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आठ बार नौ त्योहार

सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता

चमनिस्तान

ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़

'औरत

जाया, भार्या, पत्नी, जोरू

ताग़ूत

शैतान, अत्यन्त निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति

मन-भावन

मन को भाने या अच्छा लगने वाला

दादरा

संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल

मज़दूर

शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर

ख़ैर-अंदेश

भलाई की बात सोचने वाला, वह शख़्स जो किसी की भलाई चाहे, शुभचिंतक

दूध-शरीक बहन

ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन

रिसाई

दुख और मौत से संबंधित, शोकयुक्त

ज़र्फ़

बर्तन

तिहाई

किसी वस्तु के तीन समान भागों में कोई एक भाग, तीसरा अंश, भाग या हिस्सा, तीसरा हिस्सा

ला'नत

धिक्कार, फटकार, भर्त्सना, अभिशाप, शाप

क़हर ढाना

किसी के लिए संकट पैदा करना, संकटग्रस्त बनाना, किसी पर कोई आफ़त लाना, ज़ुल्म करना, क़हर तोड़ना

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

आगे नाथ न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

साहिर

जादूगर, वह व्यक्ति जो जादू दिखाता हो

कुड़माई

शादी के पूर्व रिश्ता पक्का करने के लिए की जाने वाली रस्म, सगाई, शादी तै करना, रिश्ता करना

नज़र-भर देखना

पूरी तरह से देखना, ध्यान से देखना

ख़्वाजा-ताश

एक स्वामी के दास, जो आपस में ख्वाजःताश कहलाते हैं

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'अक्स

प्रतिबिम्ब, छाया, परछाईं

'अक्स-ए-मुस्तवी

(मंतिक़) क़ज़ीए के मौज़ू को महमूल और महमूल को मौज़ू इस तरह बनाना कि इन का सिदक़ और कैफ़ अला हाला बाक़ी रहे नीज़ वो नया क़ज़ीया जो इस तरह सूरत पज़ीर हुआ हो

अजनास

गल्ले, अनाज, क़िस्म, प्रकार, चीज़, असबाब, सामान

अनवा'

प्रकार, क़िस्में, भांत भांत के, आकार-प्रकार

अश्काल

भिन्न रूप या संरचनाएँ जो पदार्थ धारण करता है

असग़र

बहुत छोटा

इक़्तिरानी

इक़तिरान (रुक) से मंसूब

इत्तिफ़ाक़िया

इत्तफ़ाक से, संयोग से, अचानक से, आकस्मिक रूप से

इन्नी

(लफ़ज़न)जो तहक़ीक़ या यक़ीन के साथ साबित हो,(मंतिक़) वजूद मालूल के इल्लत पर इस्तिदलाल करना(बुरहान या इस्तिदलाल वग़ैरा के साथ मुस्तामल)

'इनाद

विरोध भाव, द्वेष भाव

'इनादिया

अनादि।

इफ़्तिराज़

(मंतिक़) ' मंतक़ी अमल जिस के के ज़रीये क़ज़ी-ए-जज़ईआ को कुल्लिया की सूरत में लाया जा सकता है' मसलन कहा जाये कि ' बाअज़ आदमी खाना पका सकते हैं ' फिर उस 'बाअज़' का नाम हम बावर्ची रख लें तो इस तरह कहा जाएगा कि कल बावर्ची खाना पका सकते हैं

इफ़्तिराज़ी

(मंतिक़) क़ज़ी-ए-जज़ईआ से बनाया हुआ क़ज़ीया कुल्लिया

इंफ़ि'आल

लज्जित होने का भाव, शर्मिंदगी, लज्जा

इंफ़िसाल

वाद का निर्णय होना, फैसला होना, निर्णय, फ़ैसला, अलग होना, जुदाई, जुदा होना

इंफ़िसाली

(मंतिक़) वो क़ियास जिस में एक मुक़द्दमा क़ज़ी-ए-मुनफ़स्सिला हो और दूसरा मुक़द्दमा क़ज़ी-ए-हमलेह उसे इनफ़साली हुज्जत भी कहते हैं

इल्ज़ामी-जवाब

(तर्क शास्त्र) आपत्तिकर्ता की आपत्ति को दूर करने के स्थान पर उसके सामने वही आपत्ति प्रस्तुत करना जो उसने की है

'इल्म-ए-जदल

(मंतिक़) वो इलम जो इंसान में क़ुव्वत इस्तिदलाल का मलिका पैदा करता है और उसे ये सिखाता है कि हरीफ़ को किस तरह दलील से शिकस्त दी जाये, इल्म-ए-दलील

'इल्लत

(तसव़्वुफ) तनबीहा हक़ को कहते हैं जो बंदे के वास्ते है ख़ाह वो किसी सबब से हो या नहू

इस्तिख़्राज

निकलना या बाहर होना

'उर्फ़िया-ए-'आम्मा

(मंतिक़) वो मोज्जहा है जिस में सबूत या सल्ब-ए-महमूल का मौज़ू के लिए जब तक मौज़ू किसी वस्फ़ के साथ मौसूफ़ है दाइमी हो

'उर्फ़िया-ए-ख़ास्सा

(मंतिक़) वो अर फिया-ए-आम्मा जो मक़ी्यद हो लादवाम ज़ाती से

एहतिमाल

शंका, आशा

औसत

दरमियान, मध्यमान, दरमियानी, अनुपात, माध्य, एवरेज, मध्यम, साधारण, सामान्य, बीच का

औसात

मध्यम वर्ग के (लोग)

क़ज़िय्या

(तर्कशास्त्र) वह वाक्य जो सच और झूठ की शंका रखता हो, वह वाक्य जिससे सत्य एवं असत्य का बोध होता हो

क़ज़िया-ए-शर्तिया

(तर्कशास्त्र) एक ऐसा विषय जो दो विषयों से बना हो या जिसमें किसी बात के प्रमाण या खंडन का कोई नियम न हो

कमाल-ए-अव्वल

(मंतिक़) वो सिफ़त या ख़ूबी जिस से मौसूफ़ की नौईयत मुकम्मल होती हो

कमाल-ए-सानी

(तर्क) वो विशेषता जिससे कथित के व्यक्तित्व में किसी बड़प्पन, श्रेष्ठता और व्यक्तिगत निपुणता में बढ़ोतरी होता हो

क़रीब

पास, निकट

कलिमा

मुँह से निकली हुई कोई बात, वचन, शब्द, बात, क़ौल, उक्ति

क़ानून-ए-ता'लील

(मंतिक़) वजह बताने या दलील लाने से मुताल्लिक़ क़ानून, वो क़ानून जो किसी चीज़ की इल्लत साबित करे

क़ियास

किसी कार्य के लिए व्यय आदि का अनुमान, अंदाज़ा

क़ियास-ए-तम्सीली

(मंतिक़) वो क़ियास जिस में ममाइल सूरतों को मद्द-ए-नज़र रख कर नतीजा निकालना या हुक्म लगाना

क़ियास-ए-बुर्हानी

(मंतिक़) वो क़ियास जो मुक़द्दमात यक़ीनीह या बद यहिया से मुरक्कब हो, वो शक्ल (इस्तिदलाली) जिस के सुग़रा-ओ-कुबरा बदीही और यक़ीनी हूँ

क़ियासी

कयास या अनुमान के आधार पर स्थिर किया हुआ

ख़ुद-मुतवाफ़िक़

(तर्कशास्त्र) अपने से संबंध रखने वाला

ख़याली

ख़याल से संबद्ध या संबंधित, चित्त को ध्यान करके किसी को प्रत्यक्ष करना, काल्पनिक, मानसिक

ख़िताबियात

अकली दलील के बजाय किसी तमसील से बात को मनवा लेना

ख़िताबी

खिताब-संबंधी

ग़ैर-नातिक़

गूँगा, जो बोल न सके, मूक, समझ, बुद्धि न रखने वाला

ग़ैर-महसूर

(मंतिक़) मुहमल, बेमानी, (लफ़ज़न) हिसार से बाहर

जुज़

(उरूज़) हरकात-ओ-सकनात तकतीअई के बाहम मुरक्कब होने से जो लफ़्ज़ बनता है इस का नाम जुज़ है

जदल

कलह, झगड़ा, बखेड़ा, टंटा

जमा'अत

नमाज़ पढ़ने वालों की पंकति या क़तार, जमा'अत की नमाज़, साथ में नमाज़ पढ़ना

ज़रूब

ज़रब (रुक) की जमा , (मंतिक़) वो हैयतें जो सुग़रा, कुबरा के अजाब-ए-सल्ब में इख़तिलाफ़ की वजह से पैदा हूँ

ज़र्ब

मारपीट, मारना

ज़रूरी-उल-'अदम

(मंतिक़) जिस का ना होना लाज़िमी हो, मुम्तना

ज़रूरी-उल-वुजूद

(मंतिक़) जिस का होना लाज़िमी हो, वाजिब

जिंस

प्रकार, क़िस्म, तरह

जिंस-ए-'आली

(मंतिक़) वो आला क़सम जिस की कई नौ हूँ

जिंस-ए-मुश्तरक

सामान्य लिंग, ऐसी वस्तु जिसके मालिक एक से अधिक हों

जिहत

परित्याग, दिशा, ओर, तरफ़, कारण, हेतु, सबब

डबल-तराज़ू

(मंतिक़) दो पलड़े वाली तराज़ू में दो दफ़ा तौलने का अमल, किसी बात को जानने के लिए अवारिज़ ज़रूरी वग़ैर ज़रूरी का इम्तियाज़

तक़लीब

(हयानियात) (कीड़ों वग़ैरा का) रूप बदलना

तनाक़ुज़

(क़ानून) दो मुख़ालिफ़ हुक़ूक़ का दावा करना

तफ़ा'उल

(मंतिक़) क़ज़ीया का वो हिस्सा जो मौज़ू से मुतय्यन हो

तबकीत

(मंतिक़) हर वो क़ियास जिस सी किसी वज़ा ख़ास की नक़ीज़ का नतीजा निकले

तबाए'

प्रकृतियाँ, तबीअतें

तमसील

उपमा, दृष्टान्त, मिसाल, उदाहरण

तवाफ़ुक़

(हयातयात) मुवाफ़िक़त या मुताबिक़त का वो इंतिख़ाबी अमल जिस का इन्हिसार कश्मकश हयात पर होता है जिस में हर नसल में बैरूनी हालात का असर कमज़ोर को नीस्त वनाबूद करके गोया लाशऊरी तौर पर इन अफ़राद को मुंतख़ब कर लेता है जो किसी मुफ़ीद तग़य्युर की वजह से ज़िंदा रहने के ज़्यादा अहल होते हैं

तस्दीक़

प्रमाण, प्रमाणित करना

तसलसुल

श्रृंखलाबद्ध

तसव्वुर

(तर्क) किसी वस्तु का आकार आदेश के बिना ध्यान में आना, वह सोच जिस पर कोई आदेश न लगाया गया हो

तसव्वुर-ए-फ़क़त

(दर्शन शास्त्र) वह विज्ञान है जिसमें किसी प्रकार का आदेश न हो या जिसमें अनुपात में कोई विश्वास न हो

तसव्वुर-ए-मुतलक़

(तर्कशास्त्र) मन में किसी वस्तु के रूपरेखा की प्राप्ति, ज्ञान

ता'कीस

चित्र लेना, प्रतिबिंब करना

ताम

चित्त या मन का विकार। मनोविकार।

ताली

तिलावत करने वाला, क़ुरआन मजीद पढ़ने वाला

दलाइल-ए-लमी

(तर्क विज्ञान) आलोचना, आपत्ति, तर्क-वितर्क

दलालत

(किसी अमर या मुआमले में) हिदायत

दलील

कोई ऐसी पूर्ण उक्ति या विचार जिससे किसी बात या मत का यथेष्ट समर्थन या खंडन होता हो। यक्ति, तर्क,वाद-विवाद, बहस, प्रमाण, सुबूत, अपने पक्ष में सोच-विचार कर रखा जाने वाला तर्क

दौर

(मंतिक़) एक किस्म की दलील बार बार पेश करना

नक़्ज़

(लॉजिक) किसी तर्क को पूरा होने के बाद अमान्य करना, दलील के जारी होने के बावजूद दावा साबित ना होने देना, दलील को तोड़ देना

नक़ीज़

विरोधी, उल्टा, विपरीत

नज़रिय्या-तनाक़ुज़

(तर्क शास्त्र) दो विवादों के स्वीकार्य एवं खंडन में अंतर यदि एक को सत्य माना जाए तो दूसरे को असत्य

नतीजा

उत्पत्ति, पैदाइश, पैदावार

नौ'

(तर्कशास्त्र) वह व्यक्ति या वे वस्तुएँ जिनके गुण आपस में मिलते हों

फ़स्ल

खेत में खड़े अनाज के पौधे, पैदावार, उपज

फाँकी

चूर्ण या अनाज का दाना जो एक बार में फाँका जाए, फल वग़ैरा की क़ाश

बदीही

स्पष्ट, साफ़

बुरहान

प्रत्यक्ष प्रमाण, स्पष्ट प्रमाण

बसीत

बहर, तहती अलफ़ाज़, बहर-ए-बसीत

बसीता

(हैयत) अजराम-ए-फल्की की वो हालत जब वो एक दूसरे से ९० दर्जे के फ़ासले पर हूँ

बात-निकास

(मंतिक़) मंतिक़ ईस्तिख़राजी (रुक

मु'अर्रफ़

(क़वाइद) वो हर्फ़ जो मारिफ़ा बनाया गया हो

मुक़द्दमतैन

दोनों प्रस्तावना (तर्कशास्त्र) सबसे छोटा और बड़ा काल्पनिक तर्क

मुक़द्दमा

(मंतिक़) वो चीज़ जिस पर कोई शैय मौक़ूफ़ हो ख़ाह अक़लन ख़ाह निकला ख़्वाह आदता

मुक़द्दमा-'अक़्ल

(मंतिक़) मुआमला अकली (दिल्ली जज़बात के मुक़ाबिल)

मुक़द्दमा-तबी'अत

(तर्क) दिल की बात, दिल का एहसास

मक़ूला

दूसरे की कही हुई बात, कहन

मक़ूलात-ए-'अशर

(मंतिक़) मुम्किन-उल-वुजूद की दस किस़्में (१) जौहर, (२) कैफ़ (= कैफ़ीयत या हालत), (३) कम (= मिक़दार या तादाद), (४) इन (= महल या ज़र्फ़), (५) मता (= ज़माना), (६) इज़ाफ़त (= निसबत), (७) वज़ा (= जगह), (८) फे़अल (= तासीर), (९) इन्फ़िआल (= तास्सुर), (०१) मुलक (आख़िर के नौ मक़ूले आराज़ कहलाते हैं

मुक़व्वम

(तिब्ब) जिस का क़वाम बनाया जाये, क़वाम बनाया हुआ

मुक़ाते'

(मंतिक़) वो मुक़द्दमात जिन पर बेहस ख़त्म हो ख़ाह वो ज़रूरीयात से हूँ

मख़्सूसा

(मंतिक़) वो क़ज़ीया जिस में मौज़ू मुईन और मख़सूस हो

मुग़ालता-इंताज

(मंतिक़) ऐसा नतीजा जो मुक़द्दमों से ना पैदा होता हो उस को तस्लीम कर लेना मुख़्तलिफ़ सूरतों में तजाहुल है यानी बगै़र मुक़द्दमा के नतीजा को तस्लीम कर लेना

मूजिबा

आवश्यक वस्तु, वह कृत्य जिसका बदला परलोक में मिले।

मूजिबात

‘मूजिब' का बहु., कारण समूह, वजूह, अप्रत्यक्ष बातें

मुतज़ाइफ़

(मंतिक़) वो लफ़्ज़ या नाम जो दो तरफ़ा निसबत पर दलालत करे

मुतबाइनान

दो मुतबाइन अश्या , (मंतिक़) दो मुख़्तलिफ़ अलमानी अलफ़ाज़

मुत्लक़ा

(क़वाइद) उस्ता रे की एक क़िस्म जिस में मस्ता रुला' और मुस्तआर मुँह' किसी के भी मुनासिबात मज़कूर ना हूँ

मंतिक़ी-इंताज

(मंतिक़) ये अकली नतीजा कि जिस शैय के अंदर कोई ख़ास्सा होता होई इस शए के अंदर इस हास्य के ख़वास भी होते हैं

मंतिक़ी-इस्तिदलाल

(मंतिक़) इलम-ए-मंतिक़ के उसूल के मुताबिक़ इस्तिदलाल, मंतक़ी दलील

मंतिक़ी-इसबातियत

(मंतिक़) ये नज़रिया कि क़ज़ाया की बेहस महिज़ लफ़्ज़ी बेहस है और मंतिक़ दरअसल लिसानियाती तहक़ीक़ की एक शाख़ है (Logical Piositivism)

मती

किसी प्रकार का मत या राय रखनेवाला।

मदलूल

(मुजाज़ा) मानी, मफ़हूम , मुराद : दलालत की हुई बात या चीज़

मनक़ूल

उल्लेखित, उद्धृत, हवाला देना, उद्धरण करना, प्रतिलिपित, नक़ल या रिवायत किया गया, एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया, नक़ल की हुई इबारत या तस्वीर

मन्क़ूल-ए-इस्तिलाही

(तर्कशास्त्र) ऐसा शब्द जिसका कथानक कोई विशेष समूह हो

मन्क़ूल-ए-'उर्फ़ी

(मंतिक़) जिस का नक़ल करने वाला या रावी उर्फ़ आम (अवाम) हो (जैसे लफ़्ज़ दाया कि ज़मीन पर तमाम चलने वालों के लिए वज़ा हुआ और अब सिर्फ़ चौपाइयों के लिए मुस्तामल है)

मन्क़ूल-ए-शर'ई

(मंतिक़) शिरा का रिवायत करदा, शिरा में बयान क्या हुआ (जैसे अलसलोৃ, पहले दुआ के मानी में था और अब अरकान मख़सोसा में मुस्तामल है)

मना'

जिसकी मनाही हो, मना, निषेध, रोक-टोक, बिना अनुमति

मुंफ़सिला

(विवाद या विषय) जिसका फैसला अर्थात निर्णय हो चुका हो, निर्णीत

मुफ़ारिक़

जुदा होने वाला, अलग होने वाला, पृथक, जुदा, भेद-भाव करने वाला, अलग करने वाला

मंफ़ी

उल्टा, विपरीत अथवा विपरीत दिशा वाला (छवि, प्रतिक्रिया इत्यादि)

मुमकिन

(तसव्वुफ़) आलम-ए-अर्वाह से आलम-ए-अज्साम तक जो कुछ है

मुमकिना-ए-'आम्मा

(मंतिक़) वो क़ज़ीया जिस में जानिब मुख़ालिफ़ की ज़रूरत के सल्ब का हुक्म बह इमकान आम किया जाये

मुमकिना-ए-ख़ास्सा

(तर्कशास्त्र) वह क़ज़ीया जिस में ईजाब-ओ-सल्ब और वजूद-ओ-अदम दोनों जानिब ज़रूरत मुतल्लक़ा का इर्तिफ़ा-ओ-सल्ब हो

मुम्किनात

वो बातें जिनका होना संभव हो, वो बातें जिन का होना मुम्किन हो

मलज़ूम

जिस पर कोई चीज़ लाज़िम कर दी गयी हो, जो वस्तु अलग न हो सके, संबद्ध

मल्फ़ूज़ा

व्याकरण: जो शब्दों में कहा जाए, जो पढ़ने योग्य हो, जो पढ़ा जाए, शब्दों में कहा हुआ

मुलाज़मा

(मंतिक़) बाहम एक दूसरे को लाज़िम-ओ-मल्ज़ूम होना, एक हुक्म का दूसरे हुक्म के लिए मुक़तज़ी होना

मशरूता-'आम्मा

(तर्क) वह मामला जिसमें शर्त पाई जाए

मशरूता-ख़ास्सा

(मंतिक़) वो क़ज़ीया जिस में ख़ास शर्त पाई जाये (मशरूता-ए-आम्मा के मुक़ाबिल)

मुस्तक़िला

(तबीअयात) रुक : मुस्तक़िल मानी नंबर (ब) २, सा बत्ता

मुहमला

(मंतिक़) वो क़ज़ीया जिस में कलीत-ओ-जज़ईत की सर अहित ना हो , जैसे : इंसान नुक़्सान में है (कल या बाअज़ इंसान नहीं)

महसूरा

(मंतिक़) वो जुमला जिस का मौज़ू कली और हुक्म अफ़राद मौज़ू पर हो और इस की मिक़दार भी बयान की गई हो

मुहाल-बिज़्ज़ात

जिसका जैसा होना असंभव हो

मा'क़ूल

उचित, तर्कसंगत, पर्याप्त

मा'दूदी

मादूद (रुक) से मंसूब या मुताल्लिक़ , (मंतिक़) तादादी

मा'लूलात

(तर्कशास्त्र) किसी कारण से प्रत्यक्ष होने वाले परिणाम

मिक़दार-ए-मुतलक़

(मंतिक़) जिस्म मुतलक़ मिक़दार-ए-मुतलक़ है और जिस्म ख़ास मिक़दार-ए-ख़ास है

मो'तदिला

(जुग़राफ़िया) वो (मंतिक़ा) जहां ना सर्दी ज़्यादा होती है ना गर्मी

मौज़ू'

(लाक्षणिक) (किसी काम के लिए) बना हुआ, ठहराया हुआ

मौजूद-ए-'इल्मी

(तर्क) जो स्वयं उपस्थित न हो, काल्पनिक, अनुभव किया जाने वाला,जो इस प्रकार मौजूद न हो कि उसकी तरफ़ इशारा कर सकें (जैसे रंग के दूसरी चीज़ में मिल कर पाया जाता है)

मौजूद-ज़ेहनी

(तर्कशास्त्र) वह चीज़ जो चराचर जगत अस्तित्व में न हो मगर पाई जा सके, जिसका अस्तित्व मस्तिष्क और विचार में हो

मौजूद-फ़िल-ख़ारिज

जो संसार में होता हो, काल्पनिक न हो

रफ़'

उठाने जाने या बुलंद किए जाने का अमल या सूरत-ए-हाल

रस्म-ए-नाक़िस

(मंतिक़) वो मारुफ है जो जिन्स-ए-बईद और ख़ास्सा से मुरक्कब हो जैसे इंसान की तारीफ़ जिस्म ज़ाहिक से, महिज़ ख़ास्सा या अर्ज़-ए-आम से जो तारीफ़ होती है इस को भी रस्म कहते हैं

राजे'

(मंतिक़) जिस हद से इज़ाफ़त (दो चीज़ों की बाहमी निसबत) जारी हो राजा कहते हैं

राब्ता

बांधने या किसने की रस्सी नीज़ ज़ंजीर

लुज़ूमिय्या

(मंतिक़) वो क़ज़ी-ए-शर्तिया जिस में मुक़द्दम-ओ-ताली (मौज़ू-ओ-महमूल) के बाहम इलाक़े की बना पर कोई हुक्म लगाया जाये

लुज़ूमिय्यात

लाज़िमी उमूर , (मंतिक़) कई लज़ोमीह (रुक

लिंग

पुरुष की जनन-शक्ति के प्रतीक के रूप में लिंग की पूजा करने की प्रथा जो अनेक प्राचीन जातियों में प्रचलित थी और अब भी हिन्दुओं में जो शिव-लिंग की पूजा के रूप में प्रचलित है

लिम्मी

न्याय-परिभाषा में एक तर्क, ऐसा किस कारण है।

वुजूद-ए-ख़ारिजी

(मंतिक़) शैय जो ख़ारिज में वाक़ई मौजूद हो, वजूद जिस का ख़ारिज में इदराक हो सके , ख़ारिजी दुनिया , जिस्मानी वजूद, ज़ाहिरी दुनिया

वस्फ़ी

विशेषता का, ख़ूबी का, प्रशंसात्मक, विशेषणात्मक अथवा गुण के अनुसार, गुण संबंधी, जो संबंध संबंधी न हो

वहदानी-ज़ात

(मंतिक़) वाहिद ज़ात, अकेली ज़ात, तन्हा हस्ती

वहदानी-शय

(मंतिक़) ऐसी चीज़ जो अपनी नौईयत में यकता हो, वहदानी ज़ात, अकेला वजूद , चीज़ जिस के अजज़ा ना हूँ

वहदी-इज़ाफ़त

(मंतिक़) वो इज़ाफ़त जिस के हीता और अक्स हीता में एक से ज़ाइद हदूद दाख़िल ना हूँ, ग़ैर तफ़ाअली इज़ाफ़त

वाजिब-उल-वुजूद

(मंतिक़) वो (शए) जिस का होना ज़रूरी हो

विज्दान

अंतर्ज्ञान, जानना, खोजना, पता लगाना

विजदानियात

हवास-ए-बातिनी के ज़रीये इदराक से मुताल्लिक़ इलम नीज़ जमालीयात

शक्ल-ए-अव्वल

(मंतिक़) वो शक्ल जिस में हद औसत सुग़रा में महमूल और कुबरा में मौज़ू हो

शक्ल-ए-दोम

(मंतिक़) इस्तिदलाल का दूसरा दर्जा जहां उसूल-ओ-ज़वाबत की बदली हुई सूरत दरपेश होती है

शर्तिय्यात

(मंतिक़) वो क़ज़ीए जिन में अक्षय के होने की शर्त पर दूसरी शैय के होने या ना होने का हुक्म लगाया जाये या जन में मुनाफ़ात या अदम मुनाफ़ात का हुक्म हो

शाख़िस

वह आदमी जिसकी आँखे खुली रह गई हो, जो टकटकी बाँधकर रह गया हो, हैरान हो जाना

सूरत-ए-नौ'इय्या

(तर्कशास्त्र) वह ताक़त जिसका संबंध मिली हुई चीज़ों से हो ( जैसे अफ़ीम में ठंडक पैदा करने की ताक़त)

सल्ब

दूर करना, मिटा देना, छीन ले जाना

सलमा

एक प्रकार का सुनहला या रूपहला चमकीला और चपटा तार जो टोपी, साड़ी आदि में बेलबूटे बनाने के काम में आता है, सोने-चांदी का सुनहला-रुपहला तार, बादला, कंदला

सवालिब

(तर्कशास्त्र) नाकारात्मक वाक्य

सालिबा

मनफ़ी (Negative का उर्दू तर्जुमा)

हुक्म लगाना

पीशीनगोई करना (कभी ताबीर की शक्ल में

हक़ीक़िय्या

फ़लसफ़ा-ए-हक़ीक़त के मानने वाले या पैरोकार

हेतू

वजह से, सबब से

हद-ए-'आम

(मंतिक़) ऐसा नाम जो एक ही मानी से मुतअद्दिद अफ़राद के लिए महमूल हो सके

हद-ए-औसत

(मंतिक़) इशकाल में सुग़रा-ओ-कुबरा का वो मुश्तर्क जुज़ु जिस पर क़ियास या नतीजे का दारू मदार होता है

हद-ए-वस्फ़ी

(तर्क) वह शब्द या संज्ञा जो किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता को इंगित करता है; संज्ञा विशेषण

हद्द-ए-अकबर

(मंतिक़) मौज़ू और महमूल के तरीक़ से हर एक मुक़द्दमे में महमूल नतीजा क ह्-ए-अकबर कहते हैं

हद्द-ए-असग़र

(मंतिक़) हर क़ियास में तीन हदें होती हैं दो वो जो नतीजे का मौज़ू और महमूल होती हैं और एक वो जिस से इन दोनों कोरबत देते हैं मौज़ू और महमूल के तरीक़ से हर एक मुक़द्दमे में मौज़ू नतीजा को ह्-ए-असग़र कहते हैं

हुदूद-ए-इज़ाफ़ी

(तर्कशास्त्र) किसी वस्तु या विशेषण के किसी विशेष पहलू का वर्णन करने वाली सीमाएँ

हद्द-ए-जुज़ई

(तर्क) ऐसा नाम जो कि इसी अर्थ में एक ही व्यक्ति के लिए प्रयोग हो सके

हुदूद-ए-जम'

(मंतिक़) रुक: हद अलजमा

हद्द-ए-ताम

(तर्कशास्त्र) हद-ए-ताम वो मुअर्रिफ़ है जो जिन्स-ए-क़रीब और फसल-ए-क़रीब से मुरक्कब हो जैसे इंसान की तारीफ़ हैवान और नातिक़ से

हुदूद-ए-वस्फ़ी

(तर्क शास्त्र) विशेषता वाले नाम

हद्दुल-जम'

(तर्कविज्ञान) सामूहिक संज्ञा को दर्शाने वाला शब्द जैसे: परिवार, क़बीला, सेना, दिल आदि

हद्स

(कलाम-ओ-मंतिक़) किसी मालूम बात से आदमी को किसी मजहूल और नामालूम हक़ीक़त का दफ़ा इलम होजाना, जिस बात का दरयाफ़त करना मतलूब हो इस का मा दलील-ओ-सबूत यक दम ज़हन में आजाना

हासिल-ए-तसव्वुर

(मंतिक़) तसव्वुर करने के अमल, अमल का नतीजा

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