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कहे से

۔کہنے سے۔ حکم سے۔ ؎

कहे से कोई कुँएँ में नही गिरता

दूसरे के कहने से कोई नुक़्सान वाला काम नहीं करता, हर एक अपना अच्छा-बुरा ख़ूब समझता है

कहे से कोई कुँवें में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

कहे से फिरना

निर्देश, कथन, आदेश आदि का पालन न करना, बात न मानना, बात मानने से इनकार कर देना, निर्देश के विपरीत कार्य करना; वचन से फिरना, वादा-ख़िलाफ़ी करना

कहे से ज़िद सिवा होती है

इसरार करने से ज़िद और बढ़ती है

कहे से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता

किसी के कहे से तो काम नहीं करता और फिर वही काम ख़ुद ही कर लेता है

कहे से बाहर होना

रुक : कहने से बाहर होना, क़ाबू में ना रहना, बे कहा हुआ जाना, बात या नसीहत की पर्वा ना करना

कहे सुने से

लगाई-बुझाई से, सिखाने-पढ़ाने से, भड़काने से

लड्डू कहे से मुँह मीठा नहीं होता

बातों ही बातों से काम नहीं होता है कुछ ख़र्च करना पड़ता है

चोर से कहे तू चोरी कर और साह से कहे तू जागते रहियो

दोनों विपक्षी पक्षों से बनाए रखना

लड्डू कहे से मुँह नहीं मीठा होता

ख़ाली खोखली बातों या केवल चापलूसी से काम नहीं बनता, कुछ ख़र्च करना भी पड़ता है, बिना दिए-लिए काम नहीं चलता

चूनी भी कहे मुझे घी से खाओ

साधारण आदमी का स्वयं को असाधारण एवं बड़ा दर्शाना, अपने पद से बढ़ कर दावे करना, अपनी हैसियत से अधिक दिखाना, अयोग्य हो कर भी योग्य बनना

धी से कहे बहू ने कान किए

रुक : धी री में तुझ को कहूं अलख

कुम्हार कहे से गधे पर नहीं चढ़ता

अपनी इच्छा से तो काम करना परंतु किसी के कहने से न करना

अपना कहे मुँह बंद होता है, ग़ैर कहे से मुँह खुल जाता है

सगा-संबंधी मांगे तो दया में मुँह बंद हो कर रह जाता है, मना नहीं किया जाता, परंतु दूसरे के अनुरोध पर मना कर सकते हैं (संबंधी में लड़की के लिए लड़के का न्योता देते समय निकटता का दबाव डालने के लिए प्रयुक्त)

रोगी से रोगी मिले कहे कि नीम खा नीम

जब रोगी आदमी इकट्ठे होते हैं तो एक दूसरे को दवाईयाँ बताते हैं

सच्ची बात जो कहे , बहुत के दिल से उतर से उतर आवे

सच्चे आदमी से कोई ख़ुश नहीं होता

चोर से कह चोरी कर शाह से कहे तेरा घर लुटा मुस्ता है

इस शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस में लगाने बुझाने की आदत हो

सच्ची बात सा'दुल्लाह कहे सब के मन से उतरा रहे

बंदा तो सच्च ही बोलेगा ख़ाह लोगों को गिरां गुज़रे, सच्ची बात कहने वाले को लोग पसंद नहीं करते

साँची बात सा'दुल्लाह कहे, सब के मन से उतरा रहे

सच्ची बात कहने वाले से सब नाख़ुश होते हैं, जो शख़्स सच्च बोले इस से सब घबराते हैं

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों

तिरया तुझ से जो कहे मोल न तू वो मान, तिरया मत पर जो चलें वो नर हैं निर्ज्ञान

स्त्री के कहने पर नहीं चलना चाहिए जो उन के कहने पर चले वो मूर्ख है

बाजरा कहे में हूँ अकेला दो मोसली से लड़ूँ अकेला जो मेरी ताजो खिचड़ी खाए तो तुरत बोलता ख़ुश हो जाए

एक कहावत जो बाजरे की प्रशंसा में प्रयुक्त, परयायवाची: यदि सुंदर स्त्री बाजरा खाए तो बहुत प्रसन्न हो

चोर से कहें मूस, शाह से कहें जाग

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दोनों फ़रीक़ों में लगाई बुझाई कर के फ़साद करा देता है

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कहे से के अर्थदेखिए

कहे से

kahe seکَہے سے

کَہے سے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ۔کہنے سے۔ حکم سے۔ ؎

Urdu meaning of kahe se

  • Roman
  • Urdu

  • ۔kahne se। hukm se।

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कहे से

۔کہنے سے۔ حکم سے۔ ؎

कहे से कोई कुँएँ में नही गिरता

दूसरे के कहने से कोई नुक़्सान वाला काम नहीं करता, हर एक अपना अच्छा-बुरा ख़ूब समझता है

कहे से कोई कुँवें में नहीं गिरता

दूसरे के कहने से कोई हानिकारक क्रिया नहीं करता, सभी अपना अच्छा और बुरा अच्छे से समझते हैं

कहे से फिरना

निर्देश, कथन, आदेश आदि का पालन न करना, बात न मानना, बात मानने से इनकार कर देना, निर्देश के विपरीत कार्य करना; वचन से फिरना, वादा-ख़िलाफ़ी करना

कहे से ज़िद सिवा होती है

इसरार करने से ज़िद और बढ़ती है

कहे से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता

किसी के कहे से तो काम नहीं करता और फिर वही काम ख़ुद ही कर लेता है

कहे से बाहर होना

रुक : कहने से बाहर होना, क़ाबू में ना रहना, बे कहा हुआ जाना, बात या नसीहत की पर्वा ना करना

कहे सुने से

लगाई-बुझाई से, सिखाने-पढ़ाने से, भड़काने से

लड्डू कहे से मुँह मीठा नहीं होता

बातों ही बातों से काम नहीं होता है कुछ ख़र्च करना पड़ता है

चोर से कहे तू चोरी कर और साह से कहे तू जागते रहियो

दोनों विपक्षी पक्षों से बनाए रखना

लड्डू कहे से मुँह नहीं मीठा होता

ख़ाली खोखली बातों या केवल चापलूसी से काम नहीं बनता, कुछ ख़र्च करना भी पड़ता है, बिना दिए-लिए काम नहीं चलता

चूनी भी कहे मुझे घी से खाओ

साधारण आदमी का स्वयं को असाधारण एवं बड़ा दर्शाना, अपने पद से बढ़ कर दावे करना, अपनी हैसियत से अधिक दिखाना, अयोग्य हो कर भी योग्य बनना

धी से कहे बहू ने कान किए

रुक : धी री में तुझ को कहूं अलख

कुम्हार कहे से गधे पर नहीं चढ़ता

अपनी इच्छा से तो काम करना परंतु किसी के कहने से न करना

अपना कहे मुँह बंद होता है, ग़ैर कहे से मुँह खुल जाता है

सगा-संबंधी मांगे तो दया में मुँह बंद हो कर रह जाता है, मना नहीं किया जाता, परंतु दूसरे के अनुरोध पर मना कर सकते हैं (संबंधी में लड़की के लिए लड़के का न्योता देते समय निकटता का दबाव डालने के लिए प्रयुक्त)

रोगी से रोगी मिले कहे कि नीम खा नीम

जब रोगी आदमी इकट्ठे होते हैं तो एक दूसरे को दवाईयाँ बताते हैं

सच्ची बात जो कहे , बहुत के दिल से उतर से उतर आवे

सच्चे आदमी से कोई ख़ुश नहीं होता

चोर से कह चोरी कर शाह से कहे तेरा घर लुटा मुस्ता है

इस शख़्स की निसबत बोलते हैं जिस में लगाने बुझाने की आदत हो

सच्ची बात सा'दुल्लाह कहे सब के मन से उतरा रहे

बंदा तो सच्च ही बोलेगा ख़ाह लोगों को गिरां गुज़रे, सच्ची बात कहने वाले को लोग पसंद नहीं करते

साँची बात सा'दुल्लाह कहे, सब के मन से उतरा रहे

सच्ची बात कहने वाले से सब नाख़ुश होते हैं, जो शख़्स सच्च बोले इस से सब घबराते हैं

दिल्ली से मैं आऊँ ख़बर कहे मेरा भाई, घर से आए कोई संदेसा दे कोई

ये कहावत उन लोगों के प्रति बोलते हैं जिन को किसी बात का ज्ञान होना आवश्यक समझा जाता है मगर वो लापरवाही या मूर्खता के कारण इस बात से अनभिज्ञ या अज्ञानी हों

तिरया तुझ से जो कहे मोल न तू वो मान, तिरया मत पर जो चलें वो नर हैं निर्ज्ञान

स्त्री के कहने पर नहीं चलना चाहिए जो उन के कहने पर चले वो मूर्ख है

बाजरा कहे में हूँ अकेला दो मोसली से लड़ूँ अकेला जो मेरी ताजो खिचड़ी खाए तो तुरत बोलता ख़ुश हो जाए

एक कहावत जो बाजरे की प्रशंसा में प्रयुक्त, परयायवाची: यदि सुंदर स्त्री बाजरा खाए तो बहुत प्रसन्न हो

चोर से कहें मूस, शाह से कहें जाग

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो दोनों फ़रीक़ों में लगाई बुझाई कर के फ़साद करा देता है

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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