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जिस का खाए उस का गाए

every man praises the bridge who passes over

जिस का खाए उसी का गाए

जिससे कोई लाभ हो उसकी प्रशंसा की जाए और चापलूसी की जाए तब यह बोला जाता है

जिस का खाए उस का बजाए

رک : جس کا کھائے اس کا گائے.

जिस का खाए उसी की गाए

जिस से फ़ाएदा हो उस की तारीफ़ और चापलूसी की जाए तब यह वाक्य बोला जाता है

जिस का तीज उस का भीज

जिस में ताक़त हो वो ले लेता है

जिस का चून उस का पून

जो अच्छा काम करता है इस को सवाब पहुंचता है

जिस का मड़वा उस का गीत

जिस का विवाह हो वह गीत सुनता है, जो ख़र्च करे वह लाभ उठाता है

जिस की फ़िक्र उस का ज़िक्र

जिस की बात का ख़याल रहता है उसी का वर्णन करता रहता है

जिस की जूती उस का सर

जिस की वस्तु है उसी पर ख़र्च होती है

जिस का कोई नहीं उस का ख़ुदा

ग़ैरबों का मददगार ख़ुदा है

जिस का चुन्न उस का पुन्न

जिसका खाओ उसका भला करो

ख़सम का खाए भय्या का गीत गाए

शौहर देख भाल करे और नाम हो भाई का

जिस का गोइयाँ नहीं उस का कूकर गोइयाँ

जिस का कोई दोस्त नहीं वो कुत्ता पाल सकता है

जिस का हाल देखे , उस का अहवाल क्या पूछे

जिस की ज़ाहिरी हालत से परेशानी ज़ाहिर हो इस से पूछने की क्या हाजत

जिस का घोड़ा उस के बाहर

जिसकी चीज़ होती है वह उसके दरवाज़े पर होती है

जिस का ख़ून उस की गर्दन पर

जो हत्या करता है वही सज़ा भुगतता है

हाथी फिरे गाँव गाँव जिस का हाथी उस का नाँव

हाथी कहीं भी जाए लोग यही कहेंगे कि फ़लाँ का हाथी है। यानी जिसकी चीज़ हो उसीका नाम होता है, अस्ल चीज़ मालिक ही की हुआ करती है

जिस का खाना उस पर ग़ुर्राना

۔مثل۔ جس سے فائدہ اسی سے جھگڑا۔

जिस का खाना उस पे ग़ुर्राना

जिससे फ़ायदा हो, उसी से झगड़ा करना अच्छा नहीं है

जिस के सर हथियार उस का क्या ए'तिबार

सींग वाले जानवर का कुछ भरोसा नहीं जब चाहे मार बैठे

जिस की जोरू अंदर, उस का नसीबा सिकंदर

रुक : जिस की बढ़िया महल के अंदर इस का नसीबा बड़ा सिकन्दर

जिस बाट न चलना उस का पूछना क्या

जिस बात से कुछ ग़रज़ नहीं, उस की फ़िक्र कोई अबस है

जिस के सर पर हथियार उस का क्या ए'तिबार

۔مثل۔ سینگ والے جانور کا کچھ اعتبار نہیں جب چاہے مار بیٹھے۔

जिस का बनिया यार उस को दुश्मन क्या दरकार

बनीए की दग़ा बाज़ी मशहूर है

बनिया जिस का यार, उस को दुश्मन क्या दरकार

बनिया दोस्त बन कर सौदा क़र्ज़ दे दे कर फ़क़ीर कर देता है

जिस का मुँह नहीं देखा उस के तलवे देखे

जिस से हमेशा घृणा थी उसी से मन्नत करनी पड़ी

जिस का पाप उस का पाप

जिसका पाप हो उसी के सर

जिस का दे उस का खेले

(रुक) जिस का खावे इस का गावी, बला सिर्फ़ किए काम अंजाम नहीं पाता

जिस का खाना उस का गाना

रुक : जिस का खाईए उसी का गाय

जिस की उतरी लोई उस का किया करेगा कोई

जिस में श्रम-ओ-हया बाक़ी ना रहे उस को कोई क्या कह सकता है, बेशरम की बला दूर

जिस घर सास मटकनी उस घर बहू का क्या सुहाग

जो शख़्स ख़ुद खाओ उड़ाओ होगा, वो दूसरे के साथ कब सुलूक करेगा

बनिया जिस का यार, उस को दुश्मन की क्या दरकार

बनिया दोस्त बन कर सौदा क़र्ज़ दे दे कर फ़क़ीर कर देता है

जिस का खाइए अन पानी उस की कीजिए आबादानी

अपने आक़ा और मुहसिन की शुक्रगुज़ारी लाज़िम है

जिस का खाइए अन पानी उस की कीजिए आवादानी

अपने आक़ा और मुहसिन की शुक्रगुज़ारी लाज़िम है

जिस घर होवे पुर्ख कुचलिया, उस घर होवे खीर का दलिया

जहाँ पति ख़राब हो वहाँ हर बात ख़राब होती है

जिस की बुढ़िया महल के अंदर, उस का नसीबा बड़ा सिकंदर

जो औरत किसी अमीर के घर मुलाज़िम होती है इस के अहल-ओ-अयाल बड़ी आसश से रहते हैं

जिस की बेटी राँड हो गई उस का जनम बिगड़ गया

बेटी के रांड होने से बढ़ कर और कोई मुसीबत नहीं

तुरत फ़तेह हो उस के ताईं, जिस का हामी होवे साईं

जिस का ईश्वर सहायक हो उसे तुरंत कामयाबी मिलती है

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

जिस घर होवे पुरूष कुचलिया, उस घर होवे खीर का दलिया

जहाँ पति ख़राब हो वहाँ हर बात ख़राब होती है

जिस को हराम के टुकरों का मज़ा लगा, उस से मेहनत कब हो सके

जिस को बैठे बिठाए खंए को मिले इस से मेहनत नहीं हो सकती

कुम्हार का गधा जिस के चूतड़ पर मिट्टी देखे उस के पीछे दौड़े

जैसी 'आदत पड़ जाए वैसा ही होता है

जिस के हाथ डोई उस का सब कोई

जिससे लाभ होता है उसी के सब शुभأचिंतक होते हैं

जिस का जो स्वभाव जाए ना उस के जी से, नीम न मीठा हो सींचो गुड़ और घी से

स्वभाव और बुरी 'आदत नहीं जाती चाहे कितना भी प्रयास किया जाए

खाएँ किसी का गाएँ किसी का

एहसान कोई करे और शुक्रगुज़ारी किसी की करें

मुफ़्त का खाएँ, गीत गाएँ

मुफ़्त की खाईं, बे फ़िक़्रों और मुफ़्त ख़ोरों की निसबत कहते हैं

खाएँ कसी का गाएँ कसी को

एहसान कोई करे और शुक्रगुज़ारी किसी की करें

ख़सम का खाएँ पिएँ गीत गाएँ भय्या जी के

शौहर देख भाल करे और नाम हो भाई का

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जिस का खाए उस का गाए के अर्थदेखिए

जिस का खाए उस का गाए

jis kaa khaa.e us kaa gaa.eجس کا کھائے اس کا گائے

कहावत

English meaning of jis kaa khaa.e us kaa gaa.e

  • every man praises the bridge who passes over

Urdu meaning of jis kaa khaa.e us kaa gaa.e

  • Roman
  • Urdu

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जिस का खाए उस का गाए

every man praises the bridge who passes over

जिस का खाए उसी का गाए

जिससे कोई लाभ हो उसकी प्रशंसा की जाए और चापलूसी की जाए तब यह बोला जाता है

जिस का खाए उस का बजाए

رک : جس کا کھائے اس کا گائے.

जिस का खाए उसी की गाए

जिस से फ़ाएदा हो उस की तारीफ़ और चापलूसी की जाए तब यह वाक्य बोला जाता है

जिस का तीज उस का भीज

जिस में ताक़त हो वो ले लेता है

जिस का चून उस का पून

जो अच्छा काम करता है इस को सवाब पहुंचता है

जिस का मड़वा उस का गीत

जिस का विवाह हो वह गीत सुनता है, जो ख़र्च करे वह लाभ उठाता है

जिस की फ़िक्र उस का ज़िक्र

जिस की बात का ख़याल रहता है उसी का वर्णन करता रहता है

जिस की जूती उस का सर

जिस की वस्तु है उसी पर ख़र्च होती है

जिस का कोई नहीं उस का ख़ुदा

ग़ैरबों का मददगार ख़ुदा है

जिस का चुन्न उस का पुन्न

जिसका खाओ उसका भला करो

ख़सम का खाए भय्या का गीत गाए

शौहर देख भाल करे और नाम हो भाई का

जिस का गोइयाँ नहीं उस का कूकर गोइयाँ

जिस का कोई दोस्त नहीं वो कुत्ता पाल सकता है

जिस का हाल देखे , उस का अहवाल क्या पूछे

जिस की ज़ाहिरी हालत से परेशानी ज़ाहिर हो इस से पूछने की क्या हाजत

जिस का घोड़ा उस के बाहर

जिसकी चीज़ होती है वह उसके दरवाज़े पर होती है

जिस का ख़ून उस की गर्दन पर

जो हत्या करता है वही सज़ा भुगतता है

हाथी फिरे गाँव गाँव जिस का हाथी उस का नाँव

हाथी कहीं भी जाए लोग यही कहेंगे कि फ़लाँ का हाथी है। यानी जिसकी चीज़ हो उसीका नाम होता है, अस्ल चीज़ मालिक ही की हुआ करती है

जिस का खाना उस पर ग़ुर्राना

۔مثل۔ جس سے فائدہ اسی سے جھگڑا۔

जिस का खाना उस पे ग़ुर्राना

जिससे फ़ायदा हो, उसी से झगड़ा करना अच्छा नहीं है

जिस के सर हथियार उस का क्या ए'तिबार

सींग वाले जानवर का कुछ भरोसा नहीं जब चाहे मार बैठे

जिस की जोरू अंदर, उस का नसीबा सिकंदर

रुक : जिस की बढ़िया महल के अंदर इस का नसीबा बड़ा सिकन्दर

जिस बाट न चलना उस का पूछना क्या

जिस बात से कुछ ग़रज़ नहीं, उस की फ़िक्र कोई अबस है

जिस के सर पर हथियार उस का क्या ए'तिबार

۔مثل۔ سینگ والے جانور کا کچھ اعتبار نہیں جب چاہے مار بیٹھے۔

जिस का बनिया यार उस को दुश्मन क्या दरकार

बनीए की दग़ा बाज़ी मशहूर है

बनिया जिस का यार, उस को दुश्मन क्या दरकार

बनिया दोस्त बन कर सौदा क़र्ज़ दे दे कर फ़क़ीर कर देता है

जिस का मुँह नहीं देखा उस के तलवे देखे

जिस से हमेशा घृणा थी उसी से मन्नत करनी पड़ी

जिस का पाप उस का पाप

जिसका पाप हो उसी के सर

जिस का दे उस का खेले

(रुक) जिस का खावे इस का गावी, बला सिर्फ़ किए काम अंजाम नहीं पाता

जिस का खाना उस का गाना

रुक : जिस का खाईए उसी का गाय

जिस की उतरी लोई उस का किया करेगा कोई

जिस में श्रम-ओ-हया बाक़ी ना रहे उस को कोई क्या कह सकता है, बेशरम की बला दूर

जिस घर सास मटकनी उस घर बहू का क्या सुहाग

जो शख़्स ख़ुद खाओ उड़ाओ होगा, वो दूसरे के साथ कब सुलूक करेगा

बनिया जिस का यार, उस को दुश्मन की क्या दरकार

बनिया दोस्त बन कर सौदा क़र्ज़ दे दे कर फ़क़ीर कर देता है

जिस का खाइए अन पानी उस की कीजिए आबादानी

अपने आक़ा और मुहसिन की शुक्रगुज़ारी लाज़िम है

जिस का खाइए अन पानी उस की कीजिए आवादानी

अपने आक़ा और मुहसिन की शुक्रगुज़ारी लाज़िम है

जिस घर होवे पुर्ख कुचलिया, उस घर होवे खीर का दलिया

जहाँ पति ख़राब हो वहाँ हर बात ख़राब होती है

जिस की बुढ़िया महल के अंदर, उस का नसीबा बड़ा सिकंदर

जो औरत किसी अमीर के घर मुलाज़िम होती है इस के अहल-ओ-अयाल बड़ी आसश से रहते हैं

जिस की बेटी राँड हो गई उस का जनम बिगड़ गया

बेटी के रांड होने से बढ़ कर और कोई मुसीबत नहीं

तुरत फ़तेह हो उस के ताईं, जिस का हामी होवे साईं

जिस का ईश्वर सहायक हो उसे तुरंत कामयाबी मिलती है

जिस बहुअर की बहरी सास, उस का कभी न हो घर वास

जिस स्त्री की सास बहरी हो, वह कभी घर में नहीं रुकती

जिस घर होवे पुरूष कुचलिया, उस घर होवे खीर का दलिया

जहाँ पति ख़राब हो वहाँ हर बात ख़राब होती है

जिस को हराम के टुकरों का मज़ा लगा, उस से मेहनत कब हो सके

जिस को बैठे बिठाए खंए को मिले इस से मेहनत नहीं हो सकती

कुम्हार का गधा जिस के चूतड़ पर मिट्टी देखे उस के पीछे दौड़े

जैसी 'आदत पड़ जाए वैसा ही होता है

जिस के हाथ डोई उस का सब कोई

जिससे लाभ होता है उसी के सब शुभأचिंतक होते हैं

जिस का जो स्वभाव जाए ना उस के जी से, नीम न मीठा हो सींचो गुड़ और घी से

स्वभाव और बुरी 'आदत नहीं जाती चाहे कितना भी प्रयास किया जाए

खाएँ किसी का गाएँ किसी का

एहसान कोई करे और शुक्रगुज़ारी किसी की करें

मुफ़्त का खाएँ, गीत गाएँ

मुफ़्त की खाईं, बे फ़िक़्रों और मुफ़्त ख़ोरों की निसबत कहते हैं

खाएँ कसी का गाएँ कसी को

एहसान कोई करे और शुक्रगुज़ारी किसी की करें

ख़सम का खाएँ पिएँ गीत गाएँ भय्या जी के

शौहर देख भाल करे और नाम हो भाई का

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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