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खाए

ate

खाए मन भाता और पहने जग भाता

۔(मक़ूला) खाना अपनी पसंद का अच्छ्াा होता है और कपड़ा दूसरे की पसंद का

खाए मलीदा एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

खाए डालना

चिंता से पीड़ित होना, खाए जाना, परेशान रखना, मुसीबत में फँसना

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए पर खाया, वो भी गँवाया

ज़्यादा हिर्स करने वाला आदमी असल सरमाया भी खो देता है

खाए बैठना

हड़प कर जाना, ख़त्म कर देना, दबा लेना

खाए तो मुँह लाल, न खाए तो मुँह लाल

बदनाम व्यक्ति कोई अपराध करे या न करे इल्ज़ाम उसी पर आता है

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाया

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए के गाल और नहाए के बाल नहीं छुपते

संपन्नता और समृद्धि छिपी नहीं रहती

खाए जाना

तबाह करना, बर्बाद करना, संपूर्ण रूप से बर्बाद करना, शत्रुता होना

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे आए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए नाना का, कहलाए दादा का

लाभ किसी से उठाए और नाम किसी का हो

खाए का मुँह और नहाए के बाल नहीं छुपते

आसूदगी चावर ख़ुशी हाली छिपी नहीं रहती

खाए पान, टुकड़े को हैरान

मुफ़लिस ताहम फ़ुज़ूलखर्च, तन पे नहीं लता पान खाएंगे अलबत्ता

खाए दल बोड़, लड़े सर फोड़

दोनों बातों में कमी ना करे

खाए जैसे बकरी , सूखे जैसे लकड़ी

खाना-पीना अलग नहीं लगता

खाए दल बोड़, लड़ाइए सर फोड़

दोनों बातों में कमी ना करे

खाए बकरी की तरह, सूखे लकड़ी की तरह

बहुत खाने के बाद भी दुबला पतला रहने वाले व्यक्ति के बारे में कहते हैं

खाए तो घी से, नहीं जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

खाए तो घी से, नहीं तो जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

कम खाए ग़म न खाए

ग़म इंसान को तहलील करदेता है, क़र्ज़ लेकर खाने से कम खाना या फ़ाक़ा भला, कम खाने से आदमी नहीं मरता बल्कि ग़म उसे तबाह करदेता है, मुराद ये है कि कम खाने वाले को कोई ग़म नहीं होता, बीमारी से भी महफ़ूज़ रहता है और अख़राजात भी कम होते हैं

शेर खाए न खाए मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

नक्टे का खाए उकटे का न खाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

नकटे का खाए ओझे का न खाए

۔مثل۔ کمینہ کا احسانمند نہ ہونا چاہیے۔

एक खाए मलीदा एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

चुटके का खाय, उकटे का न खाय

माँग कर खाना बेहतर है उस का एहसान लेने से जो एहसान जताने वाला हो

एक खाए मालीदा, एक खाए भुस

अपना अपना भाग्य, कोई धनवान कोई निर्धन

हौका खाए जाना

لالچ کرنا ، حرص کرنا ، لالچ ، ہو جانا

उधार खाए होना

رک : ادھار کھانا نمبر۲.

हमारा हल्वा खाए

(ओ)किसी को क़सम खिलाने के लिए ये फ़िक़रा कहती हैं, यानी अगर हमारा कहाना माने तो हमें मिरा हुआ देखे

कुवारी खाए रोटी , ब्याही खाए बोटी

कुंवारी बेटी से ब्याही का ख़र्च ज़्यादा बढ़ जाता है

मुँह खाए चौलाई

(बददुआ) बुरा हुआ

कव्वे खाए हैं

बड़ी उम्र का है, इस उम्र पर भी बाल स्याह हैं (अवाम का एतिक़ाद है कि को्वे खाने से उम्र बड़ी होती है और बाल स्याह रहते हैं

हमारी भित्ती खाए

औरतें दूसरे को सख़्त सौगंध दिलाने के लिए ये वाक्यांश कहती हैं, अर्थात उसे मैं मरी हुई मिलूँ

एक खाय दूध मालीदा, एक खाय भुस

अपना अपना भाग्य, कोई धनवान कोई निर्धन

पकाए सो खाए नहीं खाए कोई और

जो परिश्रम करेगा लाभ उठाएगा जो जी चुराएगा रह जाएगा

चून खाए भसंड होए तला खाए रोगी

आटा खाने वाला मज़बूत होता है ओ रमठाई खाने वाला बीमार रहता है

सर खाए

दफ़ान हो, ऐसी तैसी में जा, प्रिय सरको, जहन्नुम में जाओ

भत्ती-खाए

(अवामी) कोसना, रोए, पीटे, मातम करे; दुख या शोक में फंसा हुआ

हल्वा खाए

(कोसना) किसी के मरने के बाद का हलवा खाए, मुर्दा देखे

भेड़िया खाए तो न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

जौ जट बाँट खाए और गेहूँ खाए डोम

मेहनत कोई करे फ़ायदा कोई उठाने

साँभर जाए , अलोना खाए

ऐसी जगह रहे जहां कोई चीज़ आम हो और ना मिले . इस शिकस् पर फ़िक़रा है जो इफ़रात की जगह रह कर भी इस चीज़ से महरूम रहे जिस की इफ़रात थी (साँभर - एक झील जिस से नमक बनाते हैं)

एक खाए दुध मलीदा, एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

कुँवारी खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

कुंवारी लड़की का ख़र्च कम होता है, परंतु शादी कर देने पर माता-पिता को बहुत ख़र्च करना पड़ता है

सर सहलाए भेजा खाए

मित्रता की आड़ में हानि पहुँचाने वाले के बारे में कहते हैं

क्या खाए

۔ کس برتے پر۔ بھلا ہم غریب آدمی کو ایسی ویسی باتوں کی کیا قدر میکے سے سُسرال تک نون تیل لکڑی ہی سے زمانہ فرصت نہیں دیتا۔ بھلام ہم دوسری کی بات کی کیا خبر سکتے ہیں اور کیا کھا کے کوئی بات کرسکتے ہیں۔

कपड़ा पहनिये जग भाता खाना खाए खाए मन भाता

लिबास फ़ैशन के मुताबिक़ होना चाहिए खाना अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ , लिबास आम पसंद और ख़ुराक अपनी पसंद के मुवाफ़िक़ खाने से आदमी अच्छा रहता है

अफ़ीम खाए फ़क़ीर या खाए अमीर

अमीरों को शौक़ से या आदत के तौर पर अफ़ीम खाने के लिए रुपए की कमी नहीं और फ़क़ीर को माँग कर खा लेने में लाज नहीं होती

ताज़ी मार खाए तुर्की आश खाए

योग्यता वालों की तबाही और अयोग्य लोगों के स्वभाग्य या प्रतापवान होने पर ये मसल बोलते हैं

काले कव्वे खाए हैं

जनता का भरोसा है कि जो काले कव्वे का गोश्त खाता है उसके बाल सफ़ेद नहीं होते जब बुढ़ापे में भी बाल सफ़ैद न हों तो ऐसे व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं

कुँवारी खाए रोटी ब्याही खाए बोटी

कुँवारी से ब्याही की सम्मान ज़्यादा होती है

चकमक-दीदा खाए मलीदा

आँखें लड़ाने वाली औरत अच्छे अच्छे खाने खाती है

निगाहों में खाए जाना

किसी को बहुत दिलचस्पी और जुनून से देखना, घूरना

मुँह खाए आँख लजाए

खिलाने पिलाने से विरोधी भी सहमत हो जाता है

बे-ब्याही खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

ब्याही हुई स्त्री अधिक आनंद उठाती है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नामी चोर मारा जाए, नामी दुकानदार कमा खाए के अर्थदेखिए

नामी चोर मारा जाए, नामी दुकानदार कमा खाए

naamii chor maaraa jaa.e, naamii dukaandaar kamaa khaa.eنامی چور مارا جائے، نامی دُکاندار کَما کھائے

अथवा : नामी दुकानदार कमा खाए, नामी चोर मारा जाए, नामी साह कमा खाए, नामी चोर मारा जाए

कहावत

नामी चोर मारा जाए, नामी दुकानदार कमा खाए के हिंदी अर्थ

  • बदनाम आदमी कोई बुरा काम करे न करे लांछन उसी पर लगता है
  • साख बड़ी चीज़ है, चोर लूटे तो मारा जाए और दुकानदार विश्वसनीय हो कर लूटे तो वारे-नियारे
  • कहीं नाम हो जाने से लाभ होता है कहीं हानि
  • जब कोई आदमी एक बार बदनाम हो जाता है तो लोग उसे ही पकड़ते हैं
  • साह का नाम हो जाए तो उसका लाभ होता है लेकिन चोर बदनाम हो जाए तो पकड़ा जाता है

نامی چور مارا جائے، نامی دُکاندار کَما کھائے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • بد نام آدمی کوئی برا کام کرے نہ کرے الزام اسی پر لگتا ہے
  • سا کھ بڑی چیز ہے، چور لوٹے تو مارا جائے اور دکاندار معتبر بن کر لوٹے تو وارے نیارے
  • کہیں نام ہو جانے سے فائدہ ہوتا ہے کہیں نقصان
  • جب کوئی آدمی ایک بار بدنام ہو جاتا ہے تو لوگ اسے ہی پکڑتے ہیں
  • ساہ کا نام ہو جائے تو اس کا فائدہ ہوتا ہے لیکن چور بدنام ہو جائے تو پکڑا جاتا ہے

Urdu meaning of naamii chor maaraa jaa.e, naamii dukaandaar kamaa khaa.e

  • Roman
  • Urdu

  • badnaam aadamii ko.ii buraa kaam kare na kare ilzaam usii lagtaa huy
  • saakh ba.Dii chiiz hai, chor lauTe to maaraa jaaye aur dukaandaar motbar bin kar lauTe to vaare nyaare
  • kahii.n naam ho jaane se faaydaa hotaa hai kahii.n nuqsaan
  • jab ko.ii aadamii ek baar badnaam ho jaataa hai to log use hii paka.Dte hai.n
  • saah ka naam ho jaaye to is ka faaydaa hotaa hai lekin chor badnaam ho jaaye to pak.Daa jaataa hai

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खाए

ate

खाए मन भाता और पहने जग भाता

۔(मक़ूला) खाना अपनी पसंद का अच्छ्াा होता है और कपड़ा दूसरे की पसंद का

खाए मलीदा एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

खाए डालना

चिंता से पीड़ित होना, खाए जाना, परेशान रखना, मुसीबत में फँसना

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए तो पछताए, न खाए तो पछताए

ऐसी वस्तु जो वास्तव में अच्छी न हो, पर उसे अच्छी समझकर सब पाने के लिए लालायित भी हों

खाए पर खाया, वो भी गँवाया

ज़्यादा हिर्स करने वाला आदमी असल सरमाया भी खो देता है

खाए बैठना

हड़प कर जाना, ख़त्म कर देना, दबा लेना

खाए तो मुँह लाल, न खाए तो मुँह लाल

बदनाम व्यक्ति कोई अपराध करे या न करे इल्ज़ाम उसी पर आता है

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाया

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए के गाल और नहाए के बाल नहीं छुपते

संपन्नता और समृद्धि छिपी नहीं रहती

खाए जाना

तबाह करना, बर्बाद करना, संपूर्ण रूप से बर्बाद करना, शत्रुता होना

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे आए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए न खिलाए ख़ाला दीदों आगे पाए

जो खाने को न दे उसका भला न हो

खाए नाना का, कहलाए दादा का

लाभ किसी से उठाए और नाम किसी का हो

खाए का मुँह और नहाए के बाल नहीं छुपते

आसूदगी चावर ख़ुशी हाली छिपी नहीं रहती

खाए पान, टुकड़े को हैरान

मुफ़लिस ताहम फ़ुज़ूलखर्च, तन पे नहीं लता पान खाएंगे अलबत्ता

खाए दल बोड़, लड़े सर फोड़

दोनों बातों में कमी ना करे

खाए जैसे बकरी , सूखे जैसे लकड़ी

खाना-पीना अलग नहीं लगता

खाए दल बोड़, लड़ाइए सर फोड़

दोनों बातों में कमी ना करे

खाए बकरी की तरह, सूखे लकड़ी की तरह

बहुत खाने के बाद भी दुबला पतला रहने वाले व्यक्ति के बारे में कहते हैं

खाए तो घी से, नहीं जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

खाए तो घी से, नहीं तो जाए जी से

ऐसे लोगों पर व्यंग है जो अपने स्वाभिमान के आगे जान की हानि गवारा करें

कम खाए ग़म न खाए

ग़म इंसान को तहलील करदेता है, क़र्ज़ लेकर खाने से कम खाना या फ़ाक़ा भला, कम खाने से आदमी नहीं मरता बल्कि ग़म उसे तबाह करदेता है, मुराद ये है कि कम खाने वाले को कोई ग़म नहीं होता, बीमारी से भी महफ़ूज़ रहता है और अख़राजात भी कम होते हैं

शेर खाए न खाए मुँह लाल

बदनाम आदमी पर सब इल्ज़ाम थुप जाते हैं, बदनाम करे तो बदनाम ना करे तो बदनाम

नक्टे का खाए उकटे का न खाए

कमीने का एहसानमंद नहीं होना चाहिए, अदना का एहसान उठाए कमज़र्फ़ का नहीं

नकटे का खाए ओझे का न खाए

۔مثل۔ کمینہ کا احسانمند نہ ہونا چاہیے۔

एक खाए मलीदा एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

चुटके का खाय, उकटे का न खाय

माँग कर खाना बेहतर है उस का एहसान लेने से जो एहसान जताने वाला हो

एक खाए मालीदा, एक खाए भुस

अपना अपना भाग्य, कोई धनवान कोई निर्धन

हौका खाए जाना

لالچ کرنا ، حرص کرنا ، لالچ ، ہو جانا

उधार खाए होना

رک : ادھار کھانا نمبر۲.

हमारा हल्वा खाए

(ओ)किसी को क़सम खिलाने के लिए ये फ़िक़रा कहती हैं, यानी अगर हमारा कहाना माने तो हमें मिरा हुआ देखे

कुवारी खाए रोटी , ब्याही खाए बोटी

कुंवारी बेटी से ब्याही का ख़र्च ज़्यादा बढ़ जाता है

मुँह खाए चौलाई

(बददुआ) बुरा हुआ

कव्वे खाए हैं

बड़ी उम्र का है, इस उम्र पर भी बाल स्याह हैं (अवाम का एतिक़ाद है कि को्वे खाने से उम्र बड़ी होती है और बाल स्याह रहते हैं

हमारी भित्ती खाए

औरतें दूसरे को सख़्त सौगंध दिलाने के लिए ये वाक्यांश कहती हैं, अर्थात उसे मैं मरी हुई मिलूँ

एक खाय दूध मालीदा, एक खाय भुस

अपना अपना भाग्य, कोई धनवान कोई निर्धन

पकाए सो खाए नहीं खाए कोई और

जो परिश्रम करेगा लाभ उठाएगा जो जी चुराएगा रह जाएगा

चून खाए भसंड होए तला खाए रोगी

आटा खाने वाला मज़बूत होता है ओ रमठाई खाने वाला बीमार रहता है

सर खाए

दफ़ान हो, ऐसी तैसी में जा, प्रिय सरको, जहन्नुम में जाओ

भत्ती-खाए

(अवामी) कोसना, रोए, पीटे, मातम करे; दुख या शोक में फंसा हुआ

हल्वा खाए

(कोसना) किसी के मरने के बाद का हलवा खाए, मुर्दा देखे

भेड़िया खाए तो न खाए तो मुँह लाल

डायन के मुँह से ख़ून तो लगा ही रहता है अथवा उसके चेहरे से भयानकता तो टपकती ही रहती है

जौ जट बाँट खाए और गेहूँ खाए डोम

मेहनत कोई करे फ़ायदा कोई उठाने

साँभर जाए , अलोना खाए

ऐसी जगह रहे जहां कोई चीज़ आम हो और ना मिले . इस शिकस् पर फ़िक़रा है जो इफ़रात की जगह रह कर भी इस चीज़ से महरूम रहे जिस की इफ़रात थी (साँभर - एक झील जिस से नमक बनाते हैं)

एक खाए दुध मलीदा, एक खाए भुस

अपना-अपना भाग्य कोई धनवान और कोई निर्धन, कोई मज़ा-मौज करता है, कोई कष्टों में जीवन बिताता है

कुँवारी खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

कुंवारी लड़की का ख़र्च कम होता है, परंतु शादी कर देने पर माता-पिता को बहुत ख़र्च करना पड़ता है

सर सहलाए भेजा खाए

मित्रता की आड़ में हानि पहुँचाने वाले के बारे में कहते हैं

क्या खाए

۔ کس برتے پر۔ بھلا ہم غریب آدمی کو ایسی ویسی باتوں کی کیا قدر میکے سے سُسرال تک نون تیل لکڑی ہی سے زمانہ فرصت نہیں دیتا۔ بھلام ہم دوسری کی بات کی کیا خبر سکتے ہیں اور کیا کھا کے کوئی بات کرسکتے ہیں۔

कपड़ा पहनिये जग भाता खाना खाए खाए मन भाता

लिबास फ़ैशन के मुताबिक़ होना चाहिए खाना अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ , लिबास आम पसंद और ख़ुराक अपनी पसंद के मुवाफ़िक़ खाने से आदमी अच्छा रहता है

अफ़ीम खाए फ़क़ीर या खाए अमीर

अमीरों को शौक़ से या आदत के तौर पर अफ़ीम खाने के लिए रुपए की कमी नहीं और फ़क़ीर को माँग कर खा लेने में लाज नहीं होती

ताज़ी मार खाए तुर्की आश खाए

योग्यता वालों की तबाही और अयोग्य लोगों के स्वभाग्य या प्रतापवान होने पर ये मसल बोलते हैं

काले कव्वे खाए हैं

जनता का भरोसा है कि जो काले कव्वे का गोश्त खाता है उसके बाल सफ़ेद नहीं होते जब बुढ़ापे में भी बाल सफ़ैद न हों तो ऐसे व्यक्ति के संबंध में बोलते हैं

कुँवारी खाए रोटी ब्याही खाए बोटी

कुँवारी से ब्याही की सम्मान ज़्यादा होती है

चकमक-दीदा खाए मलीदा

आँखें लड़ाने वाली औरत अच्छे अच्छे खाने खाती है

निगाहों में खाए जाना

किसी को बहुत दिलचस्पी और जुनून से देखना, घूरना

मुँह खाए आँख लजाए

खिलाने पिलाने से विरोधी भी सहमत हो जाता है

बे-ब्याही खाए रोटियाँ, ब्याही खाए बोटियाँ

ब्याही हुई स्त्री अधिक आनंद उठाती है

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