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सौ बरस बा'द कूड़े घूरे के दिन भी बहोरते फिरते हैं

कोई शैय सदा एक हाल पर नहीं रहती, बुरे दिनों के बाद भले दिन भी आते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरे हैं

तंगदस्ती या परेशांहाली हमेशा नहीं रहती

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

बारह बरस बा'द कूड़े के भी दिन फिरते हैं

रुक : बारह बरस के बाद ख़ोरे के भी दिन फिरते हैं

बरस के बरस दिन

सालाना त्योहार या जश्न के अवसर पर

आज के आज और सौ बरस में

जो बात होने वाली है ज़रूर होगी, आज ना हो सौ बरस में हो लेकिन होगी ज़रूर

एक दिन के तीन सौ साठ दिन

बदला लेने के लिए बहुत समय है

अफ़लातून के नाती बने फिरते हैं

अपनी बुद्धि पर बड़ा घमंड करते हैं, बड़े अहंकारी हैं

तीन दिन गोरू में भी भारी हैं

बरस बरस दिन

एक एक साल, पूरे साल भर (किसी काम के कई बार होने के अवसर पर प्रयुक्त)

सौ दिन चोर के एक दिन साध का

झूटे का झूट, मकअर् की मक्कारी और चोर की चोरी एक ना एक दिन पकरी जाती है

सौ दिन सुनार के, तो एक दिन लोहार का

रुक : सौ सुनार की एक लुहार की

तीन दिन क़ब्र में भी भारी होते हैं

मरने के बाद तीन दिन तक क़ब्र में फ़रिश्ते हिसाब लेते हैं, अर्थात यह है कि दुनिया के बखेड़े बहुत हैं, मनुष्य को ईश्वर की याद हर समय करनी चाहिए, मरने के बाद भी आदमी का परेशानियों से पीछा नहीं छूटता

दिन के तीन सो साठ दिन हैं

आज बदला न ले सके तो उम्र पड़ी है कभी न कभी बदला लेने का अवसर मिल ही जाएगा, आज नहीं, तो फिर देखा जाएगा, हम बदला लेकर रहेंगे

सौ दिन चोर के एक दिन शाह का

झूटे का झूट, मकअर् की मक्कारी और चोर की चोरी एक ना एक दिन पकरी जाती है

सब दिन ख़ुदा के हैं

जब सौभाग्य और दुर्भाग्य को किसी विशेष दिन से निर्धारित करते हैं तब कहते हैं

सौ-बरस

वहाँ फ़रिश्तों के भी पर जलते हैं

इस जगह कोई नहीं जा सकता, उन का इतना रोब है कि वहां जाने की कोई जुर्रत नहीं करसकता

बरस-दिन

बरस बरस का दिन

बरस का बरस दिन

सालाना त्योहार या जश्न का दिन

जब च्यूँटी के मरने के दिन क़रीब आते हैं तो उस के पर निकलते हैं

आदमी ख़ुद अपनी मुसीबत को दावत देता है, ऐसा काम करने के मौक़ा पर बोलते हैं जिस का अंजाम ख़राबी हो

सर से कफ़न बाँधे फिरते हैं

तीस-मार-ख़ान बने फिरते हैं

बड़ी बहादुरी दिखाते हैं, बेकार में अकड़े फिरते हैं

आप में भी कूट कूट के ख़ूबियाँ भरी हैं

बड़े दुष्ट हो, बड़े कमीने हो

दीवारों के भी कान होते हैं

बीसा सौ बरस की 'उम्र होवे

हज़ारों बरस जीव, बड़ी उम्र, हो, हज़ारी उम्र हो

बहन सौ बरस की , भाई पाँच बरस का बराबर

बहन सौ बरस की और भाई पाँच बरस का

बरस के बरस

हर साल, सालाना, प्रतिवर्ष, वार्षिक रूप से

सौ रस्ते हैं

बहुत सी तदबीरें हैं और भी बहुत से तरीक़े हैं

धन के पंद्रह मगर पचीस, चिल्ले के दिन हैं चालीस

धन इस बुरज का नाम है जिस को क़ौस कहते हैं और मगर कोई हिदी बोलते हैं, जब आफ़ताब इन बुर्जों में आता है तो हिंद में मौसिम-ए-सर्मा होता है पस कोई काम वक़्त मसना पर ना होसके तो ये फ़िक़रा बोलते हैं

दीवाली बरस में एक दिन

ख़ुशी का अवसर कभी कभी आता है इससे लाभ उठाना चाहिए

सौ दिन चोर के ऐक दिन साह का

झूटे का झूट, मकअर् की मक्कारी और चोर की चोरी एक ना एक दिन पकरी जाती है

सौ दिन चोर के तो एक दिन कोतवाल का

चोर एक न एक दिन अवश्य पकड़ा जाता है

बनी के सौ साले हैं और बिगड़ी का एक बहनोई नहीं होता

अच्छे वक़्त में सब अपना मतलब निकालते हैं और बुरे वक़्त में कोई काम नहीं आता

देवता भी बासना के भूके हैं

हर जगह देने लेते से काम निकलता है

यहाँ हज़रत जिब्राईल के भी पर जलते हैं

यहां तक ही रसाई थी (मेराज के वाक़िया की तरफ़ इशारा है, हज़रत जबराईलऑ पैग़ंबर सिल्ली अल्लाह अलैहि वालही वसल्लम के हमराह थे एक मौक़ा पर जा के उन्हों ने कहा कि वो इस से आगे नहीं जा सकते पैग़ंबर सिल्ली अल्लाह अलैहि वालही वसल्लम आगे तन्हा रवाना हुए

हम भी हैं वो भी हैं

हमारा उन का मुक़ाबला है देखें कौन बढ़ता है

ये भी अपने वक़्त के हातिम ताई हैं

(व्यंग्यात्मक) बहुत दानी हैं

माया के भी पाँव होते हैं, आज मेरे कल तेरे

धन किसी के पास सदैव नहीं रहता, आज एक के पास है तो कल दूसरे के पास

कितना बा'द को पहुँचते हैं

निहायत अहमक़ हैं, कमअक़्ल हैं

सौ के सवा सौ

छाज बोले सो बोले छलनी भी बोले जिस में सौ सौ छेद

आज की आज, आज की बरस दिन में

जो अब हाल या दशा है वही वर्ष दिन बाद होगा

उस नर के भी एक दिन, पड़े गले में फाँद, जिस ने चोरी लूट पर ली कमर बाँध

चोर एक न एक दिन पकड़ा जाएगा, चोरी और लूट करने वाला आदमी बहुत दिनों तक स्वतंत्र नहीं घूम सकता

काँड़े के ब्याह के सौ सौ जोखों

ऐबदार शैय के लिए हर जगह मुश्किल होती है

जहाँ चार बर्तन होते हैं खटकते भी हैं

जहाँ कुछ लोग एक जगह जमा होते हैं तो वहाँ वादविवाद भी हो ही जाती है, जहाँ भीड़ होती है वहाँ वादविवाद भी होती है

बरस भर में सख़ी और सूम बराबर हो जाते हैं

कंजूसी करने से कोई फ़ायदा नहीं होता, अंजाम कार सखी और जंजूस का हिसाब बराबर बराबर हो जाता है

सौ दिन सुनार की, तो एक दिन लोहार का

रुक : सौ सुनार की एक लुहार की

सौ दिन सुनार की, तो एक दिन लोहार की

रुक : सौ सुनार की एक लुहार की

हम भी हैं पाँचवें सवारों में

शेखी ख़ोरे की निसबत कहते हैं जिस की कुछ हक़ीक़त ना हो और वो ख़ुद को ख़्वामख़्वाह बड़े लोगों में शामिल करे

सौ के सवाए

आज बरस के फिर न बरसूँ

मीना की झड़ी लगी है, बराबर से जा रहा है

काने के ब्याह को सौ सौ जोखों

काने की शादी बड़ी मुश्किल से होती है

मर्द का नौकर मरे बरस भर दिन में, रंडी का नौकर मरे छ महीने में

औरत मुलाज़िमों से बहुत काम लेती है

दिन अछे होते हैं तो कंकर जवाहर बन जाते हैं

जब भाग्य अच्छा होता है तो नेक काम स्वयं बन जाता है

चार बासन होते हैं तो खड़कते भी हैं

रुक : जहां चार बर्तन अलख, जहां चार आदमी जमा होते हैं तकरार भी हो जाती है

सौ सौ मन के पाँव हो जाना

घबराहट या डर से चल न सकना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में सौ बरस बा'द कूड़े घूरे के दिन भी बहोरते फिरते हैं के अर्थदेखिए

सौ बरस बा'द कूड़े घूरे के दिन भी बहोरते फिरते हैं

sau baras baa'd kuu.De ghuure ke din bhii bahorte phirte hai.nسَو بَرَس بَعد کُوڑے گُھورے کے دِن بھی بَہورْتے پِھرْتے ہَیں

कहावत

सौ बरस बा'द कूड़े घूरे के दिन भी बहोरते फिरते हैं के हिंदी अर्थ

  • कोई शैय सदा एक हाल पर नहीं रहती, बुरे दिनों के बाद भले दिन भी आते हैं
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سَو بَرَس بَعد کُوڑے گُھورے کے دِن بھی بَہورْتے پِھرْتے ہَیں کے اردو معانی

  • کوئی شے سدا ایک حال پر نہیں رہتی ، بُرے دنوں کے بعد بھلے دن بھی آتے ہیں.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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