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न निगली जाए, न उगली जाए

रुक : ना निगले बनती है ना अगले

जी जाए घी न जाए

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

जान जाए माल न जाए

कंजूस व्यक्ति के लिए बोलते हैं

आए न जाए

آتا جاتا کچھ نہیں

जी जाए घी न जाए

जान जाये मगर आर्थिक हानि न हो

'इल्लत जाए 'आदत न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

सर जाए बात न जाए

चाहे आदमी की जान चली जाये मगर जो कह चुका है इस का पाबंद रहना चाहिए

धरा जाए न उठाया जाए

बहुत जटिल है, बहुत पेचदार है

चमड़ी जाए दमड़ी न जाए

ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई रूपया पैसा ख़र्च करने में बहुत कृपणता अर्थात कंजूसी दिखाए यहाँ तक कि शारीरिक तकलीफ़ पर उसको वरीयता दे

जान जाए पर आन न जाए

पारिवारिक गरिमा जीवन से अधिक प्रिय होती है, निराशा की स्थिति के लिए जीवन जैसी क़ीमती वस्तु का त्याग किया जा सकता है

लाख जाए पर साख न जाए

दमड़ी चली जाये पर चमड़ी ना जाये, पैसा चला जाये मगर इज़्ज़त बरक़रार रहे, जान जाये आन ना जाये

तुम्हारी बात उठाई जाए न धरी जाए

तुम्हारी बात का भरोसा नहीं

न गंदी गली जाए न कुत्ता काटे

न बुरों के पास जाए न बदनामी उठाए बुरों से ताल्लुक़ रखने का परिणाम अपमान है

दमड़ी न जाए चाहे चमड़ी जाए

said of a miser who bears physical pain to save a very small amount of money

चमड़ी जाए मगर दमड़ी न जाए

ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई रूपया पैसा ख़र्च करने में बहुत कृपणता अर्थात कंजूसी दिखाए यहाँ तक कि शारीरिक तकलीफ़ पर उसको वरीयता दे

दमड़ी न जाए पर चमड़ी जाए

बड़ा कंजूस है दुख सहता है लेकिन कौड़ी ख़र्च नहीं करता

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए

ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई रूपया पैसा ख़र्च करने में बहुत कृपणता अर्थात कंजूसी दिखाए यहाँ तक कि शारीरिक तकलीफ़ पर उसको वरीयता दे

न उल्टा लिया जाए न सीधा

रुक : ना उगले बने ना निगले बने

न पाए माँदन , न जाए रफ़्तन

रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

न जाए माँदन, न पाए रफ़्तन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

न पाए रफ़्तन , न जाए माँदन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) सख़्त मजबूरी, ना जा सकते हैं ना ठहर सकते हैं, जब कोई ऐसा मौक़ा आ पड़े कि कुछ करते धरते नहीं बना

न जाए रफ़्तन , न पाए माँदन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

सौकन भुगती जाए और सौतेला न भुगता जाए

सोकन के मुक़ाबले में इस की औलाद से ज़्यादा दुख पहुंचता है

नज़र न हो जाए

बुरी नज़र न लगे, बुरी नज़र दूर हो, अल्लाह बुरी नज़र से बचाए

'इल्लत धोए धाए जाए, 'आदत कभी न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

दानी की भाका ख़ाली न जाए

दानशील आदमी की बात पूरी हुए बिना नहीं रहती

उल्टा लिया जाए न सीधा

इस तरह क़ाबू में आता है न उस तरह, किसी तरह नहीं मानता, जो किसी भी तरह से पकड़ में न आए

कहीं ऐसा न हो जाए

उम्मीद के विपरीत कुछ न हो जाए, सामान्यतः चिंता के मौक़े पर हम ऐसा कहते हैं

कहीं नज़र न लग जाए

(तंज़न) ऐसे शख़्स मी मज़म्मत या हजव जिस का फे़अल, मुतकल्लिम की तबीयत या तवक़्क़ो के ख़िलाफ़ हो

बद बदी से न जाए तो नेक नेकी से भी न जाए

चाहे बुरा आदमी अपनी बुराई से बाज़ ना आए मगर नेक को अपनी नेकी नहीं छोड़ना चाहिए

'इल्लत धोए धाए जाए, 'आदत कभो न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए

बुरी 'आदत नहीं जाती

चोर चोरी से जाए हेरा फेरी से न जाए

a habit leaves its traces even after it is given up

दमड़ी न जाए अगर चे दमड़ी जाए

रुक : दमड़ी ना जाये पर चमड़ी जाये

जाए रफ़्तन न पाए माँदन

misery, distress

ज़मीन पर जाए न होना

गुंजाइश या क्षमता न होना, काफ़ी न होना, कहीं ठिकाना न होना

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

हाँसी में खाँसी न हो जाए

सुख में दुःखी न हो जाये

नट बिद्दिया पाई जाए, जट बिद्दिया न पाई जाए

जाट की धूर्तता नट की धूर्तता से भी अधिक होती है, जाट नट से भी अधिक चालाक होता है

चाहे जिया जाए लगी न छूटे

मोहब्बत और इश्क़ से पीछे न हटना चाहिए, चाहे कुछ भी हो

मुँह का थोबड़ा न हो जाए

ऐसा न हो कि पिट जावे

सर जाए बात में फ़र्क़ न आए

वचन पूरा करना चाहिए, चाहे जान क्यूँ न चली जाए

जहाँ तीली न जाए वहाँ मूसल घुसेड़ना

अज़ हद झूट बोलना

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

ज़मीन टल जाए और ये न टले

ये बला तो आके रहेगी, ख़ाह कुछ हो, ये मुसीबत तो बहरसूरत नाज़िल होगी, ये शख़्स तो चाहे कुछ भी हो अपनी जगह से हल्लेगा नहीं, ये हुक्म तो हर सूरत में वाजिब उल-तामील है

सूम का कुता जाए न जाने दे

बेफ़ैज़ बख़ील का साथी भी किसी को फ़ैज़ नहीं पहुंचने देता है

नट विद्या पाई जाए, जट विद्या न पाई जाए

जाट की धूर्तता नट की धूर्तता से भी अधिक होती है, जाट नट से भी अधिक चालाक होता है

जहाँ सूई न जाए वहाँ लट्ठा करना

ऐसा काम करना जो मुम्किन ना हो , सरासर लगू बात करना

जहाँ सूई न जाए वहाँ मोसल घुसेड़ना

रुक : जहां सोई ना जाये वहां लट्ठा करना

घर आए नाग न पूजे बानी पूजन जाए

घर आई दौलत छोड़कर दूसरी जगह तलाश में जाना, वर्तमान लाभ को छोड़कर लापता लाभ की आशा पर जाना

झूट न बोले तो पेट फट जाए

झूठ बोले बिना नहीं रह सकता

झूट न बोले तो पेट अफर जाए

झूठ बोले बिना नहीं रह सकता

साचे गुरू का बालिका मरे न मारा जाए

जिस का हादी रहनुमा सच्चा हो उस को गज़ंद नहीं पहुंचती

गिरह से माल जाए आदमी 'अक़्ल न गँवाए

दौलत पर अक़ल की बरतरी ज़िहार करने के लिए कहते हैं

'आदत छूटे धोए धाए और 'इल्लत न जाए

प्रयास करने से आदत छूट जाती है लेकिन लत नहीं छूटता, लत बुरी चीज़ है

सूई जहाँ न जाए वहाँ सुवा घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

सूई जहाँ न जाए वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ न जाए सूई वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

बाँटे की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न निगली जाए, न उगली जाए के अर्थदेखिए

न निगली जाए, न उगली जाए

na niglii jaa.e, na uglii jaa.eنَہ نِگلی جائے، نَہ اُگلی جائے

न निगली जाए, न उगली जाए के हिंदी अर्थ

  • रुक : ना निगले बनती है ना अगले

نَہ نِگلی جائے، نَہ اُگلی جائے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : نہ نگلے بنتی ہے نہ اگلے

Urdu meaning of na niglii jaa.e, na uglii jaa.e

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha na nigale bantii hai na agle

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न निगली जाए, न उगली जाए

रुक : ना निगले बनती है ना अगले

जी जाए घी न जाए

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

जान जाए माल न जाए

कंजूस व्यक्ति के लिए बोलते हैं

आए न जाए

آتا جاتا کچھ نہیں

जी जाए घी न जाए

जान जाये मगर आर्थिक हानि न हो

'इल्लत जाए 'आदत न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

सर जाए बात न जाए

चाहे आदमी की जान चली जाये मगर जो कह चुका है इस का पाबंद रहना चाहिए

धरा जाए न उठाया जाए

बहुत जटिल है, बहुत पेचदार है

चमड़ी जाए दमड़ी न जाए

ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई रूपया पैसा ख़र्च करने में बहुत कृपणता अर्थात कंजूसी दिखाए यहाँ तक कि शारीरिक तकलीफ़ पर उसको वरीयता दे

जान जाए पर आन न जाए

पारिवारिक गरिमा जीवन से अधिक प्रिय होती है, निराशा की स्थिति के लिए जीवन जैसी क़ीमती वस्तु का त्याग किया जा सकता है

लाख जाए पर साख न जाए

दमड़ी चली जाये पर चमड़ी ना जाये, पैसा चला जाये मगर इज़्ज़त बरक़रार रहे, जान जाये आन ना जाये

तुम्हारी बात उठाई जाए न धरी जाए

तुम्हारी बात का भरोसा नहीं

न गंदी गली जाए न कुत्ता काटे

न बुरों के पास जाए न बदनामी उठाए बुरों से ताल्लुक़ रखने का परिणाम अपमान है

दमड़ी न जाए चाहे चमड़ी जाए

said of a miser who bears physical pain to save a very small amount of money

चमड़ी जाए मगर दमड़ी न जाए

ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई रूपया पैसा ख़र्च करने में बहुत कृपणता अर्थात कंजूसी दिखाए यहाँ तक कि शारीरिक तकलीफ़ पर उसको वरीयता दे

दमड़ी न जाए पर चमड़ी जाए

बड़ा कंजूस है दुख सहता है लेकिन कौड़ी ख़र्च नहीं करता

चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए

ऐसे अवसर पर बोलते हैं जब कोई रूपया पैसा ख़र्च करने में बहुत कृपणता अर्थात कंजूसी दिखाए यहाँ तक कि शारीरिक तकलीफ़ पर उसको वरीयता दे

न उल्टा लिया जाए न सीधा

रुक : ना उगले बने ना निगले बने

न पाए माँदन , न जाए रफ़्तन

रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

न जाए माँदन, न पाए रफ़्तन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

न पाए रफ़्तन , न जाए माँदन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) सख़्त मजबूरी, ना जा सकते हैं ना ठहर सकते हैं, जब कोई ऐसा मौक़ा आ पड़े कि कुछ करते धरते नहीं बना

न जाए रफ़्तन , न पाए माँदन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) रुक : ना पाए रफ़तन ना जाये माँदन

सौकन भुगती जाए और सौतेला न भुगता जाए

सोकन के मुक़ाबले में इस की औलाद से ज़्यादा दुख पहुंचता है

नज़र न हो जाए

बुरी नज़र न लगे, बुरी नज़र दूर हो, अल्लाह बुरी नज़र से बचाए

'इल्लत धोए धाए जाए, 'आदत कभी न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

दानी की भाका ख़ाली न जाए

दानशील आदमी की बात पूरी हुए बिना नहीं रहती

उल्टा लिया जाए न सीधा

इस तरह क़ाबू में आता है न उस तरह, किसी तरह नहीं मानता, जो किसी भी तरह से पकड़ में न आए

कहीं ऐसा न हो जाए

उम्मीद के विपरीत कुछ न हो जाए, सामान्यतः चिंता के मौक़े पर हम ऐसा कहते हैं

कहीं नज़र न लग जाए

(तंज़न) ऐसे शख़्स मी मज़म्मत या हजव जिस का फे़अल, मुतकल्लिम की तबीयत या तवक़्क़ो के ख़िलाफ़ हो

बद बदी से न जाए तो नेक नेकी से भी न जाए

चाहे बुरा आदमी अपनी बुराई से बाज़ ना आए मगर नेक को अपनी नेकी नहीं छोड़ना चाहिए

'इल्लत धोए धाए जाए, 'आदत कभो न जाए

बीमारी जाती रहती है मगर आदत नहीं बदलती

चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए

बुरी 'आदत नहीं जाती

चोर चोरी से जाए हेरा फेरी से न जाए

a habit leaves its traces even after it is given up

दमड़ी न जाए अगर चे दमड़ी जाए

रुक : दमड़ी ना जाये पर चमड़ी जाये

जाए रफ़्तन न पाए माँदन

misery, distress

ज़मीन पर जाए न होना

गुंजाइश या क्षमता न होना, काफ़ी न होना, कहीं ठिकाना न होना

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

हाँसी में खाँसी न हो जाए

सुख में दुःखी न हो जाये

नट बिद्दिया पाई जाए, जट बिद्दिया न पाई जाए

जाट की धूर्तता नट की धूर्तता से भी अधिक होती है, जाट नट से भी अधिक चालाक होता है

चाहे जिया जाए लगी न छूटे

मोहब्बत और इश्क़ से पीछे न हटना चाहिए, चाहे कुछ भी हो

मुँह का थोबड़ा न हो जाए

ऐसा न हो कि पिट जावे

सर जाए बात में फ़र्क़ न आए

वचन पूरा करना चाहिए, चाहे जान क्यूँ न चली जाए

जहाँ तीली न जाए वहाँ मूसल घुसेड़ना

अज़ हद झूट बोलना

चलता-फिरता न मरे बैठा मर जाए

काहिल आदमी जल्दी मरता है, चलने फिरने वाला जल्द नहीं मरता, बहुत एहतियात करने वाला कभी कभी मर जाता है और एहतियात न करने वाला ज़िंदा रहता है

ज़मीन टल जाए और ये न टले

ये बला तो आके रहेगी, ख़ाह कुछ हो, ये मुसीबत तो बहरसूरत नाज़िल होगी, ये शख़्स तो चाहे कुछ भी हो अपनी जगह से हल्लेगा नहीं, ये हुक्म तो हर सूरत में वाजिब उल-तामील है

सूम का कुता जाए न जाने दे

बेफ़ैज़ बख़ील का साथी भी किसी को फ़ैज़ नहीं पहुंचने देता है

नट विद्या पाई जाए, जट विद्या न पाई जाए

जाट की धूर्तता नट की धूर्तता से भी अधिक होती है, जाट नट से भी अधिक चालाक होता है

जहाँ सूई न जाए वहाँ लट्ठा करना

ऐसा काम करना जो मुम्किन ना हो , सरासर लगू बात करना

जहाँ सूई न जाए वहाँ मोसल घुसेड़ना

रुक : जहां सोई ना जाये वहां लट्ठा करना

घर आए नाग न पूजे बानी पूजन जाए

घर आई दौलत छोड़कर दूसरी जगह तलाश में जाना, वर्तमान लाभ को छोड़कर लापता लाभ की आशा पर जाना

झूट न बोले तो पेट फट जाए

झूठ बोले बिना नहीं रह सकता

झूट न बोले तो पेट अफर जाए

झूठ बोले बिना नहीं रह सकता

साचे गुरू का बालिका मरे न मारा जाए

जिस का हादी रहनुमा सच्चा हो उस को गज़ंद नहीं पहुंचती

गिरह से माल जाए आदमी 'अक़्ल न गँवाए

दौलत पर अक़ल की बरतरी ज़िहार करने के लिए कहते हैं

'आदत छूटे धोए धाए और 'इल्लत न जाए

प्रयास करने से आदत छूट जाती है लेकिन लत नहीं छूटता, लत बुरी चीज़ है

सूई जहाँ न जाए वहाँ सुवा घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

सूई जहाँ न जाए वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

जहाँ न जाए सूई वहाँ भाला घुसेड़ते हैं

जहाँ थोड़ी चीज़ की संभावना नहीं वहाँ अधिक डालते हैं

बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

बाँटे की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

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