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किस जानवर का नाम है

किसी शख़्स या चीज़ को बेवुक़त ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

आज सुब्ह किस कंजूस का नाम लिया था

सुबह को पहली बार किस अभागे का नाम मुंह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

मुँह किस का है

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

खिलाए का नाम नहीं , रोलाए का नाम है

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाहों के दिल की बात पता करना मुश्किल है, बादशाहों के दिल में क्या है यह किसी को नहीं मालूम होता

खिलाए का नाम नहीं, रुलाए का नाम हैं

हसन-ए-सुलूक और हसन-ए-ख़िदमत की कोई दाद नहीं देता मगर बुरी बात की फ़ौरन गिरिफ़त हो जाती है

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

ये किस का मूत है

(हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

ज़िंदगी ज़िंदा दिली का नाम है

(नासिख़ का मिसरा ग़लत तरह से बतौर मक़ूला मशहूर-ओ-मुस्तामल) आदमी को हंस बोल के ज़िंदगी गुज़ारना चाहीए

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

हरि का नाम सत है सत बोलो मुक्त है

(हिंदूओं के) ख़ुदा का नाम सच्च है और सच्च बोलने में नजात है (एक फ़िक़रा जिस का इस्तिमाल कुछ हिंदू ज़ातों में मुरदे को ले जाते वक़्त किया जाता है)

किस चक्की का पीसा खाया है

किस चक्की का पिसा खाया है

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

चेले लावें माँग कर बैठा खाए महंत, राम भजन का नाम है पंथ

भजन नाम को है ये सब पेट भरने के तरीक़े हैं, चेले मांग कर लाते हैं, गुरु बैठे खाते हैं

किस हिसाब में है

ख़ुदा का नाम है

۔देखो अल्लाह।

किस नींद सोया है

किस नींद सोता है

घर में जोरू का नाम बहू बेगम रख लेने से क्या होता है

अपनी इज़्ज़त अपने मुँह से नहीं हुआ करती

किस ख़याल में है

क्यों नहीं समझते, क्या सोचते हो, क्यों बेख़बर या बेफ़िकर हो

किस हवा में है

किस किताब में है

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

ज़ोर जानवर हैं

बहुत अहमक़ हैं

किस शुमार-ओ-क़तार में है

किस का सर लाएँ

आस का नाम दुनिया है

उम्मीद के भरोसे पर दुनिया का कारोबार चलता है

आगे ख़ुदा का नाम है

वहाँ बोला जाता है जहाँ कोई चीज़ इस तरह बढ़ी हुई हो कि ईश्वर के सिवा कोई न हो, ईश्वर के नाम के सिवा कुछ भी नहीं, इससे अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता, अब अंत है, बस अंत है, इस से आगे कुछ नहीं

देखें ऊँट किस कल बैठता है

रुक : देखिए ऊओनट किस कल / करवट बैठता है

ये गंगा किस की ख़ुदाई है

उसको कहते हैं जो अपनी दौलत का ग़ुरूर करे कि यह तो ईश्वर की दी हुई है, या यह हमारी वजह से है

रंडी किस की जोरू , भड़वा किस का साला

ख़राब औरत या मर्द किसी के हो कर नहीं रहते

बिहिश्त का जानवर

किस किताब में लिखा है

ख़िलाफ़ क़ायदा और ख़िलाफ़-ए-दस्तूर होने की जगह

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ की शामत आई है जो अपनी औलाद को खोना चाहेगी, किस की बदक़िस्मत माँ अपने औलाद की तबाही चाहेगी

देखिए ऊँट किस कल बैठता है

देखिए अंजाम क्या हो, ख़ुदा मालूम किया नतीजा निकलेगा

ऊँट देखिए किस कल बैठता है

देखिए कि क्या प्रकट होता है, क्या परिणाम निकलता है

देखिए ऊँट किस करवट बैठता है

देखिए अंजाम क्या हो, ख़ुदा मालूम किया नतीजा निकलेगा

गंगा किस की खुदाई है

बड़े बड़े काम प्राकृतिक रूप से हो जाते हैं, बड़े काम किसी उपाय से नहीं होते

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

नाम ख़ुदा कँवारा पिंडा है

(ओ) चशम बददूओर कुंवारी है (उमूमन अभी के साथ

ऊँट किस पहलू बैठता है

रुक : ऊंट देखिए किस कल बैठता है

ये घोड़ा किस का जिस का मैं नौकर तू नौकर किस का जिस का या घोड़ा

टालने के मौक़ा पर कहते हैं, मुबहम बात पर तंज़न ये फ़िक़रा अदा करते हैं

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बगै़र मुँह धोए खाने बैठ जाए तो मज़ाक़ में कहते हैं

चस्का दिन दस का, पराया ख़सम किस का

मित्रता का मज़ा थोड़े दिन का होता है, अजनबी अपना नहीं बनता, पराया पराया ही होता है, वो अपना मतलब हल करके रास्ता लेता है

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

किस की सुनता है

मुर्दा जानवर का जिस्म

नाम को नहीं है

बराए नाम नहीं है, नाम गिनाने तक को नहीं है, बिलकुल नहीं है, मुतलक़ नहीं है

सदा नाम साईं का

रुक : सदा रहे नाम अल्लाह का

सहर किस का मुँह देखा

कुछ लोगों का विचार है कि अगर सुबह को उठ कर किसी भाग्यशाली का मुंह देखिए तो तमाम काम संवर जाते हैं और कंजूस या अभागे का मुंह देखिए तो तमाम काम बिगड़ जाते हैं

किस क़यामत का

सुब्ह किस का मुँह देखा था

बड़े जानवर का गोश्त

आज सुब्ह किस कंजूस का मुँह देखा था

सुबह को पहली बार किस अभागे का नाम मुंह से निकला था कि दिन भर भूखा रहना पड़ा

राँड का रोना , बाज़ार का सौदा , किस ने सुना

इन दोनों की दादरसी नहीं होती

रहे नाम साईं का

किस तकल्लुफ़ का

सुब्ह किस का मुँह देखा था

जब कोई काम बिगड़ जाये या खिलाफ-ए-मर्ज़ी हो या कोई नागहानी सदमा पहुंचे तो ये फ़िक़रा कहते हैं, मतलब ये होता है कि सुबह जागने के बाद सब से पहले किस मनहूस के चेहरे पर नज़र पड़ी थी जिस की नहूसत का ये असर हुआ है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में किस जानवर का नाम है के अर्थदेखिए

किस जानवर का नाम है

kis jaanvar kaa naam haiکِس جانْوَر کا نام ہے

वाक्य

किस जानवर का नाम है के हिंदी अर्थ

  • किसी शख़्स या चीज़ को बेवुक़त ज़ाहिर करने के लिए कहते हैं
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English meaning of kis jaanvar kaa naam hai

  • what a nonsense or absurd thing?
  • who the hell is he/she/it!
  • he/she/it knows nothing!

کِس جانْوَر کا نام ہے کے اردو معانی

  • ۔ کیا بے حقیقت چیز ہے۔ نامی شعرا نے اب تک یہ محسوس بھی نہیں کیا کہ مذاق شاعری کس جانورکا نام ہے۔
  • کسی شخص یا چیز کو بے وقعت ظاہر کرنے کے لیے کہتے ہیں.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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