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बनी-नौ'

जाति, किसी जाति के लड़के।

बनी-नौ'-ए-बशर

दे. ‘बनीनौए इंसान' ।।

बनी-नौ'-ए-इंसान

मानव जाति, मनुष्यों की जाति, मानव समष्टि

टेढ़ी खीर न खाते बने, न छोड़ते बने

अर्थात: महत्वपूर्ण कार्य जिसे पूरा करना कठिन हो और छोड़ने में बुराई

गुड़ भरा हँसिया, न निगलते बन पड़ता है न उगलते

हर तरह मुश्किल है न करते बनती है न छोड़ते

कुछ बन न पड़ना

कोई बात ना बनना , कोई तदबीर कारगर ना होना , कुछ और समझ में ना आना

जवाब न बन पड़ना

रुक :जवाब ना बिन आना

कुछ न बन पड़ना

कुछ समझ में ना आना , कोई तदबीर ना सूझना, कोई हर्बा कारगर ना होना

बनाए बन न पड़ना

कोशिश के बावजूद मामले का उचित निपटारा न होना, कोशिश के बावजूद कोई उपाय समझ में न आना

तदबीर बन न पड़ना

कोई रणनीती समझ में न आना, रास्ता न सूझना

कुछ करते बन न पड़ना

कोई उपाय कारगर न होना, कोई काम न हो सकना

करते धरते बन न पड़ना

कुछ समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए, अमली तौर पर कुछ ना करसकता

उड़द कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका

सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता

कौड़ी ना रख कफ़न को बिज्जू की शक़्ल बन रह

अपव्ययी के पास कुछ नहीं होता

साईं के दरबार में बड़े बड़े हैं ढेर, अपना दाना बीन ले जिस में हेर न फेर

अपनी क़िस्मत पर शुक्र करना चाहिए और जो मिले उस पर संतोष करना चाहिए

न उगले बन पड़े, न निगले

रुक : ना उगलते बने ना निगलते बने

कहते बन न पड़ना

कुछ कह न सकना, कुछ जवाब न दे पाना

कौड़ी ना रख कफ़न को (बिज्जू की शक़्ल बन रह)

अपव्ययी के पास कुछ नहीं होता

भात बिन रह जावे, पिया बिन रहा न जावे

स्त्री पुरूष के बिना नहीं रह सकती अलबत्ता भूखी रह सकती है

बिन रुके बैद की घोड़ी न चले

मनुष्य अपनी 'आदत एवं स्वभाव के अनुसार ही काम करता है, हकीम की घोड़ी जगह जगह रुकती है

जो बिन सहारे खेले जुवा, आज न मुवा कल मुवा

अनाड़ी आदमी जुए में तबाह और बर्बाद हो जाता है

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

साँसा भला न साँस का और बान भला न काँस का

चिंता थोड़ी देर की भी बड़ी होती है, मन की सेहत के लिए अच्छी नहीं होती

रूख बिना ना नगरी सोहे बिन बरगन ना कड़ियाँ, पूत बिना ना माता सोहे लख सोने में जड़ियाँ

शहर बिना पेड़ों और कड़ियाँ बिना शहतीरों के अच्छी नहीं प्रतीत होतीं और ना माँ बिना बेटे के भली लगती है चाहे आभूषणों से लदी हो

बान वाले की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

उरद कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका

सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता

जैसे ऊधो वैसे बान, न उन के चोटी न उन के कान

दोनों एक से हैं

बिन लाग जो खेले जुवा, आज न मुवा कल मुवा

अनाड़ी आदमी जुए में तबाह और बर्बाद हो जाता है

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के कोई नहीं खाता

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

जवाब न बन आना

रुक : जवाब ना आना

कुछ बन न आना

कोई बात ना बनना , कोई तदबीर कारगर ना होना , कुछ और समझ में ना आना

करते धरते बन न आना

कुछ समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए, अमली तौर पर कुछ ना करसकता

तदबीर बन न आना

उपाय का असर न होना

बान जल गया पर बल न गए

हानि उठा कर भी लत नहीं छूटी

बाँटे की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

ता'ना बन जाना

बदनामी का कारण बनना, बुराई का कारण बनना

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

करते बन न आना

रुक : करते धरते बिन ना आना जो ज़्यादा मुस्तामल है, कुछ करते बिन ना आना

बात बन न आना

कोई उपाय समझ में न आना, कोई और कार्य न हो सकना

टले पर बान न टले

दीवार अपनी जगह से हटे तो हटे आदत नहीं छूटती

नमाज़ नहीं रोज़ा नहीं सहरी भी न हो तो निरे काफ़िर बन जाएँगे

अगर बहुत सा असंभव हो तो थोड़ा सा सही, ऐसे अवसर पर उपयोगित जब किसी धार्मिक शिक्षा पर प्रक्रिया अपने पक्ष में हो

भीत टले पर बान न टले

दीवार अपनी जगह से हटे तो हटे लत नहीं जाती

बेटा बन के सब खाते हैं, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

पग बिन कटे न पंथ

बिना परिश्रम के कोई काम नहीं हो सकता, करने से ही काम होता है, बिना चले रास्ता पूरा नहीं होता

बिन माँगे मिले दूध और माँगे मिले न भीक

जो कुछ भाग्य में होता है बह बिना किसी रणनीति के मिल जाता है

बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

बानिये की बान न जले , कुत्ता मूते टाँग उठाए

फ़हमाइश के बावजूद अपनी हरकतों और शरारतों से बाज़ नहीं आता

मापा कन्नया और पटवारी, भेंट लिए बिन करें न यारी

खेत नापने वाला क़ानूनगो और पटवारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते

बिन माँगे मोती मिलें और माँगे मिले न मूत

जो कुछ भाग्य में होता है बह बिना किसी रणनीति के मिल जाता है

बिन माँगे मोती मिलें और माँगे मिले न भीक

जो कुछ भाग्य में होता है बह बिना किसी रणनीति के मिल जाता है

गुर बिन मिले न ज्ञान, भाग बिन मिले न सम्पत

बगै़र उस्ताद के इलम हासिल नहीं होता और बगै़र क़िस्मत के दौलत नहीं मिलती

बिन भाए प्रीत नहीं, न बिन परिचय प्रतीत

जब तक मन आकर्षित न हो प्रेम नहीं होता और जब तक किसी को परख न लिया जाए उसका भरोसा नहीं होता

गुरू बिन मिले न ज्ञान, भाग बिन मिले न सम्पत्ति

बिन गुरू के ज्ञान नहीं मिलता और न बिना भाग्य के धन ही मिलता है

गुरू, बैद और ज्योतिषी, देव मंत्री और राज, उन्हें भेन्ट बिन जो मिले, होए न पूरन काज

गुरू, वैद्य، ज्योतिषी, देवता, वज़ीर और राजा से उस वक़्त तक काम नहीं निकलता जब तक उन को भेंट न दी जाए, अर्थात इनके पास ख़ाली हाथ नहीं जाना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क़ाबिल के अर्थदेखिए

क़ाबिल

qaabilقابِل

स्रोत: अरबी

वज़्न : 22

टैग्ज़: प्राचीन

शब्द व्युत्पत्ति: क़-ब-ल

क़ाबिल के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • योग्य, लायक़, अधिकार रखने वाला
  • योग्यता रखने वाला, पात्रता रखने वाला
  • लिखा-पढ़ा, विद्वान, बहुत पढ़ा-लिखा आदमी
  • पसंद करने वाला, अर्थातः आशिक़ (प्राचीन)

शे'र

English meaning of qaabil

Adjective

  • able, capable, deserving, eligible, worthy of or fit for
  • clever, competent, skilful, qualified, trained, educated

قابِل کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • سزاوار، اہل ، لائق، مستحق
  • استعداد رکھنے والا، اہلیت رکھنے والا
  • لکھا پڑھا، عالم، فاضل
  • پسند کرنے والا، مراد: عاشق (قدیم)

Urdu meaning of qaabil

  • Roman
  • Urdu

  • sazaavaar, ahal, laayaq, mustahiq
  • istidaad rakhne vaala, ahliiyat rakhne vaala
  • likhaa pa.Dhaa, aalim, faazil
  • pasand karne vaala, muraadah aashiq (qadiim

खोजे गए शब्द से संबंधित

बनी-नौ'

जाति, किसी जाति के लड़के।

बनी-नौ'-ए-बशर

दे. ‘बनीनौए इंसान' ।।

बनी-नौ'-ए-इंसान

मानव जाति, मनुष्यों की जाति, मानव समष्टि

टेढ़ी खीर न खाते बने, न छोड़ते बने

अर्थात: महत्वपूर्ण कार्य जिसे पूरा करना कठिन हो और छोड़ने में बुराई

गुड़ भरा हँसिया, न निगलते बन पड़ता है न उगलते

हर तरह मुश्किल है न करते बनती है न छोड़ते

कुछ बन न पड़ना

कोई बात ना बनना , कोई तदबीर कारगर ना होना , कुछ और समझ में ना आना

जवाब न बन पड़ना

रुक :जवाब ना बिन आना

कुछ न बन पड़ना

कुछ समझ में ना आना , कोई तदबीर ना सूझना, कोई हर्बा कारगर ना होना

बनाए बन न पड़ना

कोशिश के बावजूद मामले का उचित निपटारा न होना, कोशिश के बावजूद कोई उपाय समझ में न आना

तदबीर बन न पड़ना

कोई रणनीती समझ में न आना, रास्ता न सूझना

कुछ करते बन न पड़ना

कोई उपाय कारगर न होना, कोई काम न हो सकना

करते धरते बन न पड़ना

कुछ समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए, अमली तौर पर कुछ ना करसकता

उड़द कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका

सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता

कौड़ी ना रख कफ़न को बिज्जू की शक़्ल बन रह

अपव्ययी के पास कुछ नहीं होता

साईं के दरबार में बड़े बड़े हैं ढेर, अपना दाना बीन ले जिस में हेर न फेर

अपनी क़िस्मत पर शुक्र करना चाहिए और जो मिले उस पर संतोष करना चाहिए

न उगले बन पड़े, न निगले

रुक : ना उगलते बने ना निगलते बने

कहते बन न पड़ना

कुछ कह न सकना, कुछ जवाब न दे पाना

कौड़ी ना रख कफ़न को (बिज्जू की शक़्ल बन रह)

अपव्ययी के पास कुछ नहीं होता

भात बिन रह जावे, पिया बिन रहा न जावे

स्त्री पुरूष के बिना नहीं रह सकती अलबत्ता भूखी रह सकती है

बिन रुके बैद की घोड़ी न चले

मनुष्य अपनी 'आदत एवं स्वभाव के अनुसार ही काम करता है, हकीम की घोड़ी जगह जगह रुकती है

जो बिन सहारे खेले जुवा, आज न मुवा कल मुवा

अनाड़ी आदमी जुए में तबाह और बर्बाद हो जाता है

जो जल साढ़ लगत ही बरसे नाज नियार बिन कोई न तरसे

अगर असाढ़ के शुरू में बारिश हो जाए तो अनाज बहुत होता है

साँसा भला न साँस का और बान भला न काँस का

चिंता थोड़ी देर की भी बड़ी होती है, मन की सेहत के लिए अच्छी नहीं होती

रूख बिना ना नगरी सोहे बिन बरगन ना कड़ियाँ, पूत बिना ना माता सोहे लख सोने में जड़ियाँ

शहर बिना पेड़ों और कड़ियाँ बिना शहतीरों के अच्छी नहीं प्रतीत होतीं और ना माँ बिना बेटे के भली लगती है चाहे आभूषणों से लदी हो

बान वाले की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

उरद कहै मेरे माथे टीका, मो बिन ब्याह न होवै नीका

सब अपने आप को बड़ा समझते हैं और समझते हैं कि उनके बिना काम नहीं हो सकता

जैसे ऊधो वैसे बान, न उन के चोटी न उन के कान

दोनों एक से हैं

बिन लाग जो खेले जुवा, आज न मुवा कल मुवा

अनाड़ी आदमी जुए में तबाह और बर्बाद हो जाता है

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के कोई नहीं खाता

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

जवाब न बन आना

रुक : जवाब ना आना

कुछ बन न आना

कोई बात ना बनना , कोई तदबीर कारगर ना होना , कुछ और समझ में ना आना

करते धरते बन न आना

कुछ समझ में नहीं आता कि क्या किया जाए, अमली तौर पर कुछ ना करसकता

तदबीर बन न आना

उपाय का असर न होना

बान जल गया पर बल न गए

हानि उठा कर भी लत नहीं छूटी

बाँटे की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

ता'ना बन जाना

बदनामी का कारण बनना, बुराई का कारण बनना

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

करते बन न आना

रुक : करते धरते बिन ना आना जो ज़्यादा मुस्तामल है, कुछ करते बिन ना आना

बात बन न आना

कोई उपाय समझ में न आना, कोई और कार्य न हो सकना

टले पर बान न टले

दीवार अपनी जगह से हटे तो हटे आदत नहीं छूटती

नमाज़ नहीं रोज़ा नहीं सहरी भी न हो तो निरे काफ़िर बन जाएँगे

अगर बहुत सा असंभव हो तो थोड़ा सा सही, ऐसे अवसर पर उपयोगित जब किसी धार्मिक शिक्षा पर प्रक्रिया अपने पक्ष में हो

भीत टले पर बान न टले

दीवार अपनी जगह से हटे तो हटे लत नहीं जाती

बेटा बन के सब खाते हैं, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

पग बिन कटे न पंथ

बिना परिश्रम के कोई काम नहीं हो सकता, करने से ही काम होता है, बिना चले रास्ता पूरा नहीं होता

बिन माँगे मिले दूध और माँगे मिले न भीक

जो कुछ भाग्य में होता है बह बिना किसी रणनीति के मिल जाता है

बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

बानिये की बान न जले , कुत्ता मूते टाँग उठाए

फ़हमाइश के बावजूद अपनी हरकतों और शरारतों से बाज़ नहीं आता

मापा कन्नया और पटवारी, भेंट लिए बिन करें न यारी

खेत नापने वाला क़ानूनगो और पटवारी बिना रिश्वत लिए काम नहीं करते

बिन माँगे मोती मिलें और माँगे मिले न मूत

जो कुछ भाग्य में होता है बह बिना किसी रणनीति के मिल जाता है

बिन माँगे मोती मिलें और माँगे मिले न भीक

जो कुछ भाग्य में होता है बह बिना किसी रणनीति के मिल जाता है

गुर बिन मिले न ज्ञान, भाग बिन मिले न सम्पत

बगै़र उस्ताद के इलम हासिल नहीं होता और बगै़र क़िस्मत के दौलत नहीं मिलती

बिन भाए प्रीत नहीं, न बिन परिचय प्रतीत

जब तक मन आकर्षित न हो प्रेम नहीं होता और जब तक किसी को परख न लिया जाए उसका भरोसा नहीं होता

गुरू बिन मिले न ज्ञान, भाग बिन मिले न सम्पत्ति

बिन गुरू के ज्ञान नहीं मिलता और न बिना भाग्य के धन ही मिलता है

गुरू, बैद और ज्योतिषी, देव मंत्री और राज, उन्हें भेन्ट बिन जो मिले, होए न पूरन काज

गुरू, वैद्य، ज्योतिषी, देवता, वज़ीर और राजा से उस वक़्त तक काम नहीं निकलता जब तक उन को भेंट न दी जाए, अर्थात इनके पास ख़ाली हाथ नहीं जाना चाहिए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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