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जान ही की पहचान है

मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

मानुस की पहचान को मु'आमला कसौटी है

जो मुआमले में ठीक निकला वो भलामानस है

बड़ा ही सख़्त जान है

बहुत ढीट है, इस पर कुछ असर नहीं होता है, बड़ी मुश्किल से इसकी जान निकलेगी या मरेगा

मनुष की पहचान को मु'आमला कसौटी है

हर शख़्स मु'आमले से पहचाना जाता है

रंडी पैसे ही की यार है

कसबीयाँ अमीर आदमी के साथ ताल्लुक़ पैदा करती हैं, ग़रीब हो जाये तो धता बता देती हैं

जान की पड़ी है

इख़्तिसार ज़राफ़त की जान है

जी जान का ख़ुदा ही है

ज़िंदगी की कोई उम्मीद नहीं, ज़िंदगी का बचना मुश्किल है, ज़िंदगी का ख़ुदा ही मुहाफ़िज़ है, अल्लाह ही बचाए

आप ही की जूतियों का सदक़ा है

आप ही की कृपा है, आप ही के अनुग्रह एवं कृपा से है, आप ही के कारण से सब है

ज़ात की बेटी ज़ात ही में जाती है

कुलीन का रिश्ता कुलीन में ही होता है, कुलीन का विवाह कुलीन के साथ ही होता है

फ़ाक़ा की मारी जान है

भागते भूत की लँगोटी ही बहुत है

जाती हुई चीज़ में से जितना जुज़ु मिल जाये ग़नीमत है

ज़ालिम की चाल ही और है

अत्याचारी के तरीक़े अलग होते हैं, ज़ालिम के तरीक़े मुख़्तलिफ़ होते हैं

आम मछली की भेंट हो ही जाती है

जब कोई किसी को नुक़्सान पहुँचा कर चल देता है तो नुक़्सान उठाने वाला कहता है कि 'आम मछली का क्या साथ न होगा ' मलतब फिर कभी मुलाक़ात तो होगी उस वक़्त समझ लूँगा, अगर आज हम को नुक़्सान पहुँचा दिया है तो कभी हम को भी अपना बदला लेने का मौक़ा मिल ही जाएगा (चूँकि मछली पकाने में आम की खटाई दी जाती है इस वजह से आम मछली का साथ कहा गया

तलवार की आँच के सामने कोई बिरला ही ठेहरता है

तलवार के सामने कोई असाधारण व्यक्ति अर्थात बहादुर ही ठहरता है

मुफ़्लिस की जवानी , जाड़े की चाँदनी यूँ ही जाती है

चीज़ का बे कार और बेफ़ाइदा ज़ाए होना

क़ब्र की मिट्टी क़ब्र ही को लगती है

जब किसी वस्तु से अलग होने वाला भाग उस वस्तु से जुड़ दिया जाए तो कहते हैं

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

मुफ़्त की दा'वत में फ़क़त रोटी ही गोश्त है

मुफ़्त की साधारण वस्तु भी अच्छी होती है

पहले अपनी ही दाढ़ी की आग बुझाई जाती है

पहले अपने लाभ की बात की जाती है फिर दूसरे का ख़याल आता है

मक़दूर की माँ गोड़े ही रगड़ती है

तुम्हारा कुछ ज़ोर नहीं चलेगा, तुम कुछ नहीं बना सकते

यूँ मत जी में जान तू कि मनुख बड़ा जग बीच, याद बिना करतार की है नीचन का नीच

जो ईश्वर को याद नहीं करता बड़ा नीच है चाहे कितना ही बड़ा आदमी हो

घर की मूँछें ही मूँछें हैं

कंगाल आदमी के संबंध में कहते हैं अर्थात घर में कुछ नहीं है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जान ही की पहचान है के अर्थदेखिए

जान ही की पहचान है

jaan hii kii pahchaan haiجان ہی کی پَہْچان ہے

कहावत

जान ही की पहचान है के हिंदी अर्थ

  • मुहब्बत जब तक रहती है जब तक जान सलामत है , जिसे जानते हैं उसे ही पहचान सकते हैं ग़ैर या अजनबी आदमी को क्या पहचानें

جان ہی کی پَہْچان ہے کے اردو معانی

  • محبت جب تک رہتی ہے جب تک جان سلامت ہے ؛ جسے جانتے ہیں اسے ہی پہچان سکتے ہیں غیر یا اجنبی آدمی کو کیا پہچانیں.

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