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हैं

कलमा-ए-तनबीहा जो किसी काम की मुमानअत या रोकने के लिए आता है नीज़ नापसंदीदगी या ग़ुस्से के इज़हार के लिए भी मुस्तामल

हीं-हीं

رک : ہی ہی ؛ ہنسی کی نقلِ صوت ؛ شرمندگی کی ہنسی ۔

हैं हाँ

हाँ हाँ, टालने या साफ़ जवाब ना देने के लिए मुस्तामल, हूँ हाँ

हैंगे

are

हैंगी

हैं (ज़माना-ए-हाल के इज़हार के लिए जमा के साथ मुस्तामल)

हैं हाँ भरना

हाँ हाँ कहना, रियायत करना नीज़ टालना, हूँ हाँ करना

हैं मर्द वही पूरे जो हर हाल में ख़ुश हैं

मर्द वही है जो तकालीफ़ की पर्वा ना करे, मर्द कामिल वही है जो हर हाल में ख़ुश रहे , नज़ीर अकबराबादी का मिसरा (पूरे हैं वही मर्द, जो हर हाल में ख़ुश हैं) तक़दीम ताख़ीर के साथ बतौर ज़रब-उल-मसल मुस्तामल

हैं पर ख़ुदा काम न डाले

ख़ुदा उन का हाजतमंद ना करे, ज़ाहिर में अच्छे हैं मगर हक़ीक़त में बुरे

यूँ हैं

इसी तरह है, है यही, यही बात है, सही बात ही ये है

जू-हीं

जूँ ही का लघु रूप, जिस वक़्त, जिस लम्हा, वहीं, फ़ौरन, तुरंत

कहते हैं

कथा है, लोगों ने इस तरह बयान किया है, कहा जाता है

कुछ हैं

किसी योग्य हैं, किसी शुमार में हैं, किसी संख्या में हैं

कितने हैं

۔وہ۔ آپ کے ساتھ) کتنا ظرف حوصلہ یا حیثیت ہے۔ ؎

मज़े-हैं

बन आई है, लुत्फ़ है, मतलब हासिल हो गया है, एैश हैं, मनोकामना पूरी हो गई है

अच्छे हैं

he is/ they are in good shape/ health

सितारा हैं

(ہیئت) اختر شناس ، نجومی ، مُنجَم

बने हुए हैं

मसखरे हैं

हज़ार हैं

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पात तैरते हैं पत्थर डूबते हैं

छोटे लोग मज़े में रहते हैं, बड़े लोग तकलीफ़ उठाते हैं

यही हैं

ख़ास यही हैं, मतलब ठीक वही हैं

कहाँ के हैं

कौन सी भूमि और कौन से देश के निवासी हैं, किस गुप्त शहर के हैं, ऐसे कौन हैं

मीठे-हैं

पुरूष स्त्रैण स्भाव के हैं, प्रत्येक छोटे-बड़े की बातें सुन कर डर जाते और पी जाते हैं, डरपोक हैं, बोदे हैं

कव्वे खाए हैं

बड़ी उम्र का है, इस उम्र पर भी बाल स्याह हैं (अवाम का एतिक़ाद है कि को्वे खाने से उम्र बड़ी होती है और बाल स्याह रहते हैं

अंगूर खट्टे हैं

(असफलता आदि से) खिसियाना होकर उस चीज़ को बुरा कहना जिस को पाने में असफलता हुई

इलाही कारख़ाने हैं

ख़ुदा में बड़ी क़ुदरत है, ख़ुदा सब कुछ कर सकता है

कुत्ते लोटते हैं

۔۱۔ویرانہ ہے۔ جس ڈیوڑھی پر دو دو تین تین نوکر رہتے تھے اب وہاں کُتّے لوٹتے ہیں۔ ۲۔صفائی نہیں ہے۔ کمرے کی حالت تو دیکھو کُتّے لوٹتے ہیں۔

किसे कहते हैं

क्या वक़ात रखता है, बेवुक़त है, क्या चीज़ है (बतौर इस्तिफ़हाम-ए-इन्कारी मुस्तामल

देख रहे हैं

निरीक्षण करना, देखना

हम कौन हैं

हम इस योग्य नहीं, हमको इसमें कोई अधिकार नहीं

सौ रस्ते हैं

कई समाधान हैं और भी कई तरीक़े हैं

कटे मरते हैं

۔۱۔لڑے مرتے ہیں۔؎ ۲۔جھگڑا کرنا۔ ؎

दिन लगे हैं

मौत के दिन क़रीब हैं

इसे कहते हैं

that's it, that's great

मुँह बिगड़ते हैं

मन की अप्रसन्नता होती है

बड़े बुज़ुर्ग हैं

خدا رسیدہ یا کامل ہیں

बड़े रुस्तम हैं

बहुत बहादुर हैं, (व्यंग्यात्मक) कायर हैं, बुज़दिल हैं

डंडवत करते हैं

मुझे क्षमा रखो

बने बैठे हैं

शक्ल बनाए है, सूरत बनाए है

भरे बैठे हैं

नाराज़ हैं, ख़फ़ा हैं, ग़ुस्सा में हैं

निहोरा उतारते हैं या करते हैं

कभी के ताने देते हैं या शिकवा शिकायत करते हैं

जूता चढ़ाते हैं ऐक उतारते हैं

एक बीवी को छोड़कर दूसरी बीवी घर में लाते हैं

हाए हाए करते हैं

ना शुक्रे हैं

काले कव्वे खाए हैं

जनता का भरोसा है कि जो काले कव्वे का गोश्त खाता है उसके बाल सफ़ेद नहीं होते जब बुढ़ापे में भी बाल सफ़ैद न हों तो ऐसे व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं

दस नहीं अट्ठारह हैं

बहुत ज़्यादा लाभ प्राप्त होना, हद से ज़्यादा ऐश-ओ-आराम मिलना

क्या मछलियाँ हैं जो सड़ी जाती हैं

रुक : किया मछलियां सड़ी जाती हैं , क्या जल्दी है, इस वक़्त मुस्तामल जब कोई किसी काम में ख़ुसूसन लड़की के ब्याह में जल्दी करता है

हाथी के दाँत दिखाने के और (हैं) खाने के और (हैं)

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

देखी हुई हैं

परिचित हैं, परखे हुए हैं, जाने पहचाने हैं

वो हमीं हैं

۔ हमारी ये जिगर है। हमारी ही ये हिम्मत है।

कहे देती हैं

۔ آگاہ کئے دیتے ہیں۔ تنبیہ کے طور پر۔ ؎

ये बातें हैं

۔वहमी बातें हैं। फ़ुज़ूल बातें हैं।

हम हैं हम हैं

रुक : हम ही हम हैं

आबरू से हैं

अच्छे हाल में हैं, इज़्ज़त और शान-ओ-शौकत से बसर करते हैं

ख़ुदा रखते हैं

हमारा भी अल्लाह है, हमारा भी कोई रक्षक हैं

होते-हवाते हैं

हुआ करते हैं

कब थूकते हैं

अवमानना ​​के अवसर पर बोलते हैं, अर्थात् वे कभी ध्यान नहीं देते हैं, बिल्कुल ख़्याल नहीं करते, हरगिज़ ख़ातिर में नहीं लाते

ताज़ी तर हैं

दिल्ली में कचौरियाँ बेचने वालों की आवाज़

बहुत दिन पड़े हैं

पर्याप्त समय है

चौथी खेलते हैं

जब दो शख़्स लड़ने लगते हैं और लाठी मक्का होने लगता है तो ज़रीफ़ त्यो कहदेते हैं कि चौथी खेलते हैं

कान टेलते हैं

कान झुकाती हैं , उस्तादी तस्लीम करती हैं, कमाल या जौहर की मुक़िर होती हैं

कान टेके हैं

कान झुकाती हैं , उस्तादी तस्लीम करती हैं, कमाल या जौहर की मुक़िर होती हैं

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हैं

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