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नहीं
एक अव्यय जिसका प्रयोग असहमति, अस्वीकृति, विरोध आदि प्रकट करने के लिए होता है, ना, मत, बिलकुल नहीं, नकारना
नहीं-तो
वर्ना, यदि, अन्यथा, बसूरत-ए-दीगर
नहीं-नहीं
बिलकुल नहीं, हरगिज़ नहीं (इनकार पर ज़ोर देने के लिए)
नहीं करना
इनकार करना या नकारना, न कहना
नहीं चलना
बस ना चल सकना, कहने पर अमल ना होना, इख़तियार ना होना
नहीं-सही
कोई बात नहीं, कुछ परवाह नहीं, कोई आपत्ति नहीं, न सही
नहीं सत्तर बला टालती है
बाअज़ औक़ात थोड़ी सी बेमुरव्वती बहुत सी आफ़तों से बचा देती है, साफ़ इनकार करने से आदमी हज़ार परेशानीयों से बच जाता है
नहीं मा'लूम
(किसी काम या चीज़ का ज्ञान न होने के लिए कहते हैं) पता नहीं, ज्ञान नहीं, ईश्वर जाने, ज्ञात नहीं
नहीं तो नहीं
इनकार सही, नहीं सही, कुछ डर नहीं, क्या डर है
नहीं हाँ करना
कभी इक़रार कभी इनकार करना
नहीं नहीं करना
۔मुतवातिर इनकार करना। बार बार इनकार करना।
नहीं का चोचला
बहुत नख़रे दिखाना, खंडन किए जाना
नहीं नहीं कर के
تھوڑا تھوڑا کر کے ، کم کرتے کرتے نیز بڑی مشکل سے ، بہت انکار کے بعد
नहीं घरनी घर पावन है
بیوی سے گھر کی رونق ہوتی ہے بغیر بیوی کے گھر اجاڑ جاتا ہے
नहीं न फ़रमाना
(एहतरामन) नहीं ना करना, इनकार ना करना
नहीं से हाँ होना
कुछ थोड़ा बहुत सहारा होना, कुछ तो होना, थोड़ा बहुत होना
नहीं से हाँ भली
कुछ न होने से कुछ होना बेहतर है
क्यों नहीं
why not? surely, certainly, of course
ये नहीं
इस तरह नहीं, ऐसा नहीं, यूं नहीं कि
गुज़र-नहीं
चारा नहीं, तदबीर नहीं, विकल्प नहीं, रणनीति नहीं
पल्ले नहीं पड़ता
वसूल नहीं होता, हाथ नहीं आता
बहस नहीं
ताल्लुक़ नहीं, हुज्जत नहीं, झगड़ा नहीं, मतलब नहीं
कहीं-नहीं
किसी जगह नहीं, बिलकुल पता नहीं
होनी-नहीं
संभव नहीं, हो नहीं सकता, मुम्किन नहीं
लग्गा नहीं
कुछ उचित नहीं, कुछ संबंध नहीं, बड़ा अंतर है
कुछ-नहीं
कोई हैसियत या एहमीयत नहीं, कोई बात नहीं, नामुनासिब है
कुछ हासिल नहीं
कोई लाभ नहीं, कोई फ़ायदा नहीं
गुड़ नहीं फूटता
बुरा काम छुप कर नहीं हो सकता, भेद छुप नहीं सकता
रूप निरूप जाए नहीं बोली, हलुका गरू जाए नहीं तोली
ईश्वर की प्रशंसा है कि वह रूपवान है या निरूप है कहा नहीं जा सकता और हल्का या भारी है तोला नहीं जा सकता
जंगल में खेती नहीं, बस्ती में नहीं घर
कहीं कुछ न होना, अत्यंत निर्धन है
कहानी जैसी झूटी नहीं, बात जैसी मीठी नहीं
साधारण बात है बहुत अच्छी न बहुत बुरी, किसी बात के प्राक्कथन के रूप में कहते हैं
काँड़ा मुझे भाए नहीं और काँड़े बिन सुहाए नहीं
एक शख़्स से नफ़रत करना और बगै़र इस के रह ना सकना
बुड्ढे का कोई लागू नहीं
बुढ़ापे में कोई छल नहीं आता
अपना उल्लू कहीं नहीं गया
उद्देश्य हर प्रकार से पूरा है, बात यूँ भी बनती है
पत्थर मारे मौत नहीं आती
बुरे आदमी की आयु लम्बी होती है, बुरे व्यक्ति पर किसी बात का प्रभाव नहीं पड़ता
बे हुक्म पत्ता नहीं हिलता
बगै़र ख़ुदा की मर्ज़ी के कुछ नहीं होता
कुछ पल्ले नहीं
पास कुछ भी नहीं, ज़िम्मे कुछ भी नहीं, वाजिब नहीं (नक़द रोपे पैसे वग़ैरा)
कभी-नहीं
हरगिज़ नहीं, पूर्ण इनकार के अवसर पर बोलते हैं, कभी-कभी नहीं
बिन जुलाहे नमाज़ नहीं, बिन ढोलक ता'ज़ीर नहीं होती
बिना उचित व्यवस्था के कोई वस्तु ठीक नहीं होती
है कि नहीं
अर्थात: है, ज़रूर है, यही बात सही है
और कुछ नहीं तो
(this or then) if nothing else
किसी की नहीं सुनता
किसी की बात नहीं मानता, बेपर्वा है, किसी के समझाने पर अमल नहीं करता
घुस लगाने को नहीं
۔किसी चीज़ के मादूम और मफ़क़ूद होने के लिए मुस्तामल है। ज़रा नहीं। मुतलक़ नहीं। कमयाब है। नापैद है। ज़रा नहीं बचा। सब सिर्फ़ होगया
बिन परिचय प्रतीत नहीं
जाँच-परख के बिना विश्वास नहीं करना चाहिए
परिचय बिन प्रतीत नहीं
जाँच-परख के बिना विश्वास नहीं करना चाहिए
मुँह में लगाम नहीं
अपमानजनक, निंदापूर्ण होना
बिन बहू प्रीत नहीं
ससुर अपने जमाई को तभी तक प्यार करता है जब तक उसकी लड़की जीवित रहती है
मरिहों पर टरिहों नहीं
मर जाऊँ परंतु अपनी बात से न टलूँ
कज़ा से चारा नहीं
मौत से बचना असंभव है, मौत पर किसी का वश नहीं
भंग तो नहीं खाई
होश में तो हो, कुछ बावले तो नहीं हो गए
बल बिन आदर नहीं
ताक़त के बगै़र कोई इज़्ज़त नहीं
काँड़ा मुझे भाए नहीं काँड़े बिन सुहाए नहीं
۔مثل۔ ایک شخص سے نفرت بھیکرنا اور پھر بغیر اُس کے صبر بھی نہ کرنا۔ یا جس کا شکوہ اور شکایت ہو اس کے بدوں آرام و چین بھی نہ ہو۔
हाज़िर में हुज्जत नहीं ग़ाइब की तलाश नहीं
जो मौजूद है इस के देने में इनकार नहीं, नज़र है, जो चीज़ मौजूद नहीं उसे ला कर देने का इक़रार नहीं