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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
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'अक़्द-ए-मुव्वालात
(न्यायशास्त्र) किसी अज्ञात कुल के व्यक्ति का दूसरे को अपना सरदार और उत्तराधिकारि बनाने की प्रतिज्ञा और वचन
अत्तहिय्यात
वो कलिमात जो नमाज़ में दूसरी और आख़िरी रकात के सजदा-ए-आख़िर के बाद बैठ कर पढ़े जाते हैं और अत्तहिय्यात से शुरू होते हैं
'अदम-ए-तक़लीद
(धर्मशास्त्र) किसी धार्मिक विषयों में विवेकपूर्ण निर्णय करने वाला या इस्लामी धर्मशास्त्र सम्बन्धी संप्रदाय का अनुकरण न करना
अल-अहया
(धर्मशास्त्र) बाप-दादा से मिली हुई संपत्ति के बटवाके में लिखावट के नीचे उत्तराधिकारीयों में से हर एक के भाग का विवरण दिखाने के लिए उन के नामों के ऊपर खिंची हुई रेखाओं रुप वाला वाक्य
अल-मबलग़
(धर्मशास्त्र) विरासत के बंटवारे में खिंची हुई रेखाओं के साथ लिखा गया जीवित व्यक्तियों के ऊपर या नीचे छोड़ी हुई संपत्ति की मात्रा के लिए बहुत कम खिंची हुई रेखा के साथ लिखा जाने वाला वाक्य, जिसके नीचे कुल छोड़ी पूँजी लिखी जाती है
असील
(मुर्ग़बाज़ी) नर चील या गिद्ध के साथ मुर्ग़ी का जोड़ा लगने से जन्म लेने वाली नस्ल का पक्षी, (मांसल, भारी, गठा हुआ शरीर, ऊँचे हाड़, सुते हुए परों का बहुत जीवट और लड़ाकू होता है, उसकी आँखें मोती के गोल दाने के समान, तोते की आँखों के समान, कल्ला लंबा-चौड़ा मांस-रहित, कलग़ी छोटी और मोटी होती है, मादा अंडे कम देती है)
अहल-ए-रद
(फ़िक़्ह) वो वारिस जिन को मुक़र्रर हिस्से वाले वारिसों के हिस्सा पाने के बाद बाक़ी जायदाद मिल सकती है
अहवत
दो या दो से अधिक वस्तुओं में जो सावधानी के निकट हो, जिसमें त्रुटि से बचने की अधिक संभावना हो,अधिक विवेकपूर्ण क्रिया
आमीन-बिस्सिर्र
नमाज़ में इमाम के सूरा हम्द पढ़ने के बाद मुक़तदियों अर्थात दुसरे नमाज़ियों का आहिस्ता से आमीन कहना (जो इमाम अबू हनीफ़ा का पंथ या मस्लक है)
इक़ाला
कही हुई बात से इंकार करना, क्र्य-विक्रय के अनुबंध को रद्द करना, ऋण के अनुबंध को रद्द करना, किसी काम का विचार छोड़ देना
इलमाम
शाब्दिक: यात्रा से आकर उतरना, दर्शन करके आना, फ़िक़्ह: हज की रस्में पूरी करने के बाद घर पहुंचना
इस्तिबरा
मूत्र या शौच पश्चात पवित्र होने की विधी, (मूत्र या शौच के पश्चात ) पाकी, सफ़ाई एवं पवित्रता
इस्तिंबात
मालूम बातों से नामालूम बात जानने की प्रकिया, चंद बातों को मिला कर अक़्ल की मदद से किसी निष्कर्ष पर पहुँचना
इस्तिस्हाब
(फ़िक़्ह) जिस मसले के मुताल्लिक़ कोई हुक्म सरिया ना हो इस पर वैसे ही किसी दूसरे मसले की रो से (जिस के मुताल्लिक़ हुक्म सरिया हो) हुक्म लगाना या फ़तवा देना
इस्तिहबाब
शाब्दिक: पसंदीदा या प्रिय होना, फ़िक़्ह: किसी अमर का अच्छा होना अर्थात शरीयत की अनुसार पुण्य या मस्नून होना
'उम्रा
(विधिशास्त्र) इस्लाम में कोई चीज़ किसी को पूरी उम्र के लिए दे देना इस शर्त पे कि मरने के बाद वापस ले लूँगा
एहतियात
सूझ-बूझ से समझ-सोच कर क़दम उठाना या फ़ैसला करना, क़दम उठाने से पहले पूरा-पूरा ध्यान, सोच-विचार, समझदारी, सूझ-बूझ
एहराम
(सूफ़ीवाद) बड़ी चादर, (प्रायः केसरी रंग की) जो सूफी, संत एवंं फक़ीर आदि आधा लुंगी के तौर पर बाँधते है तथा आधा शरीर के उपरी भाग पर लपेट लेते हैं (प्रायः वारसी अनुयायी)
एहसार
(फ़िक़्ह) वो रुकावट जिस की वजह से आज़िम हज या मुहर्रम सफ़र मुल्तवी करदे (जैसे मर्ज़ या दुश्मन वग़ैरा)
औलिया
ऋषिगण, पीर, साधु-संत, संत; महात्मा, सिद्ध पुरुष,मुसलमानी धर्म के अनुसार बहुत बड़े भक्त या पहुँचे हुए फकीर, सीधा-सादा जिसमें दिखावा और छल न हो, उत्तराधिकारी
कलाला
वो शख़्स जिस के वालिद और औलाद ना हो, वो शख़्स जिस के वारिसों में बाप दादा, बेटा बेटी और पोता पोती ना हो
काफ़िर-ए-ज़िम्मी
(फ़िक़्ह) वो काफ़िर जो हुकूमत-ए-इस्लाम को जिज़्या अदा करे और इस बिना पर हुकूमत उस के जान-ओ-माल और आबरू की ज़िम्मेदार हो
काफ़िर-ए-हर्बी
(फ़िक़ह) वह काफ़िर जिसकी वजह से धर्म के मामलों में व्यवधान उत्पन्न हो और इस आधार पर उससे लड़ना अनिवार्य हो जाए
किफ़ाअत
समगोत्र होना, समजातीय होना, एक समान होना, बराबर होना, (धर्मशास्त्र) मर्द और औरत का कुछ विषयों में (वंश एवं गोत्र के अनुसार) बराबर होना, समान होना
ख़फ़ीफ़ा
छोटी, अदना, हल्की, कम वज़न, माममूली, एक दीवानी न्यायालय, जिसमें छोटे केस सरसरी सुने जाते हैं, जिनकी अपील नहीं होती
ख़ियार-उल-बुलूग़
वह विकल्प और अधिकार जो लड़की को बालिग़ और वयस्क होने पर हासिल होता है कि वह वयस्क होने से पहले की अपनी शादी को रद्द करे या बाक़ी रखे
ग़ुलू
बढ़ा चढ़ा कर बताना, ऐसी अत्युक्ति जो न बुद्धि के अनुसार ठीक हो न प्राकृतिक हो, अति करना, हद से गुज़र जाना, शूरू गोगा, ग़लग़ला, चर्चा, जवानी की शुरूआत और जोश, ज़ोर
चहार-इमाम
(धर्मशास्त्र) सुन्नी लोगों के चार इमाम (इमाम अबू हनीफ़ा, इमाम शाफ़ई, इमाम मालिक और इमाम हंबल)
ज़कात-ए-इज़्तिरारी
(न्यायशास्त्र) विवश्ता या मजबूरी की अवस्था में और विधी से हलाल करना, उदाहरण के लिए शिकार के शरीर के किसी हिस्से पर घाव पहुँचाना
जल्सा-ए-इस्तिराहत
(धर्मशास्त्र) नमाज़ में सजदा करने के बाद दूसरी बार बैठना यानी दूसरे सजदे के बाद खड़ा होने से पहले ज़रा देर बैठना
ज़वात-ए-अम्साल
(फ़िक़्ह) वो चीज़ें जिन के तलफ़ कर देने से क़ीमत की अदायगी के बजाय वैसी ही चीज़ें वापिस करना लाज़िम हो
ज़िम्मी
(फ़िक़्ह) वह व्यक्ति जो ईश्वर को एक न मानने वाला नागरिक जो इस्लामी शासन की सूरक्षा में रहता हो और उसने तावान को स्वीकार कर लिया हो, राजस्व देने वाला
त'अव्वुज़
(लाक्षणीक) वो काग़ज़ जिस में ख़ाना-पुरी इश्वरीय नामों की हो या कोई मंत्र लिखा हो जिसको उद्देश्श्य प्राप्ति के लिए कभी नदी में बहाते कभी चलाते कभी कुँए में डालते कभी ज़मीन में दफ़न करते हैं
तख़्लील
(फ़िक़्ह) ख़िलाल करना, वुज़ू के दौरान में नम उंगलीयों के ज़रीये हाथ पांव की उंगलीयों के दरमयानी ख़ला में मस्ह करना
तदाख़ुल
(तारीख़) किसी ज़माना मुद्दत मज़हब या तहज़ीब का दूसरे ज़माना मुद्दत या तहज़ीब से इबतिदाई मिलाप या टुकड़ाऊ
तलाक़-ए-अहसन
(धर्मशास्त्र) वह तलाक़ जिसमें मर्द अपनी औरत को एक तलाक़ पाकी की हालत में दे दे जिसमें उससे संबंध ना बनाए हों और यह एक तलाक़ देकर छोड़ दे तो इद्दत ख़त्म होने के साथ निकाह टूट जाता है
तलाक़-ए-खुल'
(फ़िक़्ह) तलाक़ जिस में औरत अपने शौहर से बोजोह राज़ी ना हो और महर माफ़ कर के या कुछ और माल दे के तलाक़ ले ले
तलाक़-ए-बत्ता
(फ़िक़्ह) बाक़ौल तिरमिज़ी इख़तिलाफ़ किया है अहल-ए-इलम ने तलाक़ बता में कि हज़रत अली से मर्वी है कि वो तीन तलाक़ हैं और हज़रत अमरओ से कि वो एक तलाक़ है जबकि हज़रत रुका ना की हदीस से ये बात बातफ़ाक़ साबित है कि हज़रत रुका ना की तलाक़ को हुज़ूर सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने एक उस वक़्त क़रार दिया जब कि उन्हों ने हलफ़ के साथ बयान दिया कि मेरी नीयत तीन तलाक़ की नहीं थी
तलाक़-ए-बिद'अत
(धर्मशास्त्र) इस तलाक़ की तीन दशाएँ हैं; (१) माहवारी के समय तलाक़ दी हो (२) ऐसे शुद्ध समय में तलाक़ दी हो जब मिलन हो चुका था (३) तीन तलाक़ें एक साथ दे दी हों
तलाक़-ए-हसन
(धर्मशास्त्र) औरत के तीन विभिन्न मासिक धर्मों के उपरांत अलग-अलग बार तीन तलाक़ें देना, इसे तलाक़-ए-सुन्नत भी कहते हैं
तलाक़-बिल-किनायात
(फ़िक़्ह) ये तलाक़ ऐसे लफ़्ज़ से होती है कि मौज़ू तलाक़ के लिए ना हो मगर तलाक़ का एहतिमाल रखता हो, वो तलाक़ जो साफ़ लफ़्ज़ों में ना हो
ता'तील
छुट्टी, अवकाश, छुट्टी का दिन, मोहलत, फ़ुर्सत, निठल्लापन, बेकारी, कारख़ाने, दफ़्तर या स्कूल के बंद होने का दिन
ताहिर
पवित्र, पाक दामन, पाक, शुद्ध, अशुद्धता से मुक्त, गंदगी और दोषों से मुक्त, जिस का दिल और विवेक बुरे ख़्यालात, बुरे विचारों, से मुक्त हो, नेक, परहेज़गार
दु'आ-ए-क़ुनूत
(अहल-ए-सुन्नत) एक निश्चित दुआ' (अरबी भाषा में) जो वित्र की नमाज़ की तीसरी रक'अत में पढ़ी जाती है
दु'आ-ए-तल्क़ीन
(फ़िक्ह-ए-जाफ़रिया) वो दुआ जो मुर्दे को क़ब्र में लुटाने के बाद इस के दोनों शानों को मुक़र्रर तरीक़े से हिला कर पढ़ी जाती है
दह-दर-दह
(फ़िक्ह) हौज़ वग़ैरा जिस की लंबाई और चौड़ाई और गहराई दस दस गर हो, इस का पानी (शरई) मुरब्बा दस हाथ से दस हाथ (दस गज़ मुरब्बा और बालिश भर गहिरा पानी जो अहल-ए-इस्लाम के हाँ पाक है
नजिस-उल-'ऐन
(फ़िक़्ह) वह चीज़ जो सिर से पाँव तक अपवित्र हो, जिसका छूना भी वर्जित हो, वो चीज़ जो कभी पवित्र न हो सके जिसका हर एक अंग अपवित्र हो, जैसे, शराब, मदिरा, सूअर, अपवित्र शरीर आदि
नजिस-ग़लीज़
(धर्मशास्त्र) नापाकी और गंदगी में लिपटी चीज़, वह चीज़ जिस पर किसी सख़्त क़िस्म की गंदगी पड़ी हो
नजिस-रक़ीक़
(धर्मशास्त्र) गंदगी जो नमी या गीलेपन की शक्ल में हो, वह गंदगी जो सूखी हुई न हो बल्कि पानी की शक्ल में हो
नफ़्ली
(फ़िक़्ह) नफ़ल (रुक) से मंसूब या मुताल्लिक़ , जो फ़र्ज़ या वाजिब ना हो, रज़ाकाराना (इबादत या काम वग़ैरा)
नफ़िल-नमाज़
(धर्मशास्त्र) वह नमाज़ जो फ़र्ज़, वाजिब और सुन्नत के अलावा (सवाब हासिल करने या शुक्राने के लिए) पढ़ी जाए
नवाही
‘नहुइ' का बहु., वे विषय जो धर्मानुसार निषिद्ध हैं, वो कर्म, धर्म ने जिन से मना किया है, नाजायज़ काम
नुसूस-ए-किताब
(न्यायशास्त्र) वह नियम जो क़ुरआन के अनुसार स्पष्ट हों, वह तर्क जो दिव्य पुस्तकों यानी क़ुरआन से स्पष्ट हों
नुसूस-ए-शर'इय्या
(न्यायशास्त्र) (इस्लाम) वह प्रमाणिक तर्क जो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्पष्ट हों, निश्चित तर्क
नहारी
वह हलका भोजन जो सबैरे किया जाता है, जलपान, कलेवा, नाश्ता, मुसलमानों के यहाँ बनने वाला एक प्रकरा का शोरबेदार सालन जो रात भर पकता है और जिसके साथ खमीरी रोटी खाई जाती है, नौकरों, मज़दूरों को जलपान आदि के निमित्त दिया जाने वाला धन, दिन के वक़्त शिकार करने वाले परिंदे
नाक़िस-उल-हुज़ूज़
(ज्ञान) औरतें जिनके विरसे के हिस्सों में कमी हो, वह जिनको शरई हिस्सा ना मिले, (क्योंकि मर्द को दोहरा और औरत को एक हिस्सा मिलता है
ना-मुक़ल्लिद
(धर्मशास्त्र) पैरवी न करने वाला, पैरवी करने वाला न हो, अर्थात: जो चार इमामों में से किसी पर भी विश्वास नहीं करता, अहल-ए-हदीस, हदीस पर चलने वाले
ना-महरम
(फ़िक़्ह) वह मर्द जिससे सत्री का पर्दा वाजिब (अनिवार्य) हो, वो शख़्स जिससे निकाह (विवाह) जायज़ हो, जिसकी तरफ़ देखना धर्मानुसार मना हो
निकाह-नामा
वह पत्र जिसमें निकाह की शर्तें, निकाह की तारीख़ और जगह, महर की मात्रा, गवाहों के नाम लिखे जाते हैं
निकाह-फ़ुज़ूल
ऐसा निकाह जो वली के अतिरिक्त कोई अन्य व्यक्ति कर दे ऐसा निकाह मुवक्किल की अनुमति के अधीन होगा (फ़िक़ह) अगर उसने अनुमति दे दी तो मान्य रहेगा अन्यथा समाप्त हो जाएगा
निकाह-बातिल
(फ़िक़्ह) ऐसा निकाह जो फ़ी नफ़सहा कुलअदम हो, ऐसा निकाह जो ग़ैर मोस्सर हो और इस से फ़रीक़ैन के दरमयान कोई अज़दवाजी हक़ क़ायम नहीं होता, इस निकाह की हसब-ए-ज़ैल सूरतों हैं । (१) मुहर्रमात में से किसी से निकाह (२) काफ़िर का मुस्लमान औरत से निकाह (३) निकाह शूदा औरत से निकाह । ए
निकाह-सहीह
(फ़िक़्ह) वो निकाह जो शरई हैसियत से जुमला अरकान पर पूरा उतरे, क़ानूनी और शरई तौर पर दरुस्त निकाह
निजासत-ए-ख़फ़ीफ़ा
(फ़िक़्ह) नजासत इहक़ीक़ी की दो किस्मों में से एक, मसलन हलाल जानवरों का पेशाब और हराम जानवरों की बैट वग़ैरा, हल्की किस्म की नजासत, ऐसी नजासत जो ग़लीज़ा ना हो
निजासत-ए-ग़लीज़ा
(फ़िक़्ह) नजासत इहक़ीक़ी की दो किस्मों में से एक, वो नापाकी जो सख़्त हो , जैसे : ख़ून, आदमी का पेशाब, पाख़ाना, मनी , शराब , स्वर का गोश्त वग़ैरा, (नजासत ख़फ़ीफ़ा के मुक़ाबिल)
निसाब-ए-ज़कात
(मुस्लिम धर्मशास्त्र) वह धन, पशु या सोना-चाँदी या व्यापारिक पूँजी आदि जिस पर ज़कात देना अनिवार्य है और वह 52.5 तोला चाँदी और 7.5 तोला सोना होता है
पीछे
अनुपस्थित या अविद्यमान होने की अवस्था में। किसी के सामने न रहने की दशा में। जैसे-किसी के पीछे उसकी बुराई करना बहुत अनुचित है। पद-पीठ पीछे = दे० ' पीठ ' के अन्तर्गत यह पद।
फ़क़ाहत
इस्लामी न्यायशास्त्र में न्यायिक कुशाग्र बुद्धि, न्यायशास्त्रीय ज्ञान तक पहुंच, बुद्धिमत्ता, मनीपा, मेधा, अक़्लमंदी
फ़र्ज़-ए-किफ़ाया
वह कर्तव्य या कार्य जो एक आदमी के अदा करने से सबकी ओर से अदा हो जाए, जैसे—किसी सभा में किसी के सलाम का जवाब एक आदमी दे दे तो सब की ओर से हो जाता है, वो काम जिसका करना बहुत ज़रूरी न हो या ज़रूरी हो मगर एक के करने से सब की ओर से हो जाता है
बै'-ए-सलिम
(फ़िक़्ह) नर्ख़ होने के बाद कल या जुज़ु क़ीमत पहले अदा कर देने और सामान बाद में लेने का अमल
बै'-बिल-वफ़ा
(फ़िक़ा हनफ़ी) कोई चीज़ नक़द या सामग्री के बदले गिर्वी रखी जाए और ये शर्त लीखी जाए कि जैसे दो वर्ष के अंदर रुपया अदा करके न छुड़ा लें तो गिर्वी रखी हुई चीज़ विक्रय अर्थात बिकी हुई मानी जाएगी
बाइन
(लफ़्ज़ा) जुदा होने की वाला, (फ़िक़्ह) की तलाक़ की एक क़िस्म जिस के बाद फिर रुजू करने की इजाज़त नहीं
बातिन
अंतरमन, अंतरात्मा, अन्तःकरण, छुपा, मन, हृदय, दिल, भीतर, ज़मीर, रुहानी क़ुव्वत, रूहानियत, अंदरूनी हालत जो बाहर से दिखाई न दे, किसी चीज का भीतरी भाग, इश्वर का विशेषतः नाम
मु'अक़्क़िबात
(धर्मशास्त) वह तस्बीह जो नमाज़ के बाद दुआ पूरी होने के लिए पढ़ी जाएँ; तस्बीह जो एक के बाद एक पढ़ी जाएँ जैसे: सुब्हानल्लाह अलहम्दुलिल्लाह और अल्लाहुअकबर
मक्की
'अरब के मशहूर शहर मक्का से संबंधित कोई शैय, मक्सका शहर का रहने वाला, जो इस्लाम के पवित्र शहर मक्का में पैदा हुआ हो
मुंकर
۔(ए। बालज़म वफ़तह सोम) सिफ़त। ख़राब खोटा। मकरूह। नामशरू जैसे ख़ताए मुन॒कर॒। २।मुज़क्कर। इन दो फ़रिश्तों में से एक का नाम जो क़ब्र में मर्दों से बाज़पुर्स करते हैं। इस मानी में तन्हा मुस्तामल नहीं मुनकिर नकीर की तरकीब से मुस्तामल है। ३।मुअन्नस। हदीस की एक क़िस्म। देखो मारूफ़। ४।बक्स
मकरूह-ए-तंज़ीही
(फ़िक़्ह) वो नापसंदीदा फे़अल जिस से बचने में अज्र-ओ-सवाब तो है लेकिन जो शख़्स ना बच्चे वो गुनाहगार भी नहीं, ऐसा मकरूह फे़अल जो हलाल से क़रीब हो (मकरूह तहरीमी के मुक़ाबिल)
मकरूह-ए-तहरीम
(फ़िक़्ह) वो कलिमा / बात जिस से बचना हर मुस्लमान के लिए वाजिब है, वो मकरूह फे़अल जो हराम के क़रीब हो, निहायत नाजायज़ बात या अमल
मुकल्लफ़
۔(ए)सिफ़त।(अलिफ़) बरोज़न मुक़द्दस।लुगवी मानी तकलीफ़ दिया गया।मजाज़न वो शख़्स जो आक़िल बालिग़ हो२।(उर्दू) पुरतकल्लुफ़ आरास्ता(ब) बक्सर हर्फ़ सोम शदद। लुगवी मानी रंज वमशक़त देने वाला २।(उर्दू) बुलाने वाला। दावत देने वाला। मानी नंबर २ में बेशतर उल-मुकल्लिफ़ लिख कर दावत के ख़तों में नाम लखत
मुक़ल्लिद
तक्लीद करनेवाला, अनुकारी, अनुकरण करनेवाला, अनुयायी, पैरौ, शिष्य, चेला, मुरीद, मुसल्मानों का वह समुदाय जो खुदा और रसूल के अतिरिक्त चारों इमामों को भी मानता है
मुंकिर-ए-हदीस
(फ़िक़्ह) हदीस को तस्लीम न करने वाला, हदीस को दीन के मुआमलात में हुज्जत तस्लीम न करने वाला
मुख़म्मसा
(फ़िक़्ह) माँ, बहन या दादा के मुताल्लिक़ तक़सीम जायदाद का मसला जिस पर पाँच सहाबा हज़रत अलेऊ, हज़रत इसमाणुओ, हज़रत इबन मसावदओ, हज़रत ज़ेदओ और हज़रत इबन अब्बास ओ में इख़तिलाफ़ था
मुग़ल्लिज़ा
(फ़िक़्ह) तलाक़ की एक क़िस्म जिस में तीनों तलाक़ें वाक़्य हो जाएं और रुजू या निकाह की गुंजाइश ना रहे, औरत अपने साबिक़ा शौहर पर सिर्फ़ हलाला की सूरत में हलाल हो सके
मुज्तहिद-ए-मुतलक़
(फ़िक़्ह) वो मुज्तहिद जो उसूल में किसी का मुक़ल्लिद ना हो, वो मुज्तहिद जिसे इजतिहाद मुतलक़ का दर्जा हासिल हुआ हो , मुराद : आइमह-ए-अर्बा यानी इमाम अबूहनीफ़ा, इमाम शाफ़ई, इमाम मालिक और इमाम अहमद इबन हनबलऒ में से कोई एक
मुज़दल्फ़ा
एक मुक़ाम का नाम जो मक्के के क़रीब अर्फ़ात और मिना के मध्य स्थित है जहां हाजी शैतान को मारने कंकरीयां चुनते हैं
मुज़ाफ़
(क़वाइद) वो इस्म जिसे इज़ाफ़त या निसबत दी जाये, मुताल्लिक़ या मंसूब किया जाये , वो इस्म जो दूसरे इस्म के साथ लगाया जाये
मुज़ारबत
(फिक़्ह) किसी को व्यवसाय के लिए इस शर्त पर माल देना कि लाभ में साझा रहेगा, कारोबार में ऐसी साझेदारी कि माल एक का हो और मेहनत दूसरे की
मताफ़
परिक्रमा करने का स्थान, मक्का में काबे के इर्द-गिर्द वह जगह जो तवाफ़ (परिक्रमा) करने के लिए तय है, तवाफ़ करने की जगह
मुद्दत-ए-'इद्दत
तलाक़ (या विध्वा होने) के बाद की वह अवधि जिसमें स्त्री को दूसरा निकाह (विवाह) करना वैध नहीं और वह मुतल्लक़ा (तलाक़ पा चुकी महिला) के लिए तीन मासिक-धर्म या तीन मास है और विध्वा के लिए चार-मास और दस दिन, गर्भवती स्त्री के लिए दोनों स्थिती में प्रसव तक है
मुनक़्क़ला
(चिकित्सा) सर की वह चोट जिसमें खोपड़ी टूट जाए अथवा वह चोट जिसमें हड्डी टूट कर उसकी नोक बाहर निकल आए
मनाकीर
इंकार अर्थात अस्विकृत किए हुए, (धर्मशास्त्र) वो परंपराएँ या प्रथाएँ जो दैवीय आज्ञाओं के विरुद्ध हैं, अनुचित, धर्म-विरुद्ध बातें या चीज़ें, वर्जित, निषेध
मुनाबज़ा
(फ़िक़्ह) बैअ की एक किस्म कि बाए जब बैअ को मुशतरी के पास फेंक दे तो बैअ लाज़िम हो जाये । मना किया हज़रत सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम ने मिला मसह और मुनाबज़ा से
मफ़्क़ूद-उल-ख़बर
(फ़िक़्ह) वो मुस्लमान जिसको गैर-इस्लामी मुल्क में क़ैद रखा गया हो और उसका हाल मालूम न चले
मुफ़स्सल
तफसील अर्थात् ब्योरे के रूप हुआ। २ स्पष्ट। पुं० किसी बड़े नगर के आस-पास के प्रदेश या स्थान। किसी बड़े शहर के आस-पास की छोटी बस्तियाँ।
मुमय्यज़
(फ़िक़्ह) रहन रखी जाने वाली चीज़ जो दूसरी चीज़ से हो मगर वो रहन ना हो मसला फल रहन रखे जाएं दरख़्त रहन ना हो
मे'राज़
(फ़िक़्ह) एक बेपर का तीर जो निशाने पर अर्ज़ से जा कर लगे तो शिकार (फ़िक़्ह में हराम और अगर उस की नोक में तेज़ी हो और नोक की जानिब से लगे तो शिकार हलाल है)
मुराहिक़ा
(फ़िक़्ह) मुराहिक़ (रुक) की तानीस, ऐसी लड़की कि इस के मिसल और औरतों से जमा हुआ हो और वो सन बलूग़ में मसलन नौ बरस या ज़्यादा की हो लेकिन अलामात बलूग़ ज़ाहिर नहीं
मुस्तलज़्ज़ात
वांछित चीज़ें जिनसे स्वाद प्राप्त हो, फ़िक़्ह: वो चीज़ें जिनसे स्वाद प्राप्त कीया जाये, वांछित चीज़ या बातें, मज़ेदार चीज़ें
मुसतहब
वह कृत्य जिसके करने से पुण्य की प्राप्ति हो और न करने पर कोई दोष न लगे, वह प्रार्थना जिसे पैग़म्बर मोहम्मद साहब ने स्वयं की हो, उसकी अच्छाइयाँ बताई हों, परंतु उसके करने को स्पष्ट रूप से न कहा हो
मुस्तामिन
फ़िक़्ह: वो मुस्लमान जो किसी गैर-मुस्लिम देश में उनकी इजाज़त से पनाह ले, वो ग़ैर-मुस्लिम जो गैर-मुस्लिम देश से मुस्लिम-देश (शांति की संधि करने के बाद) शरण ले
मुस्लम-फ़ीह
(फ़िक़्ह) वो (चीज़) जिस की क़ीमत कल या जुज़ु पहले अदा करदी जाये और वो (चीज़) बाद में उठाई जाये
मुसल्लस
त्रिकोण, त्रिभुज, तीन कोनों वाला, तिकोना, तीन पंक्तियों वाली कविता, एक पकार की शराब जो सुद्ध करने के बाद एक तिहाई रह जाती है, मशक, संदल और काफ़ूर से मिश्रित एक ख़ुशबू
मस्लहत-ज़रूरी
(फ़िक़्ह: इस्लामिक क़ानून अर्थात शरीयत की शैली)दंड की नीति एक प्रकार की , जिसके बिना जीवन संभव न हो अथवा संभव हो लेकिन इसके दोष से मनुष्य के भौतिक जीवन में हानि पहुँचती हो
मस्लहत-हाजी
(फ़िक़्ह) सज़ा की एक क़िस्म जो इंसानी ज़िंदगी में तंगी पैदा करे और दुशवारी का सबब क़रार दी जाये
मुसाफ़िहात
(धर्म शास्त्र) व्यभिचारी स्त्रियाँ, अवैध संभोग करने वाली स्त्रियाँ, खुल्लम-खुल्ला अवैध संभोग करने वाली व्यभिचारी स्त्रियाँ औरतें
मुसालिह
(फ़िक़्ह) वो वारिस या शरीक जो दीन मुश्तर्क या तर्के में से किसी शैय मालूम को लेकर अलैहदा हो जाये और दूसरे वारिस या शरीक इस पर राज़ी हूँ, सुलह करने वाला
मूसिया
वसीयत (मृत्यु से पूर्व दिया गया निर्देश) लिखने वाली स्त्री, वसीयत करने वाली औरत, मृत्यु के समय ये कहने वाली महिला कि मेरी मृत्यु के बाद ऐसा किया जाए
मह्र-ए-मिस्ल
वह मह्र जो लड़की के बाप के कुन्बे की दूसरी लड़कीयों के मह्र के बराबर क़ाजी के क़लम से उल्लिखित हो
मा'रूज़-'अलैहा
(न्यायशास्त्र) वह (महिला) जिसे (तलाक के संबंध में) बाहर रखा गया है या निलंबित कर दिया गया हो
माल-ए-मुज़ारबत
(फ़िक़्ह) वो सामान-ए-तिजारत जो एक शख़्स दूसरे को फ़रोख़त करने के लिए दे और इस के नफ़ा में शरीक हो
मीरास-ए-असीर
(फ़िक़्ह) उस मुस्लमान की मीरास जो कुफ़्फ़ार की क़ैद में हो और इस का हिस्सा-ए- मीरास इस के वापिस आने तक महफ़ूज़ रखा जाये
मीरास-ए-हम्ल
(फ़िक़्ह) वो जायदाद जो इस वारिस को मिले जो मूरिस की वफ़ात के वक़्त बतन-ए-मादर में मौजूद हो और ज़िंदा पैदा हुआ हो
मो'तक़िद
धर्म विश्वास या एतिक़ाद रखने वाला, श्रद्धालु, श्रद्धावान, मानने वाला, दिल से भरोसा रखने वाला
मो'तदा-ग़ैर
(धर्मशास्त्र) औरत जो इद्दत (मुसलमानों में पति के मरने या तलाक़ देने के बाद का वह समय जिसमें स्त्री पुनर्विवाह नहीं कर सकती) में हो
मो'तदा-वफ़ात
(धर्मशास्त्र) पत्नि जो पती की मृत्यु के कारण होने वाली वो निश्चित अवधि जिसमें वो विवाह नहीं कर सकती
मौक़ूफ़-'अलैह
जिस पर किसी काम का फ़ैसला मुनहसिर किया जाये , सालस पंच, सरपंच , (फ़िक़्ह) वो जिसे फ़ायदा पहुंचाने के लिए वक़्फ़ किया जाये
मौक़ूफ़ा
समर्पण किया हुआ, समर्पित, (धर्मशास्त्र) भगवान के नाम पर या अच्छे कामों के लिए छोड़ा हुआ धन-संपत्ती
रिवायत लाना
(धर्मशास्त्र) इस्लामी परिभाषा में पैग़म्बर मोहम्मद के मुख से सुनी हुई बात का वर्णन किसी दूसरे से उन्हीं के शब्दों में करना
लग़्व
असंगत और बेतुका, बिलकुल झूठी और व्यर्थ की बात, असत्य, झूठ, अनर्थ, बेतुका, वाहियात, अर्थहीन, व्यर्थ, बेकार, बकवास, जो किसी काम का न हो
वक़्ती-'उज़्र
(फ़िक़्ह) उज़्र जो शरई ज़िम्मेदारीयों या इबादत से आरिज़ी तौर पर रोक दे (जैसे हैज़-ओ-नफ़ास वग़ैरा)
वुक़ूफ़-ए-'अरफ़ात
(धर्मशास्त्र) हज का एक मुख्य अनुष्ठान, नौ ज़िलल-हिज्जा को अराफ़ात के मैदान में तीर्थयात्रियों का ठहरना होता है, और इसके छुट जाने पर हज नहीं होता है
वक़्फ़-ए-'आम्मा
(फ़िक़्ह) अराज़ी या चीज़ें जो आम आदमी के इस्तिमाल और फ़ायदे के लिए हूँ , जैसे : मस्जिद, क़ब्रिस्तान वग़ैरा
वुजूब-ए-शर'ई
(फ़िक़्ह) वो वाजिब जिस का अमलन तारिक़ मुस्तहिक़ मुज़म्मत-ओ-अज़ाब हो , जो दलील ज़न्नी से साबित हो , जिस के इनकार से कुफ्र लाज़िम ना आए कभी कभी फ़र्ज़ पर भी वाजिब का इतलाक़ कर दिया जाता है
वतन-ए-असली
(तसव्वुफ़) जगह जहां से सब इंसानों की रूहें दुनिया में आई हैं और जहां लूट कर जाना है, आलम-ए-बाला, आलम-ए-अर्वाह
वतन-ए-इक़ामत
(इस्लामिक न्यायशास्त्र) अस्थाई रूप से निवास करने का या रहने का स्थान, अर्थात: स्थान जहाँ पंद्रह दिन या उससे अधिक समय का निवास हो
वली-ए-निकाह
(फ़िक़्ह) हर आक़िल-ओ-बालिग़ मुस्लमान जिस को बलिहाज़ अहकाम शिरा हक़ वलाएत पहूँचता हो, वली निकाह हो सकता है, जो बालिग़ का निकाह कराने का इख़तियार रखता हो
वली-ए-मुजीर
(फ़िक़्ह) मुराद : नाबालिग़ का सरपरस्त जिसे किसी वली की अदमे मौजूदगी के सबब सरकारी तौर पर उजरत पर नामज़द किया गया हो और नाबालिग़ ही के माल से उसे इस काम की उजरत दी जाये
वसायत
शाब्दिक: जो कुछ कि आज्ञा किया गया, वसीयत, फ़िक़्ह: वकालत, अवयस्क की अभिभावकता, अभिभावक होना (शी'आ), वसी (हज़रत अली) का पद
वसिय्यत-उल-वाजिबा
मिस्र के क़ानून के अंतर्गत वह क़ानूनी विरासत जो बिना वसीयत किए हुए भी मृतक के वारिसों को दिया जाएगा
वसी-क़ाज़ी
(फ़िक़्ह) वो शख़्स जिसे अदालत ने मरने वाले शख़्स के तर्के के इंतिज़ाम के लिए मुक़र्रर क्या हो
वाजिब-किफ़ाई
(फ़िक़्ह) बदले के तौर पर लाज़िम, ऐसा वाजिब जिसे अगर कोई एक (शख़्स) भी अदा कर दे तो दूसरे पर वाजिब नहीं रहता (जैसे ग़ुसल मी्यत वग़ैरा)
शिर्क-ए-महज़
(फ़िक़्ह) जो मुहब्बत ख़ुदा के वास्ते लाज़िम है वो वालदैन के हक़ में मरई रखना शिर्क महिज़ है
शिरकत-ए-मुफ़ावज़ा
(फ़िक़्ह) वो हिस्सादारी जिस में दोनों शरीक माल, उम्र, हैसियत और दीन में बराबर हूँ मसलन मुस्लमान और काफ़िर, आज़ाद और ग़ुलाम में शिरकत जायज़ नहीं
शिरकत-ए-मिल्क
(फ़िक़्ह) दो शख़्स विरासत की वजह या ख़रीदारी से एक चीज़ के मालिक हो जावें और इस शिरकत में हर एक अन्न में से अजनबी होता है यानी हर एक को दूसरे के हिस्से में तसव्वुफ़ जायज़ नहीं बगै़र उस की इजाज़त के
शिरकत-ए-वुजूह
(धर्मशास्त्र) वह हिस्सेदारी जिसमें दोनों साझेदार माल क़र्ज़ के तौर पर खरीदें और बेचें और नक़द कुछ नहीं लगाएं और असल क़ीमत मालिक के हवाले करके लाभ आपस में बाँट लें और इसमें हर एक दूसरे का वकील और कफ़ील होता है
शिरकत-ए-सनाइ'
(धर्मशास्त्र) एक साझेदारी जिसमें दो कारीगर इस शर्त पर साझेदार हों कि दोनों मिलकर काम किया करें और मज़दूरी जो कुछ मिले उसको दोनों विभाजित कर लिया करें या काम दोनों बराबर करें लेकिन मज़दूरी की राशि में से एक को अधिक मिले और दूसरे को कम
सद-ए-ज़राइ'
(उसूल-ए-फ़िक़्ह) ऐसी जायज़ बातों से रोकना जिन के ज़रीये किसी नाजायज़ काम के इर्तिकाब का ख़तरा हो
सनद-ए-मुत्तसिल
(फ़िक्ह) क़रीबी दलील, तसलसुल से मिलने वाली तसदीक़ या सबूत, जिस सनद के दरमयान कोई रावी झूओटा ना हो
सनद-ए-मनादिला
(फ़िक्ह) फ़ज़ीलत की सनद जिस के साथ दस्तार बंदी होती है, उलूम-ए-हदीस-ओ-फ़िक़्ह के हामिल के एक अह्द, दस्तार-ए-फ़ज़ीलत
सुन्नत-ए-इब्राहीमी
बक़रा'ईद पर पैग़म्बर इब्राहीम की प्रथा के अनुसार जानवर की क़ुर्बानी अर्थात बाली देना
सुन्नत-ए-मुवक्किदा
(फ़िक्ह) पाँच वक़्त की नमाज़ में वो बारह रकातें जिन के अदा करने की ताकीद फ़रमाई गई है
सबील
मार्ग, सड़क, रास्ता, उपाय, निकालना, द्वार, साधन, तरीक़ा, यत्न, तदबीर, पद्धति, शैली, तर्ज, प्रबंध, व्यवस्था, पानी पिलाने का स्थान, पियाऊ, छबील, मुहर्रम में शर्बत पिलाने का स्थान
साहिब-ए-फ़र्ज़
(फ़िक़्ह) तर्के के वो वारिस जिस के हिस्से की हद मुक़र्रर हो जैसे : बीवी शौहर या माँ बाप
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