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नकटे का खाए ओझे का न खाए

नक्टे का खाए उकटे का न खाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

बर कन्या को चेचक खाए, नाव काट का कहीं न जाए

हर हाल में अपना मतलब निकाल लेता है

नक्टे का खाए उकटे का न खिलाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

जिस का खाए उस का गाए

जिस का खाए उसी का गाए

जिससे कोई लाभ हो उसकी प्रशंसा की जाए और चापलूसी की जाए तब यह बोला जाता है

जिस का खाए उस का बजाए

फूहड़ का माल हँस हँस खाए

हँस हँस खाए फूहड़ का माल

जिस का खाए उसी की गाए

जिस से फ़ाएदा हो उस की तारीफ़ और चापलूसी की जाए तब यह वाक्य बोला जाता है

आम खाए पाल का , ख़रबूज़ खाए दाल का , पानी पिये ताल का

आम पाल का और ख़रबूज़ा ताज़ा टूटा हुआ डाल का अच्छा होता है और पानी दरिया का ख़ुशगवार होता है

शेर खाए न खाए मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

बाज़ार का सत्तू बाप भी खाए, बेटा भी खाए

तवाइफ़, रंडी, कसबी

कम खाए ग़म न खाए

ग़म इंसान को तहलील करदेता है, क़र्ज़ लेकर खाने से कम खाना या फ़ाक़ा भला, कम खाने से आदमी नहीं मरता बल्कि ग़म उसे तबाह करदेता है, मुराद ये है कि कम खाने वाले को कोई ग़म नहीं होता, बीमारी से भी महफ़ूज़ रहता है और अख़राजात भी कम होते हैं

फ़िक्र का खाए जाना

फ़िक्र का निढाल कर देना

खाए का मुँह और नहाए के बाल नहीं छुपते

आसूदगी चावर ख़ुशी हाली छिपी नहीं रहती

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

बूर के लड्डू खाए सो पछताए , न खाए सो पछताए

ऐसा काम जिस के ना करने में हसरत रहे और करने में पछतावा हो। (तग़य्युर फे़अल के साथ भी मुस्तामल है)

खाए तो मुँह लाल , न खाए तो मुँह लाल

चेले लावें माँग कर बैठा खाए महंत, राम भजन का नाम है पंथ

भजन नाम को है ये सब पेट भरने के तरीक़े हैं, चेले मांग कर लाते हैं, गुरु बैठे खाते हैं

ख़ुदा नकटे का खिलवाए , उकटे का न खिलवाए

ख़ुदा कमज़र्फ़ का एहसानमंद ना बनाए

खाए तो मुँह लाल, न खाए तो मुँह लाल

इस शख़्स की निसबत बोलते जो जुर्म करे या ना करे हर हालत में इल्ज़ाम उसी पर लगाया जाये, बदनाम शख़्स कोई क़सूर करे या ना करे इल्ज़ाम उसी पर आता है

शेर खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

खाएँ किसी का गाएँ किसी का

एहसान कोई करे और शुक्रगुज़ारी किसी की करें

चोर का माल सब खाए चोर की जान अकारत जाए

बदों को अपने काम के नतीजे में ज़रर पहुंचता है

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे आए

जो खाए ना खिलाए लेकिन इज़हार मुहब्बत में मुबालग़ा करे उस की निसबत कहते हैं , मुर्दा : कजोस, बड़ा बख़ील

डाइन खाए तो मुँह लाल न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

किसी का धन कोई खाए, पापी का माल अकारत जाए

कमाए कोई उड़ाए कोई, बख़ील कमाता और जोड़ता है खाते दूसरे हैं

खाएँ कसी का गाएँ कसी को

एहसान कोई करे और शुक्रगुज़ारी किसी की करें

नंगा साठ रूपे कमाए, तीन पैसे खाए

जिस की पत्नी और बच्चे न हों वह कम ख़र्च करता है

नाम पीरों का खाएँ मुजाविर

उस मौक़ा पर बोलते हैं जब कोई दूसरे के नाम से अपना मतलब निकालता है

खाए मलीदा एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

हँस हँस खाएँ फूहड़ का माल

अहमक़ और बेवक़ूफ़ की दौलत लोग ख़ूब उड़ाते हैं , बेवक़ूफ़ का माल उसे मस्ख़रा बना कर खाना चाहिए, बेवक़ूफ़ का माल आराम से हाथ आता है

मुफ़्त का खाएँ, गीत गाएँ

मुफ़्त की खाईं, बे फ़िक़्रों और मुफ़्त ख़ोरों की निसबत कहते हैं

पीर न शहीद नकटे का छापा

जब कोई कम हैसियत शख़्स अपने को मुक़द्दम समझे तो कहते हैं

कुँवारी खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

कुंवारी लड़की का ख़र्च कम होता है, परंतु शादी कर देने पर माता-पिता को बहुत ख़र्च करना पड़ता है

एक खाए मालीदा, एक खाए भुस

अपना अपना भाग्य, कोई धनवान कोई निर्धन

भेड़िया खाए तो न खाए तो मुँह लाल

इल्ज़ाम हमेशा बदनाम के सर आता है चाहे वो ऐब करे या ना करे

कहूँ तो माँ मारी जाए , न कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

ऐसी बात जिस के बयान करने में भी मुसीबत और ज़ाहिर ना करने में भी आफ़त हो, किसी तरह चीन या छुटकारा नहीं

चून खाए भसंड होए तला खाए रोगी

आटा खाने वाला मज़बूत होता है ओ रमठाई खाने वाला बीमार रहता है

भूके बेर उघाने गाँडा तुसपर खाएँ मूली का खाँडा

भूक में सब कुछ ग़नीमत है

पकाए सो खाए नहीं , खाए कोई और

जो मुहब्बत करे कागा फ़ायदा उठाएगा

शेर का झूटा गीदड़ खाए

शेर शिकार करता है तो गीडर और दूसरे जानवरों का भी पेट भरता है अमीरों के दम से ग़रीब पलते हैं

न बासी बचे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

न बासी रहे न कुत्ता खाए

ज़्यादा होगा ना इक्का रुत जाएगा, ना ज़्यादा होगा ना ज़ाए जाएगा (रोज़ाना इस्तिमाल कर लेने वाली चीज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं

न बासी बचे , न कुत्ता खाए

बासी बचे न कुत्ता खाए

रुक: बासी रहे ना कुत्ता खाए

बासी रहे न कुत्ता खाए

जो आमदनी वो ख़र्च जो कुछ पास हो सब सिर्फ़ कर डालना

ताज़ी मार खाए तुर्की आश खाए

लियाक़त वालों की तबाही और नालायक़ों की इक़बालमंदी पर ये मिसल बोलते हैं, तबाईअ में इख़तिलाफ़ होता है कोई मार पेट से ठीक होता है कोई सिर्फ़ समझाने बुझाने से इस्लाह क़बूल कर लेता है

जौ जट बाँट खाए और गेहूँ खाए डोम

मेहनत कोई करे फ़ायदा कोई उठाने

औंधा खाए लौंदा

बेहया और बेशरम अपना काम हर तरह निकाल लेते हैं

आँखों में खाए जाना

नज़र बचा कर भेद लेने या एतराज़ की नज़र से देखना

साँभर जाए , अलोना खाए

ऐसी जगह रहे जहां कोई चीज़ आम हो और ना मिले . इस शिकस् पर फ़िक़रा है जो इफ़रात की जगह रह कर भी इस चीज़ से महरूम रहे जिस की इफ़रात थी (साँभर - एक झील जिस से नमक बनाते हैं)

निगाहों में खाए जाना

किसी की तरफ़ निहायत रग़बत और शौक़ से देखना, घूरना

रोटी खाए शक्कर से दुनिया खाए मक्कर से

अगर तुम ख़ुशहाली से ज़िंदगी बसर करना चाहते हो तो लोगों को धोका फ़रेब देते रहो या ख़ुशामद करते रहो, दुनिया मकर से हासिल होती है

मुँह खाए आँख लजाए

घास खाए दिन कटे तो सब कोई खाए

जिस वस्तु की आवश्यकता होती है उसी वस्तु से वह आवश्यकता पूरी भी होती है, यदि साधारण खाना खा लेना आवश्यकतानुसार हो तो कोई कठोर परिश्रम करने का सहिष्णु न हो

आग खाए मुँह जले उधार खाए पेट

आग खाने से सिर्फ़ मुँह जलता है मगर आग से ज़्यादा क़र्ज़ से डरना चाहिए क्योंकि आग की सोज़िश ज़ाहिरी जिस्म कित महिदूद रहती है और क़र्ज़ की तकलीफ़ से जी जलता है, क़र्ज़ लेना आग से जल जाने से ज़्यादा तकलीफ़देह है

मुँह खाए आँख लजाए

खिलाने पिलाने से विरोधी भी सहमत हो जाता है, जिसके साथ भलाई किया जाए वह विरोध करते शर्माता है, भलाई करने वाले के सामने आँख नहीं उठती

थोड़ी पूँजी खसमों खाए

थोड़े रुपये से व्यपार करने में घाटा रहता है, इस लिए कि माल कम होने से लाभ थोड़ा होता है, और ख़र्च के कारण अंत में घाटा होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नकटे का खाए ओझे का न खाए के अर्थदेखिए

नकटे का खाए ओझे का न खाए

nakTe kaa khaa.e ojhe kaa na khaa.eنَکٹے کا کھائے اوجھے کا نَہ کھائے

نَکٹے کا کھائے اوجھے کا نَہ کھائے کے اردو معانی

  • ۔مثل۔ کمینہ کا احسانمند نہ ہونا چاہیے۔

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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