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आठ बार नौ त्योहार

सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता

चमनिस्तान

ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़

'औरत

जाया, भार्या, पत्नी, जोरू

ताग़ूत

शैतान, अत्यन्त निर्दय और अत्याचारी व्यक्ति

मन-भावन

मन को भाने या अच्छा लगने वाला

दादरा

संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल

मज़दूर

शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर

ख़ैर-अंदेश

भलाई की बात सोचने वाला, वह शख़्स जो किसी की भलाई चाहे, शुभचिंतक

दूध-शरीक बहन

ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन

रिसाई

दुख और मौत से संबंधित, शोकयुक्त

ज़र्फ़

बर्तन

तिहाई

किसी वस्तु के तीन समान भागों में कोई एक भाग, तीसरा अंश, भाग या हिस्सा, तीसरा हिस्सा

ला'नत

धिक्कार, फटकार, भर्त्सना, अभिशाप, शाप

क़हर ढाना

किसी के लिए संकट पैदा करना, संकटग्रस्त बनाना, किसी पर कोई आफ़त लाना, ज़ुल्म करना, क़हर तोड़ना

चले न जाए आँगन टेढ़ा

काम में कुशल न होने पर दूसरे पर आरोप मढ़ना

आगे नाथ न पीछे पगा

जिसके आगे-पीछे कोई न हो, जिसका अपना कोई न हो, असहाय, लावारिस, अकेला

साहिर

जादूगर, वह व्यक्ति जो जादू दिखाता हो

कुड़माई

शादी के पूर्व रिश्ता पक्का करने के लिए की जाने वाली रस्म, सगाई, शादी तै करना, रिश्ता करना

नज़र-भर देखना

पूरी तरह से देखना, ध्यान से देखना

ख़्वाजा-ताश

एक स्वामी के दास, जो आपस में ख्वाजःताश कहलाते हैं

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'अक़्ल

बुद्धि, धी, प्रज्ञा, मेधा, सूझ-बूझ, चतुरता, होशयारी, विवेक, तमीज़

'अक़्स

बटना, लपेटना(अरूज़) ज़हाफ़ात मुरक्कब मुलक़्क़बा में से एक ज़हाफ़ ये नुक़्स और अज़ब के इज्तिमा का नाम है और सदर-ओ-इब्तिदा के वास्ते मख़सूस है जिस रुक्न में पहले वतद मजमूअ फिर सबब स्केल फिर सबब ख़फ़ीफ़ हो तो उसके हर्फ़ पंजुम को साकिन करना और हर्फ़ हफ़तुम-ओ-अव़्वल को साक

अख़्रब

उर्दू छंदशास्त्र में ‘मफ़ाईलुन्’ में से ‘म’ और ‘न’ गिराकर ‘फ़ाईल' करके ‘मफ़्ऊल्’ बनाना।

अज़ाहीफ़

अज़हाफ़ को बहुवचन, जो ज़िहाफ़ का बहुवचन है, उर्दू छंदों के गणों के परिवर्तन

'अतीक़

बंधनमुक्त, आज़ाद

अफ़ा'ईल

काम जो किसी इंसान या जानवर के द्वारा किए जाएँ, मात्राएँ अथवा गतियाँ

अबतर

अस्तव्यस्त, तितर-बितर, दुर्दशा- ग्रस्त, बदहाल।

'अमीक़

गूढ़, दूर तक प्रभावित होने वाला

अरकान

खंभे, सुतून

अरकान-ए-हश्त-गाना

उर्दू छंद शास्त्र के आठ भाग फ़ाइलुन, फ़ऊलुन, फ़ाइलातुन, मुस्तफ़इलुन, मफ़ाईलुन, मुतफ़ाइलुन, मफ़ाइलतुन, मफ़ऊलात) जिन से बहरों का निर्धारण होता है

'अरज

लँगड़ापन, लंग

'अरूज़िया

उरूज़ (छंद) से संबंधित या संबद्ध

'अरूज़ी

उरूज़ से संबद्ध या संबंधित, उरूज़ (पिंगल-शास्त्र) का

अलिफ़-ए-तासीस

(छन्द शास्त्र) क़ाफ़ीए(कविता या पद्य में अंतिम चरणों में मिलाया जानेवाला अनुप्रास) में हर्फ़-ए- रवी (अनुप्रास में जिस अक्षर की बारंबारता) से पूर्व का अलिफ़, जैसे, ग़ालिब, तालिब, आक़िल, ग़ाफ़िल आदि का अलिफ

अश्तर

(छंद शास्त्र) वह बड़ा भाग जिसमें दो ताज़ा गिरावट और सिकुड़न जमा हो जाएं, वह " मुफ़ाईलुन " जिसका पहला अक्षर ख़ुर्म के द्वारा और पांचवां अक्षर सिकुड़न के द्वारा गिरा दिया जाये (जिसके बाद फ़ाइलुन रह जाता है)

'असब

(छंदशास्त्र) मफ़ाइलतुन के 'लाम' को निष्क्रिय करने की क्रिया

अस्बाब

उपकरण अथवा यंत्र

अहतम

(उरूज़) वो रुकन जिस में अव्वल ज़हाफ़ि हज़फ़ से सबब ख़फ़ीफ़ गिराया जाये, फिर बाक़ीमांदा में ज़हाफ़ि क़सर से सबब ख़फ़ीफ़ के हर्फ़ साकन को गिरा कर इस के माक़बल को साकन करदें, जैसे मुफ़ाईलन से अव्वल मुफ़ाई बनाईं, फिर मुफ़ाइ बरोज़न फाइल बना लें

आज़ाद-नज़्म

मुक्त छंद, उर्दू शायरी की वह विधा जिसमें रदीफ़ काफ़िये की पाबंदी न हो

आसारियत

(फ़लसफ़ा) वो नज़रिया है जिस में सूरी मवाद इलम एक मज़हर या असर है यानी कोई ऐसी शैय जो अज़रवे मौज़ू-ओ-मारूज़ दोनों तरह से मुक़य्यद और मशरूत है

इक्फ़ा

आवश्यकता के अनुरूप होना, क़ाफ़िये का एक दोष जिसमें दो ऐसे अक्षरों का क़ाफ़िया होता है जो उच्चारण में समीपवर्ती हो, जैसे : 'अगर' का क़ाफ़िया पकड़, 'तब' का क़ाफ़िया तप लाएंगे तो ये क़ाफ़िये का एक बड़ा ऐब है

'इज्ज़

असमर्थता, बेबसी, कमज़ोरी, नाताक़ती

इज़्मार

मुज़म्मिर होना, एक बात में दूसरी बात मख़फ़ी होना

इन्फ़िकाक

क़ानून: नक़द धन की अदाई आदि पर गिरवी आदि का समाप्त होना, गिरवी रखी गई संपत्ति को छुड़ाना

'इल्लत

(तसव़्वुफ) तनबीहा हक़ को कहते हैं जो बंदे के वास्ते है ख़ाह वो किसी सबब से हो या नहू

उमूर-ए-'आम्मा

जनसाधारण के हित सम्बन्धी कार्य।।

उसूल

आदर्श, जड़ें, आधार

उसूल-ए-अफ़ा'ईल

रुक : उसूल नम्बरा (उरूज़)

औज़ान

तौलने के नापने या मापने का उपकरण, बाट

औताद

(लाक्षणिक) स्तंभ

क़त'

काटना, पृथक् करना, विच्छेद

क़त्फ़

फल आदि बीनना, मेवा चुनना।

क़ैद

घुटन, क़ब्ज़ा

क़ब्ज़

क़ब्ज़ा, हस्तक्षेप, पकड़ना, अपने अधिकार में लाना

कबीर

बड़ा, महान, श्रेष्ठ, उत्तम, आ'ला

क़रीब

पास, निकट

क़लीब

पुराना कूआं, कच्चा कूआं

क़स्र

(उरूज़) रुकन का आख़िरी साकन गिरा कर ओस सा कण से पेशतर वाले हर्फ़ मुतहर्रिक को सा कुन कर देता

क़ाफ़िया

(छंद) कविता या पद्य में अंतिम चरणों में मिलाया जाने वाला अनुप्रास, एक ही अक्षर पर ख़त्म होने वाले शब्द, अंत्यानुप्रास, तुक, सज, तुकांत शब्द

ख़ज़म

(उरूज़) बैत . . . में मिसरा अव़्वल के आग़ाज़ पर एक हर्फ़ मुतहर्रिक या दो . . . बैत के मानी पूरे करने के लिए बढ़ा देते हैं वो ख़ज़िम कहलाता है

ख़ज़िल

(उरूज़) ये इज़मार वती के इजतिमा का लक़ब है यानी पहले जिस रुकन में फासला-ए-सुग़रा हो फिर-ओ-तद् मजमू तो ओस रुकन के मुतहर्रिक दोम को सा कुन करके रुकन के छोथे साकन को साक़ित करना ख़िज़ल वाला रुकन मख़ज़ूल कहलाता है

ख़फ़ीफ़

हल्का, कम (भार में)

ख़ब्नन

छंदःशास्त्र के अनुसार किसी ‘गण’ का दूसरा अक्षर जो हल् हो, उसे गिरा देना, जैसे--‘फ़ाइलातुन’ से ‘फ़ेलुन' बनान

ख़बब

नदी का मौजे मारना, घोड़े का कभी इस पाँव और कभी उस पाँव पर खड़ा होना।।

ख़ब्ल

(उरूज़) ग़ैर मुतहर्रिक या साकन हुरूफ़ को जो दूसरे और चौथे नंबर पर हूँ गिरा देने का अमल

ख़ुर्म

नथना छेदना, काटकर कम करना, किसी ‘गण’ का पहला अक्षर गिराना, जैसे-‘फ़ऊलुन्' से ऊलुन करके ‘फ़अलुन्' बनाना।

ख़ल'

(चिकित्सा) किसी अंग को अपने स्थान से विचलित हो जाना या शरीर के किसी जोड़ का स्थान से हटना (विशेषतः हड्डी)

ख़ल्त

मिलाना, मिश्रित करना, मिश्रण, मिलावट

ग़ुलू

बढ़ा चढ़ा कर बताना, ऐसी अत्युक्ति जो न बुद्धि के अनुसार ठीक हो न प्राकृतिक हो, अति करना, हद से गुज़र जाना, शूरू गोगा, ग़लग़ला, चर्चा, जवानी की शुरूआत और जोश, ज़ोर

गिर पड़ना

परिंदे का नीचे उतर आना

गिरना

(उरूज़) किसी मिसरा में एक हर्फ़ का वज़न से ख़ारिज हो जाना

जज़

(उरूज़) एक ज़हाफ़ि : वतद मजमू को साख़त करना, उसे उमूमन हुज़ुज़ कहते हैं

जुज़

(उरूज़) हरकात-ओ-सकनात तकतीअई के बाहम मुरक्कब होने से जो लफ़्ज़ बनता है इस का नाम जुज़ है

जद'

जिस पर किसी प्रकार का आघात हुआ हो।

जमम

(लफ़ज़न) मर्द का लड़ाई में बे नेज़ा होना

ज़र्ब

मारपीट, मारना

जहफ़

(उरूज़) ज़हाफ़ात मुरक्कब मुलक़्क़बा में से एक क़िस्म, ये इजतिमा हज़फ़-ओ-हुज़ुज़ है और अवाख़िर मसह रुबा के वास्ते ख़ास है

ज़िहाफ़

(छंदशास्र) दो अक्षरों के बीच से एक अक्षर को कम करना, छंद के गणों में से मात्राओं की कमी

तक़्ती'

(चिकित्सा) तोड़ना, टूटना, कटना, फाड़ना, फटना

तक़्ती'-ए-ग़ैर-हक़ीक़ी

(उरूज़) तक़ती हक़ीक़ी के मुख़ालिफ़ यानी हुरूफ़ मुक्तूबी ग़ैर मलफ़ूज़ी तक़ती से सालत कर दिए जाते हैं और हुरूफ़ मलफ़ूज़ी ग़ैर मुक्तूबी दाख़िल कर लिए जाते हैं

तक़्ती'-ए-हक़ीक़ी

(उरूज़) तक़ती हक़ीक़ी उस को कहते हैं कि तक़ती में बहर के रुकन मुताबिक़-ओ-सेहीह आएं

तक़ारुब

(उरूज़) एक बहर का नाम जिस का वज़न सालिम फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन है, बहर-ए-मुतक़ारिब

तफ़ा'ईल

(उरूज़) बुहूर के अरकान, ओज़ान उरूज़

तम्स

(उरूज़) जब वतद मजमू रुकन उरूज़-ओ-ज़रब के आख़िर में बाद सबब-ए-ख़फ़ीफ़ के वाक़्य हो जैसे मसतफ़ालन में तो इस वतद का फ़क़त साकन बहाल रखना बाक़ी गिरा देना

तय

निर्णीत, फैसल, परिपक्व, पुख्ता, समाप्त, ख़त्म, निश्चित, यक़ीनी, यमन (अरब) का एक वंश जिसमें ‘हातिम’ हुआ है।

तर्फ़ील

दामन खेकंचा, दराज़ करना, बुज़ुर्ग करना, (उरूज़) बहर-ए-कामिल में रुकन मुतफ़ाइलन में सबब का बढ़ाना ताके मुतफ़ाइलातन हो जिए में रुकन मुतफ़ाइलन के सात ज़हाफ़ात में से एक ज़हाफ़ि है

तर्सी'

तज़ईन,तर्तीब देना,(पीरे और नगीने वग़ैरा को) जुड़ना,मुरत्तिब और दरुस्त हालत में रखना

तवील

दीर्घ, लंबा

तश'ईस

(उरूज़) इजतिमा ख़बन-ओ-तसकीन का नाम (जब दो सबब ख़फ़ीफ़ के दरमयान में-ओ-तद् मजमू आजाए पहले बामल ख़बन साकन सबब अव्वल गिरा देना फिर तीन मुतहर्रिक हा सिला के दरमयानी हर्फ़ को साकन कर देना)

तस्कीन

(सूफ़ीवाद) उस विनम्र दिल का नाम है, जो बहुत परेशानी और चिंता के बाद मालिक पर ईश्वर की ओर से प्रकट होती है और सुकून प्रदान करती है

तहरीक

वरग़्लाना, बहकाना

ताम

चित्त या मन का विकार। मनोविकार।

तासीस

(उरूज़) वो साकन अलिफ़ जिस के और हर्फ़ रवी के दरमयान एक मुतहर्रिक हर्फ़ वास्ता हो जैसे ख़ावर और बावर का अलिफ़

तिर्भंगा

रुक : तर भन (ब), (बंदी उरूज़) एक किस्म की बहर या वज़न

तिर्भंगी

एक मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में 32 मात्राएँ होती हैं और 10, 8, 8, 6, मात्राओं पर यति होती है

दख़ील

जिसे प्रवेश मिल चुका हो या प्रवेश पा चुका हो, घुसा हुआ

दबना

दाबना (रुक) का लाज़िम

नक़्स

त्रुटि, दाग़, धब्बा

नेवर

धुंघरू।

नस्बीग़

(लुगवी मानी) तमाम करना, (उरूज़) एक ज़हाफ़ि का नाम यानी एक सबब ख़फ़ीफ़ क बीच में जो आख़िर रुकन में वाक़्य हुआ हो अलिफ़ ज़्यादा करना पस मुफ़ाईलन से मुफ़ाईलान होगया, ये ज़हाफ़ि अपने असली रुकन के हमूज़न गिना जाता है और हमेशा मिसरा के आख़िर में आता है

नह्र

(कन्नायन), अल्लाह की राह में जानवर ज़बह करने का अमल, क़ुर्बानी

नाइरा

(उरूज़) हुरूफ़ क़ाफ़िया में से आख़िरी सिरे पर आने वाला हर्फ़, हर्फ़ रवी के बाद आने वाले चार ज़ाइद हुरूफ़ में से चौथा और आख़िरी हर्फ़, हर्फ़ रवी , वस्ल, जज़वा और मज़ीद के बाद का हर्फ़ जो बिला फ़सल आए

ना-मौज़ूँ

जो पद किसी छंद या अलंकर के अंतर्गत न आते हो

प्रमदा

युवा चरित्रहीन स्त्री

पाद

पुस्तक का विशेष अंश

फ़र'

शाख़, टहनी, पेड़ की डंठल

फ़ुरू'

(इल्म-ए-उरूज़) अरकान-ए-मज़ा जफ़-ओ-ओज़ान-ए-मज़ाहफ़ा को फ़रवा कहते हैं

फ़ाज़िला

(उरूज़) वो पंच हर्फ़ी लफ़्ज़ जिस के पहले चार हर्फ़ मुतहर्रिक और आख़िरी हर्फ़ साकन हो

फ़ासला-दार

(उरूज़) वो रुकन जिस में फ़ासिला वाला लफ़्ज़ या अलफ़ाज़ हूँ

फ़ासिला

समय

बरा-ए-बैत

व्यर्थ, फ़ुज़ूल

बसीत

बहर, तहती अलफ़ाज़, बहर-ए-बसीत

बहर

(नदी) समुद्र, समुद्र का वह टुकड़ा जो तीन ओर से स्थल से घिरा हो, खाड़ी

बहर-ए-कामिल

(छंद शास्त्र) कलाम मंजूम या शे'र का वो आहंग जिसका हर मिसरा ' मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन, के वज़न पर हो (सालिम और ज़हाफ़ के साथ दोनों तरह प्रयुक्त)

बहर-ए-ख़फ़ीफ़

इसकी शाखाएँ प्रचलित हैं, (सगु + जगु -सगु=॥5,5+ISI,5+॥s,s) शेर में दो बार।।

बहर-ए-जदीद

छंदशास्त्र - शायरी में प्रयुक्त एक नया छंद

बहर-ए-तक़ारुब

(उरूज़) रुक : बहर-ए-मुतक़ारिब

बहर-ए-बसीत

विशालकाय समुद्र

बहर-ए-मुक़्तज़िब

प्रचलित | (रल + भगु = SIS, + s॥,S) चार बार।।

बहर-ए-मुज्तस

बहुत चालू है, शाखाएँ भी (जगु + सगु = \SI,5+ ॥s,s) चार बार।।

बहर-ए-मुतक़ारिब

बहुत चालू है, (य=Iss) आठ बार भुजंगप्रयात ।

बहर-ए-मुतदारिक

बहुत चालू है (र=sis) आठ बार।

बहर-ए-मदीद

अ. स्त्री. कम व्यवहृत है, शाखाएँ व्यवहृत है, (रगु+र+रगु+र=SIS,s+s\s+siss sis) दो बार।।

बहर-ए-मुशाकिल

चालू नहीं, (रल+यगु+यगु=sis,+।ऽऽ,5+।ऽऽ,5) दो बार, इसकी शाखाएँ भी बहुत चालू हैं।

बहर-ए-मुंसरिह

बहुत व्यवहृत है। इसकी शाखाएँ भी (भगु+रल=S॥,5+IS,I) चार बार।

बहर-ए-वाफ़िर

इसकी शाखाएँ चालू हैं, स्वयं बहुत कम है (जलगु=|SI,1,5) आठ बार।।

बहर-ए-हज़ज

बहुत चालू, इसकी शाखाएँ भी बहुत चालू हैं,रुबाई इसी से निकली है (यगु= ।ऽऽ,5) आठ बार।

भगन

(उरूज़) एक बहर या वज़न

मु'अर्रा

जो पाबंद या अनुशासित न हो

मु'अश्शर

काव्य: एक कविता जिसके छंद में दस पंक्ति होती हैं जो बहर-ए-मुतक़ारिब के वज़न पर होता है

मुअस्सिसा

मोसिस (रुक) की तानीस , (उरूज़) वो क़ाफ़िया जिस में हर्फ़ तासीस हो यानी वो अलिफ़ साकन जो रवी से पहले आए और इसी अलिफ़-ओ-रवी के दरमयान एक हर्फ़ मुतहर्रिक वास्ता हो जैसे कामिल और आक़िल का अलिफ़

मु'आक़बा

(उरूज़) जब दो सबब ख़फ़ीफ़ के दो साकन मतवाली तुमको मिलें ।।।।। अगर दोनों की बहाली जायज़ हुई और साथ ही दोनों में से एक का सुकूत भी जायज़ हुआ तो इसी तरह के सबूत-ओ-सुकूत मिआ का नाम मुआक़िबा है मसलन तुम को इख़तियार है कि मुफ़ाईलन के अस्बाब के साकनों को ना गिराओ और मुफ़ाईलन सालिम कहो ।।।।। उल-ग़र्ज़ मुआक़िबा भी हुक्म का नाम है

मक़तू'

(उक़्लीदस) ख़त या ज़िला जो काटा या क़ता किया गया हो

मुक़तज़ब

काटा हुआ, दे. 'बहे मुक्तज़ब' ।।

मक्फ़ूफ़

पैराहन लपेटा हुआ

मंक़ूस

जिसमें नक़्श हो، जिसका कोई भाग कम किया जाये, घटाया हुआ

मक़सूर

(उरूज़) वो रुकन जिस में ज़हाफ़-ए-क़सर वाक़्य हो

मुज्तस

उन्मूलित, जड़ से उखाड़ा हुआ, दे. ‘बल्ले मज्तस'।

मजरा

जारी होने की जगह, बहने का स्थान, नदी या दरिया का रास्ता, नहर, नाली, (खगोलीय) परिक्रमा, चक्कर

मुज़ारे'

(उरूज़) एक बहर का नाम जो बहर-ए-मुंसरेह और बहर हज़ज से मुशाबेह है, मनसरह से इस लिए मुशाबेह है कि दोनों बहरों में जुज़ु दोम वतद मफ़रूक़ पर मुश्तमिल है और हज़ज से इस लिए मुशाबेह है कि इन दोनों बहरों के अरकान में औताद अस्बाब पर मुक़द्दम हैं, वज़न, मुफ़ाईल फाइलातुन मुफ़ाईलन फाइलातुन

मुज़ाहफ़

(उरूज़) वो (रुकन) जो सालिम ना रहा हो और इस में ज़हाफ़ि वाक़्य हो, वो कि जो अपनी असली हालत में ना रहा हो और इस में तग़य्युर किया गया हो, वो मिसरा या शेअर जिस में ज़हाफ़ि वाक़्य हुआ हो

मुज़ाहफ़ात

(उरूज़) मज़ाहिफ़ (रुक) की जमा , वो बहरें जिन में ज़हाफ़ि वाक़्य हुआ हो

मुतक़ारिब

(उरूज़) अनीस (१९) बहरों में से एक बहर का नाम जिस का वज़न फ़ाइलुन (आठ बार) है (वजह तसमीया ये है कि इस बहर में हर रुकन ख़ुमासी है और सब अरकान छोटे छोटे होने के बाइस नज़दीक नज़दीक वाक़्य हैं)

मुत्तफ़िक़ा

जिस पर सहमति हो, जिस पर सभी एक मत हों, जिस बात या विषय या कार्य से इत्तिफ़ाक़ किया जाए

मुतदारिक

۔(ए।लुगवी मानी मिलने वाला) मुअन्नस।एक बहरा उरूज़ का नाम जो बाद को इजाद होकर पहली बहरों में शामिल की गई

मुतफ़ा'इलुन

(छंदशास्त्र) बहरों के स्तंभों अथवा अत्यावश्यक भागों में से एक भाग

मुतर्रिद

(उरूज़) बहुत, ज़्यादा

मुतराकिब

उरूज़: शांत और गतिशील अक्षर के तौर से क़ाफ़ीए की पाँच किस्मों में से एक का नाम

मतला'

आकाश पर जहाँ सूरज चाँद उभरते हैं

मुतवातिर

वो छंदोबद्ध जिसमें एक गतिशील अक्षर दो गतिहीन अक्षरों की मध्य में आएं, जैसे मफाएलीन में 'ऐन और लाम

मत्वी

उरूज़: वो रुकन जिसमें 'ते' आए

मदीद

(लाक्षणिक) दीर्घ, ज़्यादा, अधिक (प्रायः अवधि के लिए प्रयुक्त)

मुन'अकिसा

उलटा, बरअक्स, बरख़िलाफ़

मुन'अलिक़ा

लटका हुआ, झूलता हुआ; (पिंगल) एक छंद विद्या का नाम

मनहूक

(उरूज़) वो (बैत या बहर) जिस की वाफ़ी के हर मिसरे में से दो तिहाई के बराबर अरकान निकाल कर इस्तिमाल करें

मनहूर

ज़बह क्या हुआ , (उरूज़) एक ज़हाफ़ मुरक्कब, वो रुकन जिस में सल्लम और हज़फ़ जमा हूँ

मनहरन

पन्द्रह अक्षरों का एक वर्णिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में पाँच सगण होते हैं, इसे नलिनी और भ्रमरावली भी कहते हैं

मफ़'ऊलुन

(उरूज़) शेअर के एक वज़न का नाम जो बुनियादी वज़न मुफ़ाईलन से माख़ूज़ है

मफ़'ऊलात

(उरूज़) अशआर के वज़न करने का एक सुबाई रुकन जो बहर-ए-सरी, मनसरह और मुकतसब वग़ैरा में मुस्तामल है

मफ़रूक़

अंतर किया हुआ, खारिज किया हुआ, जुदा किया हुआ, विभाजित

मफ़ा'अलत

(उरूज़) अशआर के मुक़र्ररा ओज़ान में से एक वज़न

मफ़ा'अला

(उरूज़) शायरी की बहर का एक वज़न

मफ़ा'इलुन

(उरूज़) रुक : बहरहज़ज मुसम्मन मक़बूज़ का वज़न, मुफ़ाईलन जिस में ''य'' ख़ज़फ़ हो गई

मफ़ा'ईल

(क़वाइद) जमा कसरत का एक क़ियासी वज़न (जैसे मुफ़ातीह जमा मिफ़्ताह) नीज़ (उरूज़) बहर का एक वज़न

मफ़ा'ईलुन

एक प्रकार का काव्य मीटर, कविता के वज़न में से एक वजन

मुरफ़्फ़ल

(शाब्दिक) जिसका दामन लंबा किया गया हो (छंदशास्त्र) तरफ़ील वाला भाग, वह अंश जिसके अंत में वतद-ए-मजमू (वह त्रीअक्षरीय शब्द जिसके पहले दो अक्षर गतिशील मात्रा के साथ हों) हो और वतद-ए-मजमू के बाद एक ऐसा पूरा सबब-ए-ख़फ़ीफ़ (वह दो अक्षरीय शब्द जिसका पहला अक्षर गतिशी

मुरब्ब'आत

(छंदशास्त्र) मुरब्बा नज़्में अर्थात चार पंक्तियों के पद वाली नज़्में

मुरब्बा'

वह समकोण चतुर्भुज जिसकी सब रेखाएँ बराबर हों, वर्गाकार, चौखटा, चौकोर ठोस जिसके चारों कोण समान हों और चारों कोण स्थायी हों.(गणित)

मल्फ़ूज़ी

उरूज़: जो पढ़ने में मालूम हो मगर लिखने में न आए (जैसे ताऊस और काऊस कि उरूज़ के जानने वाले संधि विच्छेद में दो लिखते हैं और वास्तविक दो 'वाव' हैं लेकिन किताबत में एक 'वाव' लिखा जाता है

मुलम्मे'

(ए। बरोज़न मुसद्दस।चमकता हुआ दरहशां)सत१। गिलट क्या हुआ।सोना चांदी चढ़ाया हुआ।ख़ासदान पर चांदी का मुलम्मा था।३। क़लई ।तरह दिखावा। ज़ाहिरी टेप टाप। बनावट।(इस्तिलाह इलम-ए-अरूज़) एक ज़बान की पूरी नज़म में दूसरी ज़बान का एक मिसरा। या एक बैत या ज़्यादा मिला देना

मुश''अस

(उरूज़) तशईस जिस रुकन में आए इस का नाम मशास बतशदीद ऐन है ये भी उरूज़-ओ-ज़रब के वास्ते ख़ास है

मशकूल

शक्ल किया गया, (उरूज़) शक्ल (रकफ़ और खेन का इजतिमा) वाला रुकन

मुश्तबा

संदिग्ध, जिस पर शक हो

मश्तूर

निस्फ़, आधा, दो हिस्सों में तक़सीम

मुशाकिल

सहरूप, सदृश, हमशकल

मुस्तज़ाद

बढ़ाया हुआ, वृद्धि किया हुआ, अतिरिक्त, फ़ालतू

मुस्तफ़्'इलुन

(उरूज़) शेअर की तक़ती के लिए वज़ा करदा बहर के एक रुकन का नाम

मुसद्दस

शायरी में 6 पक्तियों वाला काव्य

मुसद्दस-सालिम

(छंदशास्त्र) काव्य में 6 पक्तियों वाली कविता का वह रूप जिसमें मात्राएँ पूर्ण हों

मुसम्मत

लड़ी में पिरोया हुआ, मोतियों की लड़ी, मुक्तावली, नज्म की एक क़िस्म, जिसमें चंद मिस्र एक क़ाफ़िए में कहकर, एक या दो मिस्र दूसरे काफ़िए के लाये जाते हैं, मुखम्मस’ और ‘मुसद्दम' आदि इसी की क़िस्में हैं।

मुसम्मन

(उरूज़) वो बैत जिस में आठ रुकन हूँ, हश्त रुकनी बहर

मुसर्रा'

ऐसी रुबाई जिस के चारों मिसरे हम क़ाफ़िया हूँ, ग़ैर ख़स्सी

मुंसरिह

उर्दू कविता का एक प्राचल नियम 'बहर-ए-उरूज़' का नाम

मसलूख़

(उरूज़) जब रुकन आख़िर के आख़िर में दो सबब ख़फ़ीफ़ वतद मफ़रूक़ के बाद वाक़्य हूँ तो इन दोनों को निकाल कर वतद के हर्फ़-ए-आख़िर को साकन करना बदीन हिसाब फाउ लातिन से फाउ बसकोन आख़िर रहेगा इस के मज़ाहफ़ को मसलोख़ कहते हैं

मुसल्लस

त्रिकोण, त्रिभुज, तीन कोनों वाला, तिकोना, तीन पंक्तियों वाली कविता, एक पकार की शराब जो सुद्ध करने के बाद एक तिहाई रह जाती है, मशक, संदल और काफ़ूर से मिश्रित एक ख़ुशबू

महजूब

जो परदे में हो, जो छुपा हो, लज्जित, शर्मिंदा, झेंपा हुआ, वह व्यक्ति जो ईश्वर को याद न करता हो, वह जिसे कोई विरासत न मिले या जिसका कोई छोटा हिस्सा हो

मुहबिक़

(उरूज़) मतला और सदर से मख़सूस एक ज़हाफ़ि का नाम

मा'मूला

जो स्त्री अभिचार द्वारा बेसुध की जाय, रोज़ का काम।।

मा'सूब

(उरूज़) सबब स्केल का वो हर्फ़ मुतहर्रिक दोम जो साकन कर दिया गया हो जबकि वो मुतहर्रिक रुकन का पांचवां हर्फ़ हो , मफ़ाअलतन जो मुफ़ाईलन से बदल गया हो

मोक़ूस

(शाब्दिक) टूटा हुआ, (छंदशास्र) वो अंश जिसका स्वरयुक्त दोसरा अक्षर गिरा दिया गया हो

मोतिलिफ़ा

(उरूज़) वो दायरा जिस में इब्तदाए बहर वाफ़र और इब्तदाए बहर-ए-कामिल होता है इस की बुनियाद मुफ़ाइलतन पर है

मौज़ूँ

तुला हुआ, वह चीज़ जो वज़्न या भार होकर बेची जाती है

मौसूला

पहुंचा हुआ, मिला हुआ (ख़त वग़ैरा)

मौहद

(उरूज़) एक रुकन की बैत जिस में मिसरा अव्वल क़ाइम मक़ाम मिसरा दोम होता है

रुक्न

बाहरी भाग

रगण

छंद-शास्त्र में ऐसे तीन वर्गों का गण या समूह जिसका पहला वर्ण गुरु, दूसरा लघु और तीसरा फिर गुरु होता है

रजज़

व्यक्तिगत, ख़ानदानी या राष्ट्रीय गर्व पर प्रयुक्त शेर या कविता की पंक्ति आदि जो रणभुमि मे विरोधियों पर दबाव बनाने या मित्रों का साहस बढ़ाने के लिए पढ़े जाएँ, योद्धाओं द्वारा रणभूमि में वीरता और परिवार का दिया जाने वाला काव्य-परिचय

रुबा'ई

चार से मिश्रित, चार अंशों वाला, चतुश्चरण

रस

वनस्पतियों और फल इत्यादि का पानी जो सामान्यतः निचोड़ने से निकलता है, निचोड़ा हुआ अर्क़ इत्यादि, 'उसारा, शीरा, अर्क़

लहजा-दार

उच्चारण या स्वराघात से संबंधित, (छंदशास्त्र) वह छंद या काव्य जो रागानी श्रेणियों पर आधारित हो (अंग : Accentual)

वक़्फ़

(शाब्दिक) खड़ा होना, ठहरना, स्थापित करना, क़याम करना, रुकना, अंतराल, ठहराव, सुकून

वक़्स

(उरूज़) हर्फ़ सानी मुतहर्रिक को गिरा देना, बहर-ए-कामिल से मख़सूस एक ज़हाफ़ जिस में दूसरा हिस्सा हरकत के लिए हज़फ़ कर देते हैं, मतफ़ाअलन का एक ज़हाफ़ रुकन

वज़्न

(हैयत) कौकब कलब अकबर के अठारह सितारों में से एक सितारे का नाम

वज़न करना

तौलना, भारी पन मालूम करना, भार मालूम करना

वज़्न निकालना

(उरूज़) नया वज़न ईजाद करना, नई बहर निकालना, शेअर की तक़ती के लिए नए ओज़ान बनाना

वज़्न में होना

(उरूज़) मिसरे या शेअर का मौज़ूं होना, बहर में होना

वज़्न-ए-सर्फ़ी

(छंद विद्या) ऐसे दो कलमे जो हाव-भाव और भार में एक दूसरे की सीमा को न लाँघें

वतद-ए-मजमू'

दे. ‘वतदे मकून' ।।

वतद-ए-मफ़रूक़

(उरूज़) वो सहि हर्फ़ी लफ़्ज़ जिस का पहला और तीसरा हर्फ़ मुतहर्रिक हो

व्रत

उपवास

वस्ल

मेल-मिलाप, मुलाक़ात

वाख़र

(उरूज़) एक अरबी बहर (ग़ैर मुस्तामल) जो हज़ज मुसद्दस अख़रब मक़बूज़ (मफ़ऊल मुफ़ाइलन फ़ाइलुन) की तरह महज़ूफ़ अलाख़र होती है

वाफ़िर

प्रचुर,अत्यधिक, बहुत, भरपूर, थोक में, पर्याप्त मात्रा में

वाफ़िर मुसम्मन मा'सूब

(उरूज़) एक अरबी महज़ूफ़ बहर वज़न इस का मुफ़ाईलन मफ़ाअलतन मुफ़ाईलन मफ़ाअलतन है

वाफ़िर मुसम्मन सालिम

(उरूज़) एक अरबी महज़ूफ़ बहर, वज़न इस का मफ़ाअलतन मफ़ाअलतन मफ़ाअलतन मफ़ाअलतन है

वाफ़ी

(उरूज़) फ़ारसी शायरी की एक बहर जिस के आठ अरकान हैं और हर रुकन सालिम होता है इस का वज़न मुफ़ाईलन मुफ़ाईलन मुफ़ाईलन मुफ़ाईलन दोबार है

शक्ल

छवि, हुलिया, सर से पाँव तक

शतर

क़ता-ओ-बुरीद, पलकों का अलटाओ, (उरूज़) ज़हाफ़ात मुफ़ाईलन में से एक ज़हाफ़ जिस में इजतिमा ख़ुर्रम-ओ-क़बज़ की वजह से मुफ़ाईलन, फ़ाइलुन हो जाता है

शाइगान

(उरूज़) अता-ए-, क़ाफ़ीए का एक ऐब कि क़ाफ़ीए में हर्फ़ रवी मुख़्तलिफ़ हो और इस के बाद हुरूफ़ या हरूफ़-ए-ज़ाइद की तकरार हो जैसे दाना और बीना या चाहना और माँगना

सुकूत

(छंदशास्त्र) दबना, गिरना

सद्र

वक्षःस्थल, छाती, सीना

सुनाई

(गणित) दो संख्या वाला

सबब

वास्ता, माध्यम, ज़रीया

सबब-ए-ख़फ़ीफ़

(उरूज़) दो हर्फ़ी कलिमा जिस का पहला हर्फ़ मुतहर्रिक और दूसरा साकन हो , वो कलिमा जिस में सिर्फ़ एक हरकत वाक़्य हो, मसलन : ला, मा, का, दर, सब वग़ैरा

सबब-ए-मुतवस्सित

(उरूज़) तीन हर्फ़ी कलिमा जिस का एक हर्फ़-ए-मौक़ूफ़ गिर जाये या एक हर्फ़ मुतहरक और दो साकन हूँ

सबब-ए-सक़ील

(उरूज़) दो हर्फ़ी कलिमा जिस के दोनों हर्फ़ मुतहर्रिक हूँ, मसला : होव, लहु

सरम

(उरूज़) ज़हाफ़ात मुरक्कब की एक क़िस्म, ये इजतिमा क़बज़-ओ-सल्लम यानी जिस रुकन सदर-ओ-इबतिदा में पहले वतद मजमू और फिर एक सब ख़फ़ीफ़ हो तो इस के साकन सबब को निकाल डालना फिर वतद के मुतहर्रिक अव्वल के साक़ित करना

सरी'

जल्दी करने वाला, तेज़, त्वरित, तुरंत

सल्ख़

बकरी का चमड़ा, खाल खींचना, खाल उतारना, कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि, क़मरी महीने का आख़िरी दिन जिसकी शाम को नया चांद नज़र आए, चांद रात

सल्म

(उरूज़) जो रुकन ख़ुमासी कि शुरू बैत में हो और इस रुकन में जुज़ अव्वल वतद मजमू हो ओस वित्र मजमू से पहला हर्फ़ मुतहर्रिक निकाल डालना

सुलासी

(उरूज़) वो ज़हाफ़ि मुज़द वजह जो तीन तग़य्युरात से मुरक्कब हो

सलीम

ठीक, सही, स्वस्थ, उचित, चंगा, सादा-दिल, अच्छे हृदय वाला, सच्चा और सीधा, सरल-हृदय, गंभीर, शांत, शांतिप्रिय, सौम्य, जिसका स्वभाव बहुत ही शांतिप्रिय हो

सहीह

जिसमें किसी प्रकार का झूठ या मिथ्यात्व न हो, यथार्थ, वास्तविक, सच, सत्य, ठीक, उचित, त्रुटि रहित, निर्दोष, चंगा, अच्छा, सेहत मंद, स्वस्थ, पूर्ण, पूरा, साबित, समूचा

सालिम

जो कहीं से खंडित न हो, संपूर्ण; समूचा; सारा; दृढ़; पक्का

सिनाद

(छंद-शास्त्र) क़ाफ़ीए में रदीफ़ या क़ैद का भिन्न होना, जैसे: नार और नूर या सब्र और क़हर, ये क़ाफ़िया के दोषों में से एक दोष है

हज़ज

गड़गड़ाहट का एक ढेर, केतली का आवाज़, आवाज़ जो ताल सुर के साथ हो, एक सुर वाला तराना, सुरीली आवाज़, आवाज़ का उतार चढ़ाओ, एक अद्वित्य बहर का नाम जिसमें एक मिसरे में मुफ़ाईलन चार बार आता है, एक राग (पूर्व में इस्लाम में भावनाओं को उत्तेजित करने या लोगों को उत्तेजित करने के लिए गाया जाता था) भी गाया जाता था और तंबूरा और वाद्ययंत्रों की ध्वनी पर गाया जाता था और नृत्य भी किया जाता था

हज़ज़

दम का छोटा होना, (उरूज़) ज़हाफ़ात की एक क़िस्म : वतद मजमू को जो आख़िर रुकन में हो साक़ित करदेना

हज़्फ़

किसी शब्द से एक अक्षर कम कर देना

हतम

शाब्दिक: आगे के दाँत तोड़ना, उरूज़: 'मफ़ाईलुन' के बदले हुए रूपों में से एक रूप

हफ़्ताद-ओ-चहारुम

(उरूज़) शेअर का एक वज़न (मफ़ऊल मुफ़ाईल, मुफ़ाईलन फाउ), रुबाई का एक वज़न

हफ़्ताद-ओ-पंजुम

(उरूज़) शेअर का एक वज़न (मफ़ऊल, मुफ़ाईल, मुफ़ाईलन, फा), रुबाई का एक वज़न

हमीद

नेक, मुबारक

हमीम

(उरूज़) एक बहर का नाम

हर्फ़ गिरना

(छंदशास्त्र) किसी मिसरे की तक़ती' में किसी अक्षर का बाहर हो जाना जैसे ''अजब आलम में मरीज़-ए-शब तन्हाई है'' इस पंक्ति में ''अ'' वज़्न से गिर गया है

हर्फ़ गिराना

(खुरूज) किसी अक्षर को जरिए लघुकरण दूर करना, तफ़्तीअ में किसी अक्षर को छोड़ना या बाहर कर देना

हर्फ़-ए-तासीस

(उरूज़) वो अलिफ़ साकन जो रवी से पहले हो और इस के और रवी के दरमयान एक मुतहर्रिक फ़ासिल हो,जैसे जाहिल और आक़िल

हरि-पद

(पिंगल) एक छंद अर्थात् छंद विधान का नाम जिसके चार भाग होते हैं और चारों भागों में कुल 54 मात्राएँ होती हैं (इसे दो पंक्तियों में पूरा किया जाता है और हर पंक्ति के पश्चात् अन्तराल होता है सामान्य दोहों की तरह)

हश्व

(उरूज़) बैत के मिसरा अव़्वल के सदर और उरूज़ का दरमयानी जुज़ु और मिसरा दोम के इबतिदा और ज़रब या अजुज़ का दरमयानी जुज़ु (मसलन अगर शेअर में छः मुफ़ाईलन हूँ तो मिसरा अव्वल का पहला मुफ़ाईलन सदर दूसरा हशव तीसरा उरूज़, दूसरे मिसरा का पहला मुफ़ाईलन इबतिदा दूसरा हशव तीसरा ज़रब या अजुज़, और अगर बहर मुसम्मन हो तो हर मिसरा के दरमयानी दो अरकान हशव कहलाईंगे

हुस्न-ए-मतला'

(छंदशास्त्र) ग़ज़ल या क़सीदे में पहले शेर (मतला) के बादवाला शेर

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