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कभी-कभार

किसी औसर पर, यदा-कदा, कभी-कभी, एकाध-बार, भूले-भटके, किसी रोज़

कभी रंज, कभी गंज

कभी कष्ट है कभी सुख और चैन है, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, जब जैसा समय आ जाए, भोगना ही पड़ता है

लोहार की कोंची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा बरताओ , कभी तकलीफ़ होती है कभी राहत

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी-कभीं

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

कभी-नहीं

हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

तुम्हारे नोते कभी अघाते हैं

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

तुम्हारे नोते कभी नहीं खाते

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

तैनत को सोहबत का कुछ असर नहीं होता, तबीयत की कजी या शरारत कभी नहीं जाती , लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली ना हो तो कहते हैं

मुसीबत कभी तनहा नहीं आती

कहते हैं कि इंसान पर जब कोई बुरा वक़्त आए तो परेशानियाँ और बढ़ जाती हैं

बेटियों वाला घर और चिलमों वाला चूल्हा कभी पनपता नहीं

जिस घर में बहुत सी बेटियां हूँ इस के मसारिफ़ बहुत ज़्यादा होते हैं जो उमूमन ख़ुशहाल नहीं होने देते जिस तरह वो चूल्हा जिस से बार बार हक़ीक़ी चिलिमें भरी जाएं पूरी आन नहीं देने पाता

साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में खबी ताश में

इंसान की हालत बकसां नहीं रहती लिहाज़ा अदना दर्जे का काम करने में श्रम नहीं करनी जाहीए

कभी ज़मीन पर, कभी आसमान पर

बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में क़ाबू से बाहर होने की जगह कहते हैं

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

रुक : जिस को ख़ुदा रखे उस को कौन चखे

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

बिगड़ा बेटा , खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी चीज़ कैसी ही ख़राब हूक़सी ना किसी वक़्त ज़रूरत में का दे जाती है

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा होना

तबीयत हरवक़त बदलती रहना , मुतलव्विन मिज़ाज होना, घड़ी में ख़ुश घड़ी में नाराज़ होना

अब या कभी नहीं

लिखा कभी नहीं मिटता

तक़दीर का लिखा पूरा होकर रहता है

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

कभी-कभी

रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

जो कभी न सुना था सुना

बदज़ुबानी सुनी, गालियां सुनी, बदज़बानी की बर्दाश्त की

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, समय के उलट-फेर को प्रकट करने के लिए कहते हैं, जमाना और हालात बदलते रहते हैं

कभी तोला कभी माशा

एक हालत पर टिका न रहने वाला, कभी कुछ कभी कुछ, एक हालत पर क़रार नहीं है

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

कभी न गाँडो रन चढ़े, कभी न बाजे हम

रुक : कभी ना कॉइर रन चढ़े अलख

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, चोरी का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

सम्धन का तकवा चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

कभी-कधार

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी शरमाया तो करो

दोस्त के ना आने का शिकवा

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

खोटा पैसा कभी काम आता है

रुक : खोटा, पैसा बुरे वक़्त के काम आता है

क़ज़ा भी कभी टलती है

कभी न देखा बोरिया और सुपने आई खाट

(ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र) नौ दौलत के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस ने पहले ये आसूदगी कहाँ देखी थी

चलती फिरती छाँव है कभी इधर कभी उधर

दुनियावी जाह-ओ-हशमत का किया है कभी किसी को हासिल होती है कभी किसी को

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

ये कौड़ी कभी पट पड़ी ही नहीं

ये तदबीर कभी नाकाम नहीं हुई, ये चाल हमेशा कारगर हुई है

कभी दिन बड़ा कभी शब तवील

रुक : कभी के दिन बड़े कभी की रातें

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

ख़ुदा का दिया नूर, कभी न होए दूर

(फ़ित्रती हुस्न को ज़ेबाइश की हाजत नहीं) अल्लाह ताला जो बख़्शता है वो हमशीह क़ायम रहता है

ज़ालिम तेरा ज़ुल्म कब तक रहेगा , कभी तो ख़ुदा हमारी भी सुनेगा

मज़लूम तंग आकर कहता है एक दिन मज़लूम की फ़र्याद भी ख़ुदा सुनता है और ज़ालिम के ज़ुलम से नजात मिलती है

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी बच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम

नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कभी-कभार के अर्थदेखिए

कभी-कभार

kabhii-kabhaarکَبھی کَبھار

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 12121

कभी-कभार के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

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English meaning of kabhii-kabhaar

Adverb

کَبھی کَبھار کے اردو معانی

فعل متعلق

  • گاہے ماہے، کبھی کبھی، بعض اوقات، بھولے بھٹکے، کسی روز

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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