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gee के लिए उर्दू शब्द
gee के देवनागरी में उर्दू अर्थ
विस्मयादिबोधक
- ( अक्सर क़बलup ) घोड़े को तेज़ भगाने का इशारा ,तक तक-
- बोल चाल: अमरीका बेइख़्तयार, हैरत वग़ैरा के इज़हार का कलिमा, अरे
संज्ञा
- अवाम: अमरीका (उमूमन जमा में) एक हज़ार डालर।
gee کے اردو معانی
فجائیہ
- ( اکثر قبلup ) گھوڑے کو تیز بھگانے کا اشارہ ،تِک تِک-.
- بول چال: امریکا بے اختیار، حیرت وغیرہ کے اظہار کا کلمہ، ارے!
اسم
- عوام: امریکا (عموماً جمع میں) ایک ہزار ڈالر۔.
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गी
गा का स्त्रीलिंग, उसे क्रिया के आगे लगा कर क्रिया भविष्य और एक वचन रूप के साथ बहुवचन स्त्रीलिंग बनाते हैं
ग़ीं
नशा करने वालों की वह घमंडी आवाज़ जो नशे की तरंग में निकलती है, बेहोशी की हालत में निकली हुई ग़ुनूदगी की आवाज़
गौ
अपने स्वार्थ या हित के साधन की प्रबल इच्छा। प्रयोजन। मतलब। जैसे-वह अपनी गौं को आवेगा। पद-गों का यार = मतलबी। स्वार्थी। मुहा०-गौं गांठना या निकालना = अपना मतलब निकालना। स्वार्थ साधन करना। गौं पड़ना मतलब होना।
मौत आ गई
जब किसी ख़ुशी के अवसर पर विपरीत व्यक्ति इस ख़ुशी को सहन नहीं कर पाता और वह जल जाए, तब कहते हैं
गीदड़
भेड़िये या कुत्ते की जाति का एक जानवर जो लोमड़ी से मिलता-जुलता होता है। यह प्रायः उजाड़ स्थानों और जंगलों में रहता है, और इसका दिखाई देना या बोलना अशुभ माना जाता है, शृगाल, सियार
गीदड़ औरों को शुगून बताएँ आप अपनी गर्दन कुत्तों से कटवाएँ
अपनी मुसीबत की फ़िक्र नहीं औरों को तदबीर बताते फिरते हैं, औरों को नसीहत अपने फ़ज़ीहत
गीदड़ की सौ सालह जिंदगी से शेर की एक दिन की जिंदगी बेहतर है
कोई बड़ा कारनामा आदमी को हमेशा ज़िंदा रखता है चाहे वो उसे लम्बा जीवन प्राप्त न हुआ हो
गीद-गीद गुलौंदा खाए बीर-बीर महवे तले आए
महुवा फूल है गलोंदा इसी पेड़ का फल है, मतलब यह है कि जब किसी चीज़ का चिस्का पड़ जाए तो डर जाता रहता है
गीदड़ औरों को शुगून बताए आप अपनी गर्दन कुत्तों से तुड़वाए
अपनी मुसीबत की फ़िक्र नहीं औरों को तदबीर बताते फिरते हैं, औरों को नसीहत अपने फ़ज़ीहत
गीदड़ जब झेरे में गिरा तो कहा आज यहीं मुक़ाम है
मजबूरी में भी घमंड से बाज़ नहीं आया, शर्मिंदा हुए पर बात वही रखी, मजबूरी में भी घमंड नहीं गया
गीदड़ उछला उछला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अंगूर खट्टे होते हैं
बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं
गीदड़ उछ्ला उछ्ला जब अंगूर के ख़ोशे तक न पहुँचा तो कहा अख़ थू
बहुतेरी तदबीर की जब एक ना चली तो दूसरों ही का क़सूर बताया जब कोई तदबीर बिन नहीं पड़ती तो अपनी शर्मिंदगी मिटाने को दूसरों का क़सूर बताते हैं
संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .
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