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चाहे

' यदि जी चाहे ' का संक्षिप्त रूप। यदि जी चाहे। यदि मन में आवे। जैसे-(क) चाहे यहाँ रहो, चाहे वहाँ। (ख) जो चाहे सो करो।

चाहेता

दरकार है, मुनासिब है, ज़रूरी है, उचित है, उपयुक्त है, उचित, मुनासिब या वाजिब है, आवश्यकता या जरूरत है

चाहे सो हो

अंजाम की पर्वा नहीं, कुछ भी क्यों ना हो

चाहे कोदों दलाले , चाहे मंडवा पिसाले

दमी से एक वक़्त में एक ही काम होसकता है , जो काम मर्ज़ी है कराले में तेरे इख़तियार में हूँ औरत ख़ावंद से कहती है

चाहे जो रंग रंगाओ खिलेगा अमवा

चाहे जो करो, हर तरह से बे जे़ब ही रहेगा

चाहे सियाह करो चाहे सुफ़ेद

तुम्हें सभी प्रकार का अधिकार है, संप्रभु हो

चाहे जैसी क़सम ले लो

क़सम खाने को तैय्यार हूँ, यक़ीन दिलाने के लिए कहते हैं

चाहे जो

चाहे मुर्दा दोज़ख़ में जाए चाहे बहिश्त में , अपने हल्वे माँडे से ग़रज़

किसी दूसरे की पर्वा ना करते हुए अपनी बेहतरी पर नज़र रखना, ख़ुदग़रज़ी दिखाने के मौक़ा पर कहते हैं

चाहे इधर से नाक पकड़ो चाहे उधर से

बात एक ही है, हर तरह बराबर है

चाहे ओढ़ो चाहे बिछाओ

जो मर्ज़ी में आए करो, इतने में कुछ नहीं हो सकता , नाकाफ़ी चीज़ के लिए कहते हैं

चाहे जिया जाए लगी न छूटे

मोहब्बत और इश्क़ से पीछे न हटना चाहिए, चाहे कुछ भी हो

चाहे जो हो

चाहे जो कुछ भी हो, कितना ही बुरा परिणाम क्यों न हो, कितनी भी मुसीबत क्यों न उठानी पड़े

चाहे दुनिया इधर की उधर हो जाए

भले ही सब कुछ ग़लत हो जाए, चाहे कैसी भी क्रांति क्यों न आए

चाहे जो भी

चाहे कोई भी हो, चाहे कुछ भी हो, जो भी हो

चाहे जितना

ख़ुदा चाहे

अगर ईश्वर की मर्ज़ी हो, अगर ईश्वर चाहे, अगर भगवान की इच्छा हो

साली नहाली , चाहे ओढ़ी , चाहे बिछाली

रज़ाई को चाहे ओढ़ो, चाहे बिछाओ

माँ चाहे बेटी को, बेटी चाहे मूए ढींग को

माँ को जितनी मुहब्बत बेटी से होती है उतनी मुहब्बत बेटी को माँ से नहीं होती, शादी के बाद बेटी अपने ख़ावंद को ज़्यादा चाहती है

ख़रबूज़ चाहे धूप को और आम चाहे मेंह, नारी चाहे ज़ोर को, और बालक चाहे नेह

ख़र बूज़ा धूओप से मज़े पर आता है और आम मीना से औरत ज़ोर आवर से ख़ुश होती है बच्चा प्यार से यानी हर शैय अपने मर्ग़ूब शैय को चाहती है

ख़रबूज़ा चाहे धूप को और आम चाहे मेंह, नारी चाहे ज़ोर को, और बालक चाहे नेह

ख़र बूज़ा धूओप से मज़े पर आता है और आम मीना से औरत ज़ोर आवर से ख़ुश होती है बच्चा प्यार से यानी हर शैय अपने मर्ग़ूब शैय को चाहती है

अंधा क्या चाहे दो आँखें

मनुष्य वही चाहता है जो उसे चाहिए, जिसे जिस वस्तु की आवश्यकता हो वह उसी की चिंता करता है

चाँद न चाहे बुंदा

सौंदर्य और सुंदरता को किसी आभूषण की आवश्यकता नहीं है

मन चाहे मुंडिया हिलाए

दिल तो चाहता है मगर ऊपरी दिल से इनकार है, ज़ाहिरन नफ़रत बातिनन रग़बत

च्यूँटी चाहे सागर थाह

सामर्थ्य से बाहर काम करने का धृष्ट प्रयास करना

ख़रबूज़ा चाहे धूप को और आम चाहे मेंह को, नारी चाहे ज़ोर को और बालक चाहे नेह को

ख़रबूज़ा धूप में जल्दी पकता है और मीठा होता है और आम वर्षा के बा'द, 'औरत शक्तिशाली आदमी को पसंद करती है, बच्चा प्यार चाहता है

कोढ़ी मरे, संगती चाहे

कष्टग्रस्त दूसरों को भी कष्ट में देखना चाहता है

हो सो हो चाहे

चाहे जो कुछ हो, गुज़श्ता रा सलात की जगह

सियाह करो चाहे सफ़ेद

पेट जो चाहे सो कराए

भूख से मजबूर हो कर आदमी हर बात के लिए तैयार हो जाता है

उल्टी पड़े चाहे सीधी

अब लाभ हो या हानि, अब नफ़ा हो या नुक़्सान, चाहे जो कुछ भी अंजाम हो

पूरा ताैल चाहे महंगा बेच

दुकानदार को तूल में कम चीज़ कभी नहीं देनी चाहिए महंगा बेचना इस से अच्छा है

जज्मान चाहे स्वर्ग को जाए चाहे नर्क को, मुझे दही पूरी से काम

कोई बने या बिगड़े अपने लाभ से काम

मियाँ जिस को चाहे वही सोहागन

रुक : जिसे पिया चाहे वही सुहागन जो फ़सीह है

माँ से ज़्यादा चाहे सो डाइन

रुक : माँ से ज़्यादा चाहे फा फा कटनी कहिलाय

जिस को पी चाहे वुही सुहागन

(लफ़ज़न) जिसे ख़ावंद पसंद करे उसे ही सुहागन समझना चाहिए, (मजाज़न) जिसे हाकिम पसंद करे उस की सब ख़ुशामद करते हैं

वो सुहागन है जिसे पिया चाहे

जिसे ख़ावंद या हाकिम पसंद करे उस की सब ख़ुशामद करते हैं, रुक : जिसे पिया चाहे वही सुहागन

जी चाहे

तेरे जौ तेरी दरांती चाहे जैसे काट

जो इच्छा हो कर तेरी बात में हस्तक्षेप नहीं करता, जब कोई व्यक्ति कहना न माने एवं अपनी इच्छा से सारे काम करे तो कहते हैं

झूट चाहे भेस सच कहे में नंगा भला

झूट बोलने वाले को बहुत सी बातें बनानी पड़ती हैं, सच्चा साफ़ बात कह देता है

हुआ चाहे

हो कर रहे, हर हालत में हो

माँ से ज़्यादा चाहे, सो फाफा कटनी कहलाए

माँ से ज़्यादा मुहब्बत जतलाना ग़रज़ से ख़ाली नहीं होता

चढ़े चाक चाहे सो उतार लो

जब काम जारी है इस वक़्त जो चाहो करलो, हुकूमत के वक़्त सब कुछ हो सकता है, बनी में जिस के साथ चाहो सुलूक करलो

जो माँ से सिवा चाहे वो फाफा कुटनी

(ओ) माँ से ज़्यादा मुहब्बत करना सरासर धोका और बनावट है

माँ से ज़्यादा चाहे, सो फाफा कटनी कहलाए

माँ से ज़्यादा मुहब्बत जतलाना ग़रज़ से ख़ाली नहीं होता

टाल बता उस को न तू जिस से किया क़रार, चाहे होवे बैरी तेरा चाहे होवे यार

वा'दा करके पूरा करना चाहिए चाहे दोस्त से हो चाहे शत्रु से

जो माँ से ज़्यादा चाहे फाफा कटनी कहलाए

मौला हाथ बड़ाइयाँ जिस चाहे तिस

इज़्ज़त अल्लाह ताला के क़बज़े में है, जिसे चाहे उसे दे

करना चाहे 'आशिक़ी और मामा जी का डर

कोई बात करना हो तो इस बात की परवाह नहीं करना चाहिए कि कोई आपत्ति जताएगा

चुटिया को तेल नहीं पकौड़ों को जी चाहे

आवश्यक चीज़ों के लिए है नहीं फ़ालतू बातों पर ख़र्च करते हैं

सास को नहीं पाइंचे , बहू चाहे तंबू और सराइचे

जहां बहू बहुत शेखी ख़ौर है वहां कहती हैं, ग़रीबी में अमीरी के ठाठ बाठ चाहने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

मौला हाथ बड़ाइयाँ जिस चाहे तिस दे

इज़्ज़त अल्लाह ताला के क़बज़े में है, जिसे चाहे उसे दे

मौला हाथ बड़ाइयाँ, जिस चाहे तिस दे

सारा सम्मान और बड़ाई ईश्वर के हाथ में हैं जिसे चाहता है देता है

अल्लाह चाहे

अगर ईश्वर को स्विकार हुआ, अगर भगवान ने चाहा (तो)

जिस को दाता चाहे, उसी को माल दिलाए

दौलत ख़ुदा की देन है, जिसे चाहता है उसे दिलवाता है

जिसे पिया चाहे वही सुहागन क्या साँवली क्या गोरी

जिसे मालिक चाहता है वही उच्च स्थान पर पहुँचता है चाहे उस में गुण हो या न हो

जा को पी चाहे वही सुहागन

जिस को शौहर चाहे दरअसल सुहागन वही है

जी चाहे बैराग और कुंबा फाड़े गाँड़

मनुष्य पत्नी एवं बच्चों के कारण अपनी बहुत सी इच्छाएँ पूरी नहीं कर सकता, परिवार के उत्तरदायित्व में भरोसा नहीं होता

टाँग उठे ना, चढ़ा चाहे हाथी पर

अपने बल से बढ़ कर काम करने वाले के संबंध में कहते हैं

बात जो चाहे अपनी, पानी माँग न पी

सम्मान इसी में है कि किसी के सामने हाथ न फैलाया जाए, संतोष और धैर्य सम्मान और प्रतिष्ठा का माध्यम है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में चाहे के अर्थदेखिए

चाहे

chaaheچاہے

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 22

वाक्य

देखिए: चाहो

चाहे के हिंदी अर्थ

समुच्चयबोधक, अव्यय

  • ' यदि जी चाहे ' का संक्षिप्त रूप। यदि जी चाहे। यदि मन में आवे। जैसे-(क) चाहे यहाँ रहो, चाहे वहाँ। (ख) जो चाहे सो करो।
  • दो में से किसी एक वरण करने के प्रसंग में, जो इच्छा हो। जो चाहते हो। जैसे-चाहे कपड़ा ले लो, चाहे रुपया।
  • बला से
  • 'यदि मन तो' का संक्षिप्त रूप, जैसे- पढ़ो या खेलो
  • रुक : चाहो (दो मुतबादिल के मुवाज़ना-ओ-इंतिख़ाब के मौक़ा पर)
  • (दो या अनेक में से) जो चाहते हो
  • जो कुछ हो सकता हो; वह सब या उनमें से कुछ, जैसे- जो हो, तुम सफल ज़रूर होगे।

शे'र

English meaning of chaahe

Conjunction, Inexhaustible

  • either, or
  • like, wish, want, choose
  • whether

چاہے کے اردو معانی

حرف عطف

  • چاہو (دو متبادل کے موازنہ و انتخاب کے موقع پر)
  • بلا سے

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