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क़ज़ा भी कभी टलती है

कहीं हाथों की लकीरें भी टलती हैं

कहीं तक़दीर भी ख़ता करती है, कहीं रिश्ते भी छूओटते हैं, अपनों का अपनों को छोड़ना मुम्किन नहीं, अपनों का छूओटना और रिश्ता टूटना दुशवार है

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

टोटकों से गाजें नहीं टलती हैं

उच्च लक्ष्यों और महान उद्देश्य को महान योजनाओं और गंभीर रणनीति द्वारा प्राप्त किया जाता है, सरल उपाय महान चीजों को पूरा नहीं करते हैं

हाथ की लकीरें कहीं टलती हैं

रुक : हाथ की लकीरें कहीं मिट्टी हैं / नहीं मिटतीं

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

यूँ भी है और यूँ भी

इस तरह भी है इस तरह भी (ज़ौ मानी बात कहने के मौक़ा पर मुस्तामल)

बिगड़ा बेटा , खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी चीज़ कैसी ही ख़राब हूक़सी ना किसी वक़्त ज़रूरत में का दे जाती है

तुम्हारे नोते कभी अघाते हैं

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

जहाँ गुल है वहाँ ख़ार भी है

राहत के साथ तकलीफ़ और ख़ुशी के साथ रंज लगा हुआ है , दोस्त-ओ-दुश्मन हर जगह हुआ कुत्ते हैं

कहीं ओस से भी प्यास बुझी है

चीज़ ज़रूरत के मुताबिक़ होनी चाहिए, ज़्यादा की ज़रूरत को थोड़ी चीज़ पूरा नहीं करसकती

कहीं ओस से भी प्यास बुझती है

चीज़ ज़रूरत के मुताबिक़ होनी चाहिए, ज़्यादा की ज़रूरत को थोड़ी चीज़ पूरा नहीं करसकती

कहीं हथेली पर भी सरसों जमती है

'आजिज़ी ख़ुदा को भी पसंद है

हमाहमी मुँह में भी ज़बान है

रुक : हमारे भी मुँह में ज़बान है , हम भी इस सवाल का जवाब दे सकते हैं, हम भी बात करने की क़ुदरत रखते हैं

हमारा मुँह में भी ज़बान है

हम भी इस सवाल का जवाब दे सकते हैं, हम भी बात करने की क़ुदरत रखते हैं

हमाहमी भी मुँह में ज़बान है

हमें भी जवाब देना आता है , रुक : हमारे मुँह में भी ज़बान है

कुछ बसंत की भी ख़बर है

दुनिया की स्थितियों से भी कुछ सूचित हैं, सावधान करने के लिए बोलते हैं

ये ज़ाहिद-ए-मक्कार इधर भी है उधर भी है

ज़ाहिर में इबादतगुज़ार लेकिन दरपर्दा मक्कार है

नींद सूली पर भी आती है

नींद एक फ़ित्री अमल है जो हर हालत में आ जाती है , आदत कभी नहीं रुकती

सूली पर भी नींद आती है

जुनून में भी लुत्फ़ है

हम भी हैं वो भी हैं

हमारा उन का मुक़ाबला है देखें कौन बढ़ता है

है हुवाए कुछ भी नहीं

बिलकुल नादार है, बिलकुल मुफ़लिस है

ये भी हो सकता है

यह भी संभव है, इस का भी संभावना है

यूँ भी होता है

यूँ भी है, ऐसे भी होता है, इस तरह भी होता है

नींद सूली पर भी आ जाती है

नींद एक फ़ित्री अमल है जो हर हालत में आ जाती है , आदत कभी नहीं रुकती

सूली पर भी नींद आ जाती है

अभी सेर में से पौनी भी नहीं कती है

अभी काम का आरंभ है

हजाम का उस्तुरा मेरे सर पर भी फिरता है , तुम्हारे सर पर भी

में और तुम एक जैसे हैं, सब लोग एक जैसे हैं, यकसाँ बरताओ के मौक़ा पर मुस्तामल

गेहूँ के साथ घुन भी पिस जाता है

नक्टों में एक नाक वाला भी नाकू होता है

बहुत से बे हुनरों में एक हुनरवर भी अंगुश्तनुमा हो जाता है, बहुत से नुक़्स वालों में एक बेऐब भी गोया अयुबी ख़्याल किया जाता / बिन कर रह जाता है, अंधों में काना राजा

ये भी यारों की ऐक धज है

ख़िलाफ़-ए-वज़ा कोई बात सरज़द हो तो इस के लिए नाक़ाबिल-ए-क़बूल उज़्र तराशने के मौक़ा पर कहते हैं

खोटा पैसा कभी काम आता है

रुक : खोटा, पैसा बुरे वक़्त के काम आता है

जहाँ गुल होगा वहाँ ख़ार भी है

सुख के साथ दुख लगा है

ये भी ख़ुदाई है

यह भी ईश्वर की महिमा है, यह भी ईश्वर का करना है, ईश्वर के करने से ऐसा भी संभव हुआ है

कभी रंज, कभी गंज

कभी कष्ट है कभी सुख और चैन है, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, जब जैसा समय आ जाए, भोगना ही पड़ता है

कहीं नाख़ुन से भी गोश्त जुदा होता है

अपनों को छोड़ना कठिन है, रिश्ता किसी तरह नहीं छूटता, अपनों से अपने नहीं छूट सकते, घर का आदमी हमेशा घर का ही रहेगा

लूट में चर्ख़ा भी ग़नीमत है

मुफ़्त की मामूली चीज़ भी अच्छी लगती है

सुनार अपनी माँ की नथ में से भी चुराता है

सुनारों की बेईमानी पर व्यंग है कि ये किसी को भी नहीं छोड़ते

कभी-कभी

रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं

नक्टों में एक नाक वाला भी नक्कू होता है

बहुत से बे हुनरों में एक हुनरवर भी अंगुश्तनुमा हो जाता है, बहुत से नुक़्स वालों में एक बेऐब भी गोया अयुबी ख़्याल किया जाता / बिन कर रह जाता है, अंधों में काना राजा

फ़ाक़ों में हराम भी हलाल हो जाता है

मजबूरी में सब जायज़ हो जाता है

ख़बर भी है

इल्ज़ाम देने को कहते हैं यानी तुम नहीं जानते

मुवा घोड़ा भी कहीं घाँस खाता है

मरने के बाद जो रसूमात होती हैं उन पर तंज़ है , बूढ़ा आदमी अय्याशी करे कहते हैं

कुछ गिरह में भी है

नया धोबी गठरी में भी साबुन लगाता है

दिखावे के लिए ज़्यादा मेहनत करने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

पत्थर को जोंक नहीं लगती कहीं पत्थर में भी जोंग लगी है

आटे के साथ घुन भी पिसता है

तिनके का एहसान भी बहुत होता है

ख़ाविंद चोन का भी बुरा होता है

मालिक अगर आटे का बना हुआ भी हो तो बुरा होता है मतलब ये है कि चाहे मालिक कितना सीधा और नेक हो मगर ख़िदमतगार को हमेशा बुरा लगता है

कुत्ता भी अपने घर में शेर होता है

अहने इलाक़े में हर शख़्स की जुर्रत बढ़ जाती है , हिमायतों को देख कर सब के हौसले बढ़ जाते हैं, अपने ठिकाने पर मौजूद हो तो इंसान का हौसला बढ़ा हुआ होता है

कुत्ता भी अपनी गली में शेर होता है

अहने इलाक़े में हर शख़्स की जुर्रत बढ़ जाती है , हिमायतों को देख कर सब के हौसले बढ़ जाते हैं, अपने ठिकाने पर मौजूद हो तो इंसान का हौसला बढ़ा हुआ होता है

अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है

अपने क्षेत्र में हर व्यक्ति की बहादुरी और साहस बढ़ जाता है, समर्थन मिलने पर कायर भी बहादुर हो जाता है (ऐसे व्यक्ति के लिए बोलते हैं जो दूसरे की हिमायत के बल पर धमकाए या ऐंठे

हम भी हैं पाँचवें सवारों में

शेखी ख़ोरे की निसबत कहते हैं जिस की कुछ हक़ीक़त ना हो और वो ख़ुद को ख़्वामख़्वाह बड़े लोगों में शामिल करे

कभी-कभीं

शैतान ने भी लड़कों से पनाह माँगी है

लड़के शैतान से ज़्यादा शरीर होते हैं, लड़कों से शैतान ने भी तौबा की है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क़ज़ा भी कभी टलती है के अर्थदेखिए

क़ज़ा भी कभी टलती है

qazaa bhii kabhii Taltii haiقَضا بھی کَبھی ٹَلتی ہے

English meaning of qazaa bhii kabhii Taltii hai

  • death is inevitable

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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