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मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा होना

तबीयत हरवक़त बदलती रहना , मुतलव्विन मिज़ाज होना, घड़ी में ख़ुश घड़ी में नाराज़ होना

कभी तोला कभी माशा

एक हालत पर टिका न रहने वाला, कभी कुछ कभी कुछ, एक हालत पर क़रार नहीं है

मिज़ाज तोला माशा होना

۔किनाया है कमाल नाज़ुक मिज़ाजी से।

कभी रंज, कभी गंज

कभी कष्ट है कभी सुख और चैन है, परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, जब जैसा समय आ जाए, भोगना ही पड़ता है

कभी-कभी

रह-रह कर, किसी समय, किसी अवसर पर, कुछ समयांतराल पर, कभी कभार, वक़तन फ़वक़तन, बहुत कम, कभी कभी ख़त भेज दिया करो, वो यहां कभी कभी आजाते हैं

तोला-माशा

जल्द बदल जाने वला

कहीं तोला, कहीं माशा

रुक : कभी तौला, कभी माशा नीज़ घड़ी तौला घड़ी माशा

कभी-कभीं

कभी-नहीं

हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं

कभी कूँडी के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

कभी कूँडे के उस पार कभी इस पार

सख़्त सस्ती और काहिली ज़ाहिर करने को कहते हैं कि एक ही दायरा में रहता है, कम हिम्मत की सनबत बोलते हैं

लोहार की कोंची, कभी आग में कभी पानी में

सब से एक जैसा बरताओ , कभी तकलीफ़ होती है कभी राहत

कभी ज़मीन पर, कभी आसमान पर

बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में क़ाबू से बाहर होने की जगह कहते हैं

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

कमीन कभी कोंडे के इधर कभी उधर

कम हिम्मत कमीना खाने के गर्द रहता है

तुम्हारे नोते कभी अघाते हैं

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

तुम्हारे नोते कभी नहीं खाते

तुम्हारा वाअदा कभी पूरा नहीं होता

मुसीबत कभी तनहा नहीं आती

कहते हैं कि इंसान पर जब कोई बुरा वक़्त आए तो परेशानियाँ और बढ़ जाती हैं

कभी के दिन बड़े कभी की रातें

संसार एक हाल पर स्थिर नहीं, कभी उन्नति है कभी अवनति, समय के उलट-फेर को प्रकट करने के लिए कहते हैं, जमाना और हालात बदलते रहते हैं

अब या कभी नहीं

लिखा कभी नहीं मिटता

तक़दीर का लिखा पूरा होकर रहता है

कभी न सोई सांतरा सुपने आई खाट

हमेशा के कंगाल दिल में ख़्याल तवंगरी का

कभी-कभार

किसी औसर पर, यदा-कदा, कभी-कभी, एकाध-बार, भूले-भटके, किसी रोज़

कभी-कधार

कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती

तैनत को सोहबत का कुछ असर नहीं होता, तबीयत की कजी या शरारत कभी नहीं जाती , लाख कोशिश के बावजूद जब कोई तबदीली ना हो तो कहते हैं

बिगड़ा बेटा , खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी चीज़ कैसी ही ख़राब हूक़सी ना किसी वक़्त ज़रूरत में का दे जाती है

सख़ी का ख़ज़ाना कभी ख़ाली नहीं होता

उदार व्यक्ति के पास हमेशा रुपया रहता है

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

कभी न गाँडो रन चढ़े, कभी न बाजे हम

रुक : कभी ना कॉइर रन चढ़े अलख

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं

अत्याचार का परिणाम अच्छा नहीं होता

जो कभी न सुना था सुना

बदज़ुबानी सुनी, गालियां सुनी, बदज़बानी की बर्दाश्त की

दर्ज़ी की सूई कभी टाट में खबी ताश में

इंसान की हालत बकसां नहीं रहती लिहाज़ा अदना दर्जे का काम करने में श्रम नहीं करनी जाहीए

बेटियों वाला घर और चिलमों वाला चूल्हा कभी पनपता नहीं

जिस घर में बहुत सी बेटियां हूँ इस के मसारिफ़ बहुत ज़्यादा होते हैं जो उमूमन ख़ुशहाल नहीं होने देते जिस तरह वो चूल्हा जिस से बार बार हक़ीक़ी चिलिमें भरी जाएं पूरी आन नहीं देने पाता

सय्यद का जना, कभी बिगड़ा कभी बना

सय्यद को मतोन उल-मिज़ाज तसो्वर कर के कहते हैं तंग मिज़ाज

जिस को ख़ुदा बचाए उस पर कभी न आफ़त आए

रुक : जिस को ख़ुदा रखे उस को कौन चखे

कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती

रुक : कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नहीं होती

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी शरमाया तो करो

दोस्त के ना आने का शिकवा

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

कभी दिन बड़ा कभी शब तवील

रुक : कभी के दिन बड़े कभी की रातें

उत मत कभी न जा रे मीता, जित रहता हो सिंह और चीता

जहाँ अत्याचारी एवं निर्दयी रहते हों वहाँ नहीं जाना चाहिए

चलती फिरती छाँव है कभी इधर कभी उधर

दुनियावी जाह-ओ-हशमत का किया है कभी किसी को हासिल होती है कभी किसी को

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

घड़ी में माशा घड़ी में तोला

रुक : घड़ी में तौला घड़ी में माशा

खोटा पैसा कभी काम आता है

रुक : खोटा, पैसा बुरे वक़्त के काम आता है

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, चोरी का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

सम्धन का तकला चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

क़ज़ा भी कभी टलती है

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवे चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

कभी न पूजी द्वारका कभी न करवा चौत तू गधी कुम्हार की तुझे राम से कोत

ना तजुर्बा कार से काम दरुस्त नहीं होरा, औक़ात से ज़्यादा काम ना करना चाहिए

सम्धन का तकवा चुभ चुभ जा, हाथ का लपका कभी न जा

इंसान को जब कोई बुरी आदत पड़ जाती है तो चाहे उस की वजह से कैसी ही ज़िल्लत या तकलीफ़ हो वो आदत कभी नहीं जाती. चोरी की आदी एक औरत ने अपनी समधिन के घर से चरखे का तकुला चुरा कर अपने नेफ़े में रख लिया, वो तकुला चुभ चुभ जाता था जिस से वो बेकल थी और बार बार कहती समधिन का तकुला चुभ चुभ जा. मेरे हाथ का लपका कभी ना जा

क़साई का बच्चा कभी न सच्चा जो सच्चा सो हरामी कच्चा

कसाई की बात का एतबार नहीं ये दोस्त को सब से बुरा माल देता है

कभी न काइर रन चढ़े और कभी न बाजे हम

नामर्द किसी जोगा नहीं होता, पस्तहिम्मत से काम नहीं होता, बुज़दिल से कुछ नहीं होसकता

कभी न देखा बोरिया और सुपने आई खाट

(ख़्याली पुलाव पकाने वाले पर नज़र) नौ दौलत के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस ने पहले ये आसूदगी कहाँ देखी थी

माशा तोला होना

ये कौड़ी कभी पट पड़ी ही नहीं

ये तदबीर कभी नाकाम नहीं हुई, ये चाल हमेशा कारगर हुई है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मिज़ाज कभी तोला कभी माशा के अर्थदेखिए

मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

mizaaj kabhii tola kabhii maashaمِزاج کَبھی تولَہ کَبھی ماشَہ

مِزاج کَبھی تولَہ کَبھی ماشَہ کے اردو معانی

  • ۔کنایہ ہے نازک مزاجی سے۔؎

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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मिज़ाज कभी तोला कभी माशा

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