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आठ बार नौ त्योहार
सुख-सुविधा और आराम का शौक़ या लगन ऐसा बढ़ा हुआ है कि युग और समय उसको अल्प व्यय नहीं करने देता
चमनिस्तान
ऐसा बाग़ जहाँ फूल ही फूल हों, ऐसी जगह जहाँ दूर तक फूल ही फूल और हरा भरा नज़र आए, वाटिका, चमन, बाग़
दादरा
संगीत में एक प्रकार का चलता गाना (पक्के या शास्त्रीय गानों से भिन्न), एक प्रकार का गान, एक ताल
मज़दूर
शारीरिक श्रम के द्वारा जीविका कमाने वाला कोई व्यक्ति, जैसे: इमारत बनाने, कल-कारख़ानों में काम करने वाला, श्रमिक, कर्मकार, भृतक, मजूर
दूध-शरीक बहन
ऐसी बालिका जो किसी ऐसी स्त्री का दूध पीकर पली हो जिसका दूध पीकर और कोई बालिका या बालक भी पला हो, धाय संतान, दूधबहिन, दूधबहन
"इस्लाम" टैग से संबंधित शब्द
"इस्लाम" से संबंधित उर्दू शब्द, परिभाषाओं, विवरणों, व्याख्याओं और वर्गीकरणों की सूची
अल-'अज़मतु-लिल्लाह
(लफ़ज़न) बड़ाई अल्लाह तआला के लिए है, (मुरादन) किसी हालत या कैफ़ीयत की शिद्दत ज़ाहिर करने के मौक़ा पर बतौर ताकीद मुस्तामल, मुतरादिफ़ : अफ़्वाह ! क्या ठिकाना है, कुछ ना पूछो, कितना शदीद है, बेहद-ओ-बेइंतिहा है , ख़ुदा महफ़ूज़ रखे
'अलम-बरदार
किसी आंदोलन या उद्देश्य या परियोजना का प्रस्तावक, किसी आंदोलन या विचारधारा का कट्टर समर्थक, प्रचारक, मार्गदर्शक
अशहदो-अन-ला-इलाह
कलमा-ए-तुय्यबा के इबतिदाई अलफ़ाज़, मुराद पूरा कलिमा यानी अश उन लिऐ अल्लाह अल्लिअ अल्लाह मुह्हिमदौ र्रिसूओ॒लु अल्लाह (= में गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और मुहम्मद (सलाम) इस के रसूल हैं
अशा'इरा
मशहूर मुतकल्लिम अबुलहसन अली अशअरी (८७३ - ह९३ए) के मुक़ल्लिद और उन के मसलक पर चलने वाले मुतकल्लिमीन का एक गिरोह (जिस ने दलायल के साथ फ़िर्क़ा मोतज़िला के बुनियादी अक़ाइद वसाइल का रद्द किया) , अशअरीया, मा तुरीदी (फ़िरक़े) की ज़िद
अहलुस्सुन्ना वल-जमा'अत
मुसलमानों का एक समुदाय जो पैग़म्बर मोहम्मद के बाद चार ख़लीफ़ाओं को अतिप्रतिष्ठित मानता है और चार इमामों में से किसी एक का अनुसरण करता है, सुन्नी मुसलमान
आख़िर-चहार-शंबा
सफर के महीने के अंत से पहले का बुधवार (यह अधिक्तर मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है क्योंकि कहा जाता है कि पैगंबर इस दिन बीमारी से उबरने के बाद बाहर आए थे), प्रायः 'आख़िरी चहार शंबा' प्रयोग होता है
आख़िरी चहार शंबा
सफर के महीने के अंत से पहले का बुधवार (यह अधिक्तर मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है क्योंकि कहा जाता है कि पैगंबर इस दिन बीमारी से उबरने के बाद बाहर आए थे)
आख़िरी-तलाक़
(धर्म शास्त्र) वह तलाक़ जिसमें विच्छिन्ना स्त्री जब तक दूसरे आदमी से विवाह न कर ले और उसके साथ सहवास न हो जाय, तब तक पहला आदमी उससे विवाह नहीं कर सकता
आतिश-ए-नमरूद
वह आग जो पैग़म्बर इब्राहीम को जलाने के लिए नम्रूद बादशाह ने जलवायी थी पवित्र क़ुरआन के अनुसार वह अग्नि इब्राहीम के लिए ठंडी हो गई और उद्यान में परिवर्तित हो गई
आतिश-ए-मूसा
दिव्य प्रकाश की वह रौशनी जिसको पैगंबर मूसा ने तूर पहाड़ पर दखने की इच्छा में ईशवर से प्रार्थना करते हुए कहा था कि (मुझे अपनी महिमा दिखाओ) मिन्नत करने के बाद उसे देखाया गया जिसे देखकर वह बेहोश हो गए
'आद
एक क़ौम जिसके मार्गदर्शन के लिए हज़रत हूद अलैहिस्सलाम को भेजा गया, जब उसने अवज्ञा की तो तूफ़ान का अज़ाब उतर आया और वह मिट गया
आयत-ए-करीमा
पवित्र क़ुरआन के सत्रहवें अंश में अध्याय शीर्षक 'अंबिया' का एक प्रसिद्ध वाक्य जो सामान्यतः शत्रुओं से सुरक्षा के लिए पढ़ी जाती है (वाक्य के शब्द यह हैं: ला इलाहा इल्ला अंता सुब्हानका इन्नी कुंतु मिनज़्वालिमीन)
आया-ए-करीमा
पवित्र क़ुरआन के सत्रहवें अंश में अध्याय शीर्षक 'अंबिया' का एक प्रसिद्ध वाक्य जो सामान्यतः शत्रुओं से सुरक्षा के लिए पढ़ी जाती है (वाक्य के शब्द यह हैं: ला इलाहा इल्ला अंता सुब्हानका इन्नी कुंतु मिनज़्वालिमीन)
इल्यास
पैग़म्बर हारून की नस्ल के एक पैग़म्बर जो सदैव जीवित रहेंगे, यह समुद्रों के संरक्षक हैं (इस्राईल की महारानी ईज़ाबेल के समय में एक इस्राईली पैगम्बर जो 9 वीं शताब्दी ईसा, पूर्व में थे)
इल्ला-माशा-अल्लाह
(मुरादन) सोए ख़ास ख़ास सूरतों के, किसी शख़्स, सूरत या चीज़, के इलावा, शाज़-ओ-नादिर, (बयान किए हुए कुल्लिया उसूल से बाअज़ सूरतों के मस्तिशना करने के मौक़ा पर मुस्तामल)
इस्मा'ईल
पवित्र हाजिरा की कोख से जनमे पैग़म्बर इब्राहीम के बड़े पुत्र और हमारे पैग़म्बर मोहम्मद की वंशावली-पुर्वज का नाम (उन्हीं के संबंध से अरब बनू इस्माईल(इस्माईल की संतान) कहलाए, ईश्वरीय नियति से उन्हें और उनकी माता को काबा (मक्का स्थित ईश्वर का घर) के निकट जो उस चटियल मैदान था छोड़ गए, वहाँ उनकी संतान नए अरब के नाम से आबाद हुई)
'ईद-ए-ग़दीर
शिया मुसलमानों का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार, जो अरबी पंचांग के महीने ज़िल-हिज्जा की 18 दीनांक को मनाया जाता है, इस दिन पग़म्बर मोहम्मद साहब ने 'ग़दीर-ए-ख़ुम' पर अली (पैग़म्बर मोहम्मद के दामाद और चौथे ख़लीफ़ा) की ओर संकेत करते हुए लोगों से कहा था 'मन कुंतु मौलाहु फ़-अलीयुन मौला'
'ईद-ए-मुबाहला
अरबी साल के अंतिम महीने (ज़िल-हिज्जा) का 24 दिनांक ख़ुशी और उत्साह का दिन है, इसी तारीख़ को पैग़म्बर मोहम्मद साहब ने ईश्वर की आज्ञा पर अपनी बेटी फ़ातिमा, दामाद अली, नवासे हसन और हुसैन को अपने साथ ले कर नजरान के ईसाइयों से मुबाहला (एक-दूसरे को अभिशाप देना) करने वहाँ पहुँचे, इन पाँचों लोगों को देख कर ईसाइयों ने मबाहला नहीं करने का निर्णय लिया और जिज़्या (कर) देना स्वीकार किया, इस विजय की ख़ुशी में शीआ लोग उत्सव मनाते हैं, इसी घटना के संदर्भ में 'पंजतन-पाक' की परिभाषा चलन में आई
'ईद-ए-मीलाद
पैग़म्बर मोहम्मद का जन्म दिन है, यह उत्सव अरबी पंचांग के तीसरे मास की 12 दिनांक (12-रबी-उल-अव्वल) को मनाया जाता है
'ईद-ए-मीलादुन्नबी
पैग़म्बर मोहम्मद का जन्म दिन है, यह उत्सव अरबी पंचांग के तीसरे मास की 12 दिनांक (12-रबी-उल-अव्वल) को मनाया जाता है
कुन-फ़काँ
हो, फिर वह हो गया, उर्दू और फ़ारसी में आख़िरी नून का प्रायः अनुस्वार के उच्चारण के साथ पढ़ते हैं, ईश्वर ने कहा 'कुन' अर्थात हो जा या अस्तित्व में आ जा 'फ़काँ' फिर हो गई या अस्तित्व में आ गई
क़ुम-बि-इज़निल्लाह
अल्लाह के हुक्म से खड़ा हौजा, ख़ुदा के हुक्म से जी उठ (हज़रत ईसा अस्सलाम मर्दों को ये कलिमा कह कर ज़िंदा किया करते थे)
क़ुरआन
इस्लाम की पाक किताब है और इसकी नींव है, मुसलमानों का धर्म ग्रंथ, जो उनके मतानुसार आस्मानी किताब है, जिसमें तीस 'पारे’, छोटी बड़ी एक सौ चौदह सूरते’, ६६४० ‘आयते’ और ५४० ‘रुकूअ' है
क़िब्ला-गाह
जिस ओर मुख करके मुसलमान लोग नमाज़ पढ़ते या प्रार्थना करते हैं, पूजा करने की दिशा, पश्चिम दिशा, मक्का
ख़त्ना
मुस्लमानों में पैग़म्बर इब्राहीम द्वारा प्रचलित प्रथा जिसमें पुरुष के लिंग का अतिरिक्त चमड़ा काट दिया जाता है
ख़ुदाई-रात
कोई कठिनाई आ जाए तो औरतें मन्नत मानती हैं और जब ये मुश्किल टल जाती है तो रात-भर जागती और नज़र-ओ-नयाज़ (पूजा-अर्चना) के लिए पकवान से मस्जिद का ताक़ भरती हैं, रत-जगा, रतजगा जागरण
ख़ानक़ाह
मुसलमान फकीरों, सूफ़ियों, साधुओं, अथवा धर्म-प्रचारकों एवं धर्मशिक्षकों के ठहरने या रहने का स्थान, आश्रम, मठ (ख़ाना-गाह का अरबीकरण)
ख़ारिजी
परराष्ट्र संबंधी। पुं० १. इस्लाम का एक संप्रदाय जो अली की खिलाफत को न्याय. संगत नहीं मानता और इसी लिए इसके अनुयायी बहिष्कृत समझे जाते हैं। २. सुन्नी मुसलमानों के लिए उपेक्षासूचक शब्द।
ग़दीर-उल-ख़ुम
शिया मुसलमानों का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्यौहार, जो अरबी पंचांग के महीने ज़िल-हिज्जा की 18 दीनांक को मनाया जाता है, इस दिन पग़म्बर मोहम्मद साहब ने 'ग़दीर-ए-ख़ुम' पर अली (पैग़म्बर मोहम्मद के दामाद और चौथे ख़लीफ़ा) की ओर संकेत करते हुए लोगों से कहा था 'मन कुंतु मौलाहु फ़-अलीयुन मौला'
ग़दीर-ए-ख़ुम
मक्का-मदीना के मध्य एक जगह का नाम 'ख़ुम' है जहाँ एक तालाब है इस कारण यह ग़दीर-ए-ख़ुम कहलाता है, जब पैग़म्बर मोहम्मद साहब हज करके मदीने जा रहे थे तो उस जगह आप ठहरे थे और ज़िल-हिज्जा की 18 तारीख़ को हज़रत अली के संबंध में कहा था "जिसको मैं प्यारा हूँ अली भी उसको प्यारा होना चाहिए"
चेहलुम
मुसलमानों में किसी की मृत्यु के उपरांत का चालीसवाँ दिन, किसी की पुण्यतिथी से चालीसवें दिन का समारोह, मुर्दे का चालीस दिन में होनेवाला संस्कार, चालीसवाँ
चार-यार
(इस्लाम) पैग़म्बर मोहम्मद साहब के चार निकटतम दोस्त जो पैग़म्बर मोहम्मद के बाद उत्तराधिकारी (ख़लीफ़ा) बने अर्थात अबुबकर, उमर, उसमान और अली
ज़ुन्नूरैन
पैग़ंबर मोहम्मद साहब के तीसरे ख़लीफ़ा हज़रत उसमान का उपाधि जिनके निकाह में पैग़ंबर मोहम्मद साहब की दो बेटियाँ हज़रत रुक़य्या और हज़रत उम्मे कुलसूम एक के बाद एक आइ थीं
जामा-ए-एहराम
वह चादर जो हाजी लोग हज के समय बाँधते है जो बिना सिला होता है और स्त्रीयों को इसके धारण करने से स्वतंत्र रखा गया है
दाब्बत-उल-अर्ज़
वो अजीब अल जानवर जो क़ुरब-ए-क़ियामत कोह-ए-सफ़ा से पैदा होगा और लोगों से कलाम करेगा इस के पास हज़रत-ए-सुलेमान अलैहि अस्सलाम की मुहर और हज़रत मूसा अलैहि अस्सलाम का असा होगा (हज़रत-ए-सुलेमान अलैहि अस्सलाम की मुहर और हज़रत-ए-मूसा अलैहि अस्सलाम के उसे से निशान लगा कर मुसलमान और काफ़िर की निशानदही करेगा
नबी-ए-आख़िरुज़्ज़माँ
आख़िरी ज़माने का नबी, आख़िरी नबी, सब से आख़िर में आने वाला नबी, वो नबी जिस के बाद कोई और नबी नहीं आएगा, मुरादन: हज़रत मुहम्मद सिल्ली अल्लाह अलैहि वालहा वसल्लम
नमाज़-ए-आयात
सूर्य ग्रहन, चंद्र ग्रहन, काली या लाल आँधी और तूफ़ान आदि आने पर पढ़ी जाने वाली नफ़ली नमाज़
नमाज़-ए-जनाज़ा
वह नमाज़ जो मुसलमानों के जनाज़े पर मृतक की आत्मा की शान्ति के लिए पढ़ी जाती है, अंतिम संस्कार के लिए प्रार्थना
परचम-बरदार
किसी आंदोलन या उद्देश्य या परियोजना का प्रस्तावक, किसी आंदोलन या विचारधारा का कट्टर समर्थक, प्रचारक, मार्गदर्शक
बाद-ए-'ईसा
पैग़म्बर ईसा की फूक, जिससे मुर्दे जी उठते थे (फ़ारसी वाले चिकित्सा विशेष्यग्य के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं)
बाद-ए-मसीह
पैग़म्बर ईसा की फूक, जिससे मुर्दे जी उठते थे (फ़ारसी वाले चिकित्सा विशेष्यग्य के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं)
बा'स-ओ-नश्र
(संकेतात्मक) क़यामत (परलय) का दिन (जिसमें मृतकों में दोबारा जान डाल कर जीवित किया जाएगा और जो मैदान-ए-हश्र में फैल जाएंगे) क़यामत
मु'अल्लिम-उल-मलकूत
फ़िरिश्तों को पढ़ाने वाला जिसके संबंध में यह प्रसिद्ध है कि वह बहिस्कृत होने से पूर्व फ़रिश्तों (देवदूतों) को शिक्षा दिया करता था, शैतान
मन-कुंतु-मौला
(हदीस) (अरबी वाक्य उर्दू में प्रयुक्त) मैं जिसका मित्र हूँ, मैं जिसका स्वामी हूँ, अर्थात: अली (पैग़म्बर मोहम्मद साहब के दामाद)
मुनाफ़िक़
(लाक्षणिक) जिसकी देखने में मुसलमान लगे लेकिन वास्तव में मुसलमान न हो, जो धोका देने के लिए मुसलमान बनने का ढोंग करे (लाक्षणिक) इस्लाम का दुशमन
मुर्तद
जो अपना धर्म छोड़कर दूसरे के धर्म में चला जाय, जो इस्लाम धर्म छोड़कर काफ़िर हो गया हो, इस्लाम से फिरा हुआ, विधर्मी
मीज़ान-ए-'अद्ल
न्याय का तराज़ू, नयाय का पलड़ा, वह पलड़ा जिसमें क़ियामत (प्रलय) के दिन क्रियाओं को परखा जाएगा तथा सच्ची कसौटी
या-हुसैन
इमाम हुसैन को पुकारने के लिए प्रयुक्त 'ऐ हुसैन' (आह्वान के रूप में या सहायता की प्रार्थना के रूप में)
लैलत-उल-क़द्र
प्रायः यह माना गया है की वह रात रमज़ान के महीने की सात्ताइसवीं रात होती है, जिसमें जप-तप करना बहुत अच्छा माना गया है, रमज़ान के अंतिम 10 की विषम रात्री में भी माना गया है (जबकि इस रात के निर्धारण में मतभेद पाया जाता है)
शब-बरात
(लोकमान्यता) उक्त रात को देवदूत लोगों को जीविका देते हैं, इसी ख़ुशी में लोगों द्वारा विशेष रूप से मुसलमानों द्वारा नमाज़, मज़ार का दर्शन, मिठाई बाँटना और आतिशबाज़ी आदि करते हैं तथा इसी रात में लोग मृत लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, हिज्री पंचांग के शाबान महीने की पंद्रहवीं रात
शिहाब-ए-साक़िब
(भौतिक खगोलिकी) वह छोटे-छोटे अजराम या शहाब जिनकी रफ़्तार बहुत तेज़ होती है, पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए पृथ्वी के वायुमंडल से टकरा जाते हैं तो उनकी रफ़्तार इतनी तेज़ हो जाती है कि हवा की मुज़ाहमत से जो तापमान पैदा होता है वह उनको जला कर ख़ाक कर देती है
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क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा