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आए तो क्या आए

थोड़े समय ठहर कर चलते बने, ऐसे आने से न आना अच्छा था

आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

आग लेने आए थे क्या आए क्या चले

बहुत थोड़े समय के लिए आना, आते ही लौट जाना

आए तो कोढ़ी का स्वाँग लेकर आए

आए तो जाए कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

कौड़ी आए तो गुलगुले पकाएँ

थोड़ा बहुत रुपया पैसा, कुछ पाउं तो रंगरलियां मनाएं, रुपय पैसे की आमद पर ऐश की सूझती है

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

उस्ताद बैठे पास तो काम आए रास

अगर माहिर-ए-फ़न मौजूद हो तो काम बहुत अच्छा होता है

घर से लड़ कर तो नहीं आए

आप बिल्ली नाँघ के तो नहीं आए हैं

इस मौक़ा पर मुस्तामल जब कोई किसी बात पर झल्ला के जवाब दे बाबे तके पन से उलझने लगे

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

सूई गिरे तो दूर से नज़र आए

स्वच्छ मैदान की प्रशंसा में कहते हैं

ज़मीन पर लात मारें तो पानी निकल आए

किसी को बहुत शक्तिशाली दिखाने का उद्देश्य हो तो कहते हैं, किसी को इंतिहाई ताक़तवर ज़ाहिर करने का इरादा हो तो कहते हैं

कुत्ते को मौत आए तो मस्जिद में मूत जाए

जब बुरे आदमी की मृत्यु आती है तो वो बुरा काम करता है, मुसीबत आने को हो तो ख़तरे की तरफ़ भागता है

गंगा नहाए क्या फल पाए, मूँछ मुँडाए घर को आए

व्यंग है कि गंगा में नहाने से क्या होता है केवल मूँछें मुँड जाती हैं

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

क्या आए क्या चले

जब कोई दोस्त आते ही जाने लगे उस अवसर पर कहते हैं

कुत्ते की मौत आए तो मस्जिद की तरफ़ भागता है

स्वयं जान जोखों में डालना अथवा ख़तरे में पड़ना

क्या आग लेने आए थे

जब कोई शख़्स आकर फ़ौरन चला जाता है इस के बारे में तंज़न कहते हैं

क्या आग लेने आए थे

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

आए हो तो घरे चलो

ठगों द्वारा प्रयुक्त शब्दावली अर्थात यात्री को क़त्ल कर दो

आएँ तो कहाँ जाएँ

आएँ तो जाएँ कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आए तो क्या आए के अर्थदेखिए

आए तो क्या आए

aa.e to kyaa aa.eآئے تو کیا آئے

वाक्य

आए तो क्या आए के हिंदी अर्थ

  • थोड़े समय ठहर कर चलते बने, ऐसे आने से न आना अच्छा था

آئے تو کیا آئے کے اردو معانی

  • دم بھر ٹھہر کر چلتے بنے، ایسے آنے سے نہ آنا اچھا تھا

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