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और तो और

अन्य चीजों के अलावा, आश्चर्यजनक बात यह है

और नहीं तो

of course, what else? and otherwise

और नहीं तो क्या

यही बात तो है, निश्चित रूप से यही है, बेशक ऐसा ही है

और कुछ नहीं तो

(this or then) if nothing else

अपने से बचे तो और को दें

पहले हक़ स्वजनों का है बाद में दूसरों का

अपने लगे तो पीठ में और के लगे तो भीत में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता

अपने लगे तो पीठ में और के लगे तो भीट में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता

एक तो मीठ और कठौत भर

एक तो बढ़िया चीज़ और उस पर भी बहुत की माँग

अपने लगे तो देह में और के लगे तो भीत में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता

गुड़ चुरावे तो पाप और तिल चुरावे तो पाप

यानी हर हाल में बुराई है या जो शख़्स किसी काम से राज़ी ना हो, चोरी मामूली चीज़ की भी गुनाह है

आँखें तो खुली रह गईं और मर गई बकरी

अप्रत्याशित रूप से किसी घटना का घटित हो जाना, अचानक मौत आ गई

आँखें तो खुली रह गईं और मर गया बकरा

अप्रत्याशित रूप से किसी घटना का घटित हो जाना, अचानक मौत आ गई

तीन पाव भीतर तो देवता और पीतर

आदमी सेर हो तो ईश्वर और बुज़ुर्ग याद आते हैं

आप डूबे तो डूबे और को भी ले डूबे

स्वयं को हानि पहुँचाने के साथ दूसरों को भी हानि पहुँचाई

तो चोरी और उस पर सर ज़ोरी

तसव्वुर करने के बाद ढाई, ग़लती करने के बाद शर्मसारी के बदले दो बद्दू जवाब मुंह ज़ोरी

कहीं तो सूही चुनरी और कहीं ढेले लात

कहीं तो किसी स्त्री को रंगीन साड़ी पहनने को मिलती है और कहीं लात-घूसे खाने को मिलते हैं

कहीं तो सूहा चुनरी और कहीं ढेले लात

कहीं तो किसी स्त्री को रंगीन साड़ी पहनने को मिलती है और कहीं लात-घूसे खाने को मिलते हैं

मर जाएँ तो मक्खी और निकल जाएँ तो शेर

अगर कोई क़ैदी जेल में मर जाये तो एक मक्खी के मर जाने से ज़्यादा एहमीयत नहीं दी जाएगी लेकिन अगर कोई क़ैदी भाग निकलने में कामयाब हुआ तो उसे एक शेर के कटहरे से निकल जाने के बराबर अहम वाक़िया समझा जाएगा

दूध में मिठास मिलाओ तो और भी मज़ा देगा

किसी अच्छी चीज़ में दूसरी अच्छी चीज़ मिलाना अच्छा होता है, दो बेहतर चीज़ों से बेहतरीन का हुसूल होता है . अच्छे ख़ानदानों का मेल बेहतर होता है

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से क़ंद

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

अगर पुरूष एवं स्त्री इकट्ठे हों तो अवश्य संभोग की बारी आती है

जिसका काम उसी को साजे और करे तो ठेंगा

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

कहूँ तो माँ मारी जाए और नहीं तो बाप कुत्ता खाए

हर प्रकार से संकट है, न कहते बनता है न चुप रहते

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से मिला क़ंद

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

किया और कर न जाना, मैं होती तो कर दिखाती

काम पूरा किया परंतु शिष्टता या सभ्यता से नहीं किया, हमारी राय या सुझाव मानते तो यह हानि न होती

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से क़ंद पड़ा

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

जिसका काम उसी को साझे और करे तो मूँगरा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

करा और कर न जाना, मैं होती तो कर दिखाती

काम पूरा किया परंतु शिष्टता या सभ्यता से नहीं किया, हमारी राय या सुझाव मानते तो यह हानि न होती

जिस का काम उसी को साझे और करे तो ठेंगा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

जिस का काम उसी को छाजे और करे तो ठेंगा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

जिस का काम उसी को छाजे और करे तो मूरख बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

सच कहूँ तो माँ मारी जाए और झूट कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

इस मौक़ा पर मुस्तामल जहां सच्च और झूओट् दोनों के इज़हार में मुश्किल पेश आती हो

गुड़ चढ़ाओ तो पाप और तिल चढ़ाओ तो पाप

यानी हर हाल में बुराई है या जो शख़्स किसी काम से राज़ी ना हो, चोरी मामूली चीज़ की भी गुनाह है

मेहमान और बुख़ार को अगर खाना न दो तो फि नहीं आते

फ़ाक़े से बुख़ार में फ़ायदा रहता है और मेहमान को खाना ना मिले तो बार बार नहीं आता

मार खाता जाए और कहे ज़रा मारो तो सही

दुर्बल और शेख़ी बघारने वाला मार खाता है और शेख़ी जता कर फिर मार खाता है

बंजी और बटाउना सुख पावें जिस गाम, वा को तो चौखूंट में करें नेक सरनाम

सौदागर अर्थात व्यापारी और मुसाफ़िर जिस किसी से लाभ उठाएँ उसे सारे मुल्क में सुप्रसिद्ध कर देते हैं

ख़रबूज़ छुरी पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर और छुरी ख़रबूज़े पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर

कमज़ोर की हर तरह शामत है

ख़रबूज़ा छुरी पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर और छुरी ख़रबूज़े पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर

कमज़ोर की हर तरह शामत है

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

जिस का काम उसी को साजे और करे तो मूँगरा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

गुड़ चढ़ाओ तो पाप और तेल चढ़ाओ तो पाप

यानी हर हाल में बुराई है या जो शख़्स किसी काम से राज़ी ना हो, चोरी मामूली चीज़ की भी गुनाह है

आता तो सब ही भला, थोड़ा बहुता, कुच्छ, जाते तो दो ही भले, दालिद्दर और दुःख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

जब भूक लगी भड़वे को तन्दूर की सूझी, और पेट भरा उस का तो फिर दूर की सूझी

जब भूख लगी हो तो खाने की तरफ़ ध्यान होता है परंतु जब पेट भर जाए तो शरारतें सूझती हैं

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आव तो ऐसी तैसी में जाव

چاہے کیسا ہی امیر ہو، اگر اپنے کام نہ آیا تو اس کا ہونا نہ ہونا برابر ہے

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

कोई बुरा काम अगर किसी धनवान से हो तो उसको अच्छा समझा जाता है और वही काम कोई निर्धन व्यक्ति करे तो उस पर लान-तान की जाती है

सावन सोवे साँथरे और माह खरेरी खाट , आप ही मर जाएंगे तो जेठ चलेंगे बाट

जो साइन में पियाल पर सोए और माघ में ख़ाली चारपाई पर और जेठ में सफ़र करे वो ख़्वाहमख़्वाह मरेगा

तुलसी ऐसे मित्र को कूद-फाँद के जाए, आवत ही तो नहीं मिले और चलत रहे मुरझाए

पहले मित्र को बड़ी रूचि से मिलना चाहिए जो हंसता हुआ मिले और जाता हुआ दुखी हो

तुलसी ऐसे मित्र के कोट फाँद के जाए, आवत ही तो हंस मिले और चलत रहे मुरझाए

पहले मित्र को बड़ी रूचि से मिलना चाहिए जो हंसता हुआ मिले और जाता हुआ दुखी हो

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

आता तो सब ही भला थोड़ा बहुत कुछ, जाते दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

आता तो सभी भला थोड़ा बहुत कुछ, जाता बस दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में और तो और के अर्थदेखिए

और तो और

aur to aurاور تو اور

मूल शब्द: और

और तो और के हिंदी अर्थ

  • अन्य चीजों के अलावा, आश्चर्यजनक बात यह है

English meaning of aur to aur

  • other things apart

اور تو اور کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • سارے ذکر در کنار، حیرت کی بات یہ ہے

Urdu meaning of aur to aur

  • Roman
  • Urdu

  • saare zikr darkinaar, hairat kii baat ye hai

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और तो और

अन्य चीजों के अलावा, आश्चर्यजनक बात यह है

और नहीं तो

of course, what else? and otherwise

और नहीं तो क्या

यही बात तो है, निश्चित रूप से यही है, बेशक ऐसा ही है

और कुछ नहीं तो

(this or then) if nothing else

अपने से बचे तो और को दें

पहले हक़ स्वजनों का है बाद में दूसरों का

अपने लगे तो पीठ में और के लगे तो भीत में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता

अपने लगे तो पीठ में और के लगे तो भीट में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता

एक तो मीठ और कठौत भर

एक तो बढ़िया चीज़ और उस पर भी बहुत की माँग

अपने लगे तो देह में और के लगे तो भीत में

दूसरों की परेशानी का किसी को एहसास नहीं होता

गुड़ चुरावे तो पाप और तिल चुरावे तो पाप

यानी हर हाल में बुराई है या जो शख़्स किसी काम से राज़ी ना हो, चोरी मामूली चीज़ की भी गुनाह है

आँखें तो खुली रह गईं और मर गई बकरी

अप्रत्याशित रूप से किसी घटना का घटित हो जाना, अचानक मौत आ गई

आँखें तो खुली रह गईं और मर गया बकरा

अप्रत्याशित रूप से किसी घटना का घटित हो जाना, अचानक मौत आ गई

तीन पाव भीतर तो देवता और पीतर

आदमी सेर हो तो ईश्वर और बुज़ुर्ग याद आते हैं

आप डूबे तो डूबे और को भी ले डूबे

स्वयं को हानि पहुँचाने के साथ दूसरों को भी हानि पहुँचाई

तो चोरी और उस पर सर ज़ोरी

तसव्वुर करने के बाद ढाई, ग़लती करने के बाद शर्मसारी के बदले दो बद्दू जवाब मुंह ज़ोरी

कहीं तो सूही चुनरी और कहीं ढेले लात

कहीं तो किसी स्त्री को रंगीन साड़ी पहनने को मिलती है और कहीं लात-घूसे खाने को मिलते हैं

कहीं तो सूहा चुनरी और कहीं ढेले लात

कहीं तो किसी स्त्री को रंगीन साड़ी पहनने को मिलती है और कहीं लात-घूसे खाने को मिलते हैं

मर जाएँ तो मक्खी और निकल जाएँ तो शेर

अगर कोई क़ैदी जेल में मर जाये तो एक मक्खी के मर जाने से ज़्यादा एहमीयत नहीं दी जाएगी लेकिन अगर कोई क़ैदी भाग निकलने में कामयाब हुआ तो उसे एक शेर के कटहरे से निकल जाने के बराबर अहम वाक़िया समझा जाएगा

दूध में मिठास मिलाओ तो और भी मज़ा देगा

किसी अच्छी चीज़ में दूसरी अच्छी चीज़ मिलाना अच्छा होता है, दो बेहतर चीज़ों से बेहतरीन का हुसूल होता है . अच्छे ख़ानदानों का मेल बेहतर होता है

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से क़ंद

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

आग और ख़स एक-जा हो तो मुमकिन नहीं कि न जले

अगर पुरूष एवं स्त्री इकट्ठे हों तो अवश्य संभोग की बारी आती है

जिसका काम उसी को साजे और करे तो ठेंगा

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

कहूँ तो माँ मारी जाए और नहीं तो बाप कुत्ता खाए

हर प्रकार से संकट है, न कहते बनता है न चुप रहते

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से मिला क़ंद

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

किया और कर न जाना, मैं होती तो कर दिखाती

काम पूरा किया परंतु शिष्टता या सभ्यता से नहीं किया, हमारी राय या सुझाव मानते तो यह हानि न होती

कुछ तो ख़रबूज़ा मीठा और कुछ ऊपर से क़ंद पड़ा

ख़ूबी दूनी हो गई, मज़ा दूना हो गया, सोने पर सुहागा

जिसका काम उसी को साझे और करे तो मूँगरा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

करा और कर न जाना, मैं होती तो कर दिखाती

काम पूरा किया परंतु शिष्टता या सभ्यता से नहीं किया, हमारी राय या सुझाव मानते तो यह हानि न होती

जिस का काम उसी को साझे और करे तो ठेंगा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

जिस का काम उसी को छाजे और करे तो ठेंगा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

टूटी है तो किसी से जुड़ी नहीं और जुड़ी है तो कोई तोड़ सकता नहीं

बीमार आदमी को सांत्वना देने के लिए कहते हैं

जिस का काम उसी को छाजे और करे तो मूरख बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

सच कहूँ तो माँ मारी जाए और झूट कहूँ तो बाप कुत्ता खाए

इस मौक़ा पर मुस्तामल जहां सच्च और झूओट् दोनों के इज़हार में मुश्किल पेश आती हो

गुड़ चढ़ाओ तो पाप और तिल चढ़ाओ तो पाप

यानी हर हाल में बुराई है या जो शख़्स किसी काम से राज़ी ना हो, चोरी मामूली चीज़ की भी गुनाह है

मेहमान और बुख़ार को अगर खाना न दो तो फि नहीं आते

फ़ाक़े से बुख़ार में फ़ायदा रहता है और मेहमान को खाना ना मिले तो बार बार नहीं आता

मार खाता जाए और कहे ज़रा मारो तो सही

दुर्बल और शेख़ी बघारने वाला मार खाता है और शेख़ी जता कर फिर मार खाता है

बंजी और बटाउना सुख पावें जिस गाम, वा को तो चौखूंट में करें नेक सरनाम

सौदागर अर्थात व्यापारी और मुसाफ़िर जिस किसी से लाभ उठाएँ उसे सारे मुल्क में सुप्रसिद्ध कर देते हैं

ख़रबूज़ छुरी पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर और छुरी ख़रबूज़े पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर

कमज़ोर की हर तरह शामत है

ख़रबूज़ा छुरी पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर और छुरी ख़रबूज़े पर गिरे तो ख़रबूज़े का ज़रर

कमज़ोर की हर तरह शामत है

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

जिस का काम उसी को साजे और करे तो मूँगरा बाजे

जिस ने जो काम सीखा है वही उसे अच्छी तरह कर सकता है दूसरे के बस का नहीं

गुड़ चढ़ाओ तो पाप और तेल चढ़ाओ तो पाप

यानी हर हाल में बुराई है या जो शख़्स किसी काम से राज़ी ना हो, चोरी मामूली चीज़ की भी गुनाह है

आता तो सब ही भला, थोड़ा बहुता, कुच्छ, जाते तो दो ही भले, दालिद्दर और दुःख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

जब भूक लगी भड़वे को तन्दूर की सूझी, और पेट भरा उस का तो फिर दूर की सूझी

जब भूख लगी हो तो खाने की तरफ़ ध्यान होता है परंतु जब पेट भर जाए तो शरारतें सूझती हैं

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आव तो ऐसी तैसी में जाव

چاہے کیسا ہی امیر ہو، اگر اپنے کام نہ آیا تو اس کا ہونا نہ ہونا برابر ہے

अमीर ने गू खाया तो दवा के लए और ग़रीब ने खाया तो पेट भर ने के लिए

कोई बुरा काम अगर किसी धनवान से हो तो उसको अच्छा समझा जाता है और वही काम कोई निर्धन व्यक्ति करे तो उस पर लान-तान की जाती है

सावन सोवे साँथरे और माह खरेरी खाट , आप ही मर जाएंगे तो जेठ चलेंगे बाट

जो साइन में पियाल पर सोए और माघ में ख़ाली चारपाई पर और जेठ में सफ़र करे वो ख़्वाहमख़्वाह मरेगा

तुलसी ऐसे मित्र को कूद-फाँद के जाए, आवत ही तो नहीं मिले और चलत रहे मुरझाए

पहले मित्र को बड़ी रूचि से मिलना चाहिए जो हंसता हुआ मिले और जाता हुआ दुखी हो

तुलसी ऐसे मित्र के कोट फाँद के जाए, आवत ही तो हंस मिले और चलत रहे मुरझाए

पहले मित्र को बड़ी रूचि से मिलना चाहिए जो हंसता हुआ मिले और जाता हुआ दुखी हो

गूलर का फूल, पीपल का मद, घोड़ी की जुगाली, कभी न पावे और पावे तो रैन दिवाली

ये बातें ना मुम्किन हैं

सांसा साएं मेट दे और ना मेटे को, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लो

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

आता तो सब ही भला थोड़ा बहुत कुछ, जाते दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

आता तो सभी भला थोड़ा बहुत कुछ, जाता बस दो ही भले दलिद्दर और दुख

जो मिले अच्छा जो जाए बुरा

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

जो कोसत बैरी मरे और मन चितवे धन होय, जल माँ घी निकसन लागे तो रूखा खाए न कोय

अगर कोसने से शत्रु मर जाए, इच्छा से धन प्राप्त हो और पानी से घी निकले तो कोई रूखी न खाए

सांसा साएं मेट दे और न मेटे कोय, जब हो काम संदेह का तो नाम उसी का लेय

ईश्वर के अतिरिक्त कोई संशय दूर नहीं कर सकता, जब कोई ख़तरनाक जुरम करता हो अथवा दुविधा की बात है तो ईश्वर का स्मरण करना चाहिए

आठ गाँव का चौधरी और बारह गाँव का राव, अपने काम न आए तो ऐसी तैसी में जाओ

कोई कैसा ही धनवान अथवा धनी हो जब अपना काम उस से ना निकले तो ऐसे धन-धान्य से क्या लाभ, जिस से कोई लाभ ना हो उस का होना ना होना बराबर है

बारह बरस की कन्या और छटी रात का बर वो तो पीवे दूध है तेरा मन माने सो कर

जब वास्तविकता में पति बुरा है तो स्त्री को अधिकार है जो चाहे सो करे

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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