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कम खाए ग़म न खाए

ग़म इंसान को तहलील करदेता है, क़र्ज़ लेकर खाने से कम खाना या फ़ाक़ा भला, कम खाने से आदमी नहीं मरता बल्कि ग़म उसे तबाह करदेता है, मुराद ये है कि कम खाने वाले को कोई ग़म नहीं होता, बीमारी से भी महफ़ूज़ रहता है और अख़राजात भी कम होते हैं

शेर खाए न खाए मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

नक्टे का खाए उकटे का न खाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

नकटे का खाए ओझे का न खाए

۔مثل۔ کمینہ کا احسانمند نہ ہونا چاہیے۔

भेड़िया खाए तो न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

डाइन खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

खाए तो मुँह लाल, न खाए तो मुँह लाल

बदनाम व्यक्ति कोई अपराध करे या न करे इल्ज़ाम उसी पर आता है

न बासी बचे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

न बासी रहे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

न बासी बचे , न कुत्ता खाए

۔ (عو) نہ زیادہ ہوگا ۔نہ ضائع جائے گا۔ (رویائے صادقہ) اس میں شکل نہیں کہ باسی کھانا بدمزہ ہوجاتاہے لیکن صادقہ کا اندازہ ایسا ٹھیک تھا کہ کبھی کچھ بچتا نہ تھا۔ اس کا اصول یہ تھا کہ نہ باسی بچے نہ کتّا کھائے۔

डायन खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

शेर खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

बासी बचे न कुत्ता खाए

जो पास हो ख़र्च कर डालना, न बचे न नुक़्सान का डर हो

बासी रहे न कुत्ता खाए

जो पास हो ख़र्च कर डालना, न बचे न नुक़्सान का डर हो

बूर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए सो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

बौर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

'अक़्ल न ज्ञान, थप्पड़ खाए समझ भान

समझ कुछ नहीं सदमे उठाकर कर सीख जाएगा

नक्टे का खाए उकटे का न खिलाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे आए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाया

जो खाने को न दे उसका भला न हो

कमाए न धमाए मोको भूज भूज खाए

औरत अपने निखटू् पति की शिकायत करती है कि कमाता कुछ नहीं और मुझे तंग करता रहता है

मारा मुँह तबाक़ आगे धरा न खाए

मारे हुए आदमी का खाने को भी दिल नहीं चाहता

गधे के खाए खेत न हरलू के न परलू के

नालायक़ के साथ सुलूक करने से कोई फ़ायदा नहीं

कहा न अबला कर सके न सिंधू समाए, कहा न पावक में जड़े कहा काल न खाए

कौन सा काम है जो औरत नहीं कर सकती और कौन सी चीज़ में जो समुंद्र में नहीं समा सकती, कौन सी चीज़ है जिसे आग नहीं जला सकती, और कौन चीज़ है जिसे मौत नहीं आती

दाना न खाए , न पानी पीवे , वो आदमी कैसे जीवे

जो खाए पीए नहीं वो कैसे ज़िंदा रह सकता है, जो रंज-ओ-ग़म की वजह से खाना पीना छोड़ दे ऐसे शख़्स को कहते हैं

अल्सी का झोड़ा न गधा खाए न घोड़ा

کسی کام کا نہیں، کسی مصرف کا نہیں، عمر رسیدہ شخص اپنے متعلق کسرِ نفسی کے طور پر کہتا ہے

लुटिया डूबी ऐ हरदास घोड़ी दाना खाए न घास

काम बिलकुल बिगड़ गया अब इस के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं

लुटिया डूबी रहे हरदास घोड़ी दाना खाए न घास

काम बिलकुल बिगड़ गया अब इस के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं

खेती करे न बनजे जाए, बिद्दिया के बल बैठा खाए

शिक्षा सबसे अच्छा है

बड़ा बोल न बोले, बड़ा लुक़्मा न खाए

घमंड करना और बड़ा निवाला तकलीफ़ पहुँचाने में दोनों समान हैं

कमाए न धमाए , मौ को भोज भोज खाए

(औरत अपने निखटू् ख़ावंद की शिकायत करती है) कमाता कुछ नहीं और मुझे तंग करता रहता है, नकठो आदमी हमेशा बीवी के लिए मुसीबत होता है

अगर पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

If wishes were horses beggars would ride.

बी बी वारे बाँदी खाए, घर की बला कहीं न जाए

घर की मालिका अगर दान-दक्षिणा घर ही में बाँदी को दे दे तो उसका देना न देना बराबर है

कहूँ तो माँ मारी जाए, न कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

हर प्रकार से संकट है, न कहते बनता है न चुप रहते

दादे राज न खाए पान , दाँत दिखावत गए परान

जो शख़्स नई चीज़ दिखाता फिरे उस की निस्बत कहते हैं

बर कन्या को चेचक खाए, नाव काट का कहीं न जाए

हर हाल में अपना मतलब निकाल लेता है

बड़ा निवाला खाए बड़ा बोल न बोले

घमंड करना और बड़ा निवाला तकलीफ़ पहुँचाने में दोनों समान हैं

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

लाए गा दारा तो खाए गी दारी, न लाए गा दारा तो पड़े गी ख़्वारी

पति कमा कर लाएगा तो पत्नी खाएगी, पति न कमाएगा तो फ़ाक़े होंगे

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

चोर का माल सब खाए, चोर के साथ कोई न जाए

बुरों को अपने काम के कारणवश हानि एवं तकलीफ़ पहुँचती है

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

गधा खाए खेत , न हरलो के न परलो के

नालायक़ के साथ सुलूक करने से कोई फ़ायदा नहीं होता

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

कम खा ग़म न खा

थोड़ा ख़र्च करने से ग़म नहीं होती है

हल्क़ न तालू खाएँ मियाँ लालू

बदतमीज़ आदमी बदतमीज़ी से खाए तो कहते हैं

नंगा साठ रूपे कमाए, तीन पैसे खाए

जिस की पत्नी और बच्चे न हों वह कम ख़र्च करता है

पूरी से पूरी पड़े तो सभी न पूरी खाएँ

अपव्यय अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने से गुज़ारा नहीं होता

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बिराना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

पूरी से पूरी पड़े तो सब ही न पूरी खाएँ

अपव्यय अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने से गुज़ारा नहीं होता

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बेगाना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

चोर, जुवारी, गठ-कटा, जार और नार छिनार, सौ सौ सौगंध खाएँ जो मोल न कर इतबार

चोर, जवारी, गठ-कटा, चरित्रहीन मर्द, दुश्चरित्र औरत, ये कितनी ही सौगंध खाएँ कि बुरा काम छोड़ देंगे, कदापि 'एतबार नहीं करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कम खाए ग़म न खाए के अर्थदेखिए

कम खाए ग़म न खाए

kam khaa.e Gam na khaa.eکَم کھائے غَم نَہ کھائے

वाक्य

कम खाए ग़म न खाए के हिंदी अर्थ

  • ग़म इंसान को तहलील करदेता है, क़र्ज़ लेकर खाने से कम खाना या फ़ाक़ा भला, कम खाने से आदमी नहीं मरता बल्कि ग़म उसे तबाह करदेता है, मुराद ये है कि कम खाने वाले को कोई ग़म नहीं होता, बीमारी से भी महफ़ूज़ रहता है और अख़राजात भी कम होते हैं

کَم کھائے غَم نَہ کھائے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • غم انسان کو تحلیل کردیتا ہے، قرض لے کر کھانے سے کم کھانا یا فاقہ بھلا، کم کھانے سے آدمی نہیں مرتا، بلکہ غم اُسے تباہ کردیتا ہے، مراد یہ ہے کہ کم کھانے والے کو کوئی غم نہیں ہوتا، بیماری سے بھی محفوظ رہتا ہے اور اخراجات بھی کم ہوتے ہیں

Urdu meaning of kam khaa.e Gam na khaa.e

  • Roman
  • Urdu

  • Gam insaan ko tahliil kardetaa hai, qarz lekar khaane se kam khaanaa ya faaqa bhala, kam khaane se aadamii nahii.n martaa, balki Gam use tabaah kardetaa hai, muraad ye hai ki kam khaane vaale ko ko.ii Gam nahii.n hotaa, biimaarii se bhii mahfuuz rahtaa hai aur aKhraajaat bhii kam hote hai.n

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कम खाए ग़म न खाए

ग़म इंसान को तहलील करदेता है, क़र्ज़ लेकर खाने से कम खाना या फ़ाक़ा भला, कम खाने से आदमी नहीं मरता बल्कि ग़म उसे तबाह करदेता है, मुराद ये है कि कम खाने वाले को कोई ग़म नहीं होता, बीमारी से भी महफ़ूज़ रहता है और अख़राजात भी कम होते हैं

शेर खाए न खाए मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

नक्टे का खाए उकटे का न खाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

नकटे का खाए ओझे का न खाए

۔مثل۔ کمینہ کا احسانمند نہ ہونا چاہیے۔

भेड़िया खाए तो न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

डाइन खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

खाए तो मुँह लाल, न खाए तो मुँह लाल

बदनाम व्यक्ति कोई अपराध करे या न करे इल्ज़ाम उसी पर आता है

न बासी बचे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

न बासी रहे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

न बासी बचे , न कुत्ता खाए

۔ (عو) نہ زیادہ ہوگا ۔نہ ضائع جائے گا۔ (رویائے صادقہ) اس میں شکل نہیں کہ باسی کھانا بدمزہ ہوجاتاہے لیکن صادقہ کا اندازہ ایسا ٹھیک تھا کہ کبھی کچھ بچتا نہ تھا۔ اس کا اصول یہ تھا کہ نہ باسی بچے نہ کتّا کھائے۔

डायन खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

शेर खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

बासी बचे न कुत्ता खाए

जो पास हो ख़र्च कर डालना, न बचे न नुक़्सान का डर हो

बासी रहे न कुत्ता खाए

जो पास हो ख़र्च कर डालना, न बचे न नुक़्सान का डर हो

बूर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए सो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

बौर के लड्डू खाए सो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसा काम जिस के न करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो

'अक़्ल न ज्ञान, थप्पड़ खाए समझ भान

समझ कुछ नहीं सदमे उठाकर कर सीख जाएगा

नक्टे का खाए उकटे का न खिलाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे आए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाया

जो खाने को न दे उसका भला न हो

कमाए न धमाए मोको भूज भूज खाए

औरत अपने निखटू् पति की शिकायत करती है कि कमाता कुछ नहीं और मुझे तंग करता रहता है

मारा मुँह तबाक़ आगे धरा न खाए

मारे हुए आदमी का खाने को भी दिल नहीं चाहता

गधे के खाए खेत न हरलू के न परलू के

नालायक़ के साथ सुलूक करने से कोई फ़ायदा नहीं

कहा न अबला कर सके न सिंधू समाए, कहा न पावक में जड़े कहा काल न खाए

कौन सा काम है जो औरत नहीं कर सकती और कौन सी चीज़ में जो समुंद्र में नहीं समा सकती, कौन सी चीज़ है जिसे आग नहीं जला सकती, और कौन चीज़ है जिसे मौत नहीं आती

दाना न खाए , न पानी पीवे , वो आदमी कैसे जीवे

जो खाए पीए नहीं वो कैसे ज़िंदा रह सकता है, जो रंज-ओ-ग़म की वजह से खाना पीना छोड़ दे ऐसे शख़्स को कहते हैं

अल्सी का झोड़ा न गधा खाए न घोड़ा

کسی کام کا نہیں، کسی مصرف کا نہیں، عمر رسیدہ شخص اپنے متعلق کسرِ نفسی کے طور پر کہتا ہے

लुटिया डूबी ऐ हरदास घोड़ी दाना खाए न घास

काम बिलकुल बिगड़ गया अब इस के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं

लुटिया डूबी रहे हरदास घोड़ी दाना खाए न घास

काम बिलकुल बिगड़ गया अब इस के सुधरने की कोई उम्मीद नहीं

खेती करे न बनजे जाए, बिद्दिया के बल बैठा खाए

शिक्षा सबसे अच्छा है

बड़ा बोल न बोले, बड़ा लुक़्मा न खाए

घमंड करना और बड़ा निवाला तकलीफ़ पहुँचाने में दोनों समान हैं

कमाए न धमाए , मौ को भोज भोज खाए

(औरत अपने निखटू् ख़ावंद की शिकायत करती है) कमाता कुछ नहीं और मुझे तंग करता रहता है, नकठो आदमी हमेशा बीवी के लिए मुसीबत होता है

अगर पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

If wishes were horses beggars would ride.

बी बी वारे बाँदी खाए, घर की बला कहीं न जाए

घर की मालिका अगर दान-दक्षिणा घर ही में बाँदी को दे दे तो उसका देना न देना बराबर है

कहूँ तो माँ मारी जाए, न कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

हर प्रकार से संकट है, न कहते बनता है न चुप रहते

दादे राज न खाए पान , दाँत दिखावत गए परान

जो शख़्स नई चीज़ दिखाता फिरे उस की निस्बत कहते हैं

बर कन्या को चेचक खाए, नाव काट का कहीं न जाए

हर हाल में अपना मतलब निकाल लेता है

बड़ा निवाला खाए बड़ा बोल न बोले

घमंड करना और बड़ा निवाला तकलीफ़ पहुँचाने में दोनों समान हैं

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

कोई कौड़ी के दो बेर भी हाथ से न खाए

सख़्त ज़लील-ओ-बेवुक़त है

लाए गा दारा तो खाए गी दारी, न लाए गा दारा तो पड़े गी ख़्वारी

पति कमा कर लाएगा तो पत्नी खाएगी, पति न कमाएगा तो फ़ाक़े होंगे

वैसा ही तो को फल मिले जैसा बीज बोवाए, नीम बोय के निकले गाँडा कोई न खाए

जैसा करोगे वैसा भरोगे

चोर का माल सब खाए, चोर के साथ कोई न जाए

बुरों को अपने काम के कारणवश हानि एवं तकलीफ़ पहुँचती है

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

गधा खाए खेत , न हरलो के न परलो के

नालायक़ के साथ सुलूक करने से कोई फ़ायदा नहीं होता

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

कम खा ग़म न खा

थोड़ा ख़र्च करने से ग़म नहीं होती है

हल्क़ न तालू खाएँ मियाँ लालू

बदतमीज़ आदमी बदतमीज़ी से खाए तो कहते हैं

नंगा साठ रूपे कमाए, तीन पैसे खाए

जिस की पत्नी और बच्चे न हों वह कम ख़र्च करता है

पूरी से पूरी पड़े तो सभी न पूरी खाएँ

अपव्यय अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने से गुज़ारा नहीं होता

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बिराना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

पूरी से पूरी पड़े तो सब ही न पूरी खाएँ

अपव्यय अर्थात आवश्यक्ता से अधिक ख़र्च करने से गुज़ारा नहीं होता

चिट्ठी न परवाना मार खाएँ मुल्क बेगाना

हुकूमत की बदइंतिज़ामी और हाकिम की ग़फ़लत से बदमाश ख़्वाहमख़्वाह लागों को लौटते फिरते हैं

नाक न हो तो गू खाएँ

महिलाओं की निंदा में प्रयुक्त, अर्थात अगर इज़्ज़त की परवाह न हो तो ख़राब से ख़राब बैठें

नाक न हो तो गुह खाएँ

आबरू की पर्वा ना करें (औरतों की बद अकली के इज़हार के लिए मुस्तामल)

चोर, जुवारी, गठ-कटा, जार और नार छिनार, सौ सौ सौगंध खाएँ जो मोल न कर इतबार

चोर, जवारी, गठ-कटा, चरित्रहीन मर्द, दुश्चरित्र औरत, ये कितनी ही सौगंध खाएँ कि बुरा काम छोड़ देंगे, कदापि 'एतबार नहीं करना चाहिए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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