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yoo hoo

ये है

ये बात है (ताकीद के लिए या किसी चीज़ या बात की एहमीयत बताने के लिए)

ये ही

رک : یہی ، خاص یہ ، ٹھیک یہ ، خصوصاً (اشارئہ قریب کے لیے) ۔

yo-ho

अपनी तरफ़ तवज्जा मबज़ूल कराने के लिए लगाई जाने वाली आवाज़।

यूँ हुआ

(किसी वाक़े के बयान के मौक़ा पर मुस्तामल) इस तरह हुआ, ऐसे हुआ, ये हुआ

यूँ हो जाना

(लाक्षणिक) मर जाना

ये है कि

किसी बात पर ध्यान दिलाने या स्पष्ट रूप से बयान करने के लिए कहते हैं

येह हो चुका

यह नहीं हो सकता, यह नहीं होगा; किसी काम के संभव न होने पर कहते हैं अर्थात नहीं हो सकता इसके साथ ही काम के हो जाने पर भी कहते हैं और जब कोई काम पूरा होने के निकट हो तब भी कहते हैं

ये हे बात ही क्या

कोई अहम बात नहीं है, मामूली बात है, आसान बात है

यूँ ही हो

(دعائیہ کلمہ) خدا کرے اسی طرح ہو ، ایسا ہی ہو ، خدا کرے آج یوں ہی ہو

यूँ से वूँ हो जाना

एक हालत से दूसरी हालत और स्थिति में बदल जाना

यूँ से दूँ हो जाना

एक हालत से दूसरी हालत होजाना, एक स्थिति से दूसरी स्थिति में बदल जाना

यूँ भी हो , वूँ भी

इअस तरह से भी मुम्किन हो इस तरह से भी, यानी दोनों तरह दरुस्त हो (बात वग़ैरा)

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान

अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बल वान

है ये

اصل میں یہ ہے ، اسی طرح ہے کہ ، یوں ہے.

दा'वत है या 'अदावत

मित्रता है या ढकी-छुपी शत्रुता

ये क्या है

ये क्या चीज़ है या क्या जगह है या क्या सूरत-ए-हाल है (उमूमन हैरत के मौक़ा पर मुस्तामल)

जाड़ा रूई से जाना है या दूई से

जाड़े में या तो रज़ाई होनी चाहिए या साथ सोने के लिए बीवी

मर्दों मर्दों में हो पड़ना या होना

आदमीयों में झगड़ा होना

गोरे चमड़े पे न जा ये छछूँदर से बदतर है

गोरे रंग पर रीझना नहीं चाहिए क्योंकि उस की कोई हैसियत नहीं होती है नौजवान आदमी जो रंडी पर आशिक़ हो जाये उसे बतौर नसीहत कहते यहं

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

ख़सम देवर दोनों एक सास के पूत, ये हो या वो हो

पति मर जाए तो देवर से शादी कोई बुरी बात नहीं समझी जाती

ककड़ी का चोर बाँधा या मारा जाता है

बे इंसाफ़ी और ना पुरसान हाली के सबब अदना क़सूर पर बड़ी सज़ा मिलना, अंधेर नगरी चौपट राज होना

ये डाढ़ी धोके की टट्टी है

गो उस की डाढ़ी लंबी है मगर ये सख़्त मुनाफ़िक़ है, लोगों को धोका देने के लिए डाढ़ी रखी हुई है

ये बात शराफ़त से ब'ईद है

शरीफ़ आदमी ऐसी बात नहीं करता

आदमी हो या बे-दाल के बूदम

निपट मूर्ख हो

पेड़ गिनने से मतलब है या आम खाने से

अपने काम से काम रखना चाहिए, व्यर्थ की बातों में उलझना नहीं चाहिए

अल्लाह ने ये दिन दिखाया है

ख़ुशी के मौक़े पर प्रयुक्त

ये वाक़ि'आ है

ये दरुस्त है, ये ठीक है, ये सच्च है

वाक़ि'आ ये है

सत्य यह है, सत्य बात यह है, वास्तव में बात यह है

ये कौड़ी कभी पट पड़ी ही नहीं

यह योजना कभी असफल नहीं हुई, यह चाल हमेशा कारगर हुई है

आदमी हो या पन-शाख़ा

बहुत फिरने वाले और रात दिन घूमने वाले के लिए प्रयुक्त

लकड़ी हो जाना या होना

बहुत दुबला या क्षीण होना (आमतौर पर सूख कर, के साथ प्रयोग किया जाता है)

वाक़ि'आ तो ये है

रुक : वाक़िया ये है

या इधर हो या उधर

एक तरफ़ हो, हिचकिचा नहीं

पेट है या चमड़े की पखाल

۔बहुत ज़्यादा खाने पीने वाले की निसबत कहते हैं।

आदमी हो या घन-चक्कर

बहुत फिरने वाले और रात दिन घूमने वाले के लिए प्रयुक्त

कस नमी पुरसद कि भय्या कौन हो ढाई हो या तीन या पौन हो

जब कोई व्यक्ति दरिद्र हो तो उसकी कोई नहीं पूछता कि तुम कौन हो या तेरी क्या हैसियत है

आदमी हो या बे नून के संग या जानवर

अत्यधिक असभ्य हो

ये कव्वा फँसने की चाल है

मूर्खता की बात है, आफ़त में फँसने के लच्छन हैं

ये कव्वा फँसाने की चाल है

हमाक़त की बात है, आफ़त में मुबतला होने के लच्छन हैं

बात ज़बान या मुँह से निकलना और पराई हो जाना

किसी बात का मशहूर हो जाना, किसी मामले को फैलने से रोकना क़ाबू से बाहर हो जाना

या वहशत तेरा ही आसरा है

रुक : या वहशत

आदमी हो या जानवर

بد تمیزی کرنے والے کو کہتے ہیں

ये ज़ाहिद-ए-मक्कार इधर भी है उधर भी है

दिखावे में तपस्वी या पूजा अर्चना करने वाला लेकिन दरपर्दा कपटी या मक्कार है

आदमी हो या बूदम-ए-बेदाल

آدمی ہو یا الو، مذاقاً کہتے ہیں

ये टाँग खोलो तो लाज है वो टाँग खोलो तो लाज है

जब दोनों बातों में बदनामी और रुसवाई हो उस वक़्त मुस्तामल है यानी दोनों तरह बदनामी है

या अल्लाह तौबा है

अल्लाह की पनाह , ए अल्लाह में तौबा करता हूँ, किसी हालत या मुसीबत से नजात पाने के लिए या आजिज़ी के मौक़ा पर बोला जाता है

ये साफ़ साफ़ है

वास्तविकता में यही बात है, इस में कुछ लगी लिपटी नहीं है, यह स्पष्ट है, इसमें कोई शक नहीं है

मैं हूँ या ख़ुदा की ज़ात है

एकांत या लाचारी प्रकट करने के लिए बोलते हैं

ये वक़्त और है

वक़्त गुज़र जाने के बाद पिछले वक़्त को याद करते हुए कहते हैं, अच्छे दिनों को याद करते हुए कहते हैं

आदमी हो या चोंच

बहुत फिरने वाले और रात दिन घूमने वाले के लिए प्रयुक्त

ये भी ख़ुदाई है

यह भी ईश्वर की महिमा है, यह भी ईश्वर का करना है, ईश्वर के करने से ऐसा भी संभव हुआ है

ये दिन सब को धरा है

सब को एक दिन ज़रूर मरना है, यह दिन सब के लिए है

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

ये गूए और ये मैदान है

आइये अभी प्रतियोगिता हो जाये, अर्थात जब कोई सामर्थ्य से बढ़कर दावा करता है तो उसे नीचा दिखाने के लिए कहते हैं

ये दिन सब के वास्ते है

सब को मरना है, यह दिन सब के लिए है

पेट है या बे-ईमान की क़ब्र

बहुत बड़े पेट वाले को मज़ाक़ में कहते हैं

yoo hoo के लिए उर्दू शब्द

yoo hoo

ˈjuː.huː

yoo hoo के देवनागरी में उर्दू अर्थ

विस्मयादिबोधक

  • दूसरे शख़्स की तवज्जोह मबज़ूल कराने या उसे बुलाने के लिए मुस्ता'मल कलिमा-ए-फ़िजाइय्या

yoo hoo کے اردو معانی

فجائیہ

  • دوسرے شخص کی توجہ مبذول کرانے یا اسے بلانے کے لیے مستعمل کلمۂ فجائیہ

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yoo hoo

ये है

ये बात है (ताकीद के लिए या किसी चीज़ या बात की एहमीयत बताने के लिए)

ये ही

رک : یہی ، خاص یہ ، ٹھیک یہ ، خصوصاً (اشارئہ قریب کے لیے) ۔

yo-ho

अपनी तरफ़ तवज्जा मबज़ूल कराने के लिए लगाई जाने वाली आवाज़।

यूँ हुआ

(किसी वाक़े के बयान के मौक़ा पर मुस्तामल) इस तरह हुआ, ऐसे हुआ, ये हुआ

यूँ हो जाना

(लाक्षणिक) मर जाना

ये है कि

किसी बात पर ध्यान दिलाने या स्पष्ट रूप से बयान करने के लिए कहते हैं

येह हो चुका

यह नहीं हो सकता, यह नहीं होगा; किसी काम के संभव न होने पर कहते हैं अर्थात नहीं हो सकता इसके साथ ही काम के हो जाने पर भी कहते हैं और जब कोई काम पूरा होने के निकट हो तब भी कहते हैं

ये हे बात ही क्या

कोई अहम बात नहीं है, मामूली बात है, आसान बात है

यूँ ही हो

(دعائیہ کلمہ) خدا کرے اسی طرح ہو ، ایسا ہی ہو ، خدا کرے آج یوں ہی ہو

यूँ से वूँ हो जाना

एक हालत से दूसरी हालत और स्थिति में बदल जाना

यूँ से दूँ हो जाना

एक हालत से दूसरी हालत होजाना, एक स्थिति से दूसरी स्थिति में बदल जाना

यूँ भी हो , वूँ भी

इअस तरह से भी मुम्किन हो इस तरह से भी, यानी दोनों तरह दरुस्त हो (बात वग़ैरा)

यूँ मत जाने बावरे कि पाप न पूछे कोय, साईं के दरबार में इक दिन लेखा होय

मूर्ख ये न समझ कि पाप को कोई नहीं पूछेगा ईश्वर के समक्ष एक दिन हिसाब देना होगा

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान

अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बल वान

है ये

اصل میں یہ ہے ، اسی طرح ہے کہ ، یوں ہے.

दा'वत है या 'अदावत

मित्रता है या ढकी-छुपी शत्रुता

ये क्या है

ये क्या चीज़ है या क्या जगह है या क्या सूरत-ए-हाल है (उमूमन हैरत के मौक़ा पर मुस्तामल)

जाड़ा रूई से जाना है या दूई से

जाड़े में या तो रज़ाई होनी चाहिए या साथ सोने के लिए बीवी

मर्दों मर्दों में हो पड़ना या होना

आदमीयों में झगड़ा होना

गोरे चमड़े पे न जा ये छछूँदर से बदतर है

गोरे रंग पर रीझना नहीं चाहिए क्योंकि उस की कोई हैसियत नहीं होती है नौजवान आदमी जो रंडी पर आशिक़ हो जाये उसे बतौर नसीहत कहते यहं

ज़ुलैख़ा पढ़ी पर ये न जाना 'औरत है या मर्द

किसी बात या घटनाक्रम को प्रारंभ से अंत तक सुनना या पढ़ना किन्तु इस पर बिल्कुल ध्यान न देना

ख़सम देवर दोनों एक सास के पूत, ये हो या वो हो

पति मर जाए तो देवर से शादी कोई बुरी बात नहीं समझी जाती

ककड़ी का चोर बाँधा या मारा जाता है

बे इंसाफ़ी और ना पुरसान हाली के सबब अदना क़सूर पर बड़ी सज़ा मिलना, अंधेर नगरी चौपट राज होना

ये डाढ़ी धोके की टट्टी है

गो उस की डाढ़ी लंबी है मगर ये सख़्त मुनाफ़िक़ है, लोगों को धोका देने के लिए डाढ़ी रखी हुई है

ये बात शराफ़त से ब'ईद है

शरीफ़ आदमी ऐसी बात नहीं करता

आदमी हो या बे-दाल के बूदम

निपट मूर्ख हो

पेड़ गिनने से मतलब है या आम खाने से

अपने काम से काम रखना चाहिए, व्यर्थ की बातों में उलझना नहीं चाहिए

अल्लाह ने ये दिन दिखाया है

ख़ुशी के मौक़े पर प्रयुक्त

ये वाक़ि'आ है

ये दरुस्त है, ये ठीक है, ये सच्च है

वाक़ि'आ ये है

सत्य यह है, सत्य बात यह है, वास्तव में बात यह है

ये कौड़ी कभी पट पड़ी ही नहीं

यह योजना कभी असफल नहीं हुई, यह चाल हमेशा कारगर हुई है

आदमी हो या पन-शाख़ा

बहुत फिरने वाले और रात दिन घूमने वाले के लिए प्रयुक्त

लकड़ी हो जाना या होना

बहुत दुबला या क्षीण होना (आमतौर पर सूख कर, के साथ प्रयोग किया जाता है)

वाक़ि'आ तो ये है

रुक : वाक़िया ये है

या इधर हो या उधर

एक तरफ़ हो, हिचकिचा नहीं

पेट है या चमड़े की पखाल

۔बहुत ज़्यादा खाने पीने वाले की निसबत कहते हैं।

आदमी हो या घन-चक्कर

बहुत फिरने वाले और रात दिन घूमने वाले के लिए प्रयुक्त

कस नमी पुरसद कि भय्या कौन हो ढाई हो या तीन या पौन हो

जब कोई व्यक्ति दरिद्र हो तो उसकी कोई नहीं पूछता कि तुम कौन हो या तेरी क्या हैसियत है

आदमी हो या बे नून के संग या जानवर

अत्यधिक असभ्य हो

ये कव्वा फँसने की चाल है

मूर्खता की बात है, आफ़त में फँसने के लच्छन हैं

ये कव्वा फँसाने की चाल है

हमाक़त की बात है, आफ़त में मुबतला होने के लच्छन हैं

बात ज़बान या मुँह से निकलना और पराई हो जाना

किसी बात का मशहूर हो जाना, किसी मामले को फैलने से रोकना क़ाबू से बाहर हो जाना

या वहशत तेरा ही आसरा है

रुक : या वहशत

आदमी हो या जानवर

بد تمیزی کرنے والے کو کہتے ہیں

ये ज़ाहिद-ए-मक्कार इधर भी है उधर भी है

दिखावे में तपस्वी या पूजा अर्चना करने वाला लेकिन दरपर्दा कपटी या मक्कार है

आदमी हो या बूदम-ए-बेदाल

آدمی ہو یا الو، مذاقاً کہتے ہیں

ये टाँग खोलो तो लाज है वो टाँग खोलो तो लाज है

जब दोनों बातों में बदनामी और रुसवाई हो उस वक़्त मुस्तामल है यानी दोनों तरह बदनामी है

या अल्लाह तौबा है

अल्लाह की पनाह , ए अल्लाह में तौबा करता हूँ, किसी हालत या मुसीबत से नजात पाने के लिए या आजिज़ी के मौक़ा पर बोला जाता है

ये साफ़ साफ़ है

वास्तविकता में यही बात है, इस में कुछ लगी लिपटी नहीं है, यह स्पष्ट है, इसमें कोई शक नहीं है

मैं हूँ या ख़ुदा की ज़ात है

एकांत या लाचारी प्रकट करने के लिए बोलते हैं

ये वक़्त और है

वक़्त गुज़र जाने के बाद पिछले वक़्त को याद करते हुए कहते हैं, अच्छे दिनों को याद करते हुए कहते हैं

आदमी हो या चोंच

बहुत फिरने वाले और रात दिन घूमने वाले के लिए प्रयुक्त

ये भी ख़ुदाई है

यह भी ईश्वर की महिमा है, यह भी ईश्वर का करना है, ईश्वर के करने से ऐसा भी संभव हुआ है

ये दिन सब को धरा है

सब को एक दिन ज़रूर मरना है, यह दिन सब के लिए है

चौधरी हो या राव जब काम न दे ऐसी तैसी में जाओ

कोई बड़े से बड़ा हो जब काम ना आया तो निकम्मा है

ये गूए और ये मैदान है

आइये अभी प्रतियोगिता हो जाये, अर्थात जब कोई सामर्थ्य से बढ़कर दावा करता है तो उसे नीचा दिखाने के लिए कहते हैं

ये दिन सब के वास्ते है

सब को मरना है, यह दिन सब के लिए है

पेट है या बे-ईमान की क़ब्र

बहुत बड़े पेट वाले को मज़ाक़ में कहते हैं

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