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वो दिन भी आए

वो वक़्त भी आएगा, जिस का इंतिज़ार है, ऐसा ज़माना भी आया, वो वक़्त भी आया था

वो दिन भी आए

वो बात कहते हो कि गधे को भी हँसी आए

नादानी की बात, सरासर नादानी की बात कहना, बहुत बेवक़ूफ़ी की बात करते हो

वो दिन भी ग़नीमत थे

۔वो ज़माना अच्छा था।

हम भी हैं वो भी हैं

हमारा उन का मुक़ाबला है देखें कौन बढ़ता है

आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

आए-दिन

सदैव, प्रतिदिन, हर रोज़, अधिकतर समय

एक अंडा वो भी गंदा

एक बेटा वह भी अयोग्य, एक व्यक्ति या वस्तु वह भी व्यर्थ

एक अण्डा वो भी गंदा

दोस्त वो जो मुसीबत में काम आए

वो-दिन

वो दिन कहाँ

۔ वो वक़्त अब मयस्सर नहीं।

वो बात किसी को भी नसीब नहीं

ये क़दर-ओ-मंजिलत किसी को भी नसीब नहीं , ये ख़ूबी किसी में भी नहीं

वो दिन नहीं रहे

۔वो वक़्त नहीं रहा। वो ज़माना नहीं रहा।

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

(फल आना = बच्चा जिऩ्ना, औलाद वाली होना) औरतें आपस में दूसरी बेऔलाद औरत की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

साँझ जाए और भोर आए , वो कैसे न छिनाल कहलाए

जो औरत शाम को जाये और सुबह को आए वो बदचलन समझी जाती है जो सरीहन बद हो उसे बद ही कहा जाएगा

जो अपने काम न आए वो चूल्हे में जाए

बेफ़ैज़ आदमी किसी काम का नहिं

वो भी ऐसे गए जैसे गधे के सर से सींग

जाते हुए नज़र नहीं आए, बहुत जल्द चले गए, बिलकुल ग़ायब होगए (हिंदूओं का मानना है कि पहले गधे के सर पर सींग और घोड़ों के पर हुआ करते थे

तीन दिन गोरू में भी भारी हैं

ख़ुदा सींग दे तो वो भी सही

(अविर) राज़ी बर्ज़ा हैं - ख़ुदा का दिया सर आँखों पर

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते

घर आए आदमी का तिरस्कार नहीं करना चाहिए, जो व्यक्ति घर पर आ जाए उस के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते, भले ही वह शत्रु क्यूँ न हो

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते

कोई पाँव से आता है वो सर के बल आए

अजुज़-ओ-इन्किसार के इज़हार के लिए कहते हैं, अपने को बतौर आजिज़ कमतर और घटा कर पेश करना

साहू बटे वो भी साह

जो असल क़ीमत पर बेचे वो भी सौदागर है, माल रोके रखने से कीमत-ए-ख़रीद पर बेचना बेहतर है

वो दिन गए

वो ज़माना गुज़र गया, वो वक़्त नहीं रहा, वो ज़माना गया गुज़रा हुआ, वो दिन अब बीत गए

वो दिन गुज़र गए

रुक : वो दिन गए

हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए

सौ पूले काटे वो भी बराबर , हज़ार काटे वो भी बराबर

जहां मेहनत की कुछ क़दर नहीँ हो वहां कहते हैं

तीन दिन क़ब्र में भी भारी होते हैं

मरने के बाद तीन दिन तक क़ब्र में फ़रिश्ते हिसाब लेते हैं, अर्थात यह है कि दुनिया के बखेड़े बहुत हैं, मनुष्य को ईश्वर की याद हर समय करनी चाहिए, मरने के बाद भी आदमी का परेशानियों से पीछा नहीं छूटता

ये भी मेरा वो भी मेरा

۔ कोई नाइंसाफ़ी से हर एक चीज़ पर हाथ मारे तो इस की निसबत कहते हैं

दिन नीके बीते जाते, फिर उभर वो नहीं आते हैं

अच्छे दिन बीत कर फिर नहीं आते, अच्छा समय फिर नहीं आता

लंका में छोटे से छोटा वो भी बावन गज़ का

खाए पर खाया, वो भी गँवाया

ज़्यादा हिर्स करने वाला आदमी असल सरमाया भी खो देता है

दुश्मन पर भी ये वक़्त न आए

दुश्मन भी ऐसी मुसीबत में न फँसे

सारे दिन पीसा , चपनी भर भी उठाया

बहुत मेहनत की और काम थोड़ा हुआ

तुरत-फुरत हो वो भी कार मदद करे जिस की सरकार

जिस काम में ईश्वर की सहायता हो वह जल्द हो जाता है

ख़ुदा वो दिन लाए

आरज़ू और तमन्ना ज़ाहिर करने को कहते हैं

ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

ग़ुलाम साठ तो वो भी हाठ

निकम्मे का अदम वजूद बराबर है

दिन भले ही न हो जाएँ या फिर भी न जाएँ

अगर काम हो जाये तो नसीबा ही ना जाग जाये

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

घर आए बेरी को भी न मारिए

जो व्यक्ति घर पर आ जाए उस के साथ बुरा व्यवहार नहीं करते, भले ही वह शत्रु क्यों न हो

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी भले

(अविर) राज़ी बर्ज़ा हैं - ख़ुदा का दिया सर आँखों पर

ये भी न हुआ वो भी न हुआ

कुछ फ़ासिला ना हुआ, दोनों में से कोई काम ना बना, कोई मुराद भी हासिल ना हुई

दोस्त वो जो वक़्त पे काम आए

रुक: दोस्त आन बाशद अलख

पैसे पर धर कर बोटियाँ उड़ाऊँ तब भी आह न आए

जो साधू के माने बात रहे आनंद वो दिन रात

जो नेक आदमीयों की नसीहत माने वो हमेशा आराम से रहेगा

आए बड़े वो बन के

बिना किसी अधिकार के हस्तक्षेप करना, अभिमान, डींग मारने या बड़ापन जताने के उत्तर में व्यंग्यात्मक रूप में प्रयुक्त

हल्दी लगे न फिटकरी रंग भी चोखा आए

सय्याद पर भी एक दिन बिजली गिरेगी

अत्याचारी, ज़ालिम भी एक दिन मारा जाएगा

ख़ुदा वो दिन करे

۔ख़ुदा वो घड़ी करे। आरज़ू ज़ाहिर करने को कहते हैं।

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरते हैं

बारह बरस के बा'द घूरे के भी दिन फिरे हैं

तंगदस्ती या परेशांहाली हमेशा नहीं रहती

वो दिन गुज़र गए कि पसीना गुलाब था

यानी हमारे इक़बाल का ज़माना बाक़ी नहीं रहा पहले हमारे पसीने को भी गुलाब समझा जाता था अब वो बात कहाँ

ख़ुदा वो दिन दिखाए

आरज़ू और तमन्ना ज़ाहिर करने को कहते हैं

वो दिन लद गए

वो ज़माना गुज़र गया, वो दौर ख़त्म हो गया

रात को जमाई आए, दिन को मुँह फैलाए

काम में सस्ती करने वाला है

रात को जमाई आए, दिन को मुँह फुलाए

काम में सस्ती करने वाला है

वो दिन गए जो भैंस पकौड़े हगती थी

उस व्यक्ति के लिए कहते हैं जिसने फिज़ूलख़र्ची छोड़ दी हो, फिज़ूलख़र्ची का ज़माना बीत गया

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में वो दिन भी आए के अर्थदेखिए

वो दिन भी आए

vo din bhii aa.eوُہ دِن بھی آئے

वाक्य

वो दिन भी आए के हिंदी अर्थ

  • वो वक़्त भी आएगा, जिस का इंतिज़ार है, ऐसा ज़माना भी आया, वो वक़्त भी आया था
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وُہ دِن بھی آئے کے اردو معانی

  • وہ وقت بھی آئے گا ، جس کا انتظار ہے ، ایسا زمانہ بھی آیا ، وہ وقت بھی آیا تھا

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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