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तुझ

'तू' का वह रूप जो कर्ता तथा संबंधकारक के सिवा अन्य कारक लगने से पूर्व प्राप्त होता है, जैसे- तुझसे, तुझको, तुझमें आदि।

तुझे

तुझको, तेरा, आपका, 'तू' का वह रूप जो उसे द्वितीया और चतुर्थी की विभक्तियाँ लगने पर प्राप्त होता है

तुझी

thee alone, you alone

तुझ को

(accusative) thee, you

तुझ सा

like you

तुझे क्या

तुझे क्या मतलब

तुझ-बिन

without you

तुझ-मुझ

everyone, all and sundry, anyone and everyone

तुझ-बदल

तेरे बगै़र, तेरे लिए

तुझ-पास

تجھ سے ، تیرے پاس.

तुझ को और न मुझ को ठोड़

तुझे दूसरा नहीं मिलता, मुझे दूसरी जगह नहीं मिलती मजबूरन यकजा होने के मौक़ा पर बोलते हैं

तुझ-बाज

तेरे सिवा, तेरे बिना

तुझ से ख़ुदा ही समझे

लाचारी की अभिव्यक्ति, भगवान ने तुम्हें सज़ा देगा

तिझा

رک : تیسرا ، تیجا.

तुझे और की क्या पड़ी, अपनी सँभाल

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझ से फिरे तो वो ख़ुदा से फिरे

कुसुम या अह्द के मौक़ा पर बोलते हैं यानी तेरे ख़िलाफ़ करूं तो गोया अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ करूं

तुझ को पराई क्या पड़ी अपनी नबेड़ तू

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझे गहरी गोर में तोपूँ

(ओ) कोसना, तो मर जाये

तुझ सा काफ़िर मुझ सा मुसलमान

(व्यंगात्मक) तेरा जैसा है दीन मेरा जैसा दीनदार

तुझ से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ یہ فقرہ قَسَم یا عہد کے موقع پر مستعمل ہے۔ یعنی تجھ سے وفا نہ کرے تو کافر ہو۔ ؎ تجھ کی جگہ۔ اُس۔ تم۔ بھی کہتے ہیں۔

तुझे और की क्या पड़ी, अपनी निबाह

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझ को पराई क्या पड़ी तू अपनी तो नबेड़

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझ पड़े जो हादिसा दिल में मत घबरा जब साईं की हो दया काम तुरत बन जा

अगर मुसीबत पड़े तो घबराना नहीं चाहिए ईश्वर की कृपा हो तो सब काम बन जाएंगे

तुझे मुझे करना

इस का इस का या एरे ग़ैरे का नाम लेना

तुझे पराई क्या पड़ी तू अपनी नबेड़

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझे पराई क्या पड़ी, अपनी नबेड़ तू

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

मुझ, तुझ

me, you

निझ-तिझ

رک : نج تج ، صحت ، درستی ، معقولیت ، معیار کے مطابق ہونا ۔

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

ठेका ले उस काम का जो तुझ से हो ठीक

जिस काम को आदमी अच्छी तरह कर सकता है उस का ठेका या ज़िम्मा लेना चाहिए

ठेका ले उस काम का जो तुझ से होवे ठीक

जिस काम को आदमी अच्छी तरह कर सकता है उस का ठेका या ज़िम्मा लेना चाहिए

तेरी बातें तुझ ही को हन आएँ

तो बड़ा चालाक है, मकरो फ़रेब की बातें तो आप ही समझता है

शाबाश तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

तू मुझ को तो मैं तुझ को

जैसा व्यवहार करोगे वैसा तुम्हारे साथ होगा

तू मुझ पर मैं तुझ पर

एक पर एक एक दूसरे पर गिरते पड़ते, बदहवासी से

शाबाश बुआ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

मैं तुझ पर और तू मुझ पर

बहुत ज़्यादा भीड़ हो तो कहते हैं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

शाबाश मियाँ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

व्यंग में कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

बुरे तुझ से डरिए या तेरी बुराई से

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

बुरे तुझ से क्या डरते हैं, तेरी बुराई से डरते हैं

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

शैतान तूफ़ान , अल्लाह निगहबान , तुझ पर टूट न पड़े आसमान

झूटी तहमत से ख़ुदा की पनाह, जब कोई किसी पर तहमत धरे तो कहते हैं

बुरे तुझ से क्या डरिए, तेरी बुराई से डरिए

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

बुरे तुझ से नहीं डरते तेरे फ़े'लों से डरते हैं

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

धी री मैं तुझ को कहूँ बहूरी तू कान धर

बेटी को नसीहत की जाती है बराह-ए-रास्त बहू से नहीं कहा जाता, किसी को सुनाने के लिए दूसरों को नसीहत करने के मौक़ा पर मुस्तामल

मैं तो डूबा मगर तुझ को भी ले डूबूँगा

मुझ पर तो आफ़त आई है तुझ को भी सलामत न छोड़ूँगा

धिर यारी में तुझ से कहूँ बहूर यारी तू कान कर

(धरिया - बेटी - बहू रिया - बहू

तिरिया तुझ में तीन गुन अवगुन हैं लख चार, मंगल गावे सत रचे और कोखन उपजें लाल

स्त्रियों में तीन खूबियां और लाखों अवगुन हैं, खूबियां ये हैं कि गाती हैं, पति के साथ सती होती हैं और बेटे जनती हैं

तिरया तुझ में तीन गुन अवगुन हैं लख चार, मंगल गावे सल रचे और कोकन उपचें लाल

स्त्रियों में तीन खूबियां और लाखों अवगुन हैं, खूबियां ये हैं कि गाती हैं, पति के साथ सती होती हैं और बेटे जनती हैं

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ शेर जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान

अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान

अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं

तिरया तुझ से जो कहे मोल न तू वो मान, तिरया मत पर जो चलें वो नर हैं निर्ज्ञान

स्त्री के कहने पर नहीं चलना चाहिए जो उन के कहने पर चले वो मूर्ख है

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बल वान

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बल वान

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में तुझ-मुझ के अर्थदेखिए

तुझ-मुझ

tujh-mujhتُجھ مُجْھ

वज़्न : 22

टैग्ज़: अवामी

English meaning of tujh-mujh

Noun, Masculine

  • everyone, all and sundry, anyone and everyone

تُجھ مُجْھ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • ۔(عو) اپنا بیگانہ۔ ہر کس و ناکس۔ ہر ایک۔
  • ہر کس و نا کس ، ماو شما ، ایرے غیرے.

Urdu meaning of tujh-mujh

  • Roman
  • Urdu

  • ۔(o) apnaa begaana। har kis-o-naaks। har ek
  • har kis-o-na kis, maa.i shamaa, ere Gaire

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तुझ

'तू' का वह रूप जो कर्ता तथा संबंधकारक के सिवा अन्य कारक लगने से पूर्व प्राप्त होता है, जैसे- तुझसे, तुझको, तुझमें आदि।

तुझे

तुझको, तेरा, आपका, 'तू' का वह रूप जो उसे द्वितीया और चतुर्थी की विभक्तियाँ लगने पर प्राप्त होता है

तुझी

thee alone, you alone

तुझ को

(accusative) thee, you

तुझ सा

like you

तुझे क्या

तुझे क्या मतलब

तुझ-बिन

without you

तुझ-मुझ

everyone, all and sundry, anyone and everyone

तुझ-बदल

तेरे बगै़र, तेरे लिए

तुझ-पास

تجھ سے ، تیرے پاس.

तुझ को और न मुझ को ठोड़

तुझे दूसरा नहीं मिलता, मुझे दूसरी जगह नहीं मिलती मजबूरन यकजा होने के मौक़ा पर बोलते हैं

तुझ-बाज

तेरे सिवा, तेरे बिना

तुझ से ख़ुदा ही समझे

लाचारी की अभिव्यक्ति, भगवान ने तुम्हें सज़ा देगा

तिझा

رک : تیسرا ، تیجا.

तुझे और की क्या पड़ी, अपनी सँभाल

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझ से फिरे तो वो ख़ुदा से फिरे

कुसुम या अह्द के मौक़ा पर बोलते हैं यानी तेरे ख़िलाफ़ करूं तो गोया अपने ख़ुदा के ख़िलाफ़ करूं

तुझ को पराई क्या पड़ी अपनी नबेड़ तू

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझे गहरी गोर में तोपूँ

(ओ) कोसना, तो मर जाये

तुझ सा काफ़िर मुझ सा मुसलमान

(व्यंगात्मक) तेरा जैसा है दीन मेरा जैसा दीनदार

तुझ से फिरे तो ख़ुदा से फिरे

۔مقولہ۔ یہ فقرہ قَسَم یا عہد کے موقع پر مستعمل ہے۔ یعنی تجھ سے وفا نہ کرے تو کافر ہو۔ ؎ تجھ کی جگہ۔ اُس۔ تم۔ بھی کہتے ہیں۔

तुझे और की क्या पड़ी, अपनी निबाह

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझ को पराई क्या पड़ी तू अपनी तो नबेड़

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझ पड़े जो हादिसा दिल में मत घबरा जब साईं की हो दया काम तुरत बन जा

अगर मुसीबत पड़े तो घबराना नहीं चाहिए ईश्वर की कृपा हो तो सब काम बन जाएंगे

तुझे मुझे करना

इस का इस का या एरे ग़ैरे का नाम लेना

तुझे पराई क्या पड़ी तू अपनी नबेड़

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

तुझे पराई क्या पड़ी, अपनी नबेड़ तू

दूसरों की चिंता अपने से निश्चिंत हो कर करनी चाहिए, अपनी गुज़र होती नहीं और का बोझ क्या उठाओगे

मुझ, तुझ

me, you

निझ-तिझ

رک : نج تج ، صحت ، درستی ، معقولیت ، معیار کے مطابق ہونا ۔

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नय्या पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

ठेका ले उस काम का जो तुझ से हो ठीक

जिस काम को आदमी अच्छी तरह कर सकता है उस का ठेका या ज़िम्मा लेना चाहिए

ठेका ले उस काम का जो तुझ से होवे ठीक

जिस काम को आदमी अच्छी तरह कर सकता है उस का ठेका या ज़िम्मा लेना चाहिए

तेरी बातें तुझ ही को हन आएँ

तो बड़ा चालाक है, मकरो फ़रेब की बातें तो आप ही समझता है

शाबाश तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

तू मुझ को तो मैं तुझ को

जैसा व्यवहार करोगे वैसा तुम्हारे साथ होगा

तू मुझ पर मैं तुझ पर

एक पर एक एक दूसरे पर गिरते पड़ते, बदहवासी से

शाबाश बुआ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

तंज़न कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

मैं तुझ पर और तू मुझ पर

बहुत ज़्यादा भीड़ हो तो कहते हैं

साईं तुझ बिन कौन है जो करे नवड़िया पार, तू ही आवत है नज़र चहूँ ओर करतार

ऐ ईश्वर तेरे सिवा कौन है जो बेड़ा पार करे, जिधर देखता हूँ तू ही दिखाई देता है

शाबाश मियाँ तुझ को, तू ने मोह लिया मुझ को

व्यंग में कहते हैं जब कोई अपने आप को बहुत बांका समझने लगे

बुरे तुझ से डरिए या तेरी बुराई से

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

बुरे तुझ से क्या डरते हैं, तेरी बुराई से डरते हैं

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

शैतान तूफ़ान , अल्लाह निगहबान , तुझ पर टूट न पड़े आसमान

झूटी तहमत से ख़ुदा की पनाह, जब कोई किसी पर तहमत धरे तो कहते हैं

बुरे तुझ से क्या डरिए, तेरी बुराई से डरिए

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

बुरे तुझ से नहीं डरते तेरे फ़े'लों से डरते हैं

बुरे आदमी से डर नहीं डर यह है कि वो बुरा व्यवहार करेगा

धी री मैं तुझ को कहूँ बहूरी तू कान धर

बेटी को नसीहत की जाती है बराह-ए-रास्त बहू से नहीं कहा जाता, किसी को सुनाने के लिए दूसरों को नसीहत करने के मौक़ा पर मुस्तामल

मैं तो डूबा मगर तुझ को भी ले डूबूँगा

मुझ पर तो आफ़त आई है तुझ को भी सलामत न छोड़ूँगा

धिर यारी में तुझ से कहूँ बहूर यारी तू कान कर

(धरिया - बेटी - बहू रिया - बहू

तिरिया तुझ में तीन गुन अवगुन हैं लख चार, मंगल गावे सत रचे और कोखन उपजें लाल

स्त्रियों में तीन खूबियां और लाखों अवगुन हैं, खूबियां ये हैं कि गाती हैं, पति के साथ सती होती हैं और बेटे जनती हैं

तिरया तुझ में तीन गुन अवगुन हैं लख चार, मंगल गावे सल रचे और कोकन उपचें लाल

स्त्रियों में तीन खूबियां और लाखों अवगुन हैं, खूबियां ये हैं कि गाती हैं, पति के साथ सती होती हैं और बेटे जनती हैं

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ शेर जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान

अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बलवान

अपने आप को बहुत आला नहीं समझना चाहिये ऐसे बलवान लाखों इस संसार में हैं

तिरया तुझ से जो कहे मोल न तू वो मान, तिरया मत पर जो चलें वो नर हैं निर्ज्ञान

स्त्री के कहने पर नहीं चलना चाहिए जो उन के कहने पर चले वो मूर्ख है

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बल वान

यूँ मत मान गुमान कर कि मैं हूँ बड़ा जवान, तुझ से इस संसार में लाखों हैं बल वान

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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