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कभी न कभी

एक न एक दिन, किसी वक़्त

कभी न गाँडू रन चढ़े, कभी न बाजे बम

कायर कभी रणभूमि में नहीं जाता और न कभी उसके आगे नक़्क़ारा अर्थात बाजा बजता है

मैं तुम्हारा मारा कभी न बोला

मैं ने तुम्हारे हिसाब से कभी कुछ नहीं किया

कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम

नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता

आँख से कभी देखी न होना

کسی چیز کو کھانے یا لینے میں بے صبری کرنا

कभी न देखी चद्दर चदरी

डींग मारने वाली स्त्री के प्रति कहते हैं कि पास कुछ नहीं और बातें बड़ी बड़ी

बिगड़ा बेटा, खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी वस्तु कैसी ही ख़राब हो किसी न किसी समय ज़रूरत में काम दे जाती है

जो कभी न सुना था सुना

बदज़ुबानी सुनी, गालियां सुनी, बदज़बानी की बर्दाश्त की

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

ख़ुदा का दिया नूर, कभी न होए दूर

(प्राकृतिक सुंदरता को सौंदर्यीकरण की आवश्यकता नहीं) ईश्वर जो देता है वह हमेशा क़ायम रहता है

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

अल्लाह का दिया नूर कभी न होवे दूर

बालों की सफेदी ख़िज़ाब के बावजूद झलकती रहती है

'इल्लत धोए धाए जाए, 'आदत कभी न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

खत्री पुत्रम , कभी न मित्रम , जब देखो जब दगम दगा

खत्रियों की बेवफ़ाई मशहूर है किसी का दोस्त नहीं होता, मौक़ा मिलते ही दग़ा देता है

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

जिस की ईश्वर रक्षा करे उसे कोई हानि नहीं पहुँचा सकता

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी न देखा बोरिया और सपने आई खाट

ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

लारा लबेरी का यार, कभी न उतरा पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, चोरी का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी बच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

सम्धन का तकवा चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

कच्चे बाँस को जिधर निवाओ नियो जाए और पक्का कभी टेढ़ा न हो

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक माँ लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

नाई दाई , धोबी , बेद , क़साई उन का सू तक कभी न जाई

ये चारों हमेशा से कसीफ़ तबीयत होते हैं, ये चारों हमेशा नापाक रहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कभी न कभी के अर्थदेखिए

कभी न कभी

kabhii na kabhiiکَبھی نَہ کَبھی

कभी न कभी के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • एक न एक दिन, किसी वक़्त
  • गाहे-माहे, भूले बिसरे

शे'र

English meaning of kabhii na kabhii

Adverb

  • at some time or other

کَبھی نَہ کَبھی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • ایک نہ ایک دن، کسی وقت
  • گاہے ماہے، بھولے بسرے

Urdu meaning of kabhii na kabhii

  • Roman
  • Urdu

  • ek na ek din, kisii vaqt
  • gaahe-maahe, bhuule bisre

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कभी न कभी

एक न एक दिन, किसी वक़्त

कभी न गाँडू रन चढ़े, कभी न बाजे बम

कायर कभी रणभूमि में नहीं जाता और न कभी उसके आगे नक़्क़ारा अर्थात बाजा बजता है

मैं तुम्हारा मारा कभी न बोला

मैं ने तुम्हारे हिसाब से कभी कुछ नहीं किया

कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम

नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता

आँख से कभी देखी न होना

کسی چیز کو کھانے یا لینے میں بے صبری کرنا

कभी न देखी चद्दर चदरी

डींग मारने वाली स्त्री के प्रति कहते हैं कि पास कुछ नहीं और बातें बड़ी बड़ी

बिगड़ा बेटा, खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी वस्तु कैसी ही ख़राब हो किसी न किसी समय ज़रूरत में काम दे जाती है

जो कभी न सुना था सुना

बदज़ुबानी सुनी, गालियां सुनी, बदज़बानी की बर्दाश्त की

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

ख़ुदा का दिया नूर, कभी न होए दूर

(प्राकृतिक सुंदरता को सौंदर्यीकरण की आवश्यकता नहीं) ईश्वर जो देता है वह हमेशा क़ायम रहता है

कुत्ता टेढ़ी पूँछ है , कभी न सीधी हो

बद आदमी की बदख़स्लत नहीं जाती

अल्लाह का दिया नूर कभी न होवे दूर

बालों की सफेदी ख़िज़ाब के बावजूद झलकती रहती है

'इल्लत धोए धाए जाए, 'आदत कभी न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

खत्री पुत्रम , कभी न मित्रम , जब देखो जब दगम दगा

खत्रियों की बेवफ़ाई मशहूर है किसी का दोस्त नहीं होता, मौक़ा मिलते ही दग़ा देता है

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

जिस की ईश्वर रक्षा करे उसे कोई हानि नहीं पहुँचा सकता

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी न देखा बोरिया और सपने आई खाट

ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र, हैसियत से बाहर ऊँचे ख्याल बांधना

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

लारा लबेरी का यार, कभी न उतरा पार

बहाना-बाज़ एवं बकवास करने वाला कभी सफल नहीं होता

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, चोरी का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी बच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

सम्धन का तकवा चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

कच्चे बाँस को जिधर निवाओ नियो जाए और पक्का कभी टेढ़ा न हो

बच्चों को शुरू में जैसी शिक्षा दी जाती है वे वैसे ही अच्छे या बुरे बन जाते हैं क्योंकि उनकी बुद्धि कोमल होती है, बड़े होने पर सिखाने का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता

धन जोड़न के ध्यान में यूँही 'उम्र न खो, मोती बर्गे मोल के कभी न ठीकर हो

धन जमा करने के चक्कर में आयु नहीं बितानी चाहिए, ठीकरी मोती के समान नहीं हो सकती

झूटी तो होती नहीं कभी भी साँची बात, जैसे टहनी ढाक माँ लगे न चौथा पात

झूठ कभी सच नहीं हो सकता जैसे ढाक में चौथा पत्ता नहीं हो सकता

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

नाई दाई , धोबी , बेद , क़साई उन का सू तक कभी न जाई

ये चारों हमेशा से कसीफ़ तबीयत होते हैं, ये चारों हमेशा नापाक रहते हैं

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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