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सब दिन ख़ुदा के हैं

जब सौभाग्य और दुर्भाग्य को किसी विशेष दिन से निर्धारित करते हैं तब कहते हैं

सब दिन चंगा 'ईद के दिन नंगा

जब कोई वक़्त के मुनासिब और इस के मुताबक़ काम नहीं करता तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

सब दिन चंगा तेहवार के दिन नंगा

जब कोई वक़्त के मुनासिब और इस के मुताबक़ काम नहीं करता तो इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

ये दिन सब के लिये है

मरना सब को है, ये दिन लाज़िमी है , रुक : ये दिन सब को धरा है

काल के मुँह में सब हैं

सब को मौत आकर रहती है

दिन के तीन सो साठ दिन हैं

आज बदला न ले सके तो उम्र पड़ी है कभी न कभी बदला लेने का अवसर मिल ही जाएगा, आज नहीं, तो फिर देखा जाएगा, हम बदला लेकर रहेंगे

ये दिन सब के वास्ते है

۔मरना सब को ज़रूर है

आग के आगे सब भसम हैं

आग के उगे जो चीज़ आ जाएगी जल कर रहेगी

सब अपनी गों के यार होते हैं

सब अपने मतलब के होते हैं

जब च्यूँटी के मरने के दिन क़रीब आते हैं तो उस के पर निकलते हैं

आदमी ख़ुद अपनी मुसीबत को दावत देता है, ऐसा काम करने के मौक़ा पर बोलते हैं जिस का अंजाम ख़राबी हो

जीते जी के सब हैं

ज़िंदगी के सब साथी हैं

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

ज़िंदा का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

सब ऐक ही नाव के सवार हैं

सब की हालत एक ही जैसी हो तो कहते हैं

धन के पंद्रह मगर पचीस, चिल्ले के दिन हैं चालीस

धन इस बुरज का नाम है जिस को क़ौस कहते हैं और मगर कोई हिदी बोलते हैं, जब आफ़ताब इन बुर्जों में आता है तो हिंद में मौसिम-ए-सर्मा होता है पस कोई काम वक़्त मसना पर ना होसके तो ये फ़िक़रा बोलते हैं

काल के आगे सब लाचार हैं

मौत सब को बेबस करदेती है

बनी के सब साथी हैं बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे वक़्त में सब दोस्त होते हैं बुरे वक़्त में कोई ख़बर नहीं लेता

मरे का कोई नहीं, जीते जी के सब लागो हैं

दोस्ती, रिश्तेदारी सब ज़िंदगी के साथ है, मौत के बाद कोई साथ नहीं देता

तुलसी पैसा पास का सब से नीको होय, होते के सब कोय हैं, अन-होते की जोय

गाँठ का पैसा ही काम आता है

सब-दिन

हर रोज़, हर वक़त, हमेशा, सदैव, सदा

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरे हैं

तंगदस्ती या परेशांहाली हमेशा नहीं रहती

सब ऐक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं

सब एक जैसे हैं, इन में कोई फ़र्क़ नहीं

सब के सब

तमाम, कुल, सारे के सारे

बुरे से सब डरते हैं

बदमिज़ाज या बदचलन से सब ख़ौफ़ खाते हैं

सब कहने की बातें हैं

बनावट की बातें हैं, असत्य बातें हैं, वास्तविकता नहीं है, असलियत कुछ नहीं

दबे पर सब शेर हैं

अपनी-अपनी सब गाते हैं

सब अपनी कहना चाहते हैं, कोई दूसरों की सुनना नहीं चाहता

दिन अछे होते हैं तो कंकर जवाहर बन जाते हैं

जब भाग्य अच्छा होता है तो नेक काम स्वयं बन जाता है

चिकना मुँह सब चाटते हैं

ख़ुशहाल की सब जगह ख़ातिर होती है

मारते ख़ाँ से सब डरते हैं

ज़ालिम से सब डरते हैं

शराब से सब नशे नीचे हैं

निशा आवर अश्या में शराब सब से बढ़ कर है

सब हाथ लिए बैठे हैं

सब तुम्हारा इंतिज़ार कर रहे हैं, किसी ने खाना नहीं खाया

पेट सब रखते हैं

भौतिक आवश्यकताएँ सब की होती हैं, सब को भूख लगती है, खाने के लिए सब को चाहिए

चार हाथ पाँव सब रखते हैं कुछ तुम्हारे ही नहीं हैं

कमाऊ खाओ , सब ताक़त रखते हैं, घमंड करने वाले को कहते हैं

उमंगों के दिन

जवानी के दिन, आशाओं और इच्छाओं के दिन

रंग के दिन

सब जीते जी के झगड़े हैं ये तेरा ये मेरा है जब चल बसे इस दुनिया से ना तेरा है ना मेरा है

अपने-अपने घर सब बादशाह हैं

अपने घर के सब मालिक हैं चाहे जो करें, अपने घर में सब बड़े हैं

मारते ख़ान से सब डरते हैं

सौ बरस बा'द कूड़े घूरे के दिन भी बहोरते फिरते हैं

कोई शैय सदा एक हाल पर नहीं रहती, बुरे दिनों के बाद भले दिन भी आते हैं

यहाँ सब कान पकड़ते हैं

यहाँ सब का सर झुका हुआ है, इस जगह किसी की उस्तादी नहीं चलती, यहाँ कोई दावा नहीं कर सकता, इस जगह सब मजबूर हैं

शेरों के शेर हैं

बहुत ज़्यादा बहादुर, बहुत जरी

हल्वा खाने के दिन हैं

दाँत टूट चुके ही, बुढ़ापा आगया है बहुत बूढ़े आदमी की निसबत कहते हैं

दिन पड़े हैं

चिकने मुँह को सब चूमते हैं

बड़े आदमी की सब आवभगत करते हैं

चिकने मुँह को सब चूमते हैं

अच्छे की ख़ातिर मुदारात सब जगह होती है

ख़ुदा के घर में सब कुछ

ईश्वर के लिए हर बात संभव है

सब ऐक ही नाव में सवार हैं

सब की हालत एक ही जैसी हो तो कहते हैं

एक दिन के तीन सौ साठ दिन

बदला लेने के लिए बहुत समय है

बरस के बरस दिन

सालाना त्योहार या जश्न के अवसर पर

सब अपने अपने हाल में मुब्तला हैं

हर शख़्स को एक ना एक फ़िक्र लगी हुई है

बुरे वक़्त सब आँख चुराते हैं

घास खाए दिन कटे तो सब कोई खाए

जिस वस्तु की आवश्यकता होती है उसी वस्तु से वह आवश्यकता पूरी भी होती है, यदि साधारण खाना खा लेना आवश्यकतानुसार हो तो कोई कठोर परिश्रम करने का सहिष्णु न हो

ख़ुदा सब के लिए और बंदा अपने लिए

आदमी ख़ुदग़रज़ होता है, ख़ुदा सब का मुरब्बी-ओ-निगहबान होता है

मुरादों के दिन

इच्छा के दिन, ख़्वाहिशों के दिन, जवानी के दिन, अय्याम-ए-जवानी, शबाब का ज़माना, बहार के दिन

मेंह बूँदी के दिन

बारिश का ज़माना, बरसात के दिन

दिन 'ईद शब शब-ए-बरात

हरवक़त ख़ुशी और ऐश-ओ-आराम होने के मौक़ा पर मुस्तामल

आप ही पर सब बुज़ुर्गियाँ ख़त्म हैं

बड़े शरीर हो

सब बुज़ुर्गियाँ तुम पर ही ख़त्म हैं

(तंज़न) बड़े बदज़ात हो

क़िस्मत सब की सब के साथ होती है

हर एक की तक़दीर अलग होती है, हर शख़्स का मुक़द्दर अलग अलग होता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सब दिन ख़ुदा के हैं के अर्थदेखिए

सब दिन ख़ुदा के हैं

sab din KHudaa ke hai.nسَب دِن خُدا کے ہیں

कहावत

सब दिन ख़ुदा के हैं के हिंदी अर्थ

  • जब सौभाग्य और दुर्भाग्य को किसी विशेष दिन से निर्धारित करते हैं तब कहते हैं
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سَب دِن خُدا کے ہیں کے اردو معانی

  • جب سعادت و نحوست کو کسی خاص دن سے مخصوص کرتے ہیں تو کہتے ہیں.

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