीं आने की शिकायत

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

۔کنایہ ہے نازک مزاجی سے۔؎

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा होना

तबीअत हर समय बदलती रहना; चंचल स्वभाव होना, कभी ख़ुश कभी नाराज़ होना

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

पैसा कभी नहीं टिकता

दौलत ख़र्च हो कर रहती है

चलती फिरती छाँव है कभी इधर कभी उधर

सांसारिक वैभव क्या है, कभी किसी को मिलता है, कभी किसी को मिलता है

गिरगिट की तरह कभी काला कभी लाल होना

चेहरे का रंग बदलना

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

लोहार की कूँची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा व्यवहार, कभी कष्ट होती है कभी राहत

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में कभी ताश में

मनुष्य की हालत सामान्य नहीं रहती इस लिए तुच्छ दर्जे का काम करने में लज्जा नहीं करनी चाहीए

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

लिखा कभी नहीं मिटता

तक़दीर का लिखा पूरा होकर रहता है

अब या कभी नहीं

Now or never

तुम्हारे नोते कभी नहीं खाते

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

तुम्हारे नोते कभी अघाते हैं

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

मैं तुम्हारा मारा कभी न बोला

मैं ने तुम्हारे हिसाब से कभी कुछ नहीं किया

मुसीबत कभी तनहा नहीं आती

कहते हैं कि इंसान पर जब कोई बुरा वक़्त आए तो परेशानियाँ और बढ़ जाती हैं

आँख से कभी देखी न होना

کسی چیز کو کھانے یا لینے میں بے صبری کرنا

बिगड़ा बेटा, खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी वस्तु कैसी ही ख़राब हो किसी न किसी समय ज़रूरत में काम दे जाती है

क़ज़ा भी कभी टलती है

death is inevitable

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

स्वभाव पर संगति का प्रभाव नहीं होता, स्वभाव की विकृति या दुष्टता कभी दूर नहीं होती, लाख प्रयास के बावजूद जब कोई बदलाव न हो तो कहते हैं

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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