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आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

आए तो क्या आए

थोड़े समय ठहर कर चलते बने, ऐसे आने से न आना अच्छा था

आग लेने आए थे क्या आए क्या चले

बहुत थोड़े समय के लिए आना, आते ही लौट जाना

क्या आए क्या चले

जब कोई दोस्त आते ही जाने लगे उस अवसर पर कहते हैं

आए तो कोढ़ी का स्वाँग लेकर आए

جہاں جس ہات کا موقع ہو کر گزرے

आए तो जाए कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

फूल आए हैं तो फल भी आएँगे

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी लगेंगे

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

۔(عو) مثل۔ پھول آنا دیکھو نمبر ۱ پھل آنا۔ بچہ جننا۔ عورتیں آپس میں دوسری بے اولاد عورت کی تسلّی کے لئے کہتی ہیں۔

वो दिन भी आए

वह समय भी आएगा, जिसकी प्रतिक्षा है, ऐसा ज़माना भी आया, वह वक़्त भी आया था

वो दिन भी आए

वह समय भी आए

बन आए की फ़क़ीरी भी भली

भाग्य अच्छा हो तो फ़क़ीरी भी रास आ जाती है, भाग्यवान हर परिस्थिति में अच्छा रहता है

क्या आग लेने आए थे

बहुत थोड़े समय के लिए आना, आते ही लौट जाना

क्या आग लेने आए थे

जब कोई शख़्स आकर फ़ौरन चला जाता है इस के बारे में तंज़न कहते हैं

क्या आग लेने आए थे

۔جب کوئی شخص فوراً آکر چلا جاتا ہے اس کی نسبت طنزاً کہتے ہیں۔

कौड़ी आए तो गुलगुले पकाएँ

थोड़ा बहुत रुपया पैसा, कुछ पाउं तो रंगरलियां मनाएं, रुपय पैसे की आमद पर ऐश की सूझती है

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते

अगर अपने घर कोई सबसे नीच से भी नीच और घृणित से भी घृणित व्यक्ति भी आए तो उसका भी आदर-सत्कार किया जाता है

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते

۔ مثل اپنے گھر پر کسی کی بے عزتی نہیں کرتے۔ جو شخص کسی کے گھر آئے ادنیٰ ہو یا اعلیٰ کسی سے بُرا برتاؤ نہیں کرنا چاہئے۔

दुश्मन पर भी ये वक़्त न आए

दुश्मन भी ऐसी मुसीबत में न फँसे

घर आए बेरी को भी न मारिए

जो व्यक्ति घर पर आ जाए उस के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते, भले ही वह शत्रु क्यों न हो

सूई गिरे तो दूर से नज़र आए

स्वच्छ मैदान की प्रशंसा में कहते हैं

घर से लड़ कर तो नहीं आए

why are you so cross?

अपने घर आए कुत्ते को भी नहीं धुतकारते

अगर अपने घर कोई सबसे नीच से भी नीच और घृणित से भी घृणित व्यक्ति भी आए तो उसका भी आदर-सत्कार किया जाता है

हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए

۔مثل۔ اس جگہ بولتے ہیں جہاں بغیر کچھ خرچ کئے خاطر خواہ کام نکل آئے۔

हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए

رک : ہلدی لگے نہ پھٹکری/پھٹکڑی اور رنگ چوکھا آئے

आप बिल्ली नाँघ के तो नहीं आए हैं

इस मौक़ा पर मुस्तामल जब कोई किसी बात पर झल्ला के जवाब दे बाबे तके पन से उलझने लगे

ज़मीन पर लात मारें तो पानी निकल आए

किसी को बहुत शक्तिशाली दिखाने का उद्देश्य हो तो कहते हैं, किसी को इंतिहाई ताक़तवर ज़ाहिर करने का इरादा हो तो कहते हैं

चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

उस्ताद बैठे पास तो काम आए रास

अगर माहिर-ए-फ़न मौजूद हो तो काम बहुत अच्छा होता है

चमगादड़ के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

कुत्ते को मौत आए तो मस्जिद में मूत जाए

जब बुरे आदमी की मृत्यु आती है तो वो बुरा काम करता है, मुसीबत आने को हो तो ख़तरे की तरफ़ भागता है

वो बात कहते हो कि गधे को भी हँसी आए

नादानी की बात, सरासर नादानी की बात कहना, बहुत मूर्खता की बात करते हो

कुत्ते की मौत आए तो मस्जिद की तरफ़ भागता है

स्वयं जान जोखों में डालना अथवा ख़तरे में पड़ना

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

ऊँट दग़ते थे मक्कड़ भी दग़ने आए

आला को देख कर अदना भी इन की रेस करने लगे

गंगा नहाए क्या फल पाए, मूँछ मुँडाए घर को आए

व्यंग है कि गंगा में नहाने से क्या होता है केवल मूँछें मुँड जाती हैं

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा फेरी से भी गया

बुरी 'आदत नहीं जाती

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

दिल लगा गधी से तो परी भी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

पैसे पर धर कर बोटियाँ उड़ाऊँ तब भी आह न आए

۔(عو) یعنی سخت سے سخت سزا دینے میں بھی ترس نہ آئے۔

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

आए हो तो घरे चलो

ठगों द्वारा प्रयुक्त शब्दावली अर्थात यात्री को क़त्ल कर दो

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

आप से आए तो आने दे

کسی نا جائز چیز کو تاویل سے جائز قرار دینے پر کہتے ہیں

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ा तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

सूप बोले तो बोले छलनी भी क्या बोले जिस में बहत्तर छेद

निर्दोष और दोषी या बुरे और नेक का मुक़ाबला निरार्थक होता है

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

आएँ तो कहाँ जाएँ

غصہ کی شدت ظاہر کرنے کے لئے کہتے ہیں

आएँ तो जाएँ कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आए भी तो क्या आए के अर्थदेखिए

आए भी तो क्या आए

aa.e bhii to kyaa aa.eآئے بھی تو کیا آئے

वाक्य

आए भी तो क्या आए के हिंदी अर्थ

  • ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

آئے بھی تو کیا آئے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ذرا سی دیر ٹھہر کر چلے جانے کے موقع پر مستعمل

Urdu meaning of aa.e bhii to kyaa aa.e

  • Roman
  • Urdu

  • zaraa sii der Thahr kar chale jaane ke mauqaa par mustaamal

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आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

आए तो क्या आए

थोड़े समय ठहर कर चलते बने, ऐसे आने से न आना अच्छा था

आग लेने आए थे क्या आए क्या चले

बहुत थोड़े समय के लिए आना, आते ही लौट जाना

क्या आए क्या चले

जब कोई दोस्त आते ही जाने लगे उस अवसर पर कहते हैं

आए तो कोढ़ी का स्वाँग लेकर आए

جہاں جس ہات کا موقع ہو کر گزرے

आए तो जाए कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

फूल आए हैं तो फल भी आएँगे

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी लगेंगे

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

۔(عو) مثل۔ پھول آنا دیکھو نمبر ۱ پھل آنا۔ بچہ جننا۔ عورتیں آپس میں دوسری بے اولاد عورت کی تسلّی کے لئے کہتی ہیں۔

वो दिन भी आए

वह समय भी आएगा, जिसकी प्रतिक्षा है, ऐसा ज़माना भी आया, वह वक़्त भी आया था

वो दिन भी आए

वह समय भी आए

बन आए की फ़क़ीरी भी भली

भाग्य अच्छा हो तो फ़क़ीरी भी रास आ जाती है, भाग्यवान हर परिस्थिति में अच्छा रहता है

क्या आग लेने आए थे

बहुत थोड़े समय के लिए आना, आते ही लौट जाना

क्या आग लेने आए थे

जब कोई शख़्स आकर फ़ौरन चला जाता है इस के बारे में तंज़न कहते हैं

क्या आग लेने आए थे

۔جب کوئی شخص فوراً آکر چلا جاتا ہے اس کی نسبت طنزاً کہتے ہیں۔

कौड़ी आए तो गुलगुले पकाएँ

थोड़ा बहुत रुपया पैसा, कुछ पाउं तो रंगरलियां मनाएं, रुपय पैसे की आमद पर ऐश की सूझती है

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते

अगर अपने घर कोई सबसे नीच से भी नीच और घृणित से भी घृणित व्यक्ति भी आए तो उसका भी आदर-सत्कार किया जाता है

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते

۔ مثل اپنے گھر پر کسی کی بے عزتی نہیں کرتے۔ جو شخص کسی کے گھر آئے ادنیٰ ہو یا اعلیٰ کسی سے بُرا برتاؤ نہیں کرنا چاہئے۔

दुश्मन पर भी ये वक़्त न आए

दुश्मन भी ऐसी मुसीबत में न फँसे

घर आए बेरी को भी न मारिए

जो व्यक्ति घर पर आ जाए उस के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते, भले ही वह शत्रु क्यों न हो

सूई गिरे तो दूर से नज़र आए

स्वच्छ मैदान की प्रशंसा में कहते हैं

घर से लड़ कर तो नहीं आए

why are you so cross?

अपने घर आए कुत्ते को भी नहीं धुतकारते

अगर अपने घर कोई सबसे नीच से भी नीच और घृणित से भी घृणित व्यक्ति भी आए तो उसका भी आदर-सत्कार किया जाता है

हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए

۔مثل۔ اس جگہ بولتے ہیں جہاں بغیر کچھ خرچ کئے خاطر خواہ کام نکل آئے۔

हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए

رک : ہلدی لگے نہ پھٹکری/پھٹکڑی اور رنگ چوکھا آئے

आप बिल्ली नाँघ के तो नहीं आए हैं

इस मौक़ा पर मुस्तामल जब कोई किसी बात पर झल्ला के जवाब दे बाबे तके पन से उलझने लगे

ज़मीन पर लात मारें तो पानी निकल आए

किसी को बहुत शक्तिशाली दिखाने का उद्देश्य हो तो कहते हैं, किसी को इंतिहाई ताक़तवर ज़ाहिर करने का इरादा हो तो कहते हैं

चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

उस्ताद बैठे पास तो काम आए रास

अगर माहिर-ए-फ़न मौजूद हो तो काम बहुत अच्छा होता है

चमगादड़ के घर मेहमान आए, हम भी लटकें तुम भी लटको

जैसे व्यक्ति के घर जाओगे वैसा ही सम्मान पाओगे, समाज जैसा करे वैसा ही करो

कुत्ते को मौत आए तो मस्जिद में मूत जाए

जब बुरे आदमी की मृत्यु आती है तो वो बुरा काम करता है, मुसीबत आने को हो तो ख़तरे की तरफ़ भागता है

वो बात कहते हो कि गधे को भी हँसी आए

नादानी की बात, सरासर नादानी की बात कहना, बहुत मूर्खता की बात करते हो

कुत्ते की मौत आए तो मस्जिद की तरफ़ भागता है

स्वयं जान जोखों में डालना अथवा ख़तरे में पड़ना

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

ऊँट दग़ते थे मक्कड़ भी दग़ने आए

आला को देख कर अदना भी इन की रेस करने लगे

गंगा नहाए क्या फल पाए, मूँछ मुँडाए घर को आए

व्यंग है कि गंगा में नहाने से क्या होता है केवल मूँछें मुँड जाती हैं

चोर चोरी से गया तो क्या हेरा फेरी से भी गया

बुरी 'आदत नहीं जाती

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

दिल लगा गधी से तो परी भी क्या चीज़ है

जहाँ मुहब्बत हो वहाँ कोई ऐब नज़र नहीं आता

पैसे पर धर कर बोटियाँ उड़ाऊँ तब भी आह न आए

۔(عو) یعنی سخت سے سخت سزا دینے میں بھی ترس نہ آئے۔

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

आए हो तो घरे चलो

ठगों द्वारा प्रयुक्त शब्दावली अर्थात यात्री को क़त्ल कर दो

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

आप से आए तो आने दे

کسی نا جائز چیز کو تاویل سے جائز قرار دینے پر کہتے ہیں

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

माया हुई तो क्या हुआ हरदा हुआ कठोर, नौ नेज़े पानी चढ़ा तो भी न भीगी कोर

दौलतमंद का दिल अगर पत्थर है तो किसी काम का नहीं, कंजूस के मुताल्लिक़ कहते हैं कि इस पर कोई असर नहीं होता

सूप बोले तो बोले छलनी भी क्या बोले जिस में बहत्तर छेद

निर्दोष और दोषी या बुरे और नेक का मुक़ाबला निरार्थक होता है

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

आएँ तो कहाँ जाएँ

غصہ کی شدت ظاہر کرنے کے لئے کہتے ہیں

आएँ तो जाएँ कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

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