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साँप का सर भी कभी काम आता है

कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार

खोटा पैसा कभी काम आता है

रुक : खोटा, पैसा बुरे वक़्त के काम आता है

वक़्त पर गाँठ का पैसा ही काम आता है

इंसान को फुज़ूल ख़र्ची नहीं करनी चाहिए बल्कि रुपया जमा करना चाहिए

सर का बोझ पाँव पर आता है

हर चीज़ अपनी असल की तरफ़ पलटी है, अपनों का फ़िक्र अपनों ही को होता है

मुफ़्लिसी में खोटा पैसा काम आता है

ज़रूरत पर वो चीज़ भी काम आती है जिसे आदमी नाचीज़ समझ कर फेंक देता है, यगाना कैसा ही बुरा क्यों ना हो आड़े वक़्त में ज़रूर मदद है।

हजाम का उस्तुरा मेरे सर पर भी फिरता है , तुम्हारे सर पर भी

में और तुम एक जैसे हैं, सब लोग एक जैसे हैं, यकसाँ बरताओ के मौक़ा पर मुस्तामल

कभी धोई तिल्ली का तेल भी सर में डाला था

(शेखी ख़ोरे पर तंज़) दाया बहुत कुछ, हक़ीक़त कुछ नहीं

साँप का सर ही कुचला करते हैं

मूओज़ी को ज़रूर सज़ा देनी चाहिए

आँख सी भी कभी देखी है

ख़ैर! तुम इस चीज़ का महत्व क्या जानो! तुम्हें कभी उप्लब्ध भी हुई है?

खुंडा हथियार और का बठियार किसी काम नहीं आता

कुंद हथियार और दूसरे का ख़ावंद वक़्त पर काम नहीं आते

ख़ुदा काम आता है

ख़ुदा ही मदद करता है

ख़ुदा काम आता है

बिगड़ा बेटा , खोटा पैसा कभी न कभी काम आ ही जाता है

अपनी चीज़ कैसी ही ख़राब हूक़सी ना किसी वक़्त ज़रूरत में का दे जाती है

कबूतर-ख़ाने का सा हाल है, एक आता है, एक जाता है

वहाँ कहते हैं जहाँ बहुत से नौकर हों

कोई पाँव से आता है वो सर के बल आए

अजुज़-ओ-इन्किसार के इज़हार के लिए कहते हैं, अपने को बतौर आजिज़ कमतर और घटा कर पेश करना

पानी का हगा मुँह पर नहीं आता है

आसमान का थूका मुँह पर आता है

उच्च स्तर पर किसी भी प्रकार का हमला करने से निम्न स्तर की अपमान होती है, पवित्र को बदनाम करने वाला ख़ुद ही बदनाम होता है

चाँद का थूका मुँह पर आता है

अच्छे आदमी पर आरोप लगाने वाला ख़ुद अपमानित होता है

चाँद का थूका मुँह पर आता है

क़ज़ा भी कभी टलती है

कभी घूरे के दिन भी फिरते हैं

ज़माना बदलता रहता है, कभी ग़रीबों और कमज़ोरों का ज़माना भी बदल जाता है, उन के भी अच्छे दिन आ जाते हैं, ग़रीब और कमज़ोर हमेशा ग़रीब कमज़ोर नहीं रहते, बारह बरस में घूरे के भी दिन फिर जाते हैं

सुब्ह का निकला शाम को आता है

खोटा पैसा खोटा बेटा वक़्त पर काम आता है

रुक : खोटा पैसा बुरे वक़्त के काम आता है

गृहस्ती का काम राँड का चर्ख़ा है

गृहस्ती का धुंद ख़त्म नहीं होता

साँप का काटा रस्सी से डरता है

जिसे कोई दुःख या पीड़ा पहुँचती है वह बहुत सावधान होजाता है, पीड़ित छोटी चीज़ से भी डरने लगता है

चातुर का काम नहीं पातुर से अटके, पातुर का काम ये है लिया दिया सटके

दाना आदमी बीसवा औरत के फ़रेब में नहीं फंसता, बीसवा का यही काम कि लिया दिया अलग हुई

सख़ी का सर बलंद है

सख़ावत से बड़ी इज़्ज़त है

क्या साँप का पाँव देखा है

जब कोई असंभव बात हो तो यह कहावत कहते हैं

तुम्हारे लड़के भी कभी पाँव चलेंगे

(ओ) तुम भी कभी सच्च बोलोगे और राह पर आवगे , तुम्हारा मिज़ाज भी कभी रास्ती पर आएगा

मुफ़्त का दर्द-ए-सर अपने सर लिया है

यानी दूसरे की ज़हमत ख़ुद ओढ़ ली है

तिनके का एहसान भी बहुत होता है

ख़ाविंद चोन का भी बुरा होता है

मालिक अगर आटे का बना हुआ भी हो तो बुरा होता है मतलब ये है कि चाहे मालिक कितना सीधा और नेक हो मगर ख़िदमतगार को हमेशा बुरा लगता है

कुँवें के पास प्यासा आता है

किसी शैय का हाजतमंद या तालिब ख़ुद इस के पास पहुंचता है

कूएँ के पास प्यासा आता है

किसी शैय का तालिब ख़ुद इस के पास पहुंचता है

जो मुँह में आता है बक जाता है

वक़्त पर कोई काम नहीं आता

संकट और परेशानी के समय कोई मदद नहीं करता

दिल में आता है

इरादा होता है, दिल चाहता है

कुछ नहीं आता है

शैतान का काम वरग़लाना है

आठों पहर काल का डंका सर पर बजता है

मृत्यु हर समय सर पर खड़ी है

गाँडू का हिमायती भी हारा है

(फ़हश बाज़ारी) कम हौसला और नामर्द का तरफ़दार भी ज़क उठाता है, बोदे का साथी भी शर्मिंदगी उठाता है, नालायक़ और कमीने का साथ देना दाख़िल हमाक़त है

हाँडी में जो होता है सो वही डोई में आता है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

झूट बोलने वालों को पहले माैत आती थी अब बुख़ार भी नहीं आता

कलयुग का समय है, झूट बोलने वालों को कोई हानि नहीं पहुँचती

पुड़िया में आता है

अर्ज़ां शैय जो महंगी हो जावे इस मौक़ा पर बोलते हैं मसलन जो घटड़ी में आती हो वो लिफाफों में मिलने लगे जैसे गंदुम नख़ूद वग़ैरा

आता है हाथी के मुँह, जाता है च्यूँटी के मुँह

रोग अर्थात बीमारी के आने में देर नहीं लगती परंतु जाती धीरे धीरे है

हमेशा से चला आता है

यूँ ही होता है, पुराना चलन है, रस्म पुरानी है

हमेशा से चला आता है

नौकरी पेशा का घर क्या , कभी यहाँ कभी वहाँ

नौकरी पेशा का तबादला अक्सर एक जगह से दूसरी जगह होता रहता है इस लिए वो कहीं घर नहीं बना सकता, इस का घर आरिज़ी होता है

कलेजा अंदर से उमडा चला आता है

कलेजा अंदर से उमडा चला आता है

(अविर) सख़्त बेचैनी या घबराहट है, दिल सँभाले नहीं सँभलता

कलेजा अंदर से उमडा चला आता है

(अविर) सख़्त बेचैनी या घबराहट है, दिल सँभाले नहीं सँभलता

कूए के पास प्यासा आता है कुवा नहीं जाता

ग़रज़मंद को चाहिए कि जहां ग़रज़ निकले वहां जाये, बेग़र्ज़ को क्या पेड़ पड़ी है

साँप का मंतर

दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है

रीछ का एक बाल भी ग़नीमत है

कंजूस आदमी से जो कुछ हाथ लगे वही ग़नीमत है

अपना घर सौ कोस से नज़र आता है

अपने काम का परिणाम पहले ही से नज़र आता है, हर व्यक्ति अपने किसी गुण या अगुण को बहुत अच्छे से जानता है

है आदमी है काम नहीं आदमी नहीं काम

इंसान के दम क़दम से काम है, इंसान नहीं होता तो काम भी नहीं होता, सारी रौनक इंसान के दम से है, करने वाले के लिए बहुत काम होता है जो न करना चाहे उस के लिए कुछ काम नहीं

साँप का बच्चा संपोलिया

ज़ालिम का बेटा ज़ालिम होता है, भेड़ीए का बच्चा भेड़ीया ही होता है

चाँद पर थूका मुँह पर आता है

बेऐब को ऐब लगा कर या खुले हुए कमाल का इनकार कर के अनासन ख़ुद ही बदनाम होता या बुरा समझा जाता है

प्यासा कुँवें के पास जाता है, कुँवाँ प्यासे के पास नहीं आता

मतलूब तलबगार के पास नहीं आता बल्कि तालिब मतलूब के पास जाता है, ज़रूरतमंद अपनी हाजत पूरी करने के लिए हाजतरवा के पास जाता है, हाजतरवा को ज़रूरतमंद के पास आने की क्या ज़रूरत

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में साँप का सर भी कभी काम आता है के अर्थदेखिए

साँप का सर भी कभी काम आता है

saa.np kaa sar bhii kabhii kaam aataa haiسان٘پ کا سَر بھی کَبھی کام آتا ہے

कहावत

साँप का सर भी कभी काम आता है के हिंदी अर्थ

  • कोई चीज़ ज़ाए नहीं करनी चाहिए . कभी ना कभी काम आजाती है, दाश्ता आबिद बिकार, गरचा बूद सर मार
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سان٘پ کا سَر بھی کَبھی کام آتا ہے کے اردو معانی

  • کوئی چیز ضائع نہیں کرنی چاہیے . کبھی نہ کبھی کام آجاتی ہے ، داشتہ آبد بکار ، گرچہ بود سرمار.

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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साँप का सर भी कभी काम आता है

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