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see eye to eye

किसी से इत्तिफ़ाक़ करना

मुर्ग़ी तो जान से गई, खाने वालों को मज़ा न आया

रुक : मुर्ग़ी अपनी जान से गई खाने वालों को मज़ा ना आया

घर से लड़ कर तो नहीं आए

why are you so cross?

सूई गिरे तो दूर से नज़र आए

स्वच्छ मैदान की प्रशंसा में कहते हैं

आए तो कोढ़ी का स्वाँग लेकर आए

جہاں جس ہات کا موقع ہو کر گزرے

चढ़ी कढ़ाई तेल न आया तो फिर कब आएगा

जब काम होने के समय न हुआ तो फिर कभी नहीं हो सकेगा

अनोखे गाँव ऊँट आया तो लोगों ने कहा परमेसुर आया

अज्ञानी हर अनोखी वस्तु से बहुत प्रभावित होते हैं

आया तो नोश नहीं वर्ना ख़ामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना

आया तो नोश नहीं तो फ़रामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना, कुछ मिल गया तो खा लिया वर्ना भूखे ही सो गए

आया तो नोश नहीं फ़रामोश

कुछ मिल गया तो खा लिया अन्यथा उपवास ही से पड़ रहे

कौड़ी आए तो गुलगुले पकाएँ

थोड़ा बहुत रुपया पैसा, कुछ पाउं तो रंगरलियां मनाएं, रुपय पैसे की आमद पर ऐश की सूझती है

आया कर तो जाया कर टट्टी मत खड़काया कर

آنے جانے کی تجھے اجازت ہے مگر دروازہ مت کھٹکھٹا

कौन सी हदीस में आया है

किसी नियम व कानून द्वारा स्वीकार्य है अर्थात यह बात सही नहीं

खीर पकाई जतन से चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठा ढोल बजा

फूहड़ एवं मूर्ख व्यक्ति हर काम में हानि उठाता है

हज़ार रंडियाँ मरें तो ऐक आया हो

(अंग्रेज़ों की)आया बहुत चालाक और उमूमन बदचलन होती है

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

आप से आए तो आने दे

کسی نا جائز چیز کو تاویل سے جائز قرار دینے پر کہتے ہیں

आए तो जाए कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

गाना नहीं आया तो कहे अँगन बनका

रुक : नाच ना जानों आंगन टेढ़ा

आए तो क्या आए

थोड़े समय ठहर कर चलते बने, ऐसे आने से न आना अच्छा था

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

तू चल मैं आया

एक के बाद दूसरे के आने का तांता बंधने और शृंखला न टूटने के मौक़ा पर प्रयुक्त

आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

भोंकना सिखाया तो काटने को आया

किसी के साथ रियायत की तो वो हद से बढ़ गया या बढ़ गई

खिचड़ी चली पकावन को चर्ख़ा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

उस्ताद बैठे पास तो काम आए रास

अगर माहिर-ए-फ़न मौजूद हो तो काम बहुत अच्छा होता है

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

۔(عو) مثل۔ پھول آنا دیکھو نمبر ۱ پھل آنا۔ بچہ جننا۔ عورتیں آپس میں دوسری بے اولاد عورت کی تسلّی کے لئے کہتی ہیں۔

ज़मीन पर लात मारें तो पानी निकल आए

किसी को बहुत शक्तिशाली दिखाने का उद्देश्य हो तो कहते हैं, किसी को इंतिहाई ताक़तवर ज़ाहिर करने का इरादा हो तो कहते हैं

सुन्नी न शी'आ, जी में आया सो किया

स्वतंत्र बुद्धि वाले व्यक्ति के प्रति कहते हैं जो अपनी इच्छानुसार करता है, उसे किसी मसलक की परवाह नहीं होती

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

आप बिल्ली नाँघ के तो नहीं आए हैं

इस मौक़ा पर मुस्तामल जब कोई किसी बात पर झल्ला के जवाब दे बाबे तके पन से उलझने लगे

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

कुत्ते को मौत आए तो मस्जिद में मूत जाए

जब बुरे आदमी की मृत्यु आती है तो वो बुरा काम करता है, मुसीबत आने को हो तो ख़तरे की तरफ़ भागता है

आए हो तो घरे चलो

ठगों द्वारा प्रयुक्त शब्दावली अर्थात यात्री को क़त्ल कर दो

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

लापरवाही के कारण नुक़सान हो गया

कुत्ते की मौत आए तो मस्जिद की तरफ़ भागता है

स्वयं जान जोखों में डालना अथवा ख़तरे में पड़ना

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

जब आँखें हुईं चार तो दिल में आया प्यार, जब आँखें हुईं ओट दिल में आई खोट

जिस वक़्त आमने सामने हों तो प्रेम जताते हैं मगर अनुपस्थित में कोई परवाह नहीं होती बल्कि बुराई सूझती है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

आएँ तो कहाँ जाएँ

غصہ کی شدت ظاہر کرنے کے لئے کہتے ہیں

आएँ तो जाएँ कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

आई तो रमाई नहीं तो फ़क़त चारपाई

मिल गई तो मज़ा लिए अन्यथा चारपाई पर अकेले सोकर समय बिताया, काम बना तो बना नहीं तो कोई बात नहीं

जफ़ा कफ़ा तो राजाओं पर पड़ती आई है

تکلیف اور مصیبت سے بڑے آدمی نہیں بچتے .

आई तो नोश नहीं तो फ़रामोश

कुछ मिला तो अच्छी बात नहीं तो सब्र के सिवा कोई चारा नहीं, आई तो रोज़ी नहीं तो रोज़ा

घर में आई तो बाँकी पगड़ी सीधी हुई

जब बीवी घर में आई तो सब ईंठ निकल गई

आई रोज़ी नहीं तो रोज़ा

कुछ मिल गया तो खा पी लिया नहीं तो भूखा रह गया, भरोसे और संतोष पर गुज़र बसर है

कुछ शामत तो आई नहीं है

ज़बान दराज़-ओ-बेअदब से रंजिश के अंदाज़ में गुफ़्तगु , दोस्त से फ़र्त मुहब्बत और तपाक के इज़हार के मौक़ा पर मुस्तामल

दिल में आई को रक्खे सो भड़वा

जो बात दिल में आए वह कह देनी चाहिए, जो व्यक्ति अप्रिय बात कहना चाहे तो वह भूमिका के रूप में कहता है

हींग आई तो बाट लगाई

मौक़ा खो दिया

छेली जान से गई , खाने वालों को स्वाद न आया

जब किसी की मेहनत की कोई दास ना दे तो कहते हैं, हमारी जान गई आप की अदा ठहरी

डोली आई डोली आई मेरे मन में चाव, डोली में से निकल पड़ा भोंकड़ा बिलाव

पत्नी का रूप देख कर सभी कामनाएँ टूट गईं

दिल्ली से हींग आई तब बड़े पके

बहुत कठिनता से काम हुआ

तो था ही दीवाना उस पर आई बहार

आवारा के लिए आवारगी के मज़ीद सामान भी मुहय्या हो गए, शौक़ीन के लिए हसब मर्ज़ी मारकात-ओ-अस्बाब फ़राहम होगए, ख़राबी में और ख़राबी पड़ी

घर से आए कोई, संदसा दे कोई

रुक : घर से आए हैं अलख

see eye to eye के लिए उर्दू शब्द

see eye to eye

see eye to eye के उर्दू अर्थ

क्रिया

  • किसी से इत्तिफ़ाक़ करना
  • किसी के हम राय होना
  • हाँ में हाँ मिलाना

see eye to eye کے اردو معانی

فعل

  • کِسی سے اِتَّفاق کرنا
  • کِسی کے ہَم رائے ہونا
  • ہاں ميں ہاں مِلانا

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see eye to eye

किसी से इत्तिफ़ाक़ करना

मुर्ग़ी तो जान से गई, खाने वालों को मज़ा न आया

रुक : मुर्ग़ी अपनी जान से गई खाने वालों को मज़ा ना आया

घर से लड़ कर तो नहीं आए

why are you so cross?

सूई गिरे तो दूर से नज़र आए

स्वच्छ मैदान की प्रशंसा में कहते हैं

आए तो कोढ़ी का स्वाँग लेकर आए

جہاں جس ہات کا موقع ہو کر گزرے

चढ़ी कढ़ाई तेल न आया तो फिर कब आएगा

जब काम होने के समय न हुआ तो फिर कभी नहीं हो सकेगा

अनोखे गाँव ऊँट आया तो लोगों ने कहा परमेसुर आया

अज्ञानी हर अनोखी वस्तु से बहुत प्रभावित होते हैं

आया तो नोश नहीं वर्ना ख़ामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना

आया तो नोश नहीं तो फ़रामोश

बहुत आत्मसंतोषी होना, कुछ मिल गया तो खा लिया वर्ना भूखे ही सो गए

आया तो नोश नहीं फ़रामोश

कुछ मिल गया तो खा लिया अन्यथा उपवास ही से पड़ रहे

कौड़ी आए तो गुलगुले पकाएँ

थोड़ा बहुत रुपया पैसा, कुछ पाउं तो रंगरलियां मनाएं, रुपय पैसे की आमद पर ऐश की सूझती है

आया कर तो जाया कर टट्टी मत खड़काया कर

آنے جانے کی تجھے اجازت ہے مگر دروازہ مت کھٹکھٹا

कौन सी हदीस में आया है

किसी नियम व कानून द्वारा स्वीकार्य है अर्थात यह बात सही नहीं

खीर पकाई जतन से चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठा ढोल बजा

फूहड़ एवं मूर्ख व्यक्ति हर काम में हानि उठाता है

हज़ार रंडियाँ मरें तो ऐक आया हो

(अंग्रेज़ों की)आया बहुत चालाक और उमूमन बदचलन होती है

आप से आए तो आने दो

जो वस्तु स्वयं से या बिना माँगे मिले ले लेनी चाहिए, इस अवसर पर प्रयोग जहाँ किसी का माल बिना प्रयत्न के हाथ लगे और लेने वाला लालच से लेने का निश्चय करे

आप से आए तो आने दे

کسی نا جائز چیز کو تاویل سے جائز قرار دینے پر کہتے ہیں

आए तो जाए कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

गाना नहीं आया तो कहे अँगन बनका

रुक : नाच ना जानों आंगन टेढ़ा

आए तो क्या आए

थोड़े समय ठहर कर चलते बने, ऐसे आने से न आना अच्छा था

तड़के का भूला साँझ को आए तो भूला नहीं कहलाता

रुक : सुबह का भोला शाम को आए, अगर कोई शख़्स थोड़ा सा भटक कर राह रास्त पर आजाए तो उसे गुमराह नहीं समझना चाहिए

तू चल मैं आया

एक के बाद दूसरे के आने का तांता बंधने और शृंखला न टूटने के मौक़ा पर प्रयुक्त

आए भी तो क्या आए

ज़रा सी देर रुक कर चले जाने के अवसर पर प्रयुक्त

भोंकना सिखाया तो काटने को आया

किसी के साथ रियायत की तो वो हद से बढ़ गया या बढ़ गई

खिचड़ी चली पकावन को चर्ख़ा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

उस्ताद बैठे पास तो काम आए रास

अगर माहिर-ए-फ़न मौजूद हो तो काम बहुत अच्छा होता है

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

स्त्रियाँ आपस में दूसरी नि:संतान स्त्री की तसल्ली के लिए कहती हैं

फूल आए हैं तो फल भी आएगा

۔(عو) مثل۔ پھول آنا دیکھو نمبر ۱ پھل آنا۔ بچہ جننا۔ عورتیں آپس میں دوسری بے اولاد عورت کی تسلّی کے لئے کہتی ہیں۔

ज़मीन पर लात मारें तो पानी निकल आए

किसी को बहुत शक्तिशाली दिखाने का उद्देश्य हो तो कहते हैं, किसी को इंतिहाई ताक़तवर ज़ाहिर करने का इरादा हो तो कहते हैं

सुन्नी न शी'आ, जी में आया सो किया

स्वतंत्र बुद्धि वाले व्यक्ति के प्रति कहते हैं जो अपनी इच्छानुसार करता है, उसे किसी मसलक की परवाह नहीं होती

दिन का भूला रात को घर आया तो उसे भूला नहीं कहते

ग़लती का जल्द तदराक कर लिया जाये तो क़ाबिल माफ़ी है, जल्द इस्लाह कर लेना क़ाबिल मज़म्मत नहीं

आप बिल्ली नाँघ के तो नहीं आए हैं

इस मौक़ा पर मुस्तामल जब कोई किसी बात पर झल्ला के जवाब दे बाबे तके पन से उलझने लगे

सवेरे का भूला साँझ को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर ग़लती करने वाला जल्द ही उस की तलाफ़ी कर दे तो काबिल-ए-माफ़ी है, इंसान गुनाह करके तौबा करे तो ग़नीमत है, अगर बिगड़ने के बाद सुधर जाये तो बुरा नहीं

कुत्ते को मौत आए तो मस्जिद में मूत जाए

जब बुरे आदमी की मृत्यु आती है तो वो बुरा काम करता है, मुसीबत आने को हो तो ख़तरे की तरफ़ भागता है

आए हो तो घरे चलो

ठगों द्वारा प्रयुक्त शब्दावली अर्थात यात्री को क़त्ल कर दो

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

लापरवाही के कारण नुक़सान हो गया

कुत्ते की मौत आए तो मस्जिद की तरफ़ भागता है

स्वयं जान जोखों में डालना अथवा ख़तरे में पड़ना

शाम का भूला सुब्ह को आए तो उसे भूला नहीं कहते

जो आदमी थोड़ी सी ठोकर खाकर सँभल जाए तो उसे रास्ते से भटका हुआ नहीं समझना चाहिए

सुब्ह का भूला शाम को आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहते

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

जब आँखें हुईं चार तो दिल में आया प्यार, जब आँखें हुईं ओट दिल में आई खोट

जिस वक़्त आमने सामने हों तो प्रेम जताते हैं मगर अनुपस्थित में कोई परवाह नहीं होती बल्कि बुराई सूझती है

सुब्ह का भटका शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और राह-ए-रास्त पर आ जाये तो क़ाबिल माफ़ी है

सुब्ह का भूला शाम को घर आए तो उसे भूला नहीं कहना चाहिए

अगर आदमी ग़लती के बाद उसे एहसास हो जाए और वह ग़लती छोड़ दे तो क्षमा के योग्य है

आएँ तो कहाँ जाएँ

غصہ کی شدت ظاہر کرنے کے لئے کہتے ہیں

आएँ तो जाएँ कहाँ

अत्यधिक क्रोध में भर गया, ऐसा उलझा कि जान छुड़ाने में कठिनाई हो गई

आई तो रमाई नहीं तो फ़क़त चारपाई

मिल गई तो मज़ा लिए अन्यथा चारपाई पर अकेले सोकर समय बिताया, काम बना तो बना नहीं तो कोई बात नहीं

जफ़ा कफ़ा तो राजाओं पर पड़ती आई है

تکلیف اور مصیبت سے بڑے آدمی نہیں بچتے .

आई तो नोश नहीं तो फ़रामोश

कुछ मिला तो अच्छी बात नहीं तो सब्र के सिवा कोई चारा नहीं, आई तो रोज़ी नहीं तो रोज़ा

घर में आई तो बाँकी पगड़ी सीधी हुई

जब बीवी घर में आई तो सब ईंठ निकल गई

आई रोज़ी नहीं तो रोज़ा

कुछ मिल गया तो खा पी लिया नहीं तो भूखा रह गया, भरोसे और संतोष पर गुज़र बसर है

कुछ शामत तो आई नहीं है

ज़बान दराज़-ओ-बेअदब से रंजिश के अंदाज़ में गुफ़्तगु , दोस्त से फ़र्त मुहब्बत और तपाक के इज़हार के मौक़ा पर मुस्तामल

दिल में आई को रक्खे सो भड़वा

जो बात दिल में आए वह कह देनी चाहिए, जो व्यक्ति अप्रिय बात कहना चाहे तो वह भूमिका के रूप में कहता है

हींग आई तो बाट लगाई

मौक़ा खो दिया

छेली जान से गई , खाने वालों को स्वाद न आया

जब किसी की मेहनत की कोई दास ना दे तो कहते हैं, हमारी जान गई आप की अदा ठहरी

डोली आई डोली आई मेरे मन में चाव, डोली में से निकल पड़ा भोंकड़ा बिलाव

पत्नी का रूप देख कर सभी कामनाएँ टूट गईं

दिल्ली से हींग आई तब बड़े पके

बहुत कठिनता से काम हुआ

तो था ही दीवाना उस पर आई बहार

आवारा के लिए आवारगी के मज़ीद सामान भी मुहय्या हो गए, शौक़ीन के लिए हसब मर्ज़ी मारकात-ओ-अस्बाब फ़राहम होगए, ख़राबी में और ख़राबी पड़ी

घर से आए कोई, संदसा दे कोई

रुक : घर से आए हैं अलख

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