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न कि

ऐसा नहीं है (किसी बात पर ज़ोर देने के लिए (इस लफ़्ज़ से पहले मुस्तामल)

न किसी के लेने में , न देने में

رک : نہ لینے میں نہ دینے میں جو زیادہ مستعمل ہے ۔

मख़फ़ी न रहे कि

वाज़िह रहे कि, वाज़िह हो कि, मालूम हो कि

मर्द बायद कि हरासाँ न शवद , मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद

(फ़ारसी शेअर उर्दू में बतौर मक़ूला मुस्तामल) आदमी को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, कोई मुश्किल ऐसी नहीं है कि जो आसां ना हो जाये

मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद , मर्द बायद कि हरासाँ न शवद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर मुश्किल आसान हो जाती है, इंसान को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, नाउम्मीद ना होना चाहिए , मुसीबत से मुक़ाबला करने के वक़्त कहते हैं

मुई क्यूँ कि साँस न आया

जब सांस ही न चले तो मृत्यु के अतिरिक्त और कौन सा चारा है

ऐसी कही कि धोए न छूटे

इतनी श्रमसाध्य या प्रभावशाली बात कह दी जिसका प्रभाव मिटाया नहीं जा सकता

हर कि ज़न न-दारद आसाइश-ए-तन न-दारद

(उर्दू में प्रयुक्त फ़ारसी कहावत) जिसके पास बीवी नहीं उसे कोई आराम नहीं

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

ये भी न पूछा कि क्या हुआ

सख़्त से सख़्त मुसीबत में जब कोई पुर्साने हाल ना हो तो कहते हैं

मुफ़्लिस तू ख़ुश कि ज़र न दारी

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) ए मुफ़लिस तू ही अच्छा है कि दौलत नहीं रखता, यानी दौलत के झगड़ों से तुझे नजात है

'इल्म दर सीना न कि दर सफ़ीना

ज्ञान तो मनुष्य के हृदय में होना चाहिए न कि किताबों में, विद्या सीखनी चाहिए

हर कि बाबदाँ नशीनद नेकी न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो बदों के साथ बैठता है वो नेकी नहीं देखता, बरी सोहबत का नतीजा बुरा होता है

सारी ज़ुलैख़ा सुन ली और ये न मा'लूम हुआ कि ज़ुलैख़ा 'औरत थी कि मर्द

बूओरा क़िस्सा सुनने के बाद जब कोई उसी किसे के मुताल्लिक़ बेतुका सवाल कर बैठे तो इस से कहते हैं

हर कि ख़ूद रा बीनद ख़ुदा रा न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) मग़रूर आदमी ख़ुदा को नहीं पाता, ख़ुद पसंद शख़्स ख़ुदा शनास नहीं होता

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

اگر مرد اور عورت اکٹھے ہوں تو ضرور زنا کی نوبت آتی ہے

न हर कि चेहरा बर अफ़रोख़्त, दिल बरी दानद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर शख़्स जो अपना चेहरा चमकाए, दिलबरी नहीं जानता, किसी बाकमाल की सी शक्ल बना लेना आसान है मगर कमाल पैदा करना मुश्किल है, ख़ूबसूरती और चीज़ है नाज़-ओ-अदा-ओ-करिश्मा और चीज़ है

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

हर जा कि नमक ख़ोरी नमक दान न शिकन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जहां नमक खाओ नमकदान को ना तोड़ो , जिस से फ़ायदा उठाओ उसे नुक़्सान ना पहुँचाओ

ये तक न पूछा कि तेरे मुँह में कै दाँत

रुक: ये भी किसी ने नहीं पूछा अलख

यार की यारी से मतलब न कि उस के फ़'लों से

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती

ये भी किसी ने न पूछा कि तेरी मुँह में कितने दाँत हैं

जहां किसी की कोई पूछगिछ और ख़ातिर तवाज़ो ना हो वहां ये मुहावरा बोलते हैं

शोर-ओ-ग़ुल ऐसा कि कान पड़ी आवाज़ सुनाई न देती थी

बहुत ज़्यादा शोर दिखाने को कहते हैं

ज़ुलैख़ा तो सारी पढ़ गए पर ये न जाना कि वो 'औरत थी या मर्द

किसी बात या घटना को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

याद हो कि न हो

۔معلوم نہیںیاد ہے یا بھول گئے۔

याद हो कि न याद हो

(किसी को कुछ याद दिलाने के मौके़ पर प्रयुक्त) मालूम नहीं याद है कि भूल गए, क्या पता तुम्हें याद है या तुम्हारे दिमाग़ से उतर गया

हुक़्क़ा एक दम, दो दम, सह दम बाशद, न कि मीरास-ए-जद्द-ओ-'अम बाशद

हुक़्क़ा के एक या दो तीन कश पीने चाहिएँ फिर आगे चला देना चाहिए

चूल्हे की न चक्की की

किसी काम की नहीं

सावन की न सीत भली, बालक की न पीत भली

सावन में छाछ पीना अच्छा नहीं और बच्चे की मोहब्बत का कोई भरोसा नहीं

टूटी की बूटी न मिलना

मर जाना, मौत आ जाना

न आए की , न गए की

आने जाने वालों की, किसी की कोई इज़्ज़त नहीं

चीं-चपट न की

केउज़र मान लिया

माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी

(ओ) कोई ख़्वाहमख़्वाह का रिश्ता जताए तो कहती हैं कि तरह हम से कोई ताल्लुक़ नहीं है

बोले की न चाले की, मैं तो सोते की भली

बहू की सुस्ती एवं काम न करने पर कहते हैं

रूप न सिंगार खत्रानी की साध

न रूप है न बनाव-श्रंगार है और खतरानी का भेस बनाती है

बुरे की बुराई में न भले की भलाई में

सब से आज़ाद

बुड्ढे की न मरे जोरू, बाले की न मरे माँ

बुड्ढे की बीवी और बच्चे की माँ मर जाए तो दोनों का सहारा ख़त्म हो जाता है अथवा दोनों पर बड़ी विपदा आ जाती है

गिनों न गोथों में दूल्हा की ख़ाला

کوئی بات پوچھے یا نہ پوچھے خواہ نخواہ خصوصیت اور عزیز داری جتانا

फ़रिश्तों की न सुनना

बड़े से बड़े की बात न मानना; शक्तिशाली से शक्तिशाली की बात की परवाह न करना; अत्यधिक उद्दंड होना

रीत की कौड़ी न ऊत बिलाव की ढेरी

एक अक़लमंद आदमी बहुत से बेवक़ूफ़ों से बेहतर है , इख़लास मंदी की एक कोड़ी बहुत है , जो काम क़ाअदे के साथ हो वो अच्छ्াा और जो काम बेक़ाइदा हो वो बुरा

काम करने की सौ राहें हैं , न करने की एक नहीं

काम सिदक़ नी्यत से किया जाये तो कई तरीक़े निकल आते हैं अगरना करने की नी्यत हो तो कोई तरीक़ा नहीं निकलता

न तीन में न तेरा में, सुतली की गिरह में

रुक : ना तीन में ना तेराह में

सजी न वजी दूल्हा की मौसी

नामवरी के मुवाफ़िक़ लेअक्त का ना होना

पाँव की मेहंदी न घिस जाती

۔ (عو) مقولہ۔ کسی شخص کے نہ آنے نہ ملنے یا کوئی کام نہ کرنے پر (طنزاً) بولتی ہیں۔ یعنی آنے سے کچھ نقصان نہ ہوجاتا۔ ؎

संगत भली न साध की और एक गेंदे की बास

न साधू का साथ अच्छा होता है और न गेंदे की ख़ुश्बू

सियाही बालों की गई दिल की आरज़ू न गई

बुढ़ापे में भी जवानी के शौक़ हैं

नमक की कंकरी का शर्मिंदा न होना

थोड़ा सा भी कृतज्ञ न होना, किसी का बिलकुल भी आभारी न होना

तुम्हारी बात थल की न बेड़े की

जिसकी बात का कुछ भरोसा न हो उसकी और बकवास करने वाले के संबंध में बोलते हैं

इधर की न उधर की, ये बला किधर की

एक अप्रत्याशित विपत्ति, आकस्मिक विपत्ति है, कोई नहीं पूछता, किसी लायक़ नहीं है

आप की टिक्की यहाँ न लगेगी

आप का नियंत्रण यहाँ नहीं चलेगा, आप का क़ाबू यहाँ नहीं चलेगा

पुलाव की रकाबी कहीं न जाना

आराम-ओ-आसाइश, ऐश आराम की ज़िंदगी में ख़लल ना आना

मर गए मर्दूद जिन की फ़ातिहा न दुरूद

बद-म'आश और बुरे व्यक्ति को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

दूध में की मक्खी कसी ने न चखी

नालायक़ को कोई पसंद नहीं करता, ख़राब चीज़ कोई इस्तिमाल नहीं करता

अत का भला न बरसना, अत की भली न धुप, अत का भला न बोलना, अत की भली न चुप

हर चीज़ की बहुतात बुरी होती है, मध्य पथ बेहतर है, सरलाचार अच्छी चीज़ है

बिल्ली की आँखों पे पंजा न रखा जाना

निर्लज्जता एवं निर्दयता क्रियान्वयन में लाना

अपना टेंट न निहारना, और की फल्ली निहारना

अपने स्पष्ट दोषों पर भी नज़र नहीं जाती दूसरों के छुपे दोष भी नज़र आ जाते हैं

अपनी कही न और की सुनी

अकस्मात मर गए, चटपट हो गए, मरते समय कुछ कहने सुनने का अवसर न मिला

बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में न कि के अर्थदेखिए

न कि

na kiنَہ کہ

वाक्य

न कि के हिंदी अर्थ

  • ऐसा नहीं है (किसी बात पर ज़ोर देने के लिए (इस लफ़्ज़ से पहले मुस्तामल)

نَہ کہ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ایسا نہیں ہے (کسی بات پر زور دینے کے لیے (اس لفظ سے پہلے مستعمل) ۔

Urdu meaning of na ki

  • Roman
  • Urdu

  • a.isaa nahii.n hai (kisii baat par zor dene ke li.e (is lafz se pahle mustaamal)

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न कि

ऐसा नहीं है (किसी बात पर ज़ोर देने के लिए (इस लफ़्ज़ से पहले मुस्तामल)

न किसी के लेने में , न देने में

رک : نہ لینے میں نہ دینے میں جو زیادہ مستعمل ہے ۔

मख़फ़ी न रहे कि

वाज़िह रहे कि, वाज़िह हो कि, मालूम हो कि

मर्द बायद कि हरासाँ न शवद , मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद

(फ़ारसी शेअर उर्दू में बतौर मक़ूला मुस्तामल) आदमी को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, कोई मुश्किल ऐसी नहीं है कि जो आसां ना हो जाये

मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद , मर्द बायद कि हरासाँ न शवद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर मुश्किल आसान हो जाती है, इंसान को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, नाउम्मीद ना होना चाहिए , मुसीबत से मुक़ाबला करने के वक़्त कहते हैं

मुई क्यूँ कि साँस न आया

जब सांस ही न चले तो मृत्यु के अतिरिक्त और कौन सा चारा है

ऐसी कही कि धोए न छूटे

इतनी श्रमसाध्य या प्रभावशाली बात कह दी जिसका प्रभाव मिटाया नहीं जा सकता

हर कि ज़न न-दारद आसाइश-ए-तन न-दारद

(उर्दू में प्रयुक्त फ़ारसी कहावत) जिसके पास बीवी नहीं उसे कोई आराम नहीं

कस न गोयद कि दोग़ मन तुर्श अस्त

अपनी छाछ को कोई बुरा नहीं कहता

ये भी न पूछा कि क्या हुआ

सख़्त से सख़्त मुसीबत में जब कोई पुर्साने हाल ना हो तो कहते हैं

मुफ़्लिस तू ख़ुश कि ज़र न दारी

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) ए मुफ़लिस तू ही अच्छा है कि दौलत नहीं रखता, यानी दौलत के झगड़ों से तुझे नजात है

'इल्म दर सीना न कि दर सफ़ीना

ज्ञान तो मनुष्य के हृदय में होना चाहिए न कि किताबों में, विद्या सीखनी चाहिए

हर कि बाबदाँ नशीनद नेकी न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जो बदों के साथ बैठता है वो नेकी नहीं देखता, बरी सोहबत का नतीजा बुरा होता है

सारी ज़ुलैख़ा सुन ली और ये न मा'लूम हुआ कि ज़ुलैख़ा 'औरत थी कि मर्द

बूओरा क़िस्सा सुनने के बाद जब कोई उसी किसे के मुताल्लिक़ बेतुका सवाल कर बैठे तो इस से कहते हैं

हर कि ख़ूद रा बीनद ख़ुदा रा न बीनद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) मग़रूर आदमी ख़ुदा को नहीं पाता, ख़ुद पसंद शख़्स ख़ुदा शनास नहीं होता

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

اگر مرد اور عورت اکٹھے ہوں تو ضرور زنا کی نوبت آتی ہے

न हर कि चेहरा बर अफ़रोख़्त, दिल बरी दानद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर शख़्स जो अपना चेहरा चमकाए, दिलबरी नहीं जानता, किसी बाकमाल की सी शक्ल बना लेना आसान है मगर कमाल पैदा करना मुश्किल है, ख़ूबसूरती और चीज़ है नाज़-ओ-अदा-ओ-करिश्मा और चीज़ है

वो फूल ही क्या जो कि महेसर न चढ़े

पारबती देवी की मूर्ती पर चढ़ाया हुआ वह फूल जो उसके सर पर रह जाता था और सबसे ऊँचा गिना जाता था

हर जा कि नमक ख़ोरी नमक दान न शिकन

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) जहां नमक खाओ नमकदान को ना तोड़ो , जिस से फ़ायदा उठाओ उसे नुक़्सान ना पहुँचाओ

ये तक न पूछा कि तेरे मुँह में कै दाँत

रुक: ये भी किसी ने नहीं पूछा अलख

यार की यारी से मतलब न कि उस के फ़'लों से

मित्र की मित्रता से उद्देश्य है उसके कार्यों से क्या मतलब, यह कहावत दोस्त के दोषों पर ध्यान न देने के अवसर पर बोलते हैं

किसी ने ये भी न पूछा कि तुम किस बाग़ की मूली हो

किसी ने परवाह भी नहीं की, रास्ते सुरक्षित हैं कहीं लूट मार नहीं होती

ये भी किसी ने न पूछा कि तेरी मुँह में कितने दाँत हैं

जहां किसी की कोई पूछगिछ और ख़ातिर तवाज़ो ना हो वहां ये मुहावरा बोलते हैं

शोर-ओ-ग़ुल ऐसा कि कान पड़ी आवाज़ सुनाई न देती थी

बहुत ज़्यादा शोर दिखाने को कहते हैं

ज़ुलैख़ा तो सारी पढ़ गए पर ये न जाना कि वो 'औरत थी या मर्द

किसी बात या घटना को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

याद हो कि न हो

۔معلوم نہیںیاد ہے یا بھول گئے۔

याद हो कि न याद हो

(किसी को कुछ याद दिलाने के मौके़ पर प्रयुक्त) मालूम नहीं याद है कि भूल गए, क्या पता तुम्हें याद है या तुम्हारे दिमाग़ से उतर गया

हुक़्क़ा एक दम, दो दम, सह दम बाशद, न कि मीरास-ए-जद्द-ओ-'अम बाशद

हुक़्क़ा के एक या दो तीन कश पीने चाहिएँ फिर आगे चला देना चाहिए

चूल्हे की न चक्की की

किसी काम की नहीं

सावन की न सीत भली, बालक की न पीत भली

सावन में छाछ पीना अच्छा नहीं और बच्चे की मोहब्बत का कोई भरोसा नहीं

टूटी की बूटी न मिलना

मर जाना, मौत आ जाना

न आए की , न गए की

आने जाने वालों की, किसी की कोई इज़्ज़त नहीं

चीं-चपट न की

केउज़र मान लिया

माँ की सोत न बाप की यारी, किसी नाते की तू मन्हारी

(ओ) कोई ख़्वाहमख़्वाह का रिश्ता जताए तो कहती हैं कि तरह हम से कोई ताल्लुक़ नहीं है

बोले की न चाले की, मैं तो सोते की भली

बहू की सुस्ती एवं काम न करने पर कहते हैं

रूप न सिंगार खत्रानी की साध

न रूप है न बनाव-श्रंगार है और खतरानी का भेस बनाती है

बुरे की बुराई में न भले की भलाई में

सब से आज़ाद

बुड्ढे की न मरे जोरू, बाले की न मरे माँ

बुड्ढे की बीवी और बच्चे की माँ मर जाए तो दोनों का सहारा ख़त्म हो जाता है अथवा दोनों पर बड़ी विपदा आ जाती है

गिनों न गोथों में दूल्हा की ख़ाला

کوئی بات پوچھے یا نہ پوچھے خواہ نخواہ خصوصیت اور عزیز داری جتانا

फ़रिश्तों की न सुनना

बड़े से बड़े की बात न मानना; शक्तिशाली से शक्तिशाली की बात की परवाह न करना; अत्यधिक उद्दंड होना

रीत की कौड़ी न ऊत बिलाव की ढेरी

एक अक़लमंद आदमी बहुत से बेवक़ूफ़ों से बेहतर है , इख़लास मंदी की एक कोड़ी बहुत है , जो काम क़ाअदे के साथ हो वो अच्छ्াा और जो काम बेक़ाइदा हो वो बुरा

काम करने की सौ राहें हैं , न करने की एक नहीं

काम सिदक़ नी्यत से किया जाये तो कई तरीक़े निकल आते हैं अगरना करने की नी्यत हो तो कोई तरीक़ा नहीं निकलता

न तीन में न तेरा में, सुतली की गिरह में

रुक : ना तीन में ना तेराह में

सजी न वजी दूल्हा की मौसी

नामवरी के मुवाफ़िक़ लेअक्त का ना होना

पाँव की मेहंदी न घिस जाती

۔ (عو) مقولہ۔ کسی شخص کے نہ آنے نہ ملنے یا کوئی کام نہ کرنے پر (طنزاً) بولتی ہیں۔ یعنی آنے سے کچھ نقصان نہ ہوجاتا۔ ؎

संगत भली न साध की और एक गेंदे की बास

न साधू का साथ अच्छा होता है और न गेंदे की ख़ुश्बू

सियाही बालों की गई दिल की आरज़ू न गई

बुढ़ापे में भी जवानी के शौक़ हैं

नमक की कंकरी का शर्मिंदा न होना

थोड़ा सा भी कृतज्ञ न होना, किसी का बिलकुल भी आभारी न होना

तुम्हारी बात थल की न बेड़े की

जिसकी बात का कुछ भरोसा न हो उसकी और बकवास करने वाले के संबंध में बोलते हैं

इधर की न उधर की, ये बला किधर की

एक अप्रत्याशित विपत्ति, आकस्मिक विपत्ति है, कोई नहीं पूछता, किसी लायक़ नहीं है

आप की टिक्की यहाँ न लगेगी

आप का नियंत्रण यहाँ नहीं चलेगा, आप का क़ाबू यहाँ नहीं चलेगा

पुलाव की रकाबी कहीं न जाना

आराम-ओ-आसाइश, ऐश आराम की ज़िंदगी में ख़लल ना आना

मर गए मर्दूद जिन की फ़ातिहा न दुरूद

बद-म'आश और बुरे व्यक्ति को कोई शुभ नाम से याद नहीं करता

दूध में की मक्खी कसी ने न चखी

नालायक़ को कोई पसंद नहीं करता, ख़राब चीज़ कोई इस्तिमाल नहीं करता

अत का भला न बरसना, अत की भली न धुप, अत का भला न बोलना, अत की भली न चुप

हर चीज़ की बहुतात बुरी होती है, मध्य पथ बेहतर है, सरलाचार अच्छी चीज़ है

बिल्ली की आँखों पे पंजा न रखा जाना

निर्लज्जता एवं निर्दयता क्रियान्वयन में लाना

अपना टेंट न निहारना, और की फल्ली निहारना

अपने स्पष्ट दोषों पर भी नज़र नहीं जाती दूसरों के छुपे दोष भी नज़र आ जाते हैं

अपनी कही न और की सुनी

अकस्मात मर गए, चटपट हो गए, मरते समय कुछ कहने सुनने का अवसर न मिला

बानिये की बान न जाए, कुत्ता मूते टाँग उठाए

बुरी लत कभी नहीं छूटती

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