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कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

चलती फिरती छाँव है कभी इधर कभी उधर

दुनियावी जाह-ओ-हशमत का किया है कभी किसी को हासिल होती है कभी किसी को

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी रंज, कभी गंज

कभी कष्ट है कभी सुख और चैन है, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, जब जैसा समय आ जाए, भोगना ही पड़ता है

कभी-कभी

रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, समय के उलट-फेर को प्रकट करने के लिए कहते हैं, जमाना और हालात बदलते रहते हैं

कभी-कभीं

इधर से उधर उधर से इधर

कभी-नहीं

हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं

आँखें इधर-उधर होना

निगाहें परेशान होना, किसी एक वस्तु पर दृष्टि स्थिर न होना, विचार में बिखराव होना

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

कभी तोला कभी माशा

एक हालत पर टिका न रहने वाला, कभी कुछ कभी कुछ, एक हालत पर क़रार नहीं है

लोहार की कोंची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा बरताओ , कभी तकलीफ़ होती है कभी राहत

कभी ज़मीन पर, कभी आसमान पर

बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में क़ाबू से बाहर होने की जगह कहते हैं

इधर-उधर में रहना

मुख़्तलिफ़ अलन्नवा उमूर में लगे रहना

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा होना

तबीयत हरवक़त बदलती रहना , मुतलव्विन मिज़ाज होना, घड़ी में ख़ुश घड़ी में नाराज़ होना

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

इधर-उधर

यहां वहां, दोनों तरफ़, दोनों दिशा में, दाएं-बाएं, आमने-सामने, आस-पास, जगह जगह, चारों तरफ़, किसी ना-मालूम जगा

इधर कुंवाँ उधर खाई

हर तरह नुक़्सान, दो विपत्तियों के बीच में, कुछ करते नहीं बनती, दोनों तरफ़ मुसीबत

इधर-उधर की हाँकना

इधर की बातें उधर करना

तुम्हारे नोते कभी अघाते हैं

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

तुम्हारे नोते कभी नहीं खाते

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

मुसीबत कभी तनहा नहीं आती

कहते हैं कि इंसान पर जब कोई बुरा वक़्त आए तो परेशानियाँ और बढ़ जाती हैं

अब या कभी नहीं

लिखा कभी नहीं मिटता

तक़दीर का लिखा पूरा होकर रहता है

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

कभी-कभार

किसी औसर पर, यदा-कदा, कभी-कभी, एकाध-बार, भूले-भटके, किसी रोज़

न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम , न इधर के रहे न उधर के रहे

ऐसा काम किया गया कि हर तरह नुक़्सान हुआ, कोई काम पूरा नहीं हुआ

कभी-कधार

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

तैनत को सोहबत का कुछ असर नहीं होता, तबीयत की कजी या शरारत कभी नहीं जाती , लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली ना हो तो कहते हैं

बिगड़ा बेटा , खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी चीज़ कैसी ही ख़राब हूक़सी ना किसी वक़्त ज़रूरत में का दे जाती है

इधर-उधर-फिरना

उधर-इधर घूमना, आवारगी, भटकना, विचलन

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

इधर-उधर की

इधर-उधर का

इधर-उधर करना

रुक: 'इधर उधर होना' जजिस का ये तादिया है

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

कभी न गाँडो रन चढ़े, कभी न बाजे हम

रुक : कभी ना कॉइर रन चढ़े अलख

मुँह इधर से उधर हो जाना

रख बदल जाना, शर्मिंदा होजाना, शर्मिंदगी के सबब चेहरा मुड़ जाना

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

इधर-उधर होना

ग़ायब होना, ज़ाए होना, बे जगह होना

जो कभी न सुना था सुना

बदज़ुबानी सुनी, गालियां सुनी, बदज़बानी की बर्दाश्त की

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में खबी ताश में

इंसान की हालत बकसां नहीं रहती लिहाज़ा अदना दर्जे का काम करने में श्रम नहीं करनी जाहीए

बेटियों वाला घर और चिलमों वाला चूल्हा कभी पनपता नहीं

जिस घर में बहुत सी बेटियां हूँ इस के मसारिफ़ बहुत ज़्यादा होते हैं जो उमूमन ख़ुशहाल नहीं होने देते जिस तरह वो चूल्हा जिस से बार बार हक़ीक़ी चिलिमें भरी जाएं पूरी आन नहीं देने पाता

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

इधर बाईं उधर कुवा

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

रुक : जिस को ख़ुदा रखे उस को कौन चखे

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

इधर से उधर करना

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी शरमाया तो करो

दोस्त के ना आने का शिकवा

इधर से उधर होना

ग़ायब होना, कम होना

तिनका इधर-उधर होना

۔बे तरतबी होने की जगह।

दोनों तरफ़ से गए पांडे , इधर हल्वा न उधर माँडे

रुक : दोनों दीन से किए पांडे उलुग़

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर के अर्थदेखिए

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

kamiin kabhii ko.nDe ke idhar kabhii udharکَمِین کَبھی کون٘ڈے کے اِدَھر کَبھی اُدَھر

कहावत

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर के हिंदी अर्थ

  • कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है
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کَمِین کَبھی کون٘ڈے کے اِدَھر کَبھی اُدَھر کے اردو معانی

  • کم ہمّت کمینہ کھانے کے گرد رہتا ہے .

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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