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मैं

स्वयं, ख़ुद

मैं-मैं

ग़ुरूर, अहंकार, आत्म-विश्वास

मैं ने कहा

संबोधित करने के लिए, ध्यान आकर्षित करने के लिए बोलते हैं

मैं कौन हूँ

इसका मतलब मुझे क्या सरोकार, क्या संबंध, मुझे तुझसे कोई संबंध नहीं

मैं-कौन

मुझ को क्या वास्ता है, संबंध न प्रकट करने के लिए प्रयुक्त

मैं न मानूँ

में विश्वास न करूं, मुझे बावर न आए, मैं स्वीकार न करूं, मैं सहमत न हूँ (ज़िद्दी या घमंडी व्यक्ति के लिए)

मैं वाह रे मैं

अपनी तारीफ़ करने वाले के बारे में कहते हैं, अपने मुँह मियाँ मिठू

मैं-पन

अपना स्व, अपना अभिमान

मैं भी कहों

ऐसी जगह पर कहा जाता है जहां किसी स्थिति का कारण समझ में न आए, मैंने भी सोचा, मेरी समझ में न आया, मैं भी सोचता हूँ

मैं न कहता था

में जो कहता था वही हुआ, मेरी बात सही थी

मैं हारा तुम जीते

बेहस में आजिज़ी ज़ाहिर करने को कहते हैं नीज़ तंज़न भी कहते हैं जब कोई फ़ुज़ूल बेहस करे

मैं मैं न जानों

काम बिगड़े या बने मुझ पर दोषी नहीं, मैं ज़िम्मेदारी से मुक्त हो गया, मैं क्या जनूं?

मैं सदक़े

ख़वातीन इंतिहाई प्यार के वक़्त बोलती हैं

मैं डाल डाल तो वो पात पात

۔دیکھو ڈال ڈال۔ ؎

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

मैं-पना

رک : میں پن ۔

मैं ने घाट घाट का पानी पिया हे

में तजरबाकार हूँ, जहां दीदा हूँ

मैं-जानूँ

मैं ज़िम्मेदार हूँ, मेरा ज़िम्मा

मैं ख़ूब समझता हूँ

۔میرے ذہن میں سب کچھ آتا ہے۔ ؎ میں کی خوصوصیت نہیں اور ضمائر کے ساتھ بھی مستعمل ہے۔

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

मैं भली कि पैंठा

कौन ज़्यादा बेवक़ूफ़ है

मैं वारी

ख़वातीन इंतिहाई प्यार के वक़्त बोलती हैं

मैं पाकिस्तानी हूँ

ii am i am pakistani

मैं भरूँ सरकार के, मेरे भरे सक़्क़ा

जो शख़्स ख़ुद तो किसी की ख़िदमत करे मगर अपना काम दूसरों से किराए इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

मैं क्या मेरी औक़ात ही क्या

मैं ग़रीब और दीन हूँ, मेरी क्या पहचान है

मैं तेरे सद्क़े

(अविर) निहायत ख़ुशी या ख़ुशामद के मौके़ पर बोला जाता है, में तेरे बलिहारी, बिल जाऊं, क़ुर्बान हूँ, वारी जाऊं, सदक़े जाऊं

मैं क़ुरबान

मैं सदक़े, मैं वारी

मैं ने चुक़ंदर बोया और गाजर पैदा हो गई

अनहोनी बात , करना कुछ हो कुछ जाना

मैं हूँ या ख़ुदा की ज़ात है

एकांत या लाचारी प्रकट करने के लिए बोलते हैं

मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता

برداشت

मैं-मैं करना

स्वयं प्रशंसा करना, अपनी ही चर्चा करना, अपने अहंकार और घमंड का दिखावा करना तथा बकरी की आवाज़ निकालना, बकरी के जैसे बोलना

मैं ने माना

मैंने मान लिया, मैं सहमतहुँ, मैंने स्वीकार कर लिया, (मैं की विशेषता नहीं है, हम के साथ भी प्रयुक्त है)

मैं ने तुम्हारी चोरी की है

मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो

मैं ने तुम्हारी गधी चुराई है

मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो

मैं नहीं या वो नहीं

कमाल इग़सा का इज़हार यानी या तो आज में उन्हें को मार डालूंगा या ख़ुद ही मारा जाऊंगा

मैं कहीं तुम कहीं

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

मैं-मैं तू-तू

बहस, गाली-ग्लोच, झगड़ा

मैं ने क्या तुम्हारी खीर खाई है

मैं आभारी नहीं हूँ

मैं सहीह सलामत आई, राजा के चूतड़ कटा आई

कायर और चालाक व्यक्ति दूसरों को अपनी मुसीबत में फँसाता है (चिड़िया चिड़े की कहानी के बोल)

मैं तो जानूँ

मेरे अनुमान से, मेरे अंदाज़े के मुताबिक़, मेरे ख़्याल से

मैं कर चुका

(तंज़न) में तो नहीं करूंगा, में बाज़ आया

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

मैं नहीं या तुम नहीं

۔دیکھو۔ ۲ ج میں نہیں۔

मैं ने चार बरसातें ज़्यादा देखी हैं

यानी में तुम से ज़्यादा उम्र रसीदा और ज़्यादा तजरबाकार हूँ

मैंने क्या तुम्हारी गधी चुराई है

۔(دہلی) یعنی میں نے تمھارا کون سا قصور کیا ہے۔ جو مجھ کو بُرا بھلا کہتے ہو۔

में वसवसे उठना

बुरे बुरे ख़्यालात आना, कोई काम करते हुए हिचकिचाहट महसूस होना

मैं तुझे चाहूँ और तू काले ढींग को

जब कोई किसी को बुरे काम से रोके या मन' करे और वो न रुके तो कहते हैं

मैं कौन तू कौन

तुझे मुझसे क्या संबंध, मेरा-तेरा कोई संबंध नहीं

मैं भली तू शाबाश

एक दूसरे की आलोचना

मैं थकी तू नाख़ूश

कोई कड़ी मेहनत करे और दूसरे को पसंद न हो

मैं कब कहूँ तीरे बेटे को मिर्गी आती है

कोई बात प्रत्यक्ष रूप से छुपाना परंतु बहाने से जता देना

मैं ने मु'आफ़ किया मेरे ख़ुदा ने मु'आफ़ किया

दोष क्षमा करते समय दोष करने वाले के संतुष्टि के लिए कहते हैं

मैं तैरा गुडा बनाऊँगा

अर्थात मैं तुम्हें बहुत अपमानित करूंगा, मैं तुम्हें ध्वज पर चढ़ाऊंगा (यह कहावत हिन्दुओं की उस रीति-रिवाज से ली गई है जिसमें किसी बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु पर शोक मनाने वाले लोग गढ्ढा बनाकर नृत्य करते हैं)

मैं क्या मेरी औक़ात क्या

मैं ग़रीब और दीन हूँ, मेरी क्या पहचान है

मैं के गर्दन में छुरी

घमंडी व्यक्ति सदैव तबाह होता है, घमंड का परिणाम बुरा होता है

मैं अपना नाम बदल डालूँ

किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए कहते हैं, यानी अगर मेरी बात ग़लत या झूट हो तो में अपना नाम बदल दूंगा

मैं ख़ुश मेरा ख़ुदा ख़ुश

किसी बात की मंज़ूरी या हालात से संतुष्ट होने पर ये वाक्य बोला जाता है, में ख़ुशी के साथ आज्ञा देता हूँ, मेरी यही ख़ुशी है, में हर तरह राज़ी हूँ

मैं अपना नाम बदल दूँ

किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए कहते हैं, यानी अगर मेरी बात ग़लत या झूट हो तो में अपना नाम बदल दूंगा

मैं राज़ी , मेरा ख़ुदा राज़ी

۔ میں خوش میرا خدا خوش۔ ؎

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में मैं-मैं करना के अर्थदेखिए

मैं-मैं करना

mai.n-mai.n karnaaمَیں مَیں کَرنا

मुहावरा

मैं-मैं करना के हिंदी अर्थ

  • स्वयं प्रशंसा करना, अपनी ही चर्चा करना, अपने अहंकार और घमंड का दिखावा करना तथा बकरी की आवाज़ निकालना, बकरी के जैसे बोलना

English meaning of mai.n-mai.n karnaa

  • be egotistical, be full of oneself, to bleat

مَیں مَیں کَرنا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • خود ستائی کرنا، اپنا ہی ذکر کرنا، اپنی انا اور خود پسندی کا مظاہرہ کرنا نیز بکری کی آواز نکالنا، بکری کی طرح بولنا

Urdu meaning of mai.n-mai.n karnaa

  • Roman
  • Urdu

  • Khud sataa.ii karnaa, apnaa hii zikr karnaa, apnii anaa aur Khud pasandii ka muzaahara karnaa niiz bikrii kii aavaaz nikaalnaa, bikrii kii tarah bolnaa

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मैं

स्वयं, ख़ुद

मैं-मैं

ग़ुरूर, अहंकार, आत्म-विश्वास

मैं ने कहा

संबोधित करने के लिए, ध्यान आकर्षित करने के लिए बोलते हैं

मैं कौन हूँ

इसका मतलब मुझे क्या सरोकार, क्या संबंध, मुझे तुझसे कोई संबंध नहीं

मैं-कौन

मुझ को क्या वास्ता है, संबंध न प्रकट करने के लिए प्रयुक्त

मैं न मानूँ

में विश्वास न करूं, मुझे बावर न आए, मैं स्वीकार न करूं, मैं सहमत न हूँ (ज़िद्दी या घमंडी व्यक्ति के लिए)

मैं वाह रे मैं

अपनी तारीफ़ करने वाले के बारे में कहते हैं, अपने मुँह मियाँ मिठू

मैं-पन

अपना स्व, अपना अभिमान

मैं भी कहों

ऐसी जगह पर कहा जाता है जहां किसी स्थिति का कारण समझ में न आए, मैंने भी सोचा, मेरी समझ में न आया, मैं भी सोचता हूँ

मैं न कहता था

में जो कहता था वही हुआ, मेरी बात सही थी

मैं हारा तुम जीते

बेहस में आजिज़ी ज़ाहिर करने को कहते हैं नीज़ तंज़न भी कहते हैं जब कोई फ़ुज़ूल बेहस करे

मैं मैं न जानों

काम बिगड़े या बने मुझ पर दोषी नहीं, मैं ज़िम्मेदारी से मुक्त हो गया, मैं क्या जनूं?

मैं सदक़े

ख़वातीन इंतिहाई प्यार के वक़्त बोलती हैं

मैं डाल डाल तो वो पात पात

۔دیکھو ڈال ڈال۔ ؎

मैं कहाँ तुम कहाँ

एक दूसरे के बीच एक बड़ा अंतर या दूरी है

मैं-पना

رک : میں پن ۔

मैं ने घाट घाट का पानी पिया हे

में तजरबाकार हूँ, जहां दीदा हूँ

मैं-जानूँ

मैं ज़िम्मेदार हूँ, मेरा ज़िम्मा

मैं ख़ूब समझता हूँ

۔میرے ذہن میں سب کچھ آتا ہے۔ ؎ میں کی خوصوصیت نہیں اور ضمائر کے ساتھ بھی مستعمل ہے۔

मैं कुछ नहीं कहता

में शिकायत नहीं करता तथा मैं कोई राय नहीं देता

मैं कहाँ और वो कहाँ

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

मैं भली कि पैंठा

कौन ज़्यादा बेवक़ूफ़ है

मैं वारी

ख़वातीन इंतिहाई प्यार के वक़्त बोलती हैं

मैं पाकिस्तानी हूँ

ii am i am pakistani

मैं भरूँ सरकार के, मेरे भरे सक़्क़ा

जो शख़्स ख़ुद तो किसी की ख़िदमत करे मगर अपना काम दूसरों से किराए इस के मुताल्लिक़ कहते हैं

मैं क्या मेरी औक़ात ही क्या

मैं ग़रीब और दीन हूँ, मेरी क्या पहचान है

मैं तेरे सद्क़े

(अविर) निहायत ख़ुशी या ख़ुशामद के मौके़ पर बोला जाता है, में तेरे बलिहारी, बिल जाऊं, क़ुर्बान हूँ, वारी जाऊं, सदक़े जाऊं

मैं क़ुरबान

मैं सदक़े, मैं वारी

मैं ने चुक़ंदर बोया और गाजर पैदा हो गई

अनहोनी बात , करना कुछ हो कुछ जाना

मैं हूँ या ख़ुदा की ज़ात है

एकांत या लाचारी प्रकट करने के लिए बोलते हैं

मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता

برداشت

मैं-मैं करना

स्वयं प्रशंसा करना, अपनी ही चर्चा करना, अपने अहंकार और घमंड का दिखावा करना तथा बकरी की आवाज़ निकालना, बकरी के जैसे बोलना

मैं ने माना

मैंने मान लिया, मैं सहमतहुँ, मैंने स्वीकार कर लिया, (मैं की विशेषता नहीं है, हम के साथ भी प्रयुक्त है)

मैं ने तुम्हारी चोरी की है

मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो

मैं ने तुम्हारी गधी चुराई है

मैंने तुम्हारा कौन सा क़सूर किया है जो मुझ को ुबरा भला कहते हो, मैंने तुम्हारा क्या नुक़्सान किया है जो मेरे ख़िलाफ़ हो

मैं नहीं या वो नहीं

कमाल इग़सा का इज़हार यानी या तो आज में उन्हें को मार डालूंगा या ख़ुद ही मारा जाऊंगा

मैं कहीं तुम कहीं

रुक : में कहाँ तुम कहाँ

मैं-मैं तू-तू

बहस, गाली-ग्लोच, झगड़ा

मैं ने क्या तुम्हारी खीर खाई है

मैं आभारी नहीं हूँ

मैं सहीह सलामत आई, राजा के चूतड़ कटा आई

कायर और चालाक व्यक्ति दूसरों को अपनी मुसीबत में फँसाता है (चिड़िया चिड़े की कहानी के बोल)

मैं तो जानूँ

मेरे अनुमान से, मेरे अंदाज़े के मुताबिक़, मेरे ख़्याल से

मैं कर चुका

(तंज़न) में तो नहीं करूंगा, में बाज़ आया

मैं न समझूँ तो भला क्या कोई समझाए मुझे

ज़िद्दी आदमी के मुताल्लिक़ कहते हैं, आदमी ख़ुद ना समझना चाहे तो कोई नहीं समझा सकता

मैं नहीं या तुम नहीं

۔دیکھو۔ ۲ ج میں نہیں۔

मैं ने चार बरसातें ज़्यादा देखी हैं

यानी में तुम से ज़्यादा उम्र रसीदा और ज़्यादा तजरबाकार हूँ

मैंने क्या तुम्हारी गधी चुराई है

۔(دہلی) یعنی میں نے تمھارا کون سا قصور کیا ہے۔ جو مجھ کو بُرا بھلا کہتے ہو۔

में वसवसे उठना

बुरे बुरे ख़्यालात आना, कोई काम करते हुए हिचकिचाहट महसूस होना

मैं तुझे चाहूँ और तू काले ढींग को

जब कोई किसी को बुरे काम से रोके या मन' करे और वो न रुके तो कहते हैं

मैं कौन तू कौन

तुझे मुझसे क्या संबंध, मेरा-तेरा कोई संबंध नहीं

मैं भली तू शाबाश

एक दूसरे की आलोचना

मैं थकी तू नाख़ूश

कोई कड़ी मेहनत करे और दूसरे को पसंद न हो

मैं कब कहूँ तीरे बेटे को मिर्गी आती है

कोई बात प्रत्यक्ष रूप से छुपाना परंतु बहाने से जता देना

मैं ने मु'आफ़ किया मेरे ख़ुदा ने मु'आफ़ किया

दोष क्षमा करते समय दोष करने वाले के संतुष्टि के लिए कहते हैं

मैं तैरा गुडा बनाऊँगा

अर्थात मैं तुम्हें बहुत अपमानित करूंगा, मैं तुम्हें ध्वज पर चढ़ाऊंगा (यह कहावत हिन्दुओं की उस रीति-रिवाज से ली गई है जिसमें किसी बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु पर शोक मनाने वाले लोग गढ्ढा बनाकर नृत्य करते हैं)

मैं क्या मेरी औक़ात क्या

मैं ग़रीब और दीन हूँ, मेरी क्या पहचान है

मैं के गर्दन में छुरी

घमंडी व्यक्ति सदैव तबाह होता है, घमंड का परिणाम बुरा होता है

मैं अपना नाम बदल डालूँ

किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए कहते हैं, यानी अगर मेरी बात ग़लत या झूट हो तो में अपना नाम बदल दूंगा

मैं ख़ुश मेरा ख़ुदा ख़ुश

किसी बात की मंज़ूरी या हालात से संतुष्ट होने पर ये वाक्य बोला जाता है, में ख़ुशी के साथ आज्ञा देता हूँ, मेरी यही ख़ुशी है, में हर तरह राज़ी हूँ

मैं अपना नाम बदल दूँ

किसी बात का यक़ीन दिलाने के लिए कहते हैं, यानी अगर मेरी बात ग़लत या झूट हो तो में अपना नाम बदल दूंगा

मैं राज़ी , मेरा ख़ुदा राज़ी

۔ میں خوش میرا خدا خوش۔ ؎

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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