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क्या मुँह

क्या वास्तविकता और प्रतिष्ठा है, क्या क्षमता है, क्या गुंजाइश है (मुक़ाबले या प्रतिस्पर्धा के इज़हार के लिए)

क्या मुँह है

۔کیا مجال ہے۔ کیا رتبہ ہے کیا حقیقت ہے۔ ؎

क्या मुँह दिखाओगे

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

क्या मुँह ले कर

किसी मुँह से, किस बिरते पर

क्या मुँह का निवाला है

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

क्या मुँह दिखाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखाएँ

बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत लज्जित हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखलाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यूँ नहीं, चुप क्यूँ हो

क्या मुँह और क्या मसाला

जब कोई ऐसा काम अपने ज़िम्मे ले जिसे वह न कर सके अर्थात वह इसके योग्य न हो तो इसे कहते हैं

क्या मुँह ले कर जाऊँ

(शर्मिंदगी के मौक़ा पर मुस्तामल) किस मुंह से जाऊं, मुंह दिखाते श्रम आती है

क्या मुँह में घूँगनियाँ हैं

रुक : क्या मुंह में पंजीरी भरी है

क्या मुँह का निवाला है

क्या कोई आसान काम है, ये काम मुश्किल है देर तलब है, ये काम कुछ आसान नहीं है

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

۔کس قدر خوش بیان ہے۔ ۲۔جب کوئی شخص بد کلامی کرتا ہے اُس سے بھی طنزاً کہتے ہیں۔

क्या मुँह पर फिटकार बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

क्या मुँह पर ला'नत बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

मुँह क्या

क्या ताब है, क्या मजाल है, क्या हौसला या हिम्मत है

मुँह क्या है

۔ دیکھو کیا مُنھ۔ ؎

मुँह ही क्या था

क्या मजाल थी, हौसला न था

आँखें क्या मुँह पर नहीं

क्या सूझता नहीं

ख़ुदा को क्या मुँह दिखाओगे

अल्लाह पाक को क्या जवाब दोगे

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं; (व्यंग्यात्मक) बुरी बातें करते हैं

तुम्हारा क्या मुँह है जो बोलो

यानी तुम हमारे सामने मुँह खोल करके बात नहीं कर सकते, तुम को हमारे सामने बोलने का साहस नहीं है, तुम्हारी कुछ प्रतिष्ठा नहीं रही तुम बड़े अस्वाभिमानी हो

उतर गई मुँह से लोई क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

जब उनारी मुँह की लोई क्या करेगा कोई

बेहया बिन जाते पर किसी का डर या परवाह नहीं रहती

मुँह पर डाली लोई, तो क्या करेगा कोई

यदि व्यक्ति ढीठ या बेशर्म हो जाए, तो उसे किसी की चिंता नहीं होती

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

कोई जानबूझ कर निर्लज्जता दिखाए तो कहते हैं

गधे के मुँह में शहद डालने का क्या फ़ाइदा

अयोग्य को पद देने से कोई लाभ नहीं होता

उतार ली मुँह को लोई तो क्या करेगा कोई

बेशर्म सब कुछ कर सकता है, लज्जाहीन से कोई बात दूर नहीं

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्या मुँह के अर्थदेखिए

क्या मुँह

kyaa mu.nhکیا مُنْہ

वाक्य

क्या मुँह के हिंदी अर्थ

  • क्या वास्तविकता और प्रतिष्ठा है, क्या क्षमता है, क्या गुंजाइश है (मुक़ाबले या प्रतिस्पर्धा के इज़हार के लिए)

کیا مُنْہ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کیا حقیقت و حیثیت ہے ، کیا مقدور ہے ، کیا مجال ہے (مقابلے یا مسابقت کے اظہار کے لیے).

Urdu meaning of kyaa mu.nh

  • Roman
  • Urdu

  • kyaa haqiiqat-o-haisiyat hai, kyaa maqduur hai, kyaa majaal hai (muqaable ya musaabaqat ke izhaar ke li.e)

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क्या मुँह

क्या वास्तविकता और प्रतिष्ठा है, क्या क्षमता है, क्या गुंजाइश है (मुक़ाबले या प्रतिस्पर्धा के इज़हार के लिए)

क्या मुँह है

۔کیا مجال ہے۔ کیا رتبہ ہے کیا حقیقت ہے۔ ؎

क्या मुँह दिखाओगे

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

क्या मुँह ले कर

किसी मुँह से, किस बिरते पर

क्या मुँह का निवाला है

लंबे समय तक याद रखेंगे या कृपालु रहेंगे, मुद्दत तक याद रखेंगे या एहसानमंद रहेंगे

क्या मुँह दिखाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखाएँ

बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत लज्जित हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह दिखलाएँ

सामना नहीं कर सकते, बड़े शर्मिंदा हैं, बहुत शर्मसार हैं

क्या मुँह में पंजीरी भरी है

बोलते क्यूँ नहीं, चुप क्यूँ हो

क्या मुँह और क्या मसाला

जब कोई ऐसा काम अपने ज़िम्मे ले जिसे वह न कर सके अर्थात वह इसके योग्य न हो तो इसे कहते हैं

क्या मुँह ले कर जाऊँ

(शर्मिंदगी के मौक़ा पर मुस्तामल) किस मुंह से जाऊं, मुंह दिखाते श्रम आती है

क्या मुँह में घूँगनियाँ हैं

रुक : क्या मुंह में पंजीरी भरी है

क्या मुँह का निवाला है

क्या कोई आसान काम है, ये काम मुश्किल है देर तलब है, ये काम कुछ आसान नहीं है

क्या मुँह से फूल झड़ने हैं

۔کس قدر خوش بیان ہے۔ ۲۔جب کوئی شخص بد کلامی کرتا ہے اُس سے بھی طنزاً کہتے ہیں۔

क्या मुँह पर फिटकार बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

क्या मुँह से फूल झड़ते हैं

(तारीफ़ के लिए) किस क़दर ख़ुश बयां है, कैसा फ़सीह है नीज़ जब कोई शख़्स बदकलामी करता है तो इस से तनज़्ज़ा भी कहते हैं

क्या मुँह पर ला'नत बरस्ती है

क्या बेरौनक और उदास चेहरा हो रहा है, की बेनूर चेहरा हो गया है, चेहरे पर बहुत फटकार और लानत परस्ती है

मुँह क्या

क्या ताब है, क्या मजाल है, क्या हौसला या हिम्मत है

मुँह क्या है

۔ دیکھو کیا مُنھ۔ ؎

मुँह ही क्या था

क्या मजाल थी, हौसला न था

आँखें क्या मुँह पर नहीं

क्या सूझता नहीं

ख़ुदा को क्या मुँह दिखाओगे

अल्लाह पाक को क्या जवाब दोगे

मुँह से क्या फूल झड़ते हैं

क्या पसंदीदा बातें करते हैं; (व्यंग्यात्मक) बुरी बातें करते हैं

तुम्हारा क्या मुँह है जो बोलो

यानी तुम हमारे सामने मुँह खोल करके बात नहीं कर सकते, तुम को हमारे सामने बोलने का साहस नहीं है, तुम्हारी कुछ प्रतिष्ठा नहीं रही तुम बड़े अस्वाभिमानी हो

उतर गई मुँह से लोई क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

जब उनारी मुँह की लोई क्या करेगा कोई

बेहया बिन जाते पर किसी का डर या परवाह नहीं रहती

मुँह पर डाली लोई, तो क्या करेगा कोई

यदि व्यक्ति ढीठ या बेशर्म हो जाए, तो उसे किसी की चिंता नहीं होती

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

मनुष्य निर्लज्जता चुन ले या निर्लज्ज हो जाए तो किसी का डर नहीं रहता, जब इज़्ज़त उतर जाती है या अपमानित हो जाता है तो मनुष्य निडर हो जाता है, धृष्ट या निर्लज्ज आदमी का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, लज्जाहीन व्यक्ति को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

मुँह की उतरी लोई, तो क्या करेगा कोई

कोई जानबूझ कर निर्लज्जता दिखाए तो कहते हैं

गधे के मुँह में शहद डालने का क्या फ़ाइदा

अयोग्य को पद देने से कोई लाभ नहीं होता

उतार ली मुँह को लोई तो क्या करेगा कोई

बेशर्म सब कुछ कर सकता है, लज्जाहीन से कोई बात दूर नहीं

मुँह की गई लोई, तो क्या करेगा कोई

निर्लज्ज को किसी की परवाह नहीं होती

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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