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yo-ho के लिए उर्दू शब्द
yo-ho के देवनागरी में उर्दू अर्थ
विस्मयादिबोधक
- अपनी तरफ़ तवज्जा मबज़ूल कराने के लिए लगाई जाने वाली आवाज़।
yo-ho کے اردو معانی
فجائیہ
- اپنی طرف توجہ مبذول کرانے کے لیے لگائی جانے والی آواز۔.
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येह हो चुका
यह नहीं हो सकता, यह नहीं होगा; किसी काम के संभव न होने पर कहते हैं अर्थात नहीं हो सकता इसके साथ ही काम के हो जाने पर भी कहते हैं और जब कोई काम पूरा होने के निकट हो तब भी कहते हैं
यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय
मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा
यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान
अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं
गोरे चमड़े पे न जा ये छछूँदर से बदतर है
गोरे रंग पर रीझना नहीं चाहिए क्योंकि उस की कोई हैसियत नहीं होती है नौजवान आदमी जो रंडी पर आशिक़ हो जाये उसे बतौर नसीहत कहते यहं
ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द
किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना
ख़सम देवर दोनों एक सास के पूत, ये हो या वो हो
पति मर जाए तो देवर से शादी कोई बुरी बात नहीं समझी जाती
ककड़ी का चोर बाँधा या मारा जाता है
बे इंसाफ़ी और ना पुरसान हाली के सबब अदना क़सूर पर बड़ी सज़ा मिलना, अंधेर नगरी चौपट राज होना
ये डाढ़ी धोके की टट्टी है
गो उस की डाढ़ी लंबी है मगर ये सख़्त मुनाफ़िक़ है, लोगों को धोका देने के लिए डाढ़ी रखी हुई है
कस नमी पुरसद कि भय्या कौन हो ढाई हो या तीन या पौन हो
जब कोई व्यक्ति दरिद्र हो तो उसकी कोई नहीं पूछता कि तुम कौन हो या तेरी क्या हैसियत है
बात ज़बान या मुँह से निकलना और पराई हो जाना
किसी बात का मशहूर हो जाना, किसी मामले को फैलने से रोकना क़ाबू से बाहर हो जाना
ये ज़ाहिद-ए-मक्कार इधर भी है उधर भी है
दिखावे में तपस्वी या पूजा अर्चना करने वाला लेकिन दरपर्दा कपटी या मक्कार है
या अल्लाह तौबा है
अल्लाह की पनाह , ए अल्लाह में तौबा करता हूँ, किसी हालत या मुसीबत से नजात पाने के लिए या आजिज़ी के मौक़ा पर बोला जाता है
ये साफ़ साफ़ है
वास्तविकता में यही बात है, इस में कुछ लगी लिपटी नहीं है, यह स्पष्ट है, इसमें कोई शक नहीं है
ये टाँग खोलो तो लाज है वो टाँग खोलो तो लाज है
जब दोनों बातों में बदनामी और रुसवाई हो उस वक़्त मुस्तामल है यानी दोनों तरह बदनामी है
ये वक़्त और है
वक़्त गुज़र जाने के बाद पिछले वक़्त को याद करते हुए कहते हैं, अच्छे दिनों को याद करते हुए कहते हैं
ये भी ख़ुदाई है
यह भी ईश्वर की महिमा है, यह भी ईश्वर का करना है, ईश्वर के करने से ऐसा भी संभव हुआ है
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .
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