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बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

बादशाहों के दिल की बात पता करना मुश्किल है, बादशाहों के दिल में क्या है यह किसी को नहीं मालूम होता

पादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया

दोनों का कुछ पता नहीं होता कि क्या करेंगे

दरिया का फेर किस ने पाया है

बुद्धिमान आदमी की बात की तह किसी की समझ में नहीं आती

हाकिम के मारे और कीचड़ के फिसले का किस ने बुरा मनाया है

हाकिम किसी को ज़द-ओ-कोब करे तो इस की तसल्ली के लिए कहते हैं

ख़ल्क़ का हल्क़ किस ने बंद किया है

कोई किसी की ज़बान को नहीं रोक सकता

किस की माँ ने धौंसा खाया है

किस माँ की शामत आई है जो अपनी औलाद को खोना चाहेगी, किस की बदक़िस्मत माँ अपने औलाद की तबाही चाहेगी

शेरों का मुँह किस ने धोया

कोई सोते से उठ कर बगै़र मुँह धोए खाने बैठ जाए तो मज़ाक़ में कहते हैं

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका है

राँड का रोना , बाज़ार का सौदा , किस ने सुना

इन दोनों की दादरसी नहीं होती

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

का टापू में मोर नाचा किस ने देखा

बाहर कुछ ही किया करो जब अपने वतन में कुछ करो तो हम समझें कि हाँ कुछ किया, परदेस में किसी बड़े काम करे करने का लुतफ़ ख़ानदान या वतन वाले नहीं उठा सकते, जब कोई शख़्स अपनी दौलत का सिर्फ़ किसी ऐसी जगह करे जहां अब्ना-ए-वतन या अज़ीज़-ओ-अका़रिब उसे ना देख सकीं तो कहते हैं

साहिब को किस ने बुलाया है

दोस्त अरसा-ए-दराज़ के बाद मुलाक़ात के वक़्त इज़हार-ए-इश्तियाक़-ओ-शिकायत के तौर पर मुस्तामल

जिस ने ढूँढा, उस ने पाया

जो कोशिश करता है वही कामयाब होता है

मुँह किस का है

जिस ने दिया उस ने पाया

जो ईश्नर के नाम पर देता है उसे लाभ होता है, जो दूसरों को देता है उसे मिलता भी है

किस का मुँह है

۔۔ किसे ताक़त है।

किस धान का चाँवल है

किस बाग़ की मूली है

ये किस का मूत है

(हक़ार ता) ये किस का नुतफ़ा है, ये किस का नुतफ़ा-ए-बद है, ये किस का जाया है

ये तस्वीर किस ने ली

जंगल में मोर नाचा किस ने देखा

परदेस में कोई बड़े काम करने का आनंद घर वाले नहीं देख सकते, जब कोई अपना धन परदेस में व्यय करे और अपने लोग उससे लाभांवित न हों तो यह बोलते हैं

फ़क़ीर की ज़ुबान किस ने कीली है

फ़क़ीर जो चाहे कह सकता है, उसे कोई भी नहीं रोक सकता

ठैरो, किसी ने छींका है

जब कोई जाने लगे और कोई दूसरा छनक दे तो कहते हैं ये छींकना मनहूस समझा जाता है और इस का असर थोड़ी देर ठीरने से जाता रहता है

किस के कान में फ़रिश्ते ने नहीं फूँका

मुराद: हर शख़्स को ख़ुशफ़हमी होती है

बुड्ढों ने जो काम सिखाया धोका मोल न वामें पाया

सन रसीदा और तजरबाकार आदमीयों की बताई हुई बात पर अमल करने में फ़ायदा ही होता है

किस चक्की का पीसा खाया है

किस चक्की का पिसा खाया है

किसी की अच्छी सेहत को देख कर कहा जाता है

किस ख़ुदा ने बताया

किस शिरा का हुक्म है, बजा आवरी क्यों फ़र्ज़ है, क्या ज़रूरी है, फ़ुज़ूल काम करने के मौक़ा पर मुस्तामल

सब कुत्ते काशी गए तो हंडिया किस ने चाटी

अगर सब नेक हैं तो शरारत किस ने की , शरीर अपनी हरकत से बाज़ नहीं आता

बोलते की ज़बान किस ने पकड़ी है

किसी व्यक्ति को आलोचना करने या बुरा भला कहने से कौन रोक सकता है

कमाउ ख़िसम किस ने न चाहा

जिस की ज़ात से फ़ायदा हो वही अज़ीज़ होता है

कमाऊ ख़सम किस ने न चाहा

सिसकती सिसकते ने दिया पकाया, बिलकती ने खाया जीभ जली न स्वाद पाया

किसी की बराए नाम हाजतरवाई होने के मौक़ा पर मुस्तामल

राजा का परचाना और साँप का खिलाना बराबर है

बादशाहों और हुकमरानों की मुसाहिबत में हरवक़त ख़तरा होता है

किस ख़ुदा ने कहा

किस शिरा का हुक्म है, बजा आवरी क्यों फ़र्ज़ है, क्या ज़रूरी है, फ़ुज़ूल काम करने के मौक़ा पर मुस्तामल

सच और झूट में चार उँगल का फ़र्क़ है

सच्चे बात देखी जाती है और झूओती बात सुनी जाती है, इसी लिए कहते हैं क्योंकि आँख और कान में चार उंगल का फ़र्क़ है

किस की रही और किस की रह जाए

किस चिड़िया का नाम है

रुक : किस जानवर का नाम है.(लाइलमी और ना वाक़फ़ीयत के इज़हार के लिए मुस्तामल)

किस की रही और किस की रह जाएगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

रंडी की ख़र्ची और वकीलों का ख़र्चा पेश्गी दिया जाता है

अगर वह पहले न ले लें तो उन्हें कोई बाद में नहीं देता, रंडी और वकील मज़दूरी पहले लेते हैं

देल दुनिया की दम बदम कीजिए किस की शादी और किस का ग़म कीजिए

दुनिया में मज़े उड़ाने चाहें ख़ुशी और ग़म की पर्वा नहीं करना चाहिए

किस हिसाब में है

नसीबों का फेर

तरसती ने दिया , बिलककी ने खाया , जीब चली स्वाद न पाया

एक बदबख़्त दूसरे पर एहसान करे तो कोई फ़ायदा नहीं होता

किस नींद सोया है

किस नींद सोता है

ज़ेवर रजे का , सिंघार और भूके का अधार है

ज़ेवर दौलतमंदों के लिए ज़ीनत का बाइस और ग़रीबों का सहारा है

तपंचा का पाया

तपंचा का पाया

तुम ने कहा और मैं ने मान लिया

तुम्हारी बात का मुझे विश्वास नहीं, तुम्हारी प्रतिज्ञा का मुझे भरोषा नहीं

सफ़र और सक़र में एक नुक़्ते का फ़र्क़ है

इस मौक़ा पर मुस्तामल है जहां ये कहना हो कि सफ़र में बड़ी तकलीफ़ होती है, सफ़र दोज़ख़ का नमूना है

मुफ़्लिस की जवानी और जाड़ों की चाँदी किस ने देखी

जाड़े की चांदनी से लुतफ़ नहीं उठाया जा सकता, बेफ़ाइदा चीज़ जिस से लुतफ़ ना उठा या जा सके तो ये कहावत कहते हैं

किस ख़याल में है

क्यों नहीं समझते, क्या सोचते हो, क्यों बेख़बर या बेफ़िकर हो

किस की रही और किस की रहेगी

ना जाने क्या हो ''दिल की उमनग निकाल लो'' की जगह बोलते हैं

निन्नानवें का फेर

किस हवा में है

जोगी किस के मित्र और पातुर किस की नार

यानी ये (दोनों) किसी के वफ़ादार नहीं होते, आज़ाद की दोस्ती का क्या भरोसा, जोगी दोस्त नहीं बिन सकते और फ़ाहिशा औरत बीवी नहीं बिन सकती

किस किताब में है

मुफ़्त का माल किस को बुरा लगता है

जो चीज़ मुफ़्त मिले उसे कोई नहीं छोड़ता

रोटी और औलाद से किसी का पेट भरा है

हर शख़्स रोज़ी और औलाद की कसरत चाहता है

बनिये का बहकाया और जोगी का फटकारा ख़राब होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है के अर्थदेखिए

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

baadshaaho.n aur dariyaa.o.n kaa pher kis ne paayaa haiبادْشاہوں اور دَریاؤں کا پھیر کس نے پایا ہے

कहावत

बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है के हिंदी अर्थ

  • बादशाहों के दिल की बात पता करना मुश्किल है, बादशाहों के दिल में क्या है यह किसी को नहीं मालूम होता
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English meaning of baadshaaho.n aur dariyaa.o.n kaa pher kis ne paayaa hai

  • a remark on the fickleness of kings

بادْشاہوں اور دَریاؤں کا پھیر کس نے پایا ہے کے اردو معانی

  • بادشاہوں کا مافی الضمیر دریافت کرنا محال ہے، بادشاہوں کے دل میں کیا ہے یہ کسی کو نہیں معلوم ہوتا

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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बादशाहों और दरियाओं का फेर किस ने पाया है

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