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क्या मुँह और क्या मसाला

जब कोई ऐसा काम अपने ज़िम्मे ले जिसे वह न कर सके अर्थात वह इसके योग्य न हो तो इसे कहते हैं

और क्या

बेशक, वास्तव में, हाँ, ज़रूरी (ज़्यादातर 'हाँ' के साथ प्रयुक्त)

और नहीं तो क्या

यही बात तो है, निश्चित रूप से यही है, बेशक ऐसा ही है

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

भूके को क्या रूखा और नींद को क्या तकिया

भूख में रूखा भी समृद्धि अर्थात ईश्वरीय देन है एवं नींद के समय बिस्तर या तकिया की आवश्यक्ता नहीं होती

भूखे को क्या रूखा और नींद को क्या तकिया

आवश्यक्ता के समय जो मिल जाए संतोष करने योग्य है

आँधी और चराग़ में क्या निस्बत

बुरेको उपदेश देना बेकार है

खाने में शर्म क्या और घूँसों में उधार क्या

खाने में संकोच नहीं करना चाहिए और लड़ाई में वार करने में झिझकना नहीं चाहिए

जोगी की क्या मीत और क़लंदर का क्या साथ

इन दोनों की दोस्ती का कोई विश्वास नहीं

भूके को क्या रूखा सूखा और नींद को क्या बिछौना

भूख में रूखा भी समृद्धि अर्थात ईश्वरीय देन है एवं नींद के समय बिस्तर या तकिया की आवश्यक्ता नहीं होती

आग और रूई क्या दोस्ती

एक दूसरे विरुद्ध स्वभाव वालों की मित्रता विश्वास पात्र नहीं, शत्रुओं का क्या मेल-मिलाप

और रोना ही क्या है

यही सोच तो है

क्या मुँह

क्या वास्तविकता और प्रतिष्ठा है, क्या क्षमता है, क्या गुंजाइश है (मुक़ाबले या प्रतिस्पर्धा के इज़हार के लिए)

मुँह क्या

क्या ताब है, क्या मजाल है, क्या हौसला या हिम्मत है

नौकरी और अरंड की जड़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

नौकरी और अरंड की जढ़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

तुझे और की क्या पड़ी, अपनी सँभाल

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

मलंग का और बामनी का क्या साथ

दो ग़ैर जिन्स के मेल का नतीजा फ़साद ही होता है

रूई और आग का क्या साथ

कमज़ोर-ओ-नातवां का क़ो्वत वाले से किया मुक़ाबला

आग और रूई का क्या साथ

एक दूसरे के विरुद्ध स्वभाव वालों की मित्रता विश्वास पात्र नहीं, शत्रुओं का क्या मेल-मिलाप

करना और ख़ुदा का क्या होता है

۔کیا واقعہ پیش آتا ہے۔ عجیب واقعہ پیش آتا ہے۔

बच्चे की माँ और सौ रूपे की पूँजी क्या

ज़ेर-ए-बहिस चीज़ बेहक़ीक़त है

जब पेट में खदिया लगी मीठा और सलोना क्या

भूक में जो मिले मीठे और सलोने से कुछ काम नहीं, ज़रूरत ऐसी होती है

संगत भली न साध की और क्या गंदी का बास

ना फ़क़ीर की रिफ़ाक़त अच्छी होती है और ना गेंदे की बूओ, इन दोनों की सोहबत पाएदार नहीं होती

बारह बरस के बैद क्या और अट्ठारह बरस के क़ैद क्या

लड़का बारह बरस का हो जाए तो उसे शिक्षा देनी कठिन है और अठ्ठारह बरस के बाद वह नियंत्रण में नहीं रहता

भूके से कहा दो और दो क्या, कहा चार रोटियाँ

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

टूटी का क्या जोड़ना गाँठ पड़े और न रहे

जहां एक दफ़ा शुक्र रणजी हो जाये, फिर पहली सी दोस्ती नहीं होती

चंदा तेरी चाँदनी और तारों भरी रात, चाहे कितनी चटको चाँदनी क्या दिन बराबर रात

तुम कितनी ही तदबीर करो, हमारी बराबर ना होगी

क्या मुँह दिखाओगे

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

मुँह क्या है

۔ دیکھو کیا مُنھ۔ ؎

क्या मुँह है

۔کیا مجال ہے۔ کیا رتبہ ہے کیا حقیقت ہے۔ ؎

क्या मुँह दिखाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखाएँ

बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत लज्जित हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखलाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

लड़ाई और आग का बढ़ाना क्या

लड़ाई और आग तेज़ करना मुश्किल नहीं है

मुँह ही क्या था

क्या मजाल थी, हौसला न था

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

और क्या करके रहेगा

इससे ज़्यादा वह क्या फ़साद मचाएगा

क्या मुँह ले कर

किसी मुँह से, किस बिरते पर

क्या मुँह का निवाला है

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

क्या मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यूँ नहीं, चुप क्यूँ हो

क्या मुँह में घूँगनियाँ हैं

रुक : क्या मुंह में पंजीरी भरी है

क्या मुँह ले कर जाऊँ

(शर्मिंदगी के मौक़ा पर मुस्तामल) किस मुंह से जाऊं, मुंह दिखाते श्रम आती है

आँखें क्या मुँह पर नहीं

क्या सूझता नहीं

क्या मुँह का निवाला है

क्या कोई आसान काम है, ये काम मुश्किल है देर तलब है, ये काम कुछ आसान नहीं है

ख़ुदा को क्या मुँह दिखाओगे

अल्लाह पाक को क्या जवाब दोगे

पैदल और सवार का क्या साथ

अमीर और ग़रीब का क्या मुक़ाबला

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

۔کس قدر خوش بیان ہے۔ ۲۔جب کوئی شخص بد کلامی کرتا ہے اُس سے بھی طنزاً کہتے ہیں۔

क्या मुँह पर फिटकार बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

क्या मुँह पर ला'नत बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं; (व्यंग्यात्मक) बुरी बातें करते हैं

तुम्हारा क्या मुँह है जो बोलो

यानी तुम हमारे सामने मुँह खोल करके बात नहीं कर सकते, तुम को हमारे सामने बोलने का साहस नहीं है, तुम्हारी कुछ प्रतिष्ठा नहीं रही तुम बड़े अस्वाभिमानी हो

जब उनारी मुँह की लोई क्या करेगा कोई

बेहया बिन जाते पर किसी का डर या परवाह नहीं रहती

मुँह पर डाली लोई, तो क्या करेगा कोई

यदि व्यक्ति ढीठ या बेशर्म हो जाए, तो उसे किसी की चिंता नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

कोई जानबूझ कर निर्लज्जता दिखाए तो कहते हैं

गधे के मुँह में शहद डालने का क्या फ़ाइदा

अयोग्य को पद देने से कोई लाभ नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या मुँह और क्या मसाला के अर्थदेखिए

क्या मुँह और क्या मसाला

kyaa mu.nh aur kyaa masaalaaکیا مُنھ اَور کیا مَسالا

कहावत

क्या मुँह और क्या मसाला के हिंदी अर्थ

  • जब कोई ऐसा काम अपने ज़िम्मे ले जिसे वह न कर सके अर्थात वह इसके योग्य न हो तो इसे कहते हैं

کیا مُنھ اَور کیا مَسالا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جب کوئی ایسا کام اپنے ذمے لے جس کو وہ نہ کر سکے یعنی وہ اس کا اہل نہ ہو تو اسے کہتے ہیں.

Urdu meaning of kyaa mu.nh aur kyaa masaalaa

  • Roman
  • Urdu

  • jab ko.ii a.isaa kaam apne zimme le jis ko vo na kar sake yaanii vo is ka ahal na ho to use kahte hai.n

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क्या मुँह और क्या मसाला

जब कोई ऐसा काम अपने ज़िम्मे ले जिसे वह न कर सके अर्थात वह इसके योग्य न हो तो इसे कहते हैं

और क्या

बेशक, वास्तव में, हाँ, ज़रूरी (ज़्यादातर 'हाँ' के साथ प्रयुक्त)

और नहीं तो क्या

यही बात तो है, निश्चित रूप से यही है, बेशक ऐसा ही है

क्या था और क्या हो गया

समय अस्त-व्यस्त हो गया, बना हुआ काम या बात बिगड़ गई

भूके को क्या रूखा और नींद को क्या तकिया

भूख में रूखा भी समृद्धि अर्थात ईश्वरीय देन है एवं नींद के समय बिस्तर या तकिया की आवश्यक्ता नहीं होती

भूखे को क्या रूखा और नींद को क्या तकिया

आवश्यक्ता के समय जो मिल जाए संतोष करने योग्य है

आँधी और चराग़ में क्या निस्बत

बुरेको उपदेश देना बेकार है

खाने में शर्म क्या और घूँसों में उधार क्या

खाने में संकोच नहीं करना चाहिए और लड़ाई में वार करने में झिझकना नहीं चाहिए

जोगी की क्या मीत और क़लंदर का क्या साथ

इन दोनों की दोस्ती का कोई विश्वास नहीं

भूके को क्या रूखा सूखा और नींद को क्या बिछौना

भूख में रूखा भी समृद्धि अर्थात ईश्वरीय देन है एवं नींद के समय बिस्तर या तकिया की आवश्यक्ता नहीं होती

आग और रूई क्या दोस्ती

एक दूसरे विरुद्ध स्वभाव वालों की मित्रता विश्वास पात्र नहीं, शत्रुओं का क्या मेल-मिलाप

और रोना ही क्या है

यही सोच तो है

क्या मुँह

क्या वास्तविकता और प्रतिष्ठा है, क्या क्षमता है, क्या गुंजाइश है (मुक़ाबले या प्रतिस्पर्धा के इज़हार के लिए)

मुँह क्या

क्या ताब है, क्या मजाल है, क्या हौसला या हिम्मत है

नौकरी और अरंड की जड़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

नौकरी और अरंड की जढ़ ही क्या

रुक : नौकरी अरंड की जड़ है

तुझे और की क्या पड़ी, अपनी सँभाल

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

मलंग का और बामनी का क्या साथ

दो ग़ैर जिन्स के मेल का नतीजा फ़साद ही होता है

रूई और आग का क्या साथ

कमज़ोर-ओ-नातवां का क़ो्वत वाले से किया मुक़ाबला

आग और रूई का क्या साथ

एक दूसरे के विरुद्ध स्वभाव वालों की मित्रता विश्वास पात्र नहीं, शत्रुओं का क्या मेल-मिलाप

करना और ख़ुदा का क्या होता है

۔کیا واقعہ پیش آتا ہے۔ عجیب واقعہ پیش آتا ہے۔

बच्चे की माँ और सौ रूपे की पूँजी क्या

ज़ेर-ए-बहिस चीज़ बेहक़ीक़त है

जब पेट में खदिया लगी मीठा और सलोना क्या

भूक में जो मिले मीठे और सलोने से कुछ काम नहीं, ज़रूरत ऐसी होती है

संगत भली न साध की और क्या गंदी का बास

ना फ़क़ीर की रिफ़ाक़त अच्छी होती है और ना गेंदे की बूओ, इन दोनों की सोहबत पाएदार नहीं होती

बारह बरस के बैद क्या और अट्ठारह बरस के क़ैद क्या

लड़का बारह बरस का हो जाए तो उसे शिक्षा देनी कठिन है और अठ्ठारह बरस के बाद वह नियंत्रण में नहीं रहता

भूके से कहा दो और दो क्या, कहा चार रोटियाँ

स्वार्थी व्यक्ति के संबंध में कहते हैं

टूटी का क्या जोड़ना गाँठ पड़े और न रहे

जहां एक दफ़ा शुक्र रणजी हो जाये, फिर पहली सी दोस्ती नहीं होती

चंदा तेरी चाँदनी और तारों भरी रात, चाहे कितनी चटको चाँदनी क्या दिन बराबर रात

तुम कितनी ही तदबीर करो, हमारी बराबर ना होगी

क्या मुँह दिखाओगे

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

ये मुँह और मसाला

इस योग्य नहीं, इस काम या बात के योग्य नहीं, अर्थात इस पदवी एवं कार्य के योग्य या अधिकारी नहीं, यह सामर्थ्य या शक्ति नहीं है

मुँह क्या है

۔ دیکھو کیا مُنھ۔ ؎

क्या मुँह है

۔کیا مجال ہے۔ کیا رتبہ ہے کیا حقیقت ہے۔ ؎

क्या मुँह दिखाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखाएँ

बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत लज्जित हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखलाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

लड़ाई और आग का बढ़ाना क्या

लड़ाई और आग तेज़ करना मुश्किल नहीं है

मुँह ही क्या था

क्या मजाल थी, हौसला न था

साईं सांसा मेट दे और न मेटे कोय, वा को सांसा क्या रहा जा सर साईं होय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई सांसा अर्थात परेशानी एवं दुख को दूर नहीं कर सकता परंतु जिसे ईश्वर पुण्य की राह दिखा दे

और क्या करके रहेगा

इससे ज़्यादा वह क्या फ़साद मचाएगा

क्या मुँह ले कर

किसी मुँह से, किस बिरते पर

क्या मुँह का निवाला है

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

क्या मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यूँ नहीं, चुप क्यूँ हो

क्या मुँह में घूँगनियाँ हैं

रुक : क्या मुंह में पंजीरी भरी है

क्या मुँह ले कर जाऊँ

(शर्मिंदगी के मौक़ा पर मुस्तामल) किस मुंह से जाऊं, मुंह दिखाते श्रम आती है

आँखें क्या मुँह पर नहीं

क्या सूझता नहीं

क्या मुँह का निवाला है

क्या कोई आसान काम है, ये काम मुश्किल है देर तलब है, ये काम कुछ आसान नहीं है

ख़ुदा को क्या मुँह दिखाओगे

अल्लाह पाक को क्या जवाब दोगे

पैदल और सवार का क्या साथ

अमीर और ग़रीब का क्या मुक़ाबला

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

۔کس قدر خوش بیان ہے۔ ۲۔جب کوئی شخص بد کلامی کرتا ہے اُس سے بھی طنزاً کہتے ہیں۔

क्या मुँह पर फिटकार बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

क्या मुँह पर ला'नत बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं; (व्यंग्यात्मक) बुरी बातें करते हैं

तुम्हारा क्या मुँह है जो बोलो

यानी तुम हमारे सामने मुँह खोल करके बात नहीं कर सकते, तुम को हमारे सामने बोलने का साहस नहीं है, तुम्हारी कुछ प्रतिष्ठा नहीं रही तुम बड़े अस्वाभिमानी हो

जब उनारी मुँह की लोई क्या करेगा कोई

बेहया बिन जाते पर किसी का डर या परवाह नहीं रहती

मुँह पर डाली लोई, तो क्या करेगा कोई

यदि व्यक्ति ढीठ या बेशर्म हो जाए, तो उसे किसी की चिंता नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

कोई जानबूझ कर निर्लज्जता दिखाए तो कहते हैं

गधे के मुँह में शहद डालने का क्या फ़ाइदा

अयोग्य को पद देने से कोई लाभ नहीं होता

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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